आज के समाज में कुछ लोग पाये जाये है जो अपने नाम के आगे डाक्टर लिखते है । मैने अक्सर देखा है की ये आजकल के डाँक्टर लोग का सामाजिक संपर्क डाँक्टर लोगो से साथ ही होता है ये लोग सब मिलकर सेमिनार करते रहते है और उन सेमिनार में डाँक्टर ही होते है । आजकल ने डाँक्टर किसी डाक्टरनी से ही शादी करते है और इनके बच्चे भी बडे होके अक्सर डाँक्टर बनते है ।
अच्छा ये बाताओ, मैने जो उपर लिखा कुछ गलत लिखा ? नही ना ? अच्छा ये बताओ की सनी देयोल क्या इन डाक्टर के सर पर बंदूक रख कर बोल रहा है की भाई तुझे डाक्टर लडकी से ही शादी करनी है ? या अपने बच्चे को भी डाक्टर बनाना है? नही ना ?? ये सब आटोमेटिक होता है ! अपने आप , सही बोला ना ।
अब गौर करे । हमारे यहाँ जो जातियाँ होती है वो भी तो कुछ ऐसी ही है , जैसे दर्जी के बच्चे दर्जी बनते है, दर्जी लोगो अपने नाम के पीछे दर्जी लिखते है और उनका सामाजिक संबंध दर्जीयों से होता है और वो किसी दूसरी दर्जी की लडकी से ही शादी करते है ताकि पोलका बनाने की कला, नही तो कम से कम काँच-बटन लगाने तो सीख कर ही आये ।
जब आज के डाँक्टर लोगो ने एक तरह की डाँक्टर जात बना कर कुछ गलत नही किया तो हमारे पूर्बजो ने "कर्म" आधारित जातियाँ बना ली तो कौन ना गुनाह किया । क्या आपको लगता है डाँक्टरों के इस अलगाव से समाज टूटा है ? क्या समाज बटाँ हुआ है ? नही ना, फिर आप कैसे बोल सकते है की भारत जाती धर्मो में बँटा था । सब जातियाँ समाज का हिस्सा ही और रहेंगी । हाँ ४०० साल से उँची नीची जात की कुधारणा आ गई लेकिन मुझे नही लगता की वाकई में हिंदू समाज जातियों में बँटा था ।
आज हमने अपनी सुविधा के अनुसार राज्य बना दिये । फिर उनको भी जिले और तहसील लेवल पर बाँट दिया । लेकिन हम ये थोडे ने बोल सकते है की भारत तो हजारों जिलो में बँटा हुआ देश है । सुविधानुसार बँटा होने के बाद भी एक देश है , इसी प्रकार हम हिंदू "कर्म" आधारित जातियों में बँट कर भी एक थे । ना वो कल गलत था और ना आज गलत है । आपने देखने का तरीका कुत्सित वामपंथीयों द्वारा बदल दिया है । अगर फिर भी आपको लगता है की जातीयाँ बुरी थी तो आप डाँक्टर लोगो को, वकील लोगो को, रईस लोगो को, समझाओं ये सब लोग अपने अपने हैसियत और काम से अनुसार समूह बना ही तो रहे है | एक और बात, आज भी सरकार , नगर निगम, नगर पालिका के द्वारा कई लोगो को कचरा उठाने जैसे काम में लगा रही है । क्या आपको लगता है की सरकार उन लोगो का शोषण कर रही है ? अगर ये लोग भी अपने नाम के पीछे अचानक से कचरादार (जैसे सुनील कचरादार) लगाने लग जाये तो कुछ १०० साल बाद अपने बच्चे भी ये बोलेंगे की मोदी सरकार ने कचरादार जाति का खूब शोषण किया ।
