शनिवार, 15 मई 2021

नन बनते समय लडकियाँ क्या शपथ लेती हैं ?

शौंक़िया तौर पर मैं  एक प्रसिद्ध चर्च  चला गया ! मुझे भी जरा कुछ ज्यादा ही आनन्द आता है धर्म पर चर्चा में और वहाँ उनकी प्रार्थना एवं अन्य कुछ बातों में अपनी रूची दिखानी शुरु की । वहां एक ईसाई... जो कि.. वेश-भूषा से कोई फादर टाईप ही लग रहा था..., मेरे गले मे जनेऊ देख कर समझ गया कि... मैं एक हिन्दू हूँ...! इसीलिये.... उसने मुझे भी ईसाई बनाने और शीशे में उतारने के लिए कहा कि.देखो बेटे... बुरा मत मानना... लेकिन दरअसल. सच पूछो तो... हिन्दू धर्म और इस्कॉन पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाना चाहिये.।

क्योंकि.यह श्रीकृष्ण को महिमा मंडित करते हैं जबकि श्रीकृष्ण ने 16108 विवाह किये थे
जिससे सिद्ध होता है कि श्रीकृष्ण एक चरित्रहीन व्यक्ति थे...! इसीलिये. यीशु ही तुम्हे सही राह दिखा सकते हैं...! उसकी... बातें सुनते ही मेरे तन-बदन में आग लग गयी परन्तु... ऊपरी तौर पर... मैंने उसे बहुत ही शांतचित्त से बोला...

देखिये पादरी जी मैं आपको अपना फादर तो बोल नहीं सकता. क्योंकि.मैं कोई सेक्यूलर नहीं बल्कि सनातनी हूँ, और...हिन्दुओं का एक ही बाप होता है... आप ईसाईयों की तरह हर चर्च में हमारे बाप यानि कि फादर नहीं होते हैं. और, जहाँ तक रह गयी बात भगवान कृष्ण की शादियों की.तो.आप सिर्फ मुझे इतना बता दो कि.।

आपके इस कथित रूप से पवित्र ईसाई धर्म में... नन बनते समय लडकियाँ क्या शपथ लेती है..?
मेरे इतना कहते ही वो मेरा मुंह देखने लगा... परन्तु कुछ नहीं बोला....! मैंने उससे दो तीन बार वही सवाल पूछे... परन्तु वो चुप रहा...!

अंततः मैंने उससे कहा...
कोई बात नहीं पादरी जी मैं बता देता हूँ पूरे विश्व में नन बनते समय कुंवारी लडकियाँ यह शपथ लेती है कि"मै जीजस को अपना पति स्वीकार करती हूँ और उनके अलावा किसी अन्य पुरुष से शारीरिक सम्बन्ध नहीं बनाऊँगी"

तो कृपया. अब आप मुझे बतायें कि आज से पहले कितनी लाख ननों ने जीसस से विवाह किया और भविष्य में भी ना जाने कितनी ननें विवाह करेंगी..!
तो.आपकी बात को आप पर ही लागू करते हुये... क्यों ना, सबसे पहले पूरे विश्व में ईसाईयों और ईसाई धर्म पर प्रतिबन्ध लगा दिया जाये.।

उसके बाद वो पादरी मुझे कुछ नहीं बोला और चुप-चाप सर झुका कर मेरे पास से चला गया.।

तो पूरी कहानी का सार यह है कि सिर्फ खुद के ही घर को जानना पर्याप्त नहीं होता है.अडोस-पड़ोस की जानकारी भी रखा करें.ताकि लोगों को मुंह तोड़ जवाब दिया जा सके.।

कांग्रेस देश के लिए विनाशकारी ??

बड़ा  खुलास चोकिये नहीं पढ़े .....
जिस हाल में आज पाकिस्तान हैं, एैसे ही हाल में छोड़ के गए थे राजीव गाँधी भारत को... 

सोनिया ने पर्दे के पीछे किस कदर लूट की होगी ? सोचिये... 
तब 40 करोड़ के लिए सोना गिरवी रखा था... जबकि 64 करोड़ की दलाली तो सिर्फ बोफोर्स में खाई गयी थी...
RBI गवर्नर रहे Y.V रेड्डी की पुस्तक ADVISE AND DECENT से साभार...

