मंगलवार, 28 जनवरी 2014

राहुल गांधी और टाइम्स नॉउ के अरनब गोस्वामी से टीवी इंटरव्यू

आजादी के बाद देश में सबसे ज्यादा समय तक राज करने वाली कांग्रेसी सरकारों की 'ऐतिहासिक भूलों' से लेकर मौजूदा 'पॉलिटिकल सिनेरिओ' पर राहुल ने टाइम्स नॉउ के एडिटर इन चीफ अरनब गोस्वामी से अपने पहले टीवी इंटरव्यू में खुलकर बात की । पेश हैं, इस खास इंटरव्यू के चुनिंदा अंश:-

अरनब: राहुल, आपका बहुत धन्यवाद। सांसद के तौर पर आपको 10 साल हो गए हैं, आपने पहला चुनाव 2004 में लड़ा था और यह आपका पहला इंटरव्यू है।

राहुल: यह मेरा पहला इंटरव्यू नहीं है, हां इस तरह अनौपचारिक तौर पर पहली बार इंटरव्यू दे रहा हूं।

अरनब: इतनी देर क्यों लग गई।

राहुल : मैंने इससे पहले भी थोड़ा मीडिया इंटरेक्शन किया है, प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं और बातचीत भी की है। लेकिन मेरा जोर खासतौर पर पार्टी के अंदरूनी काम पर रहा है और इसी काम में मेरी ज्यादा एनर्जी लगी।

अरनब: या फिर आप सीधे किसी के साथ बातचीत करने से हिचकते रहे हैं।

राहुल: बिल्कुल नहीं। मैंने कई प्रेस कॉन्फ्रेंस की हैं, ऐसी कोई बात नहीं है।

अरनब: या फिर ऐसा तो नहीं है कि आप कठिन मुद्दों पर बात करने से हिचक रहे थे?

राहुल: मुझे कठिन मुद्दे अच्छे लगते हैं, मैं उनका सामना करना चाहता हूं।

अरनब: राहुल गांधी, पहला पॉइंट तो यह है कि आप प्रधानमंत्री पद के लिए अपनी उम्मीदवारी के सवाल को टालते रहे हैं। मुझे ऐसा लगता है कि राहुल कठिन मुकाबले से डरते हैं?

राहुल: आप अगर कुछ दिन पहले की एआईसीसीसी में मेरी स्पीच को सुनें, तो साफ मुद्दा है कि इस देश में प्रधानमंत्री किस तरह चुना जाता है। यह चयन सांसदों के जरिए होता है। हमारे सिस्टम में सांसद चुने जाते हैं और वे प्रधानमंत्री चुनते हैं। एआईसीसी की स्पीच में मैंने साफ कहा कि अगर कांग्रेस पार्टी मुझे किसी भी जिम्मेदारी के लिए चुनती है तो मैं तैयार हूं। यह इस प्रक्रिया का सम्मान है। चुनाव से पहले ही पीएम उम्मीदवार का ऐलान का मतलब है कि आप सांसदों से पूछे बिना ही अपने प्रधानमंत्री को चुन रहे हैं, और हमारा संविधान ऐसा नहीं कहता।

अरनब: लेकिन आपने पीएम उम्मीदवार का ऐलान 2009 में किया था।

राहुल: हमारे पास सरकार चला रहे पीएम थे और उन्हें बदलने का सवाल ही नहीं था।

अरनब: क्या आप नरेंद्र मोदी का सीधा आमना सामना करने से बच रहे हैं। क्या यह डर है कि कांग्रेस के लिए यह चुनाव बेहतर नहीं लग रहा है और राहुल गांधी को हार का डर है? साथ ही यह सोच भी कि राहुल गांधी चुनौती के हिसाब से तैयार नहीं हो पाए हैं और हार का डर है। इसलिए वह नरेंद्र मोदी के साथ सीधे टकराव से बच रहे हैं? आपको इसका जवाब देना चाहिए।

राहुल: इस सवाल को समझने के लिए आपको यह भी समझना होगा कि राहुल गांधी कौन है और राहुल गांधी के हालात क्या रहे हैं और अगर आप इस बात को समझ पाते हैं तो आपको जवाब मिल जाएगा कि राहुल गांधी को किस बात से डर लगता है और किस बात से नहीं लगता। असली सवाल यह है कि मैं यहां क्यों बैठा हूं? आप एक पत्रकार हो, जब आप छोटे रहे होगे तो आपने सोचा होगा कि मैं कुछ करना चाहता हूं, किसी एक पॉइंट पर आपने जर्नलिस्ट बनने का फैसला किया होगा, आपने ऐसा क्यों किया?

अरनब: इसलिए, क्योंकि मुझे पत्रकार होना अच्छा लगता है। यह मेरे लिए एक प्रफेशनल चैलेंज है। मेरा सवाल है कि आप नरेंद्र मोदी से सीधा आमना-सामना करने से क्यों बच रहे हैं?

राहुल: मैं इसी सवाल का जवाब देने जा रहा हूं, लेकिन मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि जब आप छोटे थे और पत्रकार बनने का फैसला किया तो क्या वजह थी?

अरनब: जब मैंने पत्रकार बनने का फैसला किया तो मैं आधा पत्रकार नहीं बन सकता था। जब एक बार आपने राजनीति में आने का फैसला कर लिया और पार्टी को आप नेतृत्व भी दे रहे हैं तो आप यह आधे मन से नहीं कर सकते हैं। अब मैं आपसे वही सवाल वापस पूछता हूं, नरेंद्र मोदी तो आपको रोज चैलेंज कर रहे हैं?

राहुल: आप मेरे सवाल का सीधा जवाब नहीं दे रहे हैं। लेकिन मैं आपको जवाब देता हूं, जिससे आपको मेरे सोचने के बारे में कुछ झलक मिल पाएगी। जैसे अर्जुन के बारे में कहा जाता है कि उन्हें सिर्फ अपना निशाना दिखाई देता था। आपने मुझसे नरेंद्र मोदी के बारे में पूछा, आप मुझसे कुछ और भी पूछ लो। लेकिन मुझे जो बस एक चीज दिखाई देती है वह यह कि इस देश का सिस्टम बदलना चाहिए। मुझे कुछ और नहीं दिखाई देता, मैं और कुछ नहीं देख सकता। मैं बाकी चीजों के लिए अंधा हूं, क्योंकि मैं अपनों को सिस्टम से तबाह होते हुए देखा है, क्योंकि सिस्टम हमारे लोगों के लिए भेदभाव करता है। मैं आपसे पूछता हूं, आप असम से हैं और मुझे यकीन है कि आप भी अपने कामकाज में सिस्टम का यह भेदभाव महसूस करते होंगे। सिस्टम रोज रोज लोगों को दुख देता है और मैंने इसे महसूस किया है। यह दर्द मैंने अपने पिता के साथ महसूस किया, उन्हें रोज इससे टकराते हुए देखा। इसलिए यह सवाल कि क्या मुझे चुनाव हारने से डर लगता है या मैं नरेंद्र मोदी से डरता हूं, कोई पॉइंट ही नहीं है। मैं यहां एक चीज के लिए हूं, हमारे देश में बहुत ज्यादा ऊर्जा है, किसी भी देश से ज्यादा, हमारे पास अरबों से युवा हैं और यह ऊर्जा फंसी है।

अरनब: मैं आपका ध्यान फिर से अपने सवाल की तरफ लाता हूं। जो आप कह रहे हैं वह मैं समझता हूं। लेकिन सीधे तौर पर लेते हैं, नरेंद्र मोदी आपको शहजादा कहते हैं, इस बारे में आपकी क्या राय है? क्या आपको मोदी से हारने का डर है? राहुल इसका प्लीज सीधा जवाब दीजिए।

राहुल: देश के लाखों युवा यहां के सिस्टम में बदलाव लाना चाहते हैं, राहुल गांधी ये चाहता है कि देश की महिलाओं का सशक्तिकरण हो। हम सुपर पावर बनने की बात करते हैं...

अरनब: मेरा सवाल है कि कांग्रेस के उपाध्यक्ष का बीजेपी के पीएम कैंडिडेट पर क्या नजरिया है।

राहुल: मुझे लगता है कि हम बीजेपी को अगले चुनाव में हरा देंगे।

अरनब: आपके प्रधानमंत्री मोदी पर आरोप लगाते हैं कि उनके दौर में अहमदाबाद की सड़कों पर मासूमों का नरसंहार हुआ। इस पर आपका क्या नजरिया है? क्या आप इससे सहमत हैं।

राहुल: प्रधानमंत्री जो कह रहे हैं, वह एक तथ्य है। गुजरात में दंगे हुए और लोग मारे गए। लेकिन असली सवाल है...

अरