लोकतंत्र से पहले और बाद में भदरी रियासत (कुंडा ,जिला प्रतापगढ़ ,उत्तर प्रदेश)....
कुंडा(भदरी) वस्तुतः प्रतापगढ़(अवध) की एक रियासत थी ,और स्वतंत्रता आन्दोलन में भी कालाकांकर और भदरी रियासतों का जिक्र आता है !कालाकांकर (प्रतापगढ़) से ही देश का पहला हिंदी दैनिक 'हिन्दुस्थान' के नाम से 'महामना मदन मोहन मालवीय' के सम्पादकत्व में उस इस रियासत द्वारा निकाला गया था !ज्ञात हो की कालाकांकर रियासत की वर्तमान 'राजकुमारी रत्ना सिंह ' इस समय प्रतापगढ़ से सांसद हैं कांग्रेस पार्टी से !! जबकि भदरी रियासत(कुंडा) के तत्कालीन 'महाराज बजरंग बहादुर सिंह' स्वयं स्वतंत्रता सेनानी थे !वे पंतनगर कृषि विश्वविध्यालय के संस्थापक सदस्य तथा उसके प्रथम कुलपति भी थे !महाराजा बजरंग बहादुर सिंह को हिमाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल होने का भी गौरव प्राप्त है !जहा आजादी के पहले से आज तक नेहरु-गाँधी परिवार से कालाकांकर रियासत के सम्बन्ध आज भी अच्छे बने हुए है वही आजादी के कुछ समय बाद ही भदरी रियासत के सम्बन्ध बिगड़ गए थे कांग्रेस परिवार से !महाराज बजरंग बहादुर के पुत्र हैं 'राजा उदय प्रताप सिंह' और उनके समय तक भदरी रियासत के कांग्रेस पार्टी से सम्बन्ध बहुत ज्यादा खराब हो गए थे यहाँ तक की इंदिरा गाँधी के समय राजा उदय प्रताप सिंह ने भदरी को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया था जिसके फलस्वरूप इंदिरा गाँधी ने सेना भेजी थी कुंडा उनके खिलाफ !
.......सन 1969 को राजा उदय प्रताप सिंह के पुत्र और भदरी रियासत के कुंवर 'रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ तूफ़ान सिंह उर्फ़ राजा भैया'' का जन्म हुआ ,उस समय भी प्रतापगढ़ राजनीतिक उथल-पुथल का केंद्र बना हुआ था !'राजा भैया' ने अंपनी उच्च शिक्षा 'लखनऊ विश्वविध्यालय' से पूरी की और सन 1993 में मात्र 26 साल की आयु में कुंडा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया ,उस समय तक कुंडा विधानसभा में कांग्रेस के विधायक 'नियाज हसन' जो की 1962 से 1989 तक विधायक चुने जाते रहे थे का परचम लहराता था !'राजा भैया' ने उस चुनाव में 'नियाज हसन' को भारी मतों से न सिर्फ पराजित किया बल्कि उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के विधायक होने का गौरव भी प्राप्त किया ,तब से लेकर अभी तक वे लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक बनने वाले पहले व्यक्ति है उत्तर प्रदेश के !२०१२ के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड भी 'राजा भैया' के ही नाम है !'राजा भैया' निर्दलीय विधायक के रूप में कई बार विभिन्न पार्टियों की सरकार में मंत्री भी रहे हैं ,कुंडा में एक कहावत आम है की 'राजा भैया का सिर्फ नाम की काफी ही काफी है सामने वाले की जमानत जब्त करने के लिए' !
.....एक और महत्वपूर्ण बात की राजा भैया की शख्सियत ,हैसियत और प्रसिद्धि के पीछे उनके पिता महाराज उदय प्रताप सिंह का महवपूर्ण योगदान है !भदरी रियासत के बारे में कई किवदंतिया भी प्रचलित हैं जो की इतिहास के पन्नो में दर्ज है !
....नोट:-- ये लेख मैंने कुछ लेखो को पढने तथा अपने द्वारा जुटाई गयी जानकारी के आधार पे लिखा है ,यदि किसी को कोई आपत्ति हो वो मुझसे वार्तालाप कर सकता है !
.सौ.से.-अखंड प्रताप सिंह रैकवार !
!! आपको बहुत बहुत धन्यवाद अखंड जी सुन्दर जानकारी देने के लिए ..!
कुंडा(भदरी) वस्तुतः प्रतापगढ़(अवध) की एक रियासत थी ,और स्वतंत्रता आन्दोलन में भी कालाकांकर और भदरी रियासतों का जिक्र आता है !कालाकांकर (प्रतापगढ़) से ही देश का पहला हिंदी दैनिक 'हिन्दुस्थान' के नाम से 'महामना मदन मोहन मालवीय' के सम्पादकत्व में उस इस रियासत द्वारा निकाला गया था !ज्ञात हो की कालाकांकर रियासत की वर्तमान 'राजकुमारी रत्ना सिंह ' इस समय प्रतापगढ़ से सांसद हैं कांग्रेस पार्टी से !! जबकि भदरी रियासत(कुंडा) के तत्कालीन 'महाराज बजरंग बहादुर सिंह' स्वयं स्वतंत्रता सेनानी थे !वे पंतनगर कृषि विश्वविध्यालय के संस्थापक सदस्य तथा उसके प्रथम कुलपति भी थे !महाराजा बजरंग बहादुर सिंह को हिमाचल प्रदेश के पहले राज्यपाल होने का भी गौरव प्राप्त है !जहा आजादी के पहले से आज तक नेहरु-गाँधी परिवार से कालाकांकर रियासत के सम्बन्ध आज भी अच्छे बने हुए है वही आजादी के कुछ समय बाद ही भदरी रियासत के सम्बन्ध बिगड़ गए थे कांग्रेस परिवार से !महाराज बजरंग बहादुर के पुत्र हैं 'राजा उदय प्रताप सिंह' और उनके समय तक भदरी रियासत के कांग्रेस पार्टी से सम्बन्ध बहुत ज्यादा खराब हो गए थे यहाँ तक की इंदिरा गाँधी के समय राजा उदय प्रताप सिंह ने भदरी को स्वतंत्र राज्य घोषित कर दिया था जिसके फलस्वरूप इंदिरा गाँधी ने सेना भेजी थी कुंडा उनके खिलाफ !
.......सन 1969 को राजा उदय प्रताप सिंह के पुत्र और भदरी रियासत के कुंवर 'रघुराज प्रताप सिंह उर्फ़ तूफ़ान सिंह उर्फ़ राजा भैया'' का जन्म हुआ ,उस समय भी प्रतापगढ़ राजनीतिक उथल-पुथल का केंद्र बना हुआ था !'राजा भैया' ने अंपनी उच्च शिक्षा 'लखनऊ विश्वविध्यालय' से पूरी की और सन 1993 में मात्र 26 साल की आयु में कुंडा विधानसभा से निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में चुनाव लड़ने का ऐलान किया ,उस समय तक कुंडा विधानसभा में कांग्रेस के विधायक 'नियाज हसन' जो की 1962 से 1989 तक विधायक चुने जाते रहे थे का परचम लहराता था !'राजा भैया' ने उस चुनाव में 'नियाज हसन' को भारी मतों से न सिर्फ पराजित किया बल्कि उत्तर प्रदेश के सबसे कम उम्र के विधायक होने का गौरव भी प्राप्त किया ,तब से लेकर अभी तक वे लगातार पांच बार निर्दलीय विधायक बनने वाले पहले व्यक्ति है उत्तर प्रदेश के !२०१२ के विधानसभा चुनाव में सबसे ज्यादा वोटों से जीतने का रिकॉर्ड भी 'राजा भैया' के ही नाम है !'राजा भैया' निर्दलीय विधायक के रूप में कई बार विभिन्न पार्टियों की सरकार में मंत्री भी रहे हैं ,कुंडा में एक कहावत आम है की 'राजा भैया का सिर्फ नाम की काफी ही काफी है सामने वाले की जमानत जब्त करने के लिए' !
.....एक और महत्वपूर्ण बात की राजा भैया की शख्सियत ,हैसियत और प्रसिद्धि के पीछे उनके पिता महाराज उदय प्रताप सिंह का महवपूर्ण योगदान है !भदरी रियासत के बारे में कई किवदंतिया भी प्रचलित हैं जो की इतिहास के पन्नो में दर्ज है !
....नोट:-- ये लेख मैंने कुछ लेखो को पढने तथा अपने द्वारा जुटाई गयी जानकारी के आधार पे लिखा है ,यदि किसी को कोई आपत्ति हो वो मुझसे वार्तालाप कर सकता है !
.सौ.से.-अखंड प्रताप सिंह रैकवार !
!! आपको बहुत बहुत धन्यवाद अखंड जी सुन्दर जानकारी देने के लिए ..!