बुधवार, 3 अक्टूबर 2012

!! मानसिक चेतना !!

मनुष्य ने मानसिक चेतना को विकास के दौर में पा लिया है, पर वह चेतना के विकास की मूलभूत प्रक्रिया को विश्लेषण और हृदयंगम न कर पाने के कारण जानता ही नहीं कि मानसिक चेतना के आगे क्या है ?
हर जीवन-पदार्थ पर चेतना की विजय का एक चरण है... यह तब तक चलता रहेगा, जब तक पदार्थ को अनुशासित करके चेतना उसे पूर्ण आत्मा की अभिव्यक्ति का सीधा साधन और माध्यम नहीं बना देती..

मस्तिष्क मनुष्य के लिए सबसे बड़ी शक्ति है, पर अग्रिम विकास में वही सबसे बड़ी बाधा भी है कैसे ?

क्योंकि हमारा मानस यंत्र शरीर या भौतिक जगत और अतिमानसिक सत्ता के बीच सेतु नहीं बन सकता ? मस्तिष्क न तो ज्ञान का समुच्चय है और न उसका उत्पादक संयंत्र ही... यह तो मात्र ज्ञान को ढूंढ़ने का औजार है..सापेक्ष्य विचारों के रूप में जो कुछ भी यह पाता है उसका कुछ खास क्रियाओं में उपयोग भर करता रहता है....

मस्तिष्क की अपनी आदतें हैं .... वह हमारे शरीर के भीतर बेड़ियों में जकड़े शासक की तरह स्थित है... वह अदृश्य विराट को समुच्चय को कभी समझ नहीं सकता !!इसलिए वह खंडश: टुकड़े-टुकड़े करके, रूपाकार प्रदान करके चीजों को अलग-अलग करके समझने और समझाने की कोशिश करता है !!मानों यह चीजें अलग-अलग और खंडश: बिना आधार के भी विद्यमान हो सकती हैं, उसकी ये सीमाएं स्पष्ट हैं.........

मस्तिष्क कभी भी अनन्त को अधिकृत नहीं करता,वह अनन्त के द्वारा भुक्त और अधिकृत ही हो सकता है, बहुत कोशिश करके वह अधिक से अधिक अपनी पहुंच के परे ही सत्ता के लोगों को जो ज्योतिमय सत छाया है, उसके नीचे असहाय सा पड़ा रह सकता है,अतिमानस लोकों में, उनके स्तर पर आरोहण के बिना अनन्त पर अधिकार नहीं हो सकता और इस आरोहण के लिए अति मानसिक संदेशों के प्रति मस्तिष्क को निस्पंद बनाकर समर्पित कर देने के अलावा कोई रास्ता नहीं है...............

!! सोनिया सोनिया सोनिया क्यों दिन भर रोते रहते हो सोनिया जी के नाम से ?

मेरे कांग्रेसी मित्रों, आपकी सोनिया महारानी जी के विदेशी दौरों (जो रहस्यमयी कारणों से हर महीने होते ही रहते हैं) की जानकारी लेने के लिए आरटीआई यानि सूचना के अधिकार के तहत दाखिल की गई याचिका के उत्तर अभी तक नहीं मिले हैं, जिससे साबित होता है कि आपकी सोनिया जी कितनी बड़ी चोर है...???
सोनिया जी द्वारा जमा किए गए आयकर रिटर्न की जानकारी हासिल करने के लिए एक दूसरी याचिका का भी कोई जवाब नहीं दिया गया, उसके द्वारा बार-बार की जा रही विदेश यात्राओं के संख्या के बारे में जानने के लिए एक और याचिका - इसके जवाब में भी सिवाय चुप्पी के और कुछ नहीं दिया गया.क्यों ??

सभी राजनैतिक पार्टियों के सांसद या अध्यक्ष अपनी हर विदेश यात्रा का ब्यौरा एक कमेटी को देने के लिए बाध्य होते हैं, और सिर्फ 'राहुल जी और सोनिया' जी को छोड़कर सभी इस नियम का पालन करते हैं. जाहिर है कि कांग्रेसी मोदी जी से नफरत करते हैं, क्योंकि वह  गद्दारों को आईना दिखाते हैं...

 गुजरात दंगों पर अपनी छाती पीटते हो, लेकिन क्या कभी  यह पूछा कि ट्रेन की उन बोगियों में राम भक्तों को कैसे निर्दयतापूर्वक जला कर राख किया गया क्यों ?? भाजपा सांप्रदायिक नहीं है, आप  लोग द्वेषपूर्ण और भयानक रूप से पक्षपाती हो... 1984 के उन दंगों को जिनमें हजारों निर्दोषों देश भक्त सिख भाइयो का भयंकर क़त्लेआम किया गया, को पूरी बेशर्मी से ढंकते हुए  बेशर्मों की आत्मा नहीं कांपती ??  चापलूसी में अंधी हो चुकी आंखों को गांधी परिवार के सिवाय कुछ नहीं दिखता, कब तक इस गलाजत के बोझ को अपने कंधों पर ढोते रहोगे तुम लोग ??

हम, भारत के आम लोगों के सब्र का पैमाना इस महाचोर कांग्रेस की नीचता से पूरी तरह भर चुका है और अब हमारे सब्र का बांध टूटने ही वाला है... इस कांग्रेस पार्टी ने सबसे अधिक वर्षों त‍क राज किया है और ज़रा देखो कि कैसे वीभत्स हालात हो चुके हैं इस देश के - 47,000 किसान आत्महत्या कर चुके हैं, भारत में जन्म लेने वाला हर चौथा बच्चा भूख से तड़प-तड़प कर मौत के घाट उतर रहा है...
हम लोग अपनी दाल-रोटी कमाने के लिए 12 घंटे काम करते हैं और उसमें से भी अपना पेट काटकर टैक्स चुकाते हैं... मनमोहन के मंत्रियों की कमाई पिछले तीन सालों में दोगुनी हो चुकी है... कैसे ?
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  =============नीचे का यह हिस्सा कोपी पेस्ट है===========

!! सोनिया की अमरीका यात्रा, अमरीका की आर्थिक मंदी, सोने के बढ़ते भाव !!! संयोग बैठाएं, शायद मेरा अनुमान सही हो..........!!

मित्रों अगस्त 7, 2011 के दैनिक भास्कर में अमरीका में आई आर्थिक मंदी से सम्बंधित एक लेख पढ़ा| लेख से ऊपर उठकर यह एक व्यंग प्रतीत हुआ| उसमे लिखे कुछ अंश यहाँ रख रहा हूँ|

अमरीका जो दुनिया की सबसे बड़ी आर्थिक महाशक्ति माना जाता है, पर इस समय 60,22,89,88,00,00,000 रुपये का क़र्ज़ है (यह राशि मुझे कम लग रही है)|
इसको और अधिक समझाने के लिए कुछ नए तरीके दिखाए गए हैं|
पृथ्वी की उत्पत्ति को करीब 460 करोड़ साल हो चुके हैं| पृथ्वी की उत्पत्ति से अब तक प्रतिदिन 44,740 रुपये जोड़े जाएं तो अमरीका पर चढ़ा कर्जा सामने आ जाएगा|
आधुनिक मानव की उत्पत्ति को करीब दो से ढाई लाख वर्ष हो चुके हैं| मानव की उत्पत्ति के प्रथम दिवस से अब तक 1,61,06,400 रुपये के हिसाब से जोड़ें तो कुल राशि के बराबर क़र्ज़ अमरीका पर होगा|
जीसस का जन्म 2016 वर्ष पहले हुआ था| जीसस के जन्म से अब तक प्रतिदिन 8,05,32,00,000 रुपये जोड़ने पर प्राप्त राशि अमरीका पर बकाया कर्जा होगी|
अमरीका 4 जुलाई 1776 में आज़ाद हुआ था| अमरीका की आज़ादी से अब तक प्रतिदिन 26,84,40,00,00,000 रुपये जोड़ने पर अमरीका पर बकाया उधार प्राप्त होगा|   
और तो और एक तरीका और भी है| अमरीका के एक डॉलर नोट की लम्बाई 6.14 इंच होती है| यदि एक एक डॉलर के नोट लम्बाई के साथ जोड़े जाएं व एक कतार बनाई जाए तो यह कतार पृथ्वी से शुरू होकर मंगल, ब्रहस्पति, शनि को पार करती हुई वरुण गृह तक पहुँच जाएगी|    
अब ये कैलकुलेशन कितनी सही है, मुझे नहीं पता, मैंने नहीं जोड़ा| किन्तु एक बात तो साफ़ है कि इस समय अमरीका भयंकर मंदी से गुजर रहा है|

