इस ब्लॉग में मेरा उद्देश्य है की हम एक आम नागरिक की समश्या.सभी के सामने रखे ओ चाहे चारित्रिक हो या देश से संबधित हो !आज हम कई धर्मो में कई जातियों में बटे है और इंसानियत कराह रही है, क्या हम धर्र्म और जाति से ऊपर उठकर सोच सकते इस देश के लिए इस भारतीय समाज के लिए ? सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वें भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भाग्भवेत।। !! दुर्भावना रहित सत्य का प्रचार :लेख के तथ्य संदर्भित पुस्तकों और कई वेब साइटों पर आधारित हैं!! Contact No..7089898907
शुक्रवार, 11 मई 2012
!! सेना में देशभक्त मुस्लिम वीरों की कमी क्यों ?
!! 13 माल एवेन्यू: 'महारानी' जैसा ऐश्वर्य मायावती जी का !!
लखनऊ के http://www.jagran.com/news/national-all-facilities-in-mayawati-bunglow-9235420.html 13 माल एवेन्यू के लिए कहा जाता है कि वहां परिंदा भी पर
नहीं मार सकता। अब बंगले की ऐश्वर्य गाथा दीवारों से बाहर आई है। बंगले की
मरम्मत पर 86 करोड़ रुपये खर्च किए गए।
नेता प्रतिपक्ष रहते हुए वर्तमान कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने जो आरटीआई लगाई थी, उसमें मिले जवाब के अनुसार मायावती का यह आवास पांच एकड़ में बना है। पहले यह ढाई एकड़ का ही था लेकिन बाद में बगल के ढाई एकड़ वाले एक और बंगले को इसमें शामिल कर लिया गया। बंगले की मरम्मत का काम वैसे तो 2007 में ही शुरू हो गया था लेकिन अधिकांश काम बसपा शासन के आखिरी वर्ष में हुआ। बंगले की सुरक्षा के लिए गृह विभाग ने क्लोज सर्किट टीवी भी लगवाये। मरम्मत का अधिकांश काम राजकीय निर्माण निगम ने किया।
बंगले की मरम्मत के दौरान बने-बनाये निर्माण को कई-कई बार तोड़ा गया। मुख्य भवन के बाथरूम को ही लगभग एक दर्जन बार तोड़ना पड़ा। कई बार तो कई फेरबदल खुद मायावती ने कराये।
क्या-क्या है इस बंगले में
-मुख्य भवन सिंगल स्टोरी का है जिसमें छह इंटरकनेक्टेड कमरे हैं।
-कारीडोर में कतार से लॉकर, बाहर की ओर एक बरामदा।
-दो खिड़कियां हैं जिसमें बुलेटप्रूफ शीशे, एक खिड़की 15 लाख की।
- 14 कमरों का एक अतिथि कक्ष, फाइव स्टार सुविधाओं से युक्त।
-अतिथि गृह के कमरों में गुलाबी रंग के इटैलियन मार्बल से फ्लोरिंग।
-परिसर में एक मीटिंग हाल, एक सिक्योरिटी रूम, गैरेज
-मायावती और कांशीराम की बीस फुट ऊंची प्रतिमा।
-संगमरमर के पांच हाथी
पहले 'स्पीकर हाउस' था 13 माल एवेन्यू
लखनऊ [जाब्यू] रिकार्ड बताते हैं कि पहले 13 माल एवेन्यू स्पीकर हाउस के रूप में जाना जाता था। लंबे समय तक यह कांग्रेस के नेता स्व. बल्देव सिंह आर्य के कब्जे में रहा जो यूपी की पहली विधानसभा 1952 में मंत्री रहे। मायावती को यह 1995 में मिला जब वे पहली बार प्रदेश की मुख्यमंत्री हुईं। 2007 में जब वे चौथी बार मुख्यमंत्री तो हुईं तो उन्होंने इस बंगले के विस्तार का फैसला लिया।
पूरे मामले की जांच कराई जाएगी : राजेंद्र चौधरी
लखनऊ [जाब्यू]। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बंगले की मरम्मत के लिए 86 करोड़ रुपये खर्च किए का मामला सामने आने के बाद समाजवादी पार्टी ने मुद्दे का रूप देने की कोशिश शुरू कर दी है। पार्टी इस प्रकरण के बहाने मायावती पर दोतरफा चोट करना चाहती है। ऐशो-आराम, शानो-शौकत व महारानी जैसी जीवनचर्या के बहाने उसकी कोशिश मायावती की 'दलित की बेटी' की छवि को प्रभावित करने की है तो दूसरी ओर उसकी कोशिश पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच शुरू करने का ऐसा रास्ता तलाशने की है कि बदले की भावना से काम करने का आरोप न लगा सके। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने सीधे तौर पर मायावती के रहन-सहन पर ही चोट की है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ने यह जरूर कहा है कि बदले की भावना से प्रदेश में काम नहीं होगा लेकिन भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहा है, उसे दंड मिलेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जो लूट मचाई है, उसका हिसाब ही नहीं लिया जाएगा, बल्कि वसूली भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता के साथ छल करना किसी भी मुख्यमंत्री के लिए निंदनीय है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने जनहित में ली गई संविधान की शपथ को तोड़ा है। चौधरी ने कहा है कि इस पूरे मामले की जांच होगी।
उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि निकट भविष्य में मायावती शासन के कुछ और कार्यो की जांच भी कराई जा सकती है। मायावती के किसी भी कामकाज पर हमला करने का मौका न चूकने वाली कांग्रेस और भाजपा ने अलबत्ता इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
नेता प्रतिपक्ष रहते हुए वर्तमान कैबिनेट मंत्री शिवपाल सिंह यादव ने जो आरटीआई लगाई थी, उसमें मिले जवाब के अनुसार मायावती का यह आवास पांच एकड़ में बना है। पहले यह ढाई एकड़ का ही था लेकिन बाद में बगल के ढाई एकड़ वाले एक और बंगले को इसमें शामिल कर लिया गया। बंगले की मरम्मत का काम वैसे तो 2007 में ही शुरू हो गया था लेकिन अधिकांश काम बसपा शासन के आखिरी वर्ष में हुआ। बंगले की सुरक्षा के लिए गृह विभाग ने क्लोज सर्किट टीवी भी लगवाये। मरम्मत का अधिकांश काम राजकीय निर्माण निगम ने किया।
बंगले की मरम्मत के दौरान बने-बनाये निर्माण को कई-कई बार तोड़ा गया। मुख्य भवन के बाथरूम को ही लगभग एक दर्जन बार तोड़ना पड़ा। कई बार तो कई फेरबदल खुद मायावती ने कराये।
क्या-क्या है इस बंगले में
-मुख्य भवन सिंगल स्टोरी का है जिसमें छह इंटरकनेक्टेड कमरे हैं।
-कारीडोर में कतार से लॉकर, बाहर की ओर एक बरामदा।
-दो खिड़कियां हैं जिसमें बुलेटप्रूफ शीशे, एक खिड़की 15 लाख की।
- 14 कमरों का एक अतिथि कक्ष, फाइव स्टार सुविधाओं से युक्त।
-अतिथि गृह के कमरों में गुलाबी रंग के इटैलियन मार्बल से फ्लोरिंग।
-परिसर में एक मीटिंग हाल, एक सिक्योरिटी रूम, गैरेज
-मायावती और कांशीराम की बीस फुट ऊंची प्रतिमा।
-संगमरमर के पांच हाथी
पहले 'स्पीकर हाउस' था 13 माल एवेन्यू
लखनऊ [जाब्यू] रिकार्ड बताते हैं कि पहले 13 माल एवेन्यू स्पीकर हाउस के रूप में जाना जाता था। लंबे समय तक यह कांग्रेस के नेता स्व. बल्देव सिंह आर्य के कब्जे में रहा जो यूपी की पहली विधानसभा 1952 में मंत्री रहे। मायावती को यह 1995 में मिला जब वे पहली बार प्रदेश की मुख्यमंत्री हुईं। 2007 में जब वे चौथी बार मुख्यमंत्री तो हुईं तो उन्होंने इस बंगले के विस्तार का फैसला लिया।
पूरे मामले की जांच कराई जाएगी : राजेंद्र चौधरी
लखनऊ [जाब्यू]। पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के बंगले की मरम्मत के लिए 86 करोड़ रुपये खर्च किए का मामला सामने आने के बाद समाजवादी पार्टी ने मुद्दे का रूप देने की कोशिश शुरू कर दी है। पार्टी इस प्रकरण के बहाने मायावती पर दोतरफा चोट करना चाहती है। ऐशो-आराम, शानो-शौकत व महारानी जैसी जीवनचर्या के बहाने उसकी कोशिश मायावती की 'दलित की बेटी' की छवि को प्रभावित करने की है तो दूसरी ओर उसकी कोशिश पूर्व मुख्यमंत्री के खिलाफ जांच शुरू करने का ऐसा रास्ता तलाशने की है कि बदले की भावना से काम करने का आरोप न लगा सके। पार्टी के प्रदेश प्रवक्ता राजेंद्र चौधरी ने सीधे तौर पर मायावती के रहन-सहन पर ही चोट की है। उन्होंने कहा मुख्यमंत्री ने यह जरूर कहा है कि बदले की भावना से प्रदेश में काम नहीं होगा लेकिन भ्रष्टाचार को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। जो भ्रष्टाचार में लिप्त रहा है, उसे दंड मिलेगा। पूर्व मुख्यमंत्री ने प्रदेश में जो लूट मचाई है, उसका हिसाब ही नहीं लिया जाएगा, बल्कि वसूली भी की जाएगी। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र में जनता के साथ छल करना किसी भी मुख्यमंत्री के लिए निंदनीय है।
पूर्व मुख्यमंत्री ने जनहित में ली गई संविधान की शपथ को तोड़ा है। चौधरी ने कहा है कि इस पूरे मामले की जांच होगी।
उन्होंने यह भी संकेत दिया है कि निकट भविष्य में मायावती शासन के कुछ और कार्यो की जांच भी कराई जा सकती है। मायावती के किसी भी कामकाज पर हमला करने का मौका न चूकने वाली कांग्रेस और भाजपा ने अलबत्ता इस मामले में चुप्पी साध रखी है।
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