मंगलवार, 4 सितंबर 2012

!! जातिगत आरक्षण कदापि नहीं !!

लोग दावा कर रहे हैं की भारत देश एक सुपर पावर बन कर उभरेगा ! सन २०२० तक जापान को पीछे छोड़ देगा और सन २०५० तक अमेरिका समेत पृथ्वी के सभी देशों को पीछे छोड़कर , सबसे ज्यादा Economically strong राष्ट्र बन जाएगा .........?
               मुझे तो संदेह है ....की जब तक यह भेदभाव पूर्ण आरक्षण की निति  है तब तक यह एक सुखद स्वप्न के तरह है देखते रहे ..सभे देशवासी ........प्रतिभाओं के विकास के लिए योजनायें बनानी चाहिए , लेकिन आरक्षण देकर किसी भी समुदाय को नाकारा बनाकर , तथा सब कुछ आसानी से सुलभ कराके , हम उसके जुझारू व्यक्तित्व को ही समाप्त कर देते हैं......

लेकिन आरक्षण जैसी प्रथा का चलन अपने देश में होने के कारण , देश का विकास होना नामुमकिन सा लगता है ,क्योकि अयोह्या ब्यक्ति पदों पर बैठ जाते है और देश का विकास अवरुध्ध करते है !  आजादी के बाद नेहरु द्वारा तथाकथित शूद्रों और  तथाकथितपिछड़े वर्ग के लिए आरक्षण लागू करना तथा वी पी सिंह द्वारा मंडल कमीशन जैसी योजनाओं ने देश को तकरीबन ३०-४० वर्ष पीछे धकेल दिया है ....आरक्षण द्वारा कभी भी , किसी भी देश का अथवा समुदाय का विकास नहीं हो सकता... आरक्षण देकर तत्कालीन सरकार अपने दायित्वों से भागती है और अपने निजी स्वार्थ की सिद्धि के लिए एक समुदाय विशेष को प्रसन्न कर अपनी कुर्सी बचाए रखने की नाकाम कोशिश करती है ... उनका स्वार्थ तो सिद्ध हो जाता है , लेकिन देश का विकास रुक जाता है .......

! पिछड़े वर्गों को आरक्षण ----!

 पिछड़े वर्ग को आरक्षण देने के कारण ही वो कभी आगे नहीं आ पाते , उनके अन्दर एक अकर्मण्यता सी आ जाती है ! वो आरक्षित सीटों को बपौती समझते हैं और अपने व्यक्तित्व के विकास के लिए सार्थक प्रयास करने से कतराते हैं... जिसके चलते पिछड़े वर्ग के प्रतिभाशाली व्यक्ति भी गर्व के साथ सर उठाकर नहीं चल पाते क्यूंकि उनके साथ 'आरक्षण' का तमगा जुडा होता है .. उनके स्वयं के प्रयासों को लोग आरक्षण द्वारा प्राप्त उपलब्धि कहकर नकार देते हैं , जिससे प्रतिभाशाली व्यक्तित्व कुंठा का शिकार होते हैं और बहुत सी जिल्लत सहन करते हैं!  प्रतिभाएं किसी भी प्रकार के आरक्षण की मोहताज नहीं होतीं........

! अल्पसंख्यकों को आरक्षण - ---!

रंगनाथ मिश्रा जैसी रिपोर्टों में, जिसमें १५ % में से , १० % मुस्लिम समुदाय के लिए और शेष ५ % अन्य अल्पसंख्यक समुदायों के लिए आरक्षण की माँग की गयी है , अत्यंत बचकानी लगती है ....अल्पसंख्यक होने के नाम पर आरक्षण को माँगना , भीख माँगने जैसा है ..सभी के साथ 'भारतीय' होने का गर्व जुड़ा हुआ है , फिर अपने को कमज़ोर बताकर और ज्यादा की माँग करना उचित नहीं है .. इस तरह से माँग करके हम हज़ारों अन्य प्रतिभाशाली भारतीयों का हक मारते हैं.. इनका देखा-देखी अब महाराष्ट्रियन समुदाय ने भी अपने लिए आरक्षण की माँग बुलंद कर दी है ,,, इस तरह हर समुदाय यदि माँग करेगा तब तो देश खंड-खंड में बँट जाएगा ,,, अखंड-भारत में आरक्षण की ये माँग उसकी गरिमा और वृहत दृष्टि को संकुचित करती है,..........!

! महिलाओं के लिए आरक्षण ----!

