अंग्रेजी नव वर्ष 2012 आ गया; पुराना अंग्रेजी वर्ष 2011 चला गया। इस समय समाचारों में लोगों का उत्साह दिखाया जा रहा है। घर के कमरे में बैठे-बैठे हमें यहां रीवा मध्यप्रदेश (क्योकि मैं ३१ दिसंबर २०११ को रीवा में ही था) में खुशी में फोड़े जा रहे पटाखों और डी.जे.का शोर सुनाई दे रहा है थिरकते हुआ युवा दिखाई दे रहे थे। मैं लोगों की खुशी को कम नहीं करना चाहता हु ,और हमारे कम करने से होगी भी नहीं।
कई सवाल बहुत पहले से मेरे मन में नये वर्ष के आने पर, लोगों के अति-उत्साह को देखकर उठते थे कि इतनी खुशी, उल्लास किसलिए ? पटाखों का फोड़ना किसलिए? रात-रात भर पार्टियों का आयोजन और हजारों-लाखों रुपयों की बर्बादी किसलिए? कहीं इस कारण से तो नहीं कि इस वर्ष हम आतंकवाद की चपेट में नहीं आये? कहीं इस कारण तो नहीं कि हम किसी दुर्घटना के शिकार नहीं हुए? कहीं इस कारण तो नहीं कि हमें पूरे वर्ष सम्पन्नता, सुख मिलता रहा?
इसके बाद भी अंग्रेजी नववर्ष के आने से यह एहसास हो रहा है कि बुरे दिन अंग्रेजी वर्ष 2011 के साथ चले गये हैं और अंग्रेजी नववर्ष अपने साथ बहुत कुछ नया लेकर ही आयेगा। देशवासियों को सुख-समृद्धि-सफलता-सुरक्षा आदि-आदि सब कुछ मिले। संसाधनों की उपलब्धता रहे, आवश्यकताओं की पूर्ति होती रहे।
कामना यह भी है कि इस वर्ष में बच्चियां अजन्मी न रहें; कामना यह भी है कि महिलाओं को खौफ के साये में न जीना पड़े; कामना यह भी है कैरियर के दबाव में हमारे नौनिहालों को मौत को गले लगाने को मजबूर न होना पड़े; कामना यह भी कि कृषि प्रधान देश में किसानों को आत्महत्या करने जैसे कदम न उठाने पड़ें; कामना यह भी कि भ्रष्टाचारियों की कोई नई नस्ल पैदा न होने पाये और पुरानी नस्ल का विकास न होने पाये....कितना-कितना है कामना करने के लिए....नये वर्ष के साथ होने के लिए।
आइये चन्द लम्हों के आयोजन में हजारों-लाखों रुपयों की बर्बादी कर देने के साथ-साथ इस पर भी विचार करें। इस विचार के साथ ही आप सभी को नव वर्ष की शुभकामनायें...कामना है कि आप सभी को ये वर्ष 2012 सुख-सम्पदा-सुरक्षा-सम्पन्नता-सुकून से भरा मिले।
पर एक बात आज तक समझ नहीं आई की हमारे युवा वर्ग को क्या हिन्दू नववर्ष की भी जानकारी है क्या ? हम अंग्रेजियत में सब कुछ भूलते जा रहे है क्या ? हिन्दू नव वर्ष में इतनी खुसिया क्यों नहीं मनाते ? क्या हमें हिन्दू महीनो की जानकारी है क्या ? यदि जानकारी है तो खुसी की बात है नहीं है तो यह जानकारी आपके लिए है ............
मार्च-अप्रैल -- चैत्र(चैत)
अप्रैल-मई -- वैशाख(वैसाख)
मई-जून -- ज्येष्ठ(जेठ)
जून-जुलाई -- आषाढ़(आसाढ़)
जुलाई-अगस्त -- श्रावण(सावन)
अगस्त-सितम्बर -- भाद्रपद(भादो)
सितम्बर-अक्टूबर -- अश्विन(क्वार)
अक्टूबर-नवम्बर -- कार्तिक(कातिक)
नवम्बर-दिसम्बर -- मार्गशीर्ष(अगहन)
दिसम्बर-जनवरी -- पौष(पूस)
जनवरी-फरवरी -- माघ
फरवरी-मार्च -- फाल्गुन(फागुन)
अप्रैल-मई -- वैशाख(वैसाख)
मई-जून -- ज्येष्ठ(जेठ)
जून-जुलाई -- आषाढ़(आसाढ़)
जुलाई-अगस्त -- श्रावण(सावन)
अगस्त-सितम्बर -- भाद्रपद(भादो)
सितम्बर-अक्टूबर -- अश्विन(क्वार)
अक्टूबर-नवम्बर -- कार्तिक(कातिक)
नवम्बर-दिसम्बर -- मार्गशीर्ष(अगहन)
दिसम्बर-जनवरी -- पौष(पूस)
जनवरी-फरवरी -- माघ
फरवरी-मार्च -- फाल्गुन(फागुन)
तो फिर हम संकल्प ले की हिन्दू नववर्ष को भी उसी धूम -धमाके के साथ मनाये ,,,,,,