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2. मानसून को बुलाने के लिए "बेड़" नाम का एक टोटका भी आजमाया जाता है। विदिशा के एक पठारी कस्बे में किए जाने वाले इस टोटके में ग्रामीण महिलाएं गाजे-बाजे के साथ किसी खेत पर अचानक हमला कर देती हैं। इसके बाद खेत पर काम कर रहे किसी भी किसान को बंधक बना लेती हैं। इसके बाद किसान को गांव में ले जाया जाता है। यहां इस बंधक किसान को दुल्हन की तरह सजाया जाता है। किसान की विदाई पैसे देकर की जाती है।
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4. भोपाल के मालवा अंचल में जीवित व्यक्ति की शवयात्रा निकाली जाती है। बताया जाता है कि अहिल्याबाई होल्कर के समय से जीवित व्यक्तियों की शवयात्रा निकाली जाती है। इसमें कारोबारी और किसान पीछे-पीछे चलते हैं। हाल में ही खरगोन में एक जीवित महिला की शवयात्रा निकाली गई।
5. यूपी, बिहार, उड़ीसा और उत्तरपूर्वी राज्यों में अच्छी बारिश के लिए मेंढ़क-मेंढ़की की शादी करवाई जाती है। यह शादी बाकायदा पूरे हिंदू रीति-रिवाजों से की जाती है। गांव के लोग मेंढ़क और मेंढ़की के घरवालों के रूप में बंट जाते हैं। उड़ीसा में तो मेंढ़कों का नाच तक करवाया जाता है।
6. बुंदेलखंड में ही महिलाएं जंगल में जाकर गाकड (बाटी) बनाती हैं और पूरे परिवार के साथ मिल बांटकर खाती है। पूजा पाठ भी करवाया जाता है।
7. मध्यप्रदेश के कई गांवों में शिवलिंग को पूरी तरह से पानी में डूबोकर रखा जाता है। मान्यता है कि इससे मानसून झूम कर आता है
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