आषाढ़ पूर्णिमा का दिन में भगवान बुध ने अपने पहले पांच भिछुवों को अपना प्रथम उपदेश दिया था , बुद्ध ने भिछुवों से कहा " हे भिछुवों तुम सभी बहुजन हिताय बहुजन सुखाय " का प्रचार प्रसार करो, आषाढ़ पूर्णिमा के उस दिन अपने गुरु के इस आदेश को पाकर पांचो भिछु " कौण्डिन्य ,वप्प ,भाद्दिया , अस्सजी और महानाम ने चारिका शुरू की, और जन जन तक बुद्ध के इस उपदेश ( धम्म) को पहुँचाने लगे, भिछुवों ने लोंगो को ये बताया की यह धम्म चक्क मनुष्य के भीतर त्वरित आध्यात्मिक परिवर्तन का सूचक है.. सदियों बाद आज की तारीख में इस उपदेश को बहुत कम लोग ही जानते है, पर नब्बे के दशक में अस्तित्वा में आई बहुजन समाज पार्टी भगवान् बुद्ध के इस उपदेश को अपनी पार्टी का मुख्य उद्देश्य बनाया. भले ही यह राजनीतिक स्वार्थ भावना के चलते अपनाया गया पर जाने अन्जाने पार्टी द्वारा ये अच्छा काम हुआ, वर्तमान समय में पार्टी सता में है और भगवान् बुद्ध के इस विचार को अपनाकर अपनी सरकार की नीति " बहुजन सुखाय बहुजन हिताय " के रूप में प्रदेश की जनता के सामने स्पष्ट कर दिया, विपछियों ने जहाँ इसका मज़ाक उड़ाया, वहीँ स्वच्छ प्रशासन और भयमुक्त समाज की चाह रखने वालों ने इसका स्वागत किया, पर वर्तमान समय में पार्टी दूर दूर तक अपने उद्देश्य के आस पास नज़र नहीं आ रही है... उत्तरप्रदेश सरकार के कार्यकाल पूरा हो गया पाच साल का समय पूर्र्ण हो गया ये उम्मीद अभी की जा सकती है की पार्टी अपने मुख्य उद्देश्य पर वापस आ सकती है, और आषाढ़ पूर्णिमा के दिन बुद्ध की तरह काश मुख्यमंत्री मायावती के अनुयाई ( कार्यकर्त्ता और मंत्री विधायक गण ) " अपने स्वयं सुखाय स्वयं हिताय " के पथ से हटकर " बहुजन सुखाय बहुजन हिताय " के पथ पर चले, और २०१२ में पार्टी की राह बजाये कठिन बनाने को कुछ आसान बना सके, क्योंकि राहुल गाँधी का दलित प्रेम जिस कदर परवान चढ़ रहा है उस लिहाज से वैसे भी मायावती को सावधान रहना होगा..