 आरक्षण देने के साथ ही हम ये साबित कर देते हैं की ये वर्ग विशेष किसी न किसी तरह से कमतर है , किसी भी वर्ग विशेष को आरक्षण देना उसका सरासर अपमान है ,आज जो महिलाएं देश विदेश में , संसद में , अनेक संस्थानों में अपना परचम लहरा रही है वो किसी आरक्षण द्वारा नहीं आई हैं ! प्रतिभाओं के विकास के लिए योजनायें बनानी चाहिए , लेकिन आरक्षण देकर किसी भी समुदाय को नाकारा बनाकर , तथा सब कुछ आसानी से सुलभ कराके , हम उसके जुझारू व्यक्तित्व को ही समाप्त कर देते हैं.. महिलाएं भी आरक्षण की मोहताज नहीं ..करना ही है तो उनके सामने आने वाली समस्याओं के निदान पर सकारात्मक योजनाओं की जरूरत है.......

! सिर्फ गरीबों को आरक्षण -----!

अक्सर लोग कहेंगे आरक्षण सिर्फ गरीबों को मिलना चाहिए मैं इस बात से सत-प्रतिसत सहमत हु  मिलना चाहिए गरीबो को आरक्षण ओ कोई भी जाती या धर्म के हो ,,पर  गरीब जनता को आरक्षण बहुत कुछ  दे सकता ,,पर यहाँ आरक्षण से मातब यह नहीं है की योग्यता से समझौता  करे ..नहीं कदापि नहीं आप गरीबो को अच्छी से अच्छी सिक्षा की सुबिधा दीजिये अरबों का घोटाला रोककर , पूरे देश की गरीब जनता का आसानी से उद्धार किया जा सकता है ,, गरीबों की जरूरतों को समझने की जरूरत है और उस दिशा में अविलम्ब क्रियान्वयन की है  उन्हें आरक्षण की भीख और सत्ता की सहानुभूति नहीं चाहिए, गाँव और कस्बे में अस्पताल , स्कूल और अच्छे शिक्षक चाहियें , आरक्षण नहीं !आप गरीबो को स्कालर सिप देने की योजना बनाए ..और सहे सही गरीबो की पहचान करे ....गरीबी का पर्मंपत्र तो सौ -पचास रूपये में बन जाता है .....गरीबी का माफ्दंड क्या होना चाहिए सरकार सुनिश्चित करे .....

आरक्षण द्वारा हम गरीब और अमीर के बीच के फर्क को और बड़ा करते हैं इसी प्रकार पिछड़ी जाति को और पीछे धकेलते हैं ... महिलाओं को आरक्षण देकर उनका स्वाभिमान छीनते हैं और अल्पसंख्यकों के नाम पर आरक्षण माँगकर हम उस समुदाय विशेष को अपमानित करते हैं.....

आरक्षण मिलना भीख मिलने के समान है जो प्रतिभाशाली व्यक्तित्व पर एक बदनुमा दाग है और लोगों को संघर्ष से विमुख करता है ! आरक्षण के कारण बहुत से सामान्य वर्ग वाले निर्दोष विद्यार्थियों के साथ अन्याय होता है , काबिल होते हुए भी कुछ हासिल करने से वंचित रह जाते हैं ! बेरोजगारी और कुंठा का शिकार होते हैं! इसलिए आरक्षण का दानव देश के विकास में एक ग्रहण जैसा है जो उसे आगे ले जाने के बजाये कई दशक पीछे ले जाता है.......
          पर यह आरक्षण आज के समय में राजनेताओं के लिए वोट का एक अस्त्र -सस्त्र की बहती कार्य कर रहा है और इस आरक्षण नाम के अस्त्र -सस्त्र से प्रतिभाओं का हनन  हो रहा है ........

! समाज के दोहरा चरित्र वालो गरीब सब्जी वालो को तो बक्स दो !!

अक्सर हम लोग बाजार में सब्जिया लेने जाते है तो गरीब सब्जिया बेचने वालो से एक या दो रूपये के लिए हम मोल भाव करने लगते है
जैसे की अगर 20 रूपये किलो टमाटर मिल रहा है तो हम उस सब्जी वाले को बोलते है भइया 18 रूपये लगा लो पर बेचारा बोलता है कम दाम में उसे बेचना पड़ता है जहा 2 रूपये कमा रहा था वही1 रूपये ही सही कमा ले आखिर उसका पेट का मामला रहता है

लेकिन जब हम बडे बडे शो रूम में या मोल में जाते है और ब्रांडेड कपडा खरीदते है हजारो हजारो रूपये में तब मोल भाव नहीं करते है क्यूँकी उस वक्त हमारे मान सम्मान स्वाभिमान का मामला रहता है न

इसे ही कहते है दोहरा चरित्र
एक वो जो 1या 2 रूपये के लिए हम गरीब सब्जी वाले से मोल भाव करते है एक और जगह जहा ब्रांडेड चीजो के लिए अपने मान सम्मान के लिए हम हजारो हजारो रूपये पानी की तरह बहा देते है....क्यों ?