गुरुवार, 8 दिसंबर 2011

"थोथा चना बाजे घना"


अर्थः मूर्ख अपनी बातों से अपनी मूर्खता को प्रकट कर ही देता है।

पुरानी कहावतों के नये मतलब  हो गये हैं जी। बच्चों से बात करो तो पता चलता है। क्लास में मैंने पूछा-बच्चों बताओ थोथा चना, बाजे घना का क्या मतलब है।
एक बच्चे ने बताया-सर, इसका मतलब है कि घना बजाना हो, या फुलमफुल चारों तरफ अपना जलवा कायम करना हो, थोथा होना जरुरी है। वरना मामला घना नहीं होगा।
पर बेटा, घना होने के लिए थोथा होना क्यों जरुरी है-मैंने आगे पूछा।बच्चे ने बतायाकी सर जी

भारी चना, कोई पूछे ना-यह नयी कहावत हो सकती है।
चना भारी होगा, तो बजेगा कैसा। बजेगा नहीं, तो बिकेगा कैसे।

 कहने का मतलब ये है की ,जिन्हें बोलना चाहिए,वह खामोश हो जाते हैं,जिन्हे खामोश होना चाहिए,वह बोले जाते हैं,कहने वाले सही कह गये,‘थोथा चना बाजे घना’,पर किसे समझाने कौन सुने,कान बंद कर लें,अपना ध्यान इधर-उधर लें,किसी को करना नहीं बोलने से मना,अपने ही बोले और लिखे शब्द का अर्थ
लोग नही जानते,अनर्थ पर बहस को,लोकतंत्र का प्रतीक मानते
दूसरे के दोषों पर डालें नजर,अपने गुणों के बखान पर,गुजारे दिन-रात का हर पहर,दुरूपयोग करें हर पल का,और कीमती वक़्त बताएं अपना और दूसरो का ! बस यही है प्रजातंत्र का सही सदुपयोग ,,,,,,,

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