मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

सेक्यूलर नामक जीव कैसे तैयार किया जाता है ?


हिन्दुओं का इतिहास काफी गौरवशाली है और ये कोई धर्म गौरवशाली हिन्दू धर्म के सामने "धूल बराबर भी नहीं" है ! इसीलिए हरामी सेक्युलरों और देश के गद्दारों द्वारा ये महसूस किया गया कि जबतक हिन्दू अपने गौरवशाली इतिहास से अवगत रहेंगे तब तक हिन्दुओं को सेक्यूलर नामक नपुंसक बनाना नितांत असंभव है ! इसीलिए ऐसे गद्दारों ने हमारे स्कूलों के पाठयक्रम को अपना सबसे मजबूत हथियार बनाया ताकि हिन्दुओं के मन में बचपन से ही हीन भावना भरी जा सके और धीरे-धीरे सेक्यूलर नामक नपुंसक हिन्दू में परिवर्तित कर दिया जाए!
इस तरह करते-करते आज स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि हिन्दू संस्कारों और धर्म की बात करने पर विधवा प्रलाप करने वाले तथा बात-बात पर छाती कूटने वाले सेक्यूलर लोग एवं मीडिया इस बात पर कभी भी छाती कूटते नजर नहीं आते हैं !
आप खुद ही देखें कि हरामी सेक्युलरों और देश के गद्दारों द्वारा स्कूलों में कैसी शिक्षा दी जा रही है और कैसे धीरे-धीरे उन्हें हिंदुत्व से दूर करते हुए उनमे हीन भावना भरकर उन्हें सेकुलर नामक नपुंसक जीव बनाया जा रहा है !
क्या कोई सेक्यूलर या बुद्धिजीवी मुझे इन बातों का तर्कसंगत जबाब दे सकता है कि ऐसा क्यों है.....?
1. जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर, जो जीता वही सिकन्दर "कैसे" हो गया? (जबकि ये बात सभी जानते हैं कि सिकंदर को चन्द्रगुप्त मौर्य ने बहुत ही बुरी तरह परास्त किया था जिस कारण सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्युकश कि बेटी की शादी चन्द्रगुप्त से की थी)
2. महाराणा प्रताप "महान" ना होकर अकबर "महान" कैसे हो गया? (जबकि अकबर अपने हरम में हजारों हिन्दू लड़कियों को रखैल के तौर पर रखता था जबकि महाराणा प्रताप ने अकेले दम पर उस अकबर के लाखों की सेना को घुटनों पर ला दिया था)
3. सवाई जय सिंह को "महान वास्तुप्रिय" राजा ना कहकर शाहजहाँ को यह उपाधि किस आधार मिली? (जबकि साक्ष्य बताते हैं कि जयपुर के हवा महल से लेकर तेजोमहालिया {ताजमहल} तक महाराजा जय सिंह ने ही बनवाया था)
4. जो स्थान महान मराठा क्षत्रपति वीर शिवाजी को मिलना चाहिये वो क्रूर और आतंकी औरंगजेब को क्यों और कैसे मिल गया?
5. स्वामी विवेकानंद और आचार्य चाणक्य की जगह गांधी को महात्मा बोलकर हिंदुस्तान पर क्यों थोप दिया गया?
6. तेजोमहालय- ताजमहल, लालकोट- लाल किला, फतेहपुर सीकरी का देव महल-बुलन्द दरवाजा एवं सुप्रसिद्घ गणितज्ञ वराह मिहिर की मिहिरावली (महरौली) स्थित वेधशाला- कुतुबमीनार क्यों और कैसे हो गया?
7. यहाँ तक कि राष्ट्रीय गान भी संस्कृत के वन्दे मातरम की जगह गुलामी का प्रतीक "जन-गण-मनहो गया" कैसे और क्यों हो गया?
8. और तो और हमारे अराध्य भगवान् राम, कृष्ण तो इतिहास से कहाँ और कब गायब हो गये पता ही नहीं चला आखिर कैसे?
9. हद तो यह कि हमारे अराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पावन अयोध्या भी कब और कैसे विवादित बना दी गयी हमें पता तक नहीं चला !
कहने का मतलब ये है कि हमारे दुश्मन सिर्फ बाबर, गजनवी, लंगड़ा तैमूरलंग ही नहीं हैं बल्कि आज के सफेदपोश सेक्यूलर भी हमारे उतने ही बड़े दुश्मन हैं जिन्होंने हम हिन्दुओं के अन्दर हीन भावना भर हिन्दुओं को सेक्यूलर नामक नपुंसक बनाने का बीड़ा उठा रखा है !
ये वही लोग हैं जो हर हिन्दू संस्कृति को भगवा आतंकवाद का नारा देते हैं और नरेन्द्र भाई मोदी जैसे हिंदूवादी और देशभक्त को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं ताकि उनके नापाक मंसूबे हमेशा पूरे होते रहें !
लेकिन चाहे कुछ भी हो जाए हमलोग उनके ऐसे नापाक मंसूबों पर पानी फेरते हुए हिन्दुस्थान को हिन्दुराष्ट्र बना कर ही रहेंगे !
मित्रो इस पोस्ट को सेकुलरो की कान आँख तक पहुचायें..

उत्तरप्रदेश के समाजवादी सरकार की लेट लतीफी और भ्रष्टाचार पर बीजेपी का चलता हुआ हंटर

एक पत्थर की कीमत 900 रुपये और पेरिस से मंगवाए गए एक पेड़ की कीमत मात्र 1 करोड़ 69 लाख रुपये.............. 
उत्तर प्रदेश में निर्माणाधीन जय प्रकाश नारायण इंटरनैशनल कन्वेंशन सेंटर प्रॉजेक्ट के निरीक्षण के दौरान सामने आई जानकारी

दोपहर 2.20 बजे का वक्त। 40 डिग्री सेल्सियस के करीब तापमान। गर्म हवाओं के बीच योगी सरकार में राज्यमंत्री सुरेश पासी, जय प्रकाश नारायण इंटरनैशनल कन्वेंशन सेंटर प्रॉजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे। गाड़ी से उतरते ही मंत्री ने प्रॉजेक्ट की रिपोर्ट मांगी। एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह ने दो पन्ने पकड़ाए। मंत्री ने पन्ने देखे और और पुलिंदा बनाकर पकड़ लिया। गेस्ट हाउस ब्लॉक की तरफ बढ़े और वीसी से पूछा कि लिफ्ट चलने लगी? वीसी खामोश रहे। एक्सईएन बीपी मौर्या ने जवाब दिया-नहीं सर। मंत्री ने नजर उठाकर 18 मंजिली निर्माणाधीन बिल्डिंग को देखा और कहा- चलो सीढ़ियों से चलकर निरीक्षण करेंगे।
मंजिलें बढ़ती गईं, अधिकारी घटते गए
पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल तक एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह, सचिव अरुण कुमार सहित करीब 20 इंजिनियरों का काफिला मंत्री के साथ रहा। तीसरी मंजिल पर मंत्री ऑडिटोरियम की छत पर रुके। गुस्से में अफसरों से मुखातिब हुए। 'क्या समझते हो लिफ्ट नहीं सही होगी तो हम हकीकत नहीं देख पाएंगे'। मंत्री ने दोबारा सीढ़ियों का रुख किया तो सचिव अरुण कुमार और एक्सईएन एके सिंह हांफते हुए रुक गए। पसीना पोछते हुए वीसी, इंजीनियरों के साथ आगे बढ़े।
पांचवी मंजिल पहुंचने पर वीसी ने पीछे मुड़कर देखा तो इंजीनियर कम हो गए थे। बुरी तरह हाफ रहे वीसी भी जीने की रेलिंग पकड़कर खड़े हो गए। मंत्री मंजिल-दर-मंजिल चढ़ते रहे और इंजिनियर कम होते रहे। कोई बुरी तरह हांफ रहा था तो किसी की धड़कन बढ़ गई थी। कुछ इंजिनियरों ने कहा कि उनका बीपी बढ़ गया तो कुछ ने कहा कि वह हार्ट के मरीज हैं। दवा नीचे गाड़ी में छूट गई है। मंत्री 17 वीं मंजिल पर पहुंचे तो उनके साथ सिर्फ विद्युत यांत्रिक चीफ इंजिनियर डीपी सिंह थे। पता चला कि प्रभारी एक्सईएन बीपी मौर्या धीरे-धीरे आ रहे हैं। 7 मिनट बाद एक्सईएन बीपी मौर्या हांफते हुए 17वें फ्लोर पर पहुंचे, लेकिन उनके पास मंत्री के सवालों के जवाब नहीं थे। इस दौरान कई एक्सईएन ने वहां काम कर रहे मजदूरों से मांगकर पानी पिया।
'झूठ उजागर करने को 18 मंजिल चढ़ा'
18 वीं मंजिल पर बने हेलिपैड पर राज्यमंत्री ने सवाल किए तो कोई जिम्मेदार अधिकारी वहां था ही नहीं। इस पर मंत्री ने विद्युत यांत्रिक चीफ इंजिनियर डीपी सिंह से कहा कि सीएम की समीक्षा में आप लोगों ने कहा था कि 85 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। लेकिन काम तो 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ है। डीपी सिंह ने बताया कि उनकी रिपोर्ट प्रॉजेक्ट में हुई खरीद के आधार पर बनी थी। मंत्री ने कहा कि आपके भुगतान कर देने से प्रॉजेक्ट नहीं पूरा हो जाता। आप लोगों का झूठ उजागर करने के लिए ही मैं सीढ़ियां चढ़कर आया हूं।
'900 का पत्थर, एक करोड़ का पेड़'
नीचे उतरने के बाद सुरेश पासी ने जेपीएनआईसी गेस्ट हाउस का मुआयना किया। वहां लग रहे लाल रंग के पत्थर पर राज्यमंत्री, आवास ने वीसी सत्येंद्र सिंह से सवाल पूछा। वीसी से पूछने पर एक्सईएन ने बताया कि यह पत्थर वियतनाम से मंगवाया गया है। एक पत्थर की कीमत 900 रुपये है। सोलर ट्री के बारे में एलडीए इंजिनियरों ने बताया यह पेड़ पेरिस से मंगवाया गया है। एक पेड़ की कीमत 1 करोड़ 69 लाख रुपये है। मंत्री ने इसे पैसे की बर्बादी और एलडीए अधिकारियों की साठगांठ करार दिया।