इस ब्लॉग में मेरा उद्देश्य है की हम एक आम नागरिक की समश्या.सभी के सामने रखे ओ चाहे चारित्रिक हो या देश से संबधित हो !आज हम कई धर्मो में कई जातियों में बटे है और इंसानियत कराह रही है, क्या हम धर्र्म और जाति से ऊपर उठकर सोच सकते इस देश के लिए इस भारतीय समाज के लिए ? सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वें भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भाग्भवेत।।
!! दुर्भावना रहित सत्य का प्रचार :लेख के तथ्य संदर्भित पुस्तकों और कई वेब साइटों पर आधारित हैं!! Contact No..7089898907
आप सभी को सुप्रभात ..जय
हिन्द जय भारत ..जय जय श्री राम....जय श्री कृष्णा ........
बलात्कार क्यों ? संस्कारों का अभाव या कामवासना की अधिकता ?
भारत
भूमि में जहाँ स्त्री को इतना सम्मान दिया जाता था, वहीँ आज स्त्री को
मात्र उपभोग की वस्तु समझा जा रहा है। उसे आम की तरह चूसकर, फिर उसे
दर्दनाक तरीके से मार-मारकर चलती गाडी से फेंक दिया जाता है! बलात्कारी
खुले सांड की तरह घुमते हैं , सत्ता चैन की वंशी बजाती है और स्त्री
कलप-कलप कर मरती है! दिल्ली में गैंग रेप की शिकार एक युवती जिस तरह की
असहनीय मानसिक और शारीरिक पीड़ा से गुज़र रही है, उसकी कल्पना भी नहीं की जा
सकती। उसके माता पिता जितने दारुण दुःख झेल रहे हैं उसका अनुमान भी नहीं कर
सकते हैं ये वीर बलात्कारी! दिल्ली की मुख्यमंत्री को यदि लड़कियों की
सुरक्षा की ज़रा भी चिंता हो...तो उचित कदम उठाये ..अन्यथा .....डूब मरे
..जमुना में जाकर ..........कल शाम की बात है ., मैं ग्रामीण क्षेत्र की एक मोबाईल शॉप पर खड़ा था .,
की इतने में एक तेरह - चौदह वर्ष का लड़का आया और दुकानदार से बोला की
इसमें " वो " वाली ...( यानी एडल्ट / पोर्न फिल्मे ) पिक्चर डाल दो
... दुकानदार ने उस लड़के की मंशा भांप ली ., उसने भी उसे अपना पारिश्रमिक
बताया ., लड़का राजी हुआ ., तो उस दूकान संचालक ने उस लड़के की एक्सटर्नल
मेमोरी कार्ड में कुछ पोर्न फिल्मे डाल के दे दी ., और वो लड़का चलता बना
.... मैंने दूकानदार की तरफ घूर कर देखा ., तो उसने मुझे अपनी कुटिल
मुस्कान बिखेर कर कहा की -" सर ...!!! यहाँ तो सब चलता है ...." उसे शौक था
., मैंने उसका शौक पूरा कर दिया ...." खैर ., ऐसे दृश्य बहुतो ने सुने
और देखे होंगे .., लेकिन सोचने वाली बात ये है की हम और हमारा समाज किस ओर
जा रहा है ...??? इतनी कम उम्र में सेक्स-ज्ञान लेने वाले बच्चे
भविष्य में रेपिस्ट नहीं बनेंगे तो और क्या बनेंगे ...??? एक तेरह -
चौदह साल का बालक ., यदि " काम -वासना " का इतना ज्ञान समेटे हुए है ., तो
सोचिये की हम पश्चिम से फिर कैसे भिन्न हुए ....??? हम संस्कार की
बात करते है ., लेकिन वर्तमान परिवेश में " संस्कार " शब्द जैसे अछूता सा
लगता है ...
वर्तमान में घटित घटना को ही लीजिये .... हर गली
चौक-चौराहों ., प्रिंट और इलेक्ट्रानिक मीडिया ., यहाँ तक की फेसबुक और
ट्वीटर पर भी चर्चा है तो सिर्फ और सिर्फ दिल्ली - गैंगरेप की ... हो भी
क्यूँ न ., ये शर्मनाक - काण्ड है ही कुछ ऐसा ...लेकिन ., क्या आपको
लगता है ., की ये देश में हुआ पहला रेप-काण्ड है .??? या दोषीयो को
सज़ा हो जाने के बाद ऐसे शर्मनाक कृत्यों की भविष्य में फिर कभी पुनरावृत्ति
नहीं होगी ...??? भविष्य में कभी किसी बहन / बेटी की अस्मिता पर आंच
नहीं आएगी ...??? शायद ., इन सारी बातो पर नकारात्मक प्रतिक्रिया ही
दी जाएगी ...
मित्रो ., भारत और विश्व के किसी भी कोने में हो रही
ऐसी शर्मनाक घटनाओ का मूलतः एक ही कारण हो सकता है ., " संस्कारों का
अभाव "... ज़रा सोचिये .., वर्तमान में घटित घटना के आरोपी ., हैवान
की शक्ल में " इंसान " ही है .... यदि इन आरोपीयो को उचित संस्कार प्राप्त
होते ., तो शायद ये काण्ड न कभी हुआ होता ., और न ही ये सारी बातें चर्चा
योग्य विषय बनती .... असल में पोर्न फिल्मे ., अश्लील सामग्रीया एवं नंग -
धडंग फिल्मो -गानों ., पश्चिमी सभ्यता के अनुकरण ने युवा तो युवा ., यहाँ
तक की तेरह - चौदह वर्ष के किशोरों एवं किशोरियों को भी " काम-वासना " के
दलदल में घसीट लिया है .... यदि वास्तव में हम इस प्रकार की घटनाओ की
पुनरावृत्ति नहीं चाहते . तो आवश्यकता है एक शुरुवात की ., जिसमे प्रत्येक
जिम्मेदार नागरिक अपने परिवार में " संस्कारों " का उचित रूप से सिंचन
करके अपना योगदान दे सकता है ....