इंसान की मानसिकता आज इतनी ज्यादा विकृत हो चुकी है कि अपने तुच्छ स्वार्थ और नापाक इरादों को पूरा करने के लिए वह किसी भी हद तक जा सकता है। इंसान की इसी घिनौनी मानसिकता का ताजा नमूना है बौद्ध संस्कृति के नाम पर भारतीय समाज में पाखंड का प्रचार करना। यह भारत के विरुद्ध एक बेहद ख़तरनाक अंतर्राष्टीय षणयंत्र है जिसमें शामिल हैं भारत के कुछ राष्ट्रद्रोही लालची लोग। इन लोगों का मक़सद है भारतीय समाज में नास्तिकता और पाखंड का ज़हर घोलकर, देश की अखंडता पर चोट करना। अपने इन्ही नापाक इरादों को पूरा करने के लिए इन लोगों ने बौद्ध संस्कृति को अपना प्रमुख हथियार बनाया है। हालांकि ये लोग बौद्ध संस्कृति के बारे में कुछ भी नहीं जानते हैं। बहुत ही अफसोस की बात है कि ये लोग गौतम बुद्ध जैसे महापुरुष को उन्ही की जन्मभूमि भारत के विरुद्ध एक हथियार के रूप में प्रयोग कर रहे हैं।भारत एक हिन्दू बाहुल्य राष्ट्र है और यहाँ की अधिकतर जनसंख्या परमेश्वर तथा देवी देवताओं में आस्था रखती है। वैसे तो भारत विभिन्न संस्कृतियों का संगम है परन्तु हिन्दू संस्कृति यहाँ की मुख्य संस्कृत और पहचान है। भारत दुनिया की एक उभरती हुई ताकत है यह भी सभी जानते हैं। ऐसे में कुछ भारत विरोधी देश भारत को तोड़ने का षणयंत्र रच रहे हैं और इसके लिए वे तरह तरह के हथकंडे अपनाते रहते हैं। उन्होने आतंकबाद रूपी हथियार का इस्तेमाल करके देख लिया लेकिन वे सफल नहीं हुए।
परन्तु इस बार उन्होने जो रणनीति बनाई है वह है कि अगर भारत को कमजोर करा है तो पहले उसकी संस्कृति को ख़त्म करो। इसीलिए उन्होने इस बार निशाना बनाया है भारत की सबसे प्राचीन और प्रमुख हिन्दू संस्कृति को। क्योंकि वे जानते हैं कि अगर भारत की हिन्दू संस्कृति को तोड़ने में वे सफल हो गए तो फिर इस देश को बर्बाद करने में ज्यादा समय नहीं लगेगा। उनके इस घृणित काम में उनका साथ दे रहे हैं भारत के ही कुछ लालची और देशद्रोही लोग। ये लोग बौद्ध संस्कृति को अपने हथियार के रूप में इस्तेमाल करते हैं। हिन्दू समुदाय में एक बड़ा वर्ग पिछड़ों एवं दलितों का है। ये लोग मुख्य रूप से पिछड़ों एवं दलितों को ही अपना निशाना बनाते हैं। इनका मक़सद पिछड़ों एवं दलितों को को हिन्दू समाज से अलग करने का है जो कि देश को तोड़ने की दिशा में पहला कदम है। भारतीय समाज में छिपे ये गद्दार लोग छोटे छोटे सामाजिक संगठनों के रूप में काम करते हैं और अपने आप को बौद्ध संस्कृति का प्रचारक कहते हैं। ये लोग गावों में तथा आर्थिक एवं शैक्षणिक रूप से पिछड़े हुये क्षेत्रों में गोपनीय सभाएँ लगाते हैं। इन सभाओं में ये लोग खुदा-गॉड-परमेश्वर तथा हिन्दू देवी देवताओं के लिए बहुत ही अपमान जनक और अभद्र भाषा का प्रयोग करते हुये लोगों को हिन्दू संस्कृति को छोड़कर बौद्ध संस्कृति को अपनाने के लिए प्रेरित करते हैं। लोगों को बौद्ध संस्कृति के बारे में बताने के बजाय ये लोग हिन्दू विरोधी मन गड़ंत बातों का प्रचार करते हैं तथा अपनी बातों को तरह तरह के हथकंडों द्वारा सिद्ध भी करते हैं।
प्रायः लोग इनकी बातों से संतुष्ट भी हो जाते हैं क्योंकि लोगों को धर्म व भगवान के बारे में वास्तविक जानकारी तो होती ही नहीं है। ये लोग वेद, पुराण, रामायण, गीता आदि धर्म ग्रंथों को झूठा तथा काल्पनिक बताते हैं और लोगों को बताते हैं कि ये धर्मग्रंथ ब्राह्मणों द्वारा पिछड़ों एवं दलितों को भ्रमित करने के लिए रचे गए हैं। इस प्रकार ये लोग ब्राह्मणों और दलितों के बीच नफरत पैदा करने की कोशिश करते हैं। ये लोग हिन्दू विरोधी साहित्य को समाज में वितरित करते हैं। ये लोगों को बताते हैं कि हिन्दू संस्कृति को छोड़कर बौद्ध संस्कृति अपनाने से ही उनका उत्थान हो सकता है। बौद्ध संस्कृति का प्रचार तो सिर्फ एक बहाना है वास्तव में तो ये लोग हिन्दू विरोधी एक अलग समुदाय खड़ा करना चाहते हैं। इस प्रकार ये लोग पहले से ही जात-पात में बँटे हुये हिन्दू समाज को दो मुख्य वर्गों में बाँटना चाहते हैं।
अब रही बात बौद्ध संस्कृति को अपनाने की तो वास्तविकता तो यह है कि देश के ये गद्दार स्वयं ही गौतम बुद्ध के सिद्धांतों के विरुद्ध कार्य करके बौद्ध संस्कृति का अपमान कर रहे हैं। क्या बौद्ध संस्कृति यह कहती है कि परमेश्वर के लिए अभद्र और फूहड़ भाषा का प्रयोग करके करोड़ों लोगों की भावनाओं को आहात किया जाए ? क्या बौद्ध संस्कृति यह कहती है कि मानव समाज में नास्तिकता फैलाकर उसमें नफरत पैदा की जाए ? कभी नहीं।
हालांकि गौतम बुद्ध परमेश्वर के विषय में कुछ भी नहीं जानते थे लेकिन इसका अर्थ ये नहीं कि वह नास्तिक थे। उनका पंचशील सिद्धांत तो आज भी मानवजाति के लिए अनुकरणीय है। आप चाहे हिन्दू बनें या बौद्ध बनें लेकिन जो भी बनें पूरी ईमानदारी के साथ बनें अन्यथा आप कुछ भी बन जाइए, आपका उत्थान नहीं हो सकता। वास्तव में सच्चा बौद्ध वह है जिसे ‘बोधिसत्व का सच्चा-सम्यक बोध’ हो और सच्चा हिन्दू वह है जो दूषित भावनाओं से हीन हो अर्थात जो दोष रहित, सत्य प्रधान, उन्मुक्त अमर जीवन विधान वाला हो। इस प्रकार जो सच्चा बौद्ध होगा वह सच्चा हिन्दू भी होगा और जो सच्चा हिन्दू होगा वह सच्चा बौद्ध भी होगा। फिर आपस में एक दूसरे के विरोधी कैसे हो सकते हैं ? सच्चाई तो यह है कि बौद्ध प्रचारकों का मुखौटा पहने इन शैतानों को न तो बौद्ध संस्कृति से कोई मतलब है और न ही इस देश से कोई मतलब है। ये लोग तो सिर्फ धन के लालच में विदेशी आकाओं के इशारों पर भारत विरोधी गतिविधियाँ चला रहे हैं।
अगर भारत सरकार समय रहते सचेत नहीं हुई और इन गद्दारों को देश विरोधी गतिविधियाँ चलाने से नहीं रोका गया तो इसके परिणाम भारत के लिए अच्छे नहीं होंगे। सरकार के साथ ही हर भारतीय, विशेष रूप से हिन्दू समुदाय को भी सचेत होने की जरूरत है। जहाँ कहीं भी इस प्रकार की हिन्दू विरोधी गतिविधियाँ चलती हुई देखें तो तुरंत उसका विरोध करके, उसे चलाने वाले देश के गद्दारों को समाज से बाहर खदेड़ दें। भारत को एक बार फिर धर्म गुरु बनकर दुनिया को रास्ता दिखाना है। आज दुनिया में जिस प्रकार की परिस्थितियाँ पैदा हो गई हैं उसमें हर कोई आज भारत की ओर उम्मीद भरी नज़रों से देख रहा है। इसलिए हर भारतीय को स्वयं धर्म का पालन करते हुये समस्त मानव जाति को जीवन जीने की राह दिखानी है लेकिन ऐसा तभी होगा जब इस प्रकार की धर्म विरोधी गतिविधियों को समाप्त करके भारत की अखंडता बरकरार रहेगी।
जो काम पहले पाखंडी और परजीवी करते आये थे आज वही काम बौध धर्म के भंते करते हैं. लाखों का वारा नारा करते हैं धर्म के नाम पर सच पूछो तो बुराई करके. अन्य धर्म की बुराई करके जितनी बुराइयां हिन्दू धर्म में उस जमाने से चली आ रही हैं वही बुराइयां इनमे अब आ रही हैं उधर पंडित जी लूटते हैं इधर भंते जी. बात तो एक ही है. हमें जरुरत है इन से दूर रहकर अपने अच्छे कर्म करने की और उस परम पिता परमेश्वर को खोजने की जिससे हमारा कल्याण हो. न की घंटी बजाने की ना ही माला फेरने की...