काँग्रेस के शासनकाल में सिर्फ 40 करोड़ रुपए के लिए हमें अपना 47 टन सोना गिरवी रखना पड़ा था ।
ये स्थिति थी भारतीय इकॉनॉमी की ।
मुझे याद हैं नब्बे के शुरुआती दशक में भारतीय अर्थव्यवस्था को, वो दिन भी देखना पड़ा था जब, भारत जैसे देश को भी अपना सोना विश्व बैंक में गिरवी रखना पड़ा था...

राजीव गाँधी के शासनकाल में देश की तिजोरी खाली हो चुकी थी । और तभी प्रधान मंत्री राजीव गाँधी की हत्या लिट्टे के आतंकियों ने कर दी थी...
चन्द्रशेखर तब नए नए प्रधान मंत्री बने थे... तिजोरी खाली थी । वे घबरा गए । करें तो क्या करें ?
Reddy अपने पुस्तक मे लिखते हैं कि पूरे देश में एक तरह का निराशा भरा माहौल था... राजीव गाँधी ने अपने शासनकाल में कोई रोज़गार नहीं दिया था।

नया उद्योग धन्धा नहीं... एक बिजनेस डालने जाओ तो पचास जगह से NOC लेकर आना पड़ता था।
काँग्रेस द्वारा स्थापित लाइसेंस परमिट के उस दौर में, चारों तरफ बेरोज़गारी और हताशा क आलम था...

दूसरी तरफ देश में मंडल और कमंडल की लड़ाई छेड़ी हुई थी...
1980 से 1990 के दशक तक देश में काँग्रेस ने Economy को ख़त्म कर दिया था... उसी दौरान बोफोर्स तोपों में दलाली का मामला सामने आया...

किताब में Reddy लिखते हैं कि, गाँधी परिवार की अथाह लूट ने, देश की अर्थ व्यवस्था को रसातल में पहुँचा दिया था।
Reddy अपनी किताब में लिखते हैं कि, उन दिनों भारत का विदेशी मुद्रा भंडार इतना कम हो गया था कि रिजर्व बैंक ऑफ़ इंडिया ने अपना सोना विश्व बैंको में गिरवी रखने का फैसला किया...  हालात ये हो गए थे कि देश के पास तब केवल 15 दिनों का आयात करने लायक ही पैसा था।

तब तत्कालीन प्रधान मंत्री चन्द्रशेखर के आदेश से, भारत ने 47 टन सोना बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में गिरवी रखा था...
उस समय एक दिलचस्प और भारतीय जनमानस को शर्म सार करने वाली घटना घटी... RBI को बैंक ऑफ़ इंग्लैंड में 47 टन सोना पहुँचाना था। ये वो दौर था जब मोबाइल तो होते नहीं थे और लैंड लाइन भी सीमित मात्रा में हुआ करती थी।

नयी दिल्ली स्थित RBI का इतना बुरा हाल था की बिल्डिंग से 47 टन सोना नयी दिल्ली एयर पोर्ट पर एक वैन द्वारा पहुँचाया जाना था. वहां से ये सोना इंग्लैंड जाने वाले जहाज पर लादा जाना था,  खैर बड़ी मशक्कत के बाद ये 47 टन सोना इंग्लैंड पहुँचा और ब्रिटेन ने भारत को 40.05 करोड़ रुपये कर्ज़ दिये।

भारतीय अर्थ व्यवस्था से जुडी इस पुरानी तथा मन को दुःखी करने वाली घटना का उदाहरण मैंने इसलिए दिया ताकि, लोगों को पता चले कि काँग्रेस के जो बेशर्म नेता और समर्थक, मोदीजी के ऊपर, देश की अर्थ व्यवस्था चौपट करने का इल्जाम लगाते हैं, उस कमअक्ल लुटेरे गाँधी परिवार की लापरवाही की वजह से ही, देश को अपना सोना महज़ 40 करोड़ का कर्ज पाने के लिए गिरवी रखना पड़ा था ।

किसी देश के लिए इससे ज्यादा अपमान और शर्म की बात क्या हो सकती हैं ।

मुझे बेहद हँसी, हैरानी और गुस्सा आता हैं जब, देश को महज़ 40 करोड़ रुपये के लिए गिरवी रखने वाले लोग कहते हैं कि, मोदीजी ने भारत की अर्थ व्यवस्था को बर्बाद कर दिया.
श्री अटल बिहारी वाजपेयी की सरकार के समय, एक मशहूर कम्पनी, एनरॉन नें, महाराष्ट्र के दाभोल में कारखाना लगाने की प्लानिंग की ..!!

