सुबह सुबह चामुण्डा माता जी के टेकरी में जाने का अवसर मिला । पूरा देवास शहर इस समय पर चामुण्डा मइया की भक्ति में लीन है । (क्या पता माता की भक्ति के लिए जाते है या नयन सुख लेने जाते है) अच्छा लगता है युवाओ में धर्म के प्रति यह झुकाव । पर मन उस समय खिन्न हो जाता है जब बुजुर्गो को रोड के किनारे हाथ फैलाते हुए देखता हु असहाय शरीर, काँपते हुए हाथ,लरजती हु आँखे में याचना के भाव । सच में ये सब देखने के बाद मन इतना दुखी हो जाता है की मेरा मन ही ''माँ'' की भक्ति से कोसो दूर इन बुजर्गो पर केंद्रित हो जाती है ।
एक पेड़ जितना ज्यादा बड़ा होता है वह उतना ही अधिक झुका हुआ होता है यानि
वह उतना ही विनम्र और दूसरों को फल देने वाला होता है. यही बात समाज के उस
वर्ग के साथ भी लागू होती है जिसे आज की तथाकथित ''युवा और एजुकेटेड'' पीढ़ी
''बूढ़ा'' कहकर वृद्धाश्रम में छोड़ देती है. वे लोग भूल जाते हैं कि अनुभव
का कोई दूसरा विकल्प दुनिया में है ही नहीं । फिर भी हम उस अनुभव से लाभ
नहीं उठाते और ठोकर खाने के बाद ''ठाकुर'' कहलाते ।
वृद्ध होने के बाद इंसान को कई रोगों का सामना करना पड़ता है. चलने फिरने में भी दिक्कत होती है. लेकिन यह इस समाज का एक सच है कि जो आज जवान है उसे कल बुढ़ा भी होना होगा और इस सच से कोई नहीं बच सकता. लेकिन इस सच को जानने के बाद भी जब हम बूढ़े लोगों पर अत्याचार करते हैं तो हमें अपने मनुष्य कहलाने पर शर्म महसूस होती है ।
हमें समझना चाहिए कि वरिष्ठ नागरिक समाज की अमूल्य विरासत होते हैं.उन्होंने देश और समाज को बहुत कुछ दिया होता है. उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक अनुभव होता है. आज का युवा वर्ग राष्ट्र को उंचाइयों पर ले जाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के अनुभव से लाभ उठा सकता है. अपने जीवन की इस अवस्था में उन्हें देखभाल और यह अहसास कराए जाने की जरुरत होती है कि वे हमारे लिए खास महत्व रखते हैं. हमारे शास्त्रों में भी बुजुर्गों का सम्मान करने की राह दिखलायी गई है । यजुर्वेद का निम्न मंत्र संतान को अपने माता-पिता की सेवा और उनका सम्मान करने की शिक्षा देता है.
यदापि पोष मातरं पुत्र: प्रभुदितो धयान् .
इतदगे अनृणो भवाम्यहतौ पितरौ ममां ॥
अर्थात जिन माता-पिता ने अपने अनथक प्रयत्नों से पाल पोसकर मुझे बड़ा किया है, अब मेरे बड़े होने पर जब वे अशक्त हो गये है तो वे जनक-जननी किसी प्रकार से भी पीड़ित न हो, इस हेतु मैं उसी की सेवा सत्कार से उन्हें संतुष्ट कर अपा आनृश्य (ऋण के भार से मुक्ति) कर रहा हूं ।
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मित्रो आज अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस है । चलिए संकल्प लेते है की कही भी,कभी भी कोई भी असहाय बुजुर्ग मिलते है तो उनकी सहायता करगे । अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर सभी बुजुर्गो को सादर नमन ।
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नोट ---: फोटो में समाज की कड़वी सच्चाई छिप हुई है ।
वृद्ध होने के बाद इंसान को कई रोगों का सामना करना पड़ता है. चलने फिरने में भी दिक्कत होती है. लेकिन यह इस समाज का एक सच है कि जो आज जवान है उसे कल बुढ़ा भी होना होगा और इस सच से कोई नहीं बच सकता. लेकिन इस सच को जानने के बाद भी जब हम बूढ़े लोगों पर अत्याचार करते हैं तो हमें अपने मनुष्य कहलाने पर शर्म महसूस होती है ।
हमें समझना चाहिए कि वरिष्ठ नागरिक समाज की अमूल्य विरासत होते हैं.उन्होंने देश और समाज को बहुत कुछ दिया होता है. उन्हें जीवन के विभिन्न क्षेत्रों का व्यापक अनुभव होता है. आज का युवा वर्ग राष्ट्र को उंचाइयों पर ले जाने के लिए वरिष्ठ नागरिकों के अनुभव से लाभ उठा सकता है. अपने जीवन की इस अवस्था में उन्हें देखभाल और यह अहसास कराए जाने की जरुरत होती है कि वे हमारे लिए खास महत्व रखते हैं. हमारे शास्त्रों में भी बुजुर्गों का सम्मान करने की राह दिखलायी गई है । यजुर्वेद का निम्न मंत्र संतान को अपने माता-पिता की सेवा और उनका सम्मान करने की शिक्षा देता है.
यदापि पोष मातरं पुत्र: प्रभुदितो धयान् .
इतदगे अनृणो भवाम्यहतौ पितरौ ममां ॥
अर्थात जिन माता-पिता ने अपने अनथक प्रयत्नों से पाल पोसकर मुझे बड़ा किया है, अब मेरे बड़े होने पर जब वे अशक्त हो गये है तो वे जनक-जननी किसी प्रकार से भी पीड़ित न हो, इस हेतु मैं उसी की सेवा सत्कार से उन्हें संतुष्ट कर अपा आनृश्य (ऋण के भार से मुक्ति) कर रहा हूं ।
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मित्रो आज अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस है । चलिए संकल्प लेते है की कही भी,कभी भी कोई भी असहाय बुजुर्ग मिलते है तो उनकी सहायता करगे । अंतर्राष्ट्रीय वृद्ध दिवस पर सभी बुजुर्गो को सादर नमन ।
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नोट ---: फोटो में समाज की कड़वी सच्चाई छिप हुई है ।
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