जनवरी :
रोमन देवता 'जेनस' के नाम पर वर्ष के पहले महीने जनवरी का नामकरण हुआ. मान्यता है कि जेनस के दो चेहरे हैं. एक से वह आगे और दूसरे से पीछे देखता है. इसी तरह जनवरी के भी दो चेहरे हैं. एक से वह बीते हुए वर्ष को देखता है और दूसरे से अगले वर्ष को. जेनस को लैटिन में जैनअरिस कहा गया. जेनस जो बाद में जेनुअरी बना जो हिन्दी में जनवरी हो गया.
फरवरी :
इस महीने का संबंध लैटिन के फैबरा से है. इसका अर्थ है 'शुद्धि की दावत' . पहले इसी माह में 15 तारीख को लोग शुद्धि की दावत दिया करते थे. कुछ लोग फरवरी नाम का संबंध रोम की एक देवी फेबरुएरिया से भी मानते हैं. जो संतानोत्पत्ति की देवी मानी गई है इसलिए महिलाएं इस महीने इस देवी की पूजा करती थीं तब यह साल का आखरी महीना था और इसमें ३० दिन होते थे अगस्त का महीना भी ३० दिनों का था लेकिन जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर दिया जो बाद में केवल अगस्त रह गया. एक और विडम्बना इस महीने से जुडी है जब आगस्टस सीजर ने देखा की जुलाई में ३१ दिन है तो उसने इस माह को भी ३१ दिनों का कर दिया इसे ३१ दिनों का करने के लिए साल के आखरी महीने फैबरा से १ दिन छीन लिया .
मार्च :
रोमन देवता 'मार्स' के नाम पर मार्च महीने का नामकरण हुआ. रोमन वर्ष का प्रारंभ इसी महीने से होता था. मार्स मार्टिअस का अपभ्रंश है जो आगे बढ़ने की प्रेरणा देता है. सर्दियों का मौसम खत्म होने पर लोग शत्रु देश पर आक्रमण करते थे इसलिए इस महीने को मार्च रखा गया.
अप्रैल :
इस महीने की उत्पत्ति लैटिन शब्द 'एस्पेरायर' से हुई. इसका अर्थ है खुलना. रोम में इसी माह बसंत का आगमन होता था इसलिए शुरू में इस महीने का नाम एप्रिलिस रखा गया. इसके बाद वर्ष के केवल दस माह होने के कारण यह बसंत से काफी दूर होता चला गया. वैज्ञानिकों ने पृथ्वी के सही भ्रमण की जानकारी से दुनिया को अवगत कराया तब वर्ष में दो महीने और जोड़कर एप्रिलिस का नाम पुनः सार्थक किया गया.
मई :
रोमन देवता मरकरी की माता 'मइया' के नाम पर मई नामकरण हुआ. मई का तात्पर्य 'बड़े-बुजुर्ग रईस' हैं. मई नाम की उत्पत्ति लैटिन के मेजोरेस से भी मानी जाती है.
जून :
इस महीने लोग शादी करके घर बसाते थे. इसलिए परिवार के लिए उपयोग होने वाले लैटिन शब्द जेन्स के आधार पर जून का नामकरण हुआ. एक अन्य मान्यता के मुताबिक रोम में सबसे बड़े देवता जीयस की पत्नी जूनो के नाम पर जून का नामकरण हुआ.
जुलाई :
राजा जूलियस सीजर का जन्म एवं मृत्यु दोनों जुलाई में हुई. इसलिए इस महीने का नाम जुलाई कर दिया गया.
अगस्त :
जूलियस सीजर के भतीजे आगस्टस सीजर ने अपने नाम को अमर बनाने के लिए सेक्सटिलिस का नाम बदलकर अगस्टस कर दिया जो बाद में केवल अगस्त रह गया.
सितंबर :
रोम में सितंबर सैप्टेंबर कहा जाता था. सेप्टैंबर में सेप्टै लैटिन शब्द है जिसका अर्थ है सात और बर का अर्थ है वां यानी सेप्टैंबर का अर्थ सातवां, लेकिन बाद में यह नौवां महीना बन गया.
अक्टूबर :
इसे लैटिन 'आक्ट' (आठ) के आधार पर अक्टूबर या आठवां कहते थे, लेकिन दसवां महीना होने पर भी इसका नाम अक्टूबर ही चलता रहा.
नवंबर :
नवंबर को लैटिन में पहले 'नोवेम्बर' यानी नौवां कहा गया. ग्यारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला एवं इसे नोवेम्बर से नवंबर कहा जाने लगा.
दिसंबर :
इसी प्रकार लैटिन डेसेम के आधार पर दिसंबर महीने को डेसेंबर कहा गया. वर्ष का बारहवां महीना बनने पर भी इसका नाम नहीं बदला.
सितम्बर अक्तूबर नवम्बर व दिसम्बर महीनो से पता चलता है की वे क्रमशः सातवां ,आठवां ,नौवा व दसवां महीना थे जनवरी ग्यारहवां व फरवरी बारहवां महीना था और मार्च से नववर्ष शुरू होता था और दुनिया के अधिकाँश धर्म मार्च (चैत्र ) में अपना नववर्ष शुरू करते थे लेकिन रोमन कैथोलिक पादरियों द्वारा इसे ईसा मसीह का नामकरण (यीशु की सुन्नत से एक घटना है से जोड़ कर साल का पहला महीना कर दिया . जिसका कोई वैज्ञानिक कारण नहीं है .और हम मुर्ख लोग उनका अनुकरण करने लगे . दुनिया के अधिकाँश देशो ने इसे १४वी शताब्दी के बाद इसे अपनाया है .
अब आप ही तय करे की क्या सच है
1 जनवरी को नए साल के रूप में मनाने की शुरुआत निम्नानुसार हैं:
देश प्रारंभ साल [19] [20]
यूक्रेन , लिथुआनिया , बेलारूस 1362
वेनिस 1522
स्वीडन 1529
पवित्र रोमन साम्राज्य (जर्मनी ~) 1544
स्पेन, पुर्तगाल, पोलैंड 1556
Prussia , डेनमार्क [21] और नॉर्वे 1559
फ़्रांस ( रूस्सिल्लॉन के फतवे ) 1564
दक्षिणी नीदरलैंड [22] 1576
लोरेन 1579
डच गणराज्य 1583
स्कॉटलैंड 1600
रूस 1700
Tuscany 1721
ब्रिटेन , आयरलैंड और
ब्रिटिश साम्राज्य
छोड़कर स्कॉटलैंड 1752
ग्रीस 1923
थाईलैंड 1941
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