लेकिन, यह स्थानीय लोगों के प्रतिरोध के कारण, हो न सका !!
फलस्वरूप, बदलती विषम परिस्थितियों से नाराज एनरॉन नें, भारत सरकार पर ₹38,000 करोड़ के नुकसान की भरपाई का मुकदमा दायर कर दिया ..।।

वाजपेयी सरकार ने हरीश सालवे (सालवे जी नें, कुलभूषण जाधव का मुकदमा इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस में लड़ कर जीता ..) को भारत सरकार का वकील नियुक्त किया ..।।
पर आप जान कर चोंक जाएंगे कि, एनरॉन के वकील पी. चिदंबरम बनें ..!! यानी, पी चिदंबरम भारत के विरुद्ध ..।।

समय बीतता चला गया ..!! बादमें 'यूपीए' सरकार बनी ..!! कैबिनेट मंत्री चिदंबरम, एनरॉन की तरफ से मुकदमा नहीं लड़ सकते थे ..!! पर वो कानूनी सलाहकार बने रहे और, वो मुकदमे को एनरॉन के पक्ष में करने में सक्षम थे ..।।

      अगला खुलासा और चौकानें वाला है !!

चिदंबरम ने तुरंत हरीश सालवे को एनरॉन केस से हटा दिया ..।। हरीश साल्वे की जगह, खबर कुरेशी को नियुक्त किया गया ..।।आप ठीक समझे, ये वही पाकिस्तानी वकील है जिसनें, कुलभूषण जाधव केस में, पाकिस्तान सरकार का मुकदमा लड़ा ..!!

कांग्रेस ने भारत सरकार कि तरफ से, पाकिस्तानी वकील को ₹1400/- करोड़ दिये वकील कि फीस के रुप में ..।। अंततः भारत मुकदमा हार गया और भारत सरकार को ₹38,000/- करोड़ का भारी भरकम मुआवजा देना पड़ा ..।। लेकिन, लुटीयन मिडिया ने ये खबर या तो गोल दी या सरसरी तौर पर नहीं दिखाई !!

अब सोचिए कि ₹38000/- करोड़ का मुकदमा लडने के लिए फीस कितनी ली होगी ..?? जो पाठक किसी क्लेम के केस मे वकील कि फीस तय करते है उन्हें पता होगा कि, वकील केस देखकर दस प्रतिशत से लेकर साठ प्रतिशत तक फीस लेता है ..।।
      ---         सोचिए इस पर कोई हंगामा नही हुआ ..??
अगर ये केस मोदी के समय मे होता, और भारत सरकार कोर्ट में हार जाती तो ..?? चमचो की छोड़िए, भक्त भी डंडा लेकर मोदी के पीछे दोड़ते ..।।
और एक मजेदार बात .. जिन कम्पनियों का एनरॉन मे निवेश करके यह प्रोजेक्ट केवल फाईल किया था उनका निवेश महज मात्र 300 मिलियन डालर .. याने उस वक्त कि डालर रुपया विनियम दर के हिसाब से, महज ₹1530/- करोड़ था, और वह भी बैठे बिठाये ..।। महज सात साल मे ₹38,000/- करोड़ का फायदा ..!! वो भी एक युनिट बिजली का संयंत्र लगाये बिना ..??

कांग्रेस हमारी सोचने की क्षमता से भी ज्यादा विनाशकारी है !!
(यह  थी 'विश्व प्रसिद्ध' अर्थशास्त्री, अनुभवी और पढे लिखे लुटेरो की सरकार ..!!)  जिस किसी को भी कोई शंका हो वो गूगल में जाकर देख सकता है।

     आज जितने भी लोग मोदीजी को और उनकी सरकार को बदनाम करने की साजिश कर रहे हैं उस समय सब मौन धारण करे हुए थे वो सब ये बात जानते थे कि कांग्रेस क्या कुछ कर सकती है।
अगर आज ऐसे लोग सुरक्षित हैं तो केवल मोदीजी के हिंदुत्व के कारण, आज भारत का विदेशी मुद्रा भंडार विश्व में चौथे स्थान पर है मगर ग़ुलाम कहते हैं कि Modi ने किया ही क्या है।

🇮🇳🇮🇳🇮🇳    जय हिन्द  जय भारत     🇮🇳🇮🇳🇮🇳