जब अमरीका जैसी महाशक्ति पर इतना बड़ा उधर हो सकता है तो यह कैसा अर्थशास्त्र चल रहा है पूरी दुनिया में?

सोनिया गांधी अमरीका गयी, क्यों? इसके भाँती भाँती के उत्तर आ रहे हैं| खैर अभी मैं इन उत्तरों पर नहीं जाता|

पूरी दुनिया से लूटा हुआ धन जमा है स्विस और उसके जैसे और दुसरे यूरोपीय देशों में| अब यह तो जगह जगह से खबर आ रही है कि विदेशी बैंकों में पड़ा सबसे अधिक काला धन भारत का ही है| इस सत्य को भी कोई नहीं झुठला सकता कि स्विस बैंकों से ही वर्ल्ड बैंक चल रहा है| और वर्ल्ड बैंक की दया पर ही अमरीका व यूरोपीय देश चल रहे हैं| इसी पैसे से ये देश इतनी तरक्की कर पाए| मतलब दुनिया के सबसे अमीर देश भारत (मानो या न मानो) के धन से सुख समृद्धि पा रहे हैं अमरीका, ब्रिटेन, जर्मनी, फ्रांस, इटली, स्विट्ज़रलैंड आदि देश| और हम मर रहे हैं भूखे|

चार साल पहले आई आर्थिक मंदी का कारण जो भी, मुझे लगता है कि शायद वह कारण चीन था| कैसे? इसकी चर्चा फिर कभी, क्योंकि ये विषय से हट जाएगा| किन्तु इस बार इसका कारण भारत ही है (मानो या न मानो)|

जब दुनिया भर से लूटा हुआ सारा काला धन भारत से लुटे गए काले धन का कुछ ही प्रतिशत होता है तो ऊपर वाले कथनों की पुष्टि स्वत: ही हो जाती है| हमारे खून पसीने की कमाई पर ऐश कर रहे थे कांग्रेसी अमरीका, व यूरोपीय देश| किन्तु बाबा रामदेव के एक आन्दोलन ने पूरी दुनिया में भूचाल ला दिया| कांग्रेस तो कांग्रेस यहाँ तक कि अब तो अमरीका की भी नींद उड़ गयी| चार जून को बाबा रामदेव व उनके साथ बैठे एक लाख से अधिक आन्दोलनकारियों ने ही पूरी दुनिया को हिला डाला| कैसे? अभी पता चल जाएगा|

चार जून के आन्दोलन के बाद दिल्ली के राजनैतिक गलियारों में हडकंप मच गया| नीचे से कुर्सियां खिंचने से अधिक भय धन खो देने का था, ऊपर से बदनामी की चिंता अलग से कि किस मूंह से अब वोट मांगेंगे| और तो और कहीं भारत की जनता इस धोखादडी के लिए क्रोध में आकर कहीं एक हो गयी तो इनका क्या हाल होगा? यही सब सोच कर सोनिया गांधी का स्विट्ज़रलैंड जाना तय हुआ| आठ जून का दिन मुक़र्रर हुआ| साथ में कौन कौन गया था, अब तक सबको पता चल चूका है| सोनिया की इस यात्रा को भी गुप्त रखा गया था|

चार जून के बाबा रामदेव के आन्दोलन से बहुत पहले ही यूबीएस ने भारत का करीब 250 लाख करोड़ रुपये अपने बैंकों में जमा होने का दावा किया था| कुछ जगह 70 लाख करोड़ रुपये का ज़िक्र है| आठ जून से पंद्रह जून तक की सोनिया की यात्रा के तुरंत बाद 19 जून को यूबीएस से यह बयान आना कि "हमारे बैंकों में भारतीयों का कोई धन नहीं है" शंका उत्पन्न करता है| दरअसल संभावना यही है कि इस यात्रा के दौरान वहां जमा तकरीबन सारा काला धन निकाल लिया गया| किन्तु नोटों को रखना आसान नहीं है| क्या पता कल कौनसी मुद्रा नीचे गिर जाए? क्यंकि जो कुछ हो रहा है, उससे तो यही लगता है कि अब विश्व में कुछ भी हो सकता है| ऐसे में धन को सोने के रूप में कहीं पहुंचाया गया होगा| संभवत: इटली में ही| अन्यथा क्या कारण था कि अभी पंद्रह दिन पहले जिस सोने का भाव करीब 21,000 रुपये प्रति दस ग्राम था, आज बढ़कर करीब 27,000 रुपये प्रति दस ग्राम तक पहुँच गया है?     
अब इससे अमरीका में आई आर्थिक मंदी का कारण भी साफ़ दिखाई दे रहा है| जबकि सारा धन निकाल लिया गया है, ऐसे में स्विस तो पहले ही नंगा होने की कगार पर होगा, वर्ल्ड बैंक के सामने भी संकट है कि अब पैसा कहाँ से आएगा? अब ऐसी परिस्थिति में तो अमरीका जैसे देश के भी नंगे हो जाने की संभावना दिख ही रही है| कुछ तो कारण होगा जो अमरीकी विदेश मंत्री का भारत आगमन हुआ| अब तक हमारे नेताओं को फटकार लगाने वाला देश शायद अब गिडगिडाने की नौबत में आ गया हो| पर क्या करें, ये लुटेरे तो किसी के बाप के सगे नहीं हैं न| अमरीका को भी तभी तक बाप बनाया जब तक कि इससे कुछ फायदा हो रहा था| किन्तु अब ब्याज से अधिक जब मूल खोने का डर सताने लगा तो कौन सा बाप, किसका बाप?

अमरीका तो लुट ही रहा है अब बारी है बाकी यूरोपीय देशों (कृपया इन देशों में इटली का नाम शामिल न करें) की| 

यह अनुमान सही है या गलत, ये तो समय के साथ पता चल ही जाएगा| अभी तो केवल एक अंदाजा लगाया जा सकता है| हमारा काम तो केवल एक एक लिंक को जोड़ कर देखना है| यह कोई कठिन कार्य नहीं है| यदि पढ़े लिखे भारतवासी खुद ही सोचें कि विश्व भर में क्या क्या हो रहा है, और उसका कहाँ क्या असर हो रहा है, तो वे खुद निष्कर्ष निकाल सकते हैं| 
इससे पहले भी जब पांच सौ व हज़ार के नकली नोट अचानक से बंद हो गए व देश में आतंकवादी घटनाओं पर भी अचानक से रोक लग गयी हो तो यह सोचने वाली बात थी| इस बात पर ध्यान दिया जाए तो पता चलता है कि इन्ही नकली नोटों के दम पर भारत में आतंकी घटनाएं होती थीं| क्योंकि जब पांच सौ का नोट 75 रुपये में मिल जाए तो भारत में कहीं भी बम फोड़ देना कितना आसान काम है| सरकारी सहायता भी मिल ही रही है| किन्तु जब आरबीआई के वाल्ट में नकली नोट पकडे गए तो अचानक से नकली नोटों का गोरख धंधा भी ख़त्म करना पड़ा, जिस कारण आतंकियों को ब्लास्ट करने के लिए धन का अभाव हो गया|
आवश्यकता मात्र विचार करने की है, किन्तु भारतीयों को बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण को गालियाँ देने से फुर्सत तो मिले| मिल भी जाए तो पहले अपनी पेट पूजा फिर कोई काम दूजा| सलमान खान ने रेडी में क्या किया है, अथवा आमीर खान ने देल्ही बेल्ली में कैसे डायलोग रखवाए हैं या शाहरुख की रा वन का क्या होगा, इसकी चर्चा भी तो करनी है| 

अभी भी बाबा रामदेव को गालियाँ देने वाले मूर्खों को अक्ल न आई हो तो शायद तब आएगी जब इनके भी कपडे फटने लगेंगे| खुद तो डूबेंगे ही, देश को भी डुबाएंगे| 
सोचने की बात यह है कि भारत एक इतना शक्तिशाली देश है कि केवल एक से डेढ़ लाख लोगों के केवल एक दिन के अनशन के कारण जब पूरी दुनिया में भूचाल आ सकता है तो सोचिये 121 करोड़ भारतवासी एक हो जाएं तो क्या से क्या हो सकता है| बाबा रामदेव व आचार्य बालकृष्ण पर ऊँगली उठाने वाले मूर्खों को समझाने के लिए इससे अच्छा उदाहरण कुछ हो ही नहीं सकता|



अमरीका में क्या हो रहा है, यह हमारी चिंता का विषय नहीं है| चिंता का विषय यह है कि इस सब में भारत का भी बहुत बड़ा नुक्सान है| शायद काले धन के नाम पर भारत में कुछ सौ या हज़ार रुपये ही आ पाएं| दूसरा अब तक हमारे धन से पल्लवित हो रहे थे अमरीका व यूरोपीय देश, अब होगा केवल इटली|

वैसे इस विषय से सम्बंधित एक जानकारी पर भी ध्यान देना होगा|
भारतीय क़ानून व्यवस्था के अंतर्गत एक कानून जो केवल नेताओं के लिए है-
कोई भी नेता, प्रधानमंत्री, मंत्री, मुख्यमंत्री, सांसद, विधायक, पार्षद व अन्य राज्य एवं केन्द्रीय मंत्री जब विदेशी दौरे पर जाते हैं (चाहे राजनैतिक हो अथवा व्यक्तिगत) तो उन्हें सचिवालय को सूचित करना जरुरी है कि कहाँ जा रहे हैं, क्यों जा रहे हैं, कब आएँगे आदि| और RTI के अंतर्गत देश की जनता को इस विषय में सूचना मांगने का व सचिवालय को सूचना देने का अधिकार है| क्योंकि ऐसा माना जाता है कि ये लोग जनता के सेवक हैं, अत: इनके विषय में जनता को जानकारी होनी चाहिए|
सोनिया गांधी के विदेशी दौरे सम्बन्धी RTI के द्वारा जानकारी मांगने पर पता चला है कि 2004 (जबसे यूपीए सरकार सत्ता में आई है) से अब तक सोनिया की एक भी विदेशी यात्रा की कोई भी जानकारी सचिवालय के पास नहीं है| 
न तो सचिवालय ने कभी पूछने की ज़हमत उठाई और सोनिया से तो उम्मीद रखना ही बेकार है कि वह ऐसी कोई जानकारी सचिवालय को देगी|
आखिर कुछ तो रहस्य है सोनिया की इन गुप्त यात्राओं का| शायद अमरीका ने सप्रेम आमंत्रण भेजा हो कि हमे लुटने से बचा लो| कुछ ऐसा किया जाए कि जिससे तुम भी सुरक्षित रहो व हमारा देश भी भूखा नंगा होने से बच जाए| भारत का क्या है? इतने सालों से यूं लूट ही रहे हो, अब हम भी तुम्हारा साथ देंगे|