शनिवार, 5 जनवरी 2013

!! भारत और इंडिया में देखें कुछ अंतर! !!

भारत और इंडिया में देखें कुछ अंतर!

पहले पढ़े फिर बताए कि आप भारत मे रहना चाहोगे या इंडिया मे??

भारत बनाम इंडिया भारत में काका है, बाबा है, दादा है, दादी है।
... इंडिया में अंकल आंटी की आबादी है।

भारत में खजूर है, जामुन है,आम है।
इंडिया में मैगी,पिज़्ज़ा,माजा का नकली आम है।

भारत में गाय है, गोबर है, कंडे है।
इंडिया में सेहत नाशी चिकन बिरयानी व अन्डे है।

भारत में दूध है, दही है, लस्सी है।
इंडिया में खतरनाक विस्की, कोक व पेप्सी है।

भारत में गीत है, संगीत है, रिदम है।
.इंडिया में डांस है, पॉप है, आइटम है।

भारत में ममेरी, फुफेरी,चचेरी बहन है।
इंडिया में सब के सब कजन है।

भारत में पीपल है, बरगद है, नीम है।
इंडिया में ड्राइंग रूम की वाल पर ये सीन है।

भारत में आदर है, प्रेम है, सत्कार है।
इंडिया में स्वार्थ, नफ़रत और दुत्कार है।

भारत में हजारो भाषा है, बोली है।
इंडिया में एक अंग्रेजी ही बडबोली है।
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भारत में संतोष है, सुख है, चैन है।
इंडिया बदहवास, दुखी, बेचैन है...!!!!
इंडिया का मतलब ग़ुलामी का देश जिनके दिलो से
ग़ुलामी अभी तक गयी नही है वो सिर्फ
ओरतो को वासना का एक साधन मानते है | भारत
का मतलब ज्ञान ओर प्रकाश का देश
जहा ओरतो को देवी का दर्जा दिया गया है|
जहा ओरतो कोसम्मान दिया जाता है
उनकी रक्षा करते है उनकी भासा मे बोलचाल मे
नारी का सम्मान होता है यही सबसे
बड़ा फर्क —
 
 

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी जी विमान किराया नहीं चुकाया क्यों ?

यूपीए अध्यक्ष सोनिया गांधी ने सात साल (2006-07 से सितंबर 2012 तक) में वायुसेना के विमानों व हेलीकॉप्टरों से 49 बार यात्रा की। बावजूद इसके कि वे इसकी पात्र ही नहीं थीं। राष्ट्रीय सलाहकार परिषद की अध्यक्ष सोनिया इस दौरान 23 बार प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की सहयात्री थीं। आरटीआई कार्यकर्ता रमेश वर्मा को रक्षा मंत्रालय एवं वायुसेना मुख्यालय ने यह जानकारी दी है।

कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी ने तीन साल में आठ बार वायुसेना के विमानों/हेलीकॉप्टरों का इस्तेमाल किया। जबकि वायुसेना के नियमों के मुताबिक, सोनिया और राहुल दोनों को अपने नाम से वायुसेना के विमान या हेलीकॉप्टर आरक्षित कर यात्रा करने की पात्रता नहीं है। यानी वे इसकी पात्रता रखने वालों के साथ ही यात्रा कर सकते हैं।

यूपीए अध्यक्ष सोनिया और राहुल की एक-एक यात्रा का पैसा भी बकाया है। वायुसेना के कर्नाटक सरकार पर सोनिया की यात्रा के 1.17 करो...ड़ रुपए बाकी हैं। इसी तरह कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी की यात्रा के असम सरकार पर 8.26 लाख रुपए बकाया हैं। दोनों राज्य सरकारों ने इन नेताओं की यात्राओं के लिए वायुसेना के विमान बुक कराए थे।


संसद में 7 मई 2012 को रक्षा मंत्री एके एंटनी ने बयान में कहा था कि प्रधानमंत्री, उपप्रधानमंत्री, रक्षा मंत्री और गृह मंत्री सरकारी कामकाज के लिए वायुसेना के विमानों का उपयोग करने के पात्र हैं। गैर सरकारी कार्यों के लिए केवल प्रधानमंत्री इनका उपयोग कर सकते हैं......

है न मजेदार बात ..

मजहब की आड़ में जिस्म और रूह से खिलवाड़

http://www.ndtv.com/video/player/news/fromndtv/258442

आप इस वीडिओ को देखिये ..धर्म और मजहब के नाम पर कितना सर्मनाक कार्य किया जाता है अगर कोई इक शख्स भी इन कठमुल्लों और पाखंडी पंडितो के भ्रम जाल से बाहर आ जायेगा ,मै समझूंगा मेरे ब्लॉग पर मेरा लिखना  कुछ काम आया आया किसी के अभी आप देखते रहे ..मैं और धर्मो के इन कुरीतियों को उअजागर करुगा !

दोस्ती ?

बर्तमान परिपेक्ष में यदि दोस्ती की बात करे तो ये सिर्फ स्वार्थ सिध्धि का एक माध्यम मात्र बन गया है यहाँ तक की लोग दोस्ती की आड़ में ना जाने क्या क्या स्वार्थ सिध्धि करते है या करने की आशा रखते है ..खासकर आज की यूवा पीढ़ी ,उसमे भी खसकर लडको और लडकियों की दोस्ती सिर्फ जिस्मानी आकर्षण का केंद्र बिंदु होता है  और यदि लडको -लडको की दोस्ती की बात की जाए तो यहाँ भी स्वार्थ सिध्धि ही मुख्या बजह बनती है कहा है आज कृष्ण -सुदामा की मित्रता ?
                    चलिए अब सोसल नेट्वर्किंग की दोस्ती की बात कर लिया जाए ,यहाँ पर हम कोसो दूर बैठे है और एक दुसरे को दोस्त बना बैठे है निश्चयत ही हमारे बीच में कोई स्वार्थ नहीं है
पर हम यहाँ भी अपने स्वार्थ से बाज नहीं आते है और यहाँ के स्वार्थ भी अजीबो गरीब होते है  जबकि
दोस्ती, एक सलोना और सुहाना अहसास है, जो संसार के हर रिश्ते से अलग है। तमाम मौजूदा रिश्तों के जंजाल में यह मीठा रिश्ता एक ऐसा सत्य है जिसकी व्याख्या होना अभी भी बाकी है। व्याख्या का आकार बड़ा होता है। लेकिन गहराई के मामले में वह अनुभूति की बराबरी नहीं कर सकती। इसीलिए दोस्ती की कोई एक परिभाषा आजतक नहीं बन सकी।

दोस्ती, शुद्ध और पवित्र मन का मिलन होती है। एक बेहद उत्कृष्ट अनुभूति, जिसे पाते ही तनाव और चिंता के सारे तटबंध टूट जाते हैं।। उलझनों की जंजीरें खुल जाती है। दोस्ती एक ऐसा आकाश है जिसमें प्यार का चांद मुस्कुराता है, रिश्तों की गर्माहट का सूर्य जगमगाता है और खुशियों के नटखट सितारे झिलमिलाते हैं। एक बेशकीमती पुस्तक है दोस्ती, जिसमें अंकित हर अक्षर, हीरे, मोती, नीलम, पन्ना, माणिक और पुखराज की तरह है, बहुमूल्य और तकदीर बदलने वाले।

एक सुकोमल और गुलाबी रिश्ता है दोस्ती, छुई-मुई की नर्म पत्तियों-सा। अंगुली उठाने पर यह रिश्ता कुम्हला जाता है। इसलिए दोस्त बनाने से पहले अपने अन्तर्मन की चेतना पर विश्वास करना जरूरी है।

सचाई, ईमानदारी, परस्पर समझदारी, अमिट विश्वास, पारदर्शिता, समर्पण, सम्मान जैसे श्रेष्ठ तत्व दोस्ती की पहली जरूरत है। दोस्त वह विश्वसनीय शख्स होता है जिसके समक्ष आप अपने मन की अंतिम परत भी कुरेद कर रख देते हैं। एक सच्चा दोस्त आपके विकसित होने में सहायता करता है। उसका निश्छल प्रेम आपको पोषित करता है। जिसके साथ आप अपनी ऊर्जा व निजता बांटते हैं।

दोस्ती की नवविकसित नन्ही कोंपल को जमाने के प्रदूषण से बचाना जरूरी है। तमाम उम्र इंसान को एक अच्छे दोस्त की तलाश रहती है। इसी तलाश में यह पता चलता है कि दोस्ती का एक रंग नहीं होता। अलग-अलग रंगों से सजी दोस्ती कदम-कदम पर अपना रूप दिखाती है। कई दोस्त दोस्ती की गरिमा के लिए अपना सर्वस्व समर्पित कर देते हैं। अकसर अच्छी दोस्ती को शक की दीमक लग जाती है जो अन्तत: उसे खोखला कर के छोड़ती है।

दोस्तों, शक दोस्ती का दुश्मन है
अपने दिल में इसे घर बनाने न दो
कल तड़पना पड़े याद में जिनकी
रोक लो रूठकर उनको जाने न दो...

दोस्ती, उस गठरी के समान होती है जिसमें बंधी होती है ढेर सारी बातें, गहरे रिश्ते और खूबसूरत अहसास। इस गठरी को तुरंत खोलना चाहिए। वरना वे बातें, जो तह कर रखी हैं, वे रिश्ते, जो सिलवटों से भर गए हैं, और वे अहसास, जो गुड़-मुड़ हो गए हैं, उसमें ही गल सकते हैं, फट सकते हैं, सड़ सकते हैं। इस गठरी को मिलन सूर्य की गुनगुनी धूप में खोल कर फैलाया जाए। जैसे ही नमी दूर होगी खिल उठेगीं ढेर सारी बातें, रिश्ते और अहसास।

वॉशिंगटन अर्विंग ने कहा है - सच्ची दोस्ती कभी व्यर्थ नहीं जाती, यदि उसे प्रतिदान नहीं मिलता तो वह लौट आती है और दिल को कोमल और पवित्र बनाती है।

एक मीठी-सी कविता दोस्ती के नाम-

दोस्ती, खुशी का मीठा दरिया है
जो आमंत्रित करता है हमें
'आओ, खूब नहाओ,
हंसी-खुशी की
मौज-मस्ती की
शंख-सीपियां
जेबों में भरकर ले जाओ!
आओ, मुझमें डुबकी लगाओ,
गोता लगाओ
खूब नहाओ
प्यार का मीठा पानी,
हाथों में भरकर ले जाओ...!