लेख लिखने का मतलब साफ है की हम चाहे जो भी कर ले लेकिन अर्थव्यवस्था अपने हिसाब से नये नये "कर्मचारी समूह" बनाती है इनको जाती बोल दो या कुछ और , लेकिन ये सब चलता आ रहा है और नये नये रूपो में चलता रहेगा । इसलिये आप हिंदू धर्म को कम से कम ये कोसना बंद करों की समाज जातियों में बटाँ था और इससे बहुत नुकसान आया ।
अच्छा ये बाताओ, मैने जो उपर लिखा कुछ गलत लिखा ? नही ना ? अच्छा ये बताओ की सनी देयोल क्या इन डाक्टर के सर पर बंदूक रख कर बोल रहा है की भाई तुझे डाक्टर लडकी से ही शादी करनी है ? या अपने बच्चे को भी डाक्टर बनाना है? नही ना ?? ये सब आटोमेटिक होता है ! अपने आप , सही बोला ना ।
अब गौर करे । हमारे यहाँ जो जातियाँ होती है वो भी तो कुछ ऐसी ही है , जैसे दर्जी के बच्चे दर्जी बनते है, दर्जी लोगो अपने नाम के पीछे दर्जी लिखते है और उनका सामाजिक संबंध दर्जीयों से होता है और वो किसी दूसरी दर्जी की लडकी से ही शादी करते है ताकि पोलका बनाने की कला, नही तो कम से कम काँच-बटन लगाने तो सीख कर ही आये ।
जब आज के डाँक्टर लोगो ने एक तरह की डाँक्टर जात बना कर कुछ गलत नही किया तो हमारे पूर्बजो ने "कर्म" आधारित जातियाँ बना ली तो कौन ना गुनाह किया । क्या आपको लगता है डाँक्टरों के इस अलगाव से समाज टूटा है ? क्या समाज बटाँ हुआ है ? नही ना, फिर आप कैसे बोल सकते है की भारत जाती धर्मो में बँटा था । सब जातियाँ समाज का हिस्सा ही और रहेंगी । हाँ ४०० साल से उँची नीची जात की कुधारणा आ गई लेकिन मुझे नही लगता की वाकई में हिंदू समाज जातियों में बँटा था ।
आज हमने अपनी सुविधा के अनुसार राज्य बना दिये । फिर उनको भी जिले और तहसील लेवल पर बाँट दिया । लेकिन हम ये थोडे ने बोल सकते है की भारत तो हजारों जिलो में बँटा हुआ देश है । सुविधानुसार बँटा होने के बाद भी एक देश है , इसी प्रकार हम हिंदू "कर्म" आधारित जातियों में बँट कर भी एक थे । ना वो कल गलत था और ना आज गलत है । आपने देखने का तरीका कुत्सित वामपंथीयों द्वारा बदल दिया है । अगर फिर भी आपको लगता है की जातीयाँ बुरी थी तो आप डाँक्टर लोगो को, वकील लोगो को, रईस लोगो को, समझाओं ये सब लोग अपने अपने हैसियत और काम से अनुसार समूह बना ही तो रहे है | एक और बात, आज भी सरकार , नगर निगम, नगर पालिका के द्वारा कई लोगो को कचरा उठाने जैसे काम में लगा रही है । क्या आपको लगता है की सरकार उन लोगो का शोषण कर रही है ? अगर ये लोग भी अपने नाम के पीछे अचानक से कचरादार (जैसे सुनील कचरादार) लगाने लग जाये तो कुछ १०० साल बाद अपने बच्चे भी ये बोलेंगे की मोदी सरकार ने कचरादार जाति का खूब शोषण किया ।
लेख लिखने का मतलब साफ है की हम चाहे जो भी कर ले लेकिन अर्थव्यवस्था अपने हिसाब से नये नये "कर्मचारी समूह" बनाती है इनको जाती बोल दो या कुछ और , लेकिन ये सब चलता आ रहा है और नये नये रूपो में चलता रहेगा । इसलिये आप हिंदू धर्म को कम से कम ये कोसना बंद करों की समाज जातियों में बटाँ था और इससे बहुत नुकसान आया ।