रविवार, 30 अप्रैल 2023

पेशवा बाजीराव के वंशज मुसलमान हैं क्या ??

फेसबुक पर भ्रम फैलाया जा रहा है कि पेशवा बाजीराव के वंशज मुसलमान हैं । पेशवा बाजीराव की दो पत्नियां थीं काशीबाई और मस्तानी । मस्तानी महाराज छत्रसाल की पर्सियन रखैल से उत्पन्न एक अद्वितीय  सुंदर कन्या थी जिसे महाराज छत्रसाल ने भेंट स्वरूप पेशवा को प्रदान किया था । पेशवा बाजीराव के पुत्र बाला जी राव, जनार्दन राव, रघुनाथ राव और शमशेर बहादुर थे । बाला जी राव, रघुनाथ राव और जनार्दन राव काशीबाई के पुत्र थे,  पहले दो आगे चल कर पेशवा भी बने । शमशेर बहादुर का जन्म मस्तानी से हुआ था, जिन का पालन पोषण हिन्दू की तरह ही हुआ पर तत्कालीन परिस्थितियों में पुना के ब्रह्मण समाज ने  उनका यज्ञोपवीत नहीं होने दिया और वह शमसेर बहादुर बनकर ही रहे । बांदा की रियासत उन्ही के वंशजों के पास रही । शमशेर बहादुर का यज्ञोपवीत कराकर उन्हें हिन्दू बनाने या न बनाने पर तर्क वितर्क हो सकता है पर उनके सभी वंशजों को मुसलमान कहना  बालाजी राव , जनार्दन राव और रघुनाथ राव का अपमान है । 

 वैसे शास्त्रों की व्यवस्था अनुरूप ब्राह्मण यदि चतुर्थ वर्ण या म्लेच्छ कन्या से विवाह करकर संतानोपत्ति करता है तो वह संतान यज्ञोपवीत की अधिकारी नहीं होती है । वैसे मस्तानी भी पूर्ण म्लेच्छ कन्या नहीं थी क्योंकि उसका जन्म क्षत्रिय पिता से हुआ था । पर पुरोहित  कोई भी धार्मिक कार्य  शास्त्रों के मत अनुरूप करता है, यहां व्यक्तिगत इच्छा का कोई स्थान नहीं है । इसलिए पूना के ब्रह्मण समाज को दोष देना मूर्खता ही होगी । जिनका  एजेंडा सदैव  ब्राह्मणों को दोष देना ही  है  या जिनके लिए यज्ञोपवीत एक धागा मात्र है  उनके लिए यह  घटना भी ब्राह्मणों को गरियाने का एक अवसर है । पर यदि पूर्ण अवलोकन करें तो इतिहास में यह अवसर एक धार्मिक विमर्श का था । जहां सभी  शंकराचार्य, रामानुजाचार्य और अन्य बड़े विद्वानों द्वारा विमर्श करके जनित परिस्थिति को देखते हुए समयानुकुल शास्त्रोचित हल निकालना था जो कि आगे के लिए भी शास्त्रसम्मत मार्ग बनता। पेशवा बाजीराव यह करवाने में सक्षम भी थे पर निरंतर युद्धरत होने के कारण संभवतः यह हो न सका । 

इतिहास पूर्व में हुई गलतियों से सीख लेने के लिए भी पढ़ा जाता है । आज इस तरह के तमाम मामले समाज के सामने हैं । इन विषयों पर सभी धर्माचार्यों की धर्म सभा आयोजित करके एक समग्र राय क्यों नहीं बनाई जाती है ?  हिन्दू संगठन  इस विषय पर विमर्श करवाने का बीड़ा क्यों नहीं उठाते हैं ?  इतना बड़ा विषय गांव मुहल्ले के सामान्य पुरोहित के जिम्मे कैसे छोड़ सकते हैं ? वह बेचारे तो हमेशा की तरह शास्त्र मर्यादा का पालन ही करेंगे और गाली भी खायेंगे । पुरोहितों को इस विषय पर गाली देने वालों को आगे आकर इस विमर्श की व्यवस्था स्थापित करनी चाहते ।

बुधवार, 19 अप्रैल 2023

फिर भी लड़ा ठाकुर....

कभी क़ासिम तो कभी गजनी तो कभी गोरी से,कभी तैमूर से भिड़ा  ठाकुर (राजपूत) ।
हार तो तय थी...फिर भी लड़ा ठाकुर ।

हारना ही था उसे , फिर भी वो अकेला लड़ा था ठाकुर ।
क्या ये जन्मभूमि  हम सभी की  नहीं थी ?
 फिर क्यों अकेला लड़ा ठाकुर ?

भार्या सती हुई ,बच्चे हुए अनाथ । हिन्दू तो बचा पर , भरी जवानी में मरा ठाकुर ।

सदियों से रक्त दे माटी को सींचा,जन,जन्मभूमि और धर्म की वेदी पर बार बार मिटा ठाकुर ।

मौत होती तो भी लड़ लेता, पर...अपनों की घृणा से ..अब सहमा ठाकुर ।

जिनके लिए सब कुछ खोया , क्यों उनकी ही नज़रों में बुरा हुआ ठाकुर ?
फ़िल्मों का ठाकुर ।
कहानियों-क़िस्सों का ठाकुर ।
कविताओं का ठाकुर ।

जब दुबक बैठे थे घरों में सब तमाशबीन,तब पीढियां दर पीढियां युद्धभूमि में बलिदान कर रहा था ठाकुर ।

आज बुद्धिजीवी पानी पी पीकर बरगलाते और कोसते
कि ....
आखिर कौन है ये ठाकुर..?

कौन बताए उन्हें कि "केशरिया बाना लेकरके,मूंछों पर तांव देकर मौत को गले लगाने वाला जांबाज ही था ठाकुर ।।
ठाकुर का दुर्भाग्य ?
😥😥😥
#NSB