हर रिश्ते की अपनी एक मर्यादा होती है लेकिन जब कोई मर्यादा को
लांघ जाता है तो रिश्ते अपनी गरिमा ही नहीं विश्वास भी खो बैठते हैं। आखिर
क्यों बन जाते हैं ऎसे अमर्यादित रिश्ते जिनकी समाज में कोई जगह नहीं है ,
कई बार कुछ ऎसी शर्मनाक घटनाएं अखबारों की सुर्खियां बनी होती हैं जिन्हें
पढकर मन घृणा और शर्म से भर जाता है और ऎसी खबरों को पढकर बस एक ही ख्याल
दिमाग में आता है कि रिश्तों की मर्यादा को कौन सा कीडा खाए जा रहा है ?
आखिर समाज किस गर्त में जा रहा है,?
जहां लडका अपनी मौसी की बेटी को भगाकर ले गया, कहीं दामाद ने सास के संग भागकर विवाह कर लिया तो कहीं बहू ने अपने ससुर को पति बना लिया तो कहीं भताजे ने अपनी हम उम्र बुआ से ही विवाह कर लिया। रिश्तों को कलंकित कर देने वाले ए कृत्यों के पीछे भी लोगों ने तर्क गढ़ा प्यार का। क्या वाकई ये सभी घटनाएं प्यार को दर्शाती हैं। बडे बुजुर्गो से ये तो सुना था कि इंसान प्यार में जात-पांत, धर्म नहीं देखता है लेकिन ये कभी नहीं सुना था कि इंसान प्यार में रिश्तों की पवित्रता की दहलीज को भी लांघ जाता है। शर्म से गडा देने वाली ये घटनाएं आखिर क्यों संस्कारों से भरे इस समाज में घटित हो रही हैं।
मनोचिकित्सकों के अनुसार ऎसी घटनाएं जीवन में आई तीव्रता का परिणाम है और जब जिंदगी की ग़ाडी अति तीव्रता से चलती और बिना किसी नियम के चलती है तो दुर्घटना होने के अवसर उतने ही बढ़ जाते हैं। कई बार ऎसा भी होता है कि लडका या लडकी अपने मौसेरे या चचरे भाई-बहन में अपने भावी जीवनसाथी के गुण देखने लगते हैं। कई कारण होते हैं जिनकी वजह से अमुक लडका या लडकी उनके रोलमॉडल बन जाते हैं और वैसे ही गुण वाला इंसान या वही इंसान उनके दिलो-दिमाग में रच बस जाता है तो वो उसे पाने के लिए रिश्तों की मर्यादा को तोडने से भी परहेज नहीं करते हैं ।
आखिर समाज किस गर्त में जा रहा है,?
जहां लडका अपनी मौसी की बेटी को भगाकर ले गया, कहीं दामाद ने सास के संग भागकर विवाह कर लिया तो कहीं बहू ने अपने ससुर को पति बना लिया तो कहीं भताजे ने अपनी हम उम्र बुआ से ही विवाह कर लिया। रिश्तों को कलंकित कर देने वाले ए कृत्यों के पीछे भी लोगों ने तर्क गढ़ा प्यार का। क्या वाकई ये सभी घटनाएं प्यार को दर्शाती हैं। बडे बुजुर्गो से ये तो सुना था कि इंसान प्यार में जात-पांत, धर्म नहीं देखता है लेकिन ये कभी नहीं सुना था कि इंसान प्यार में रिश्तों की पवित्रता की दहलीज को भी लांघ जाता है। शर्म से गडा देने वाली ये घटनाएं आखिर क्यों संस्कारों से भरे इस समाज में घटित हो रही हैं।
मनोचिकित्सकों के अनुसार ऎसी घटनाएं जीवन में आई तीव्रता का परिणाम है और जब जिंदगी की ग़ाडी अति तीव्रता से चलती और बिना किसी नियम के चलती है तो दुर्घटना होने के अवसर उतने ही बढ़ जाते हैं। कई बार ऎसा भी होता है कि लडका या लडकी अपने मौसेरे या चचरे भाई-बहन में अपने भावी जीवनसाथी के गुण देखने लगते हैं। कई कारण होते हैं जिनकी वजह से अमुक लडका या लडकी उनके रोलमॉडल बन जाते हैं और वैसे ही गुण वाला इंसान या वही इंसान उनके दिलो-दिमाग में रच बस जाता है तो वो उसे पाने के लिए रिश्तों की मर्यादा को तोडने से भी परहेज नहीं करते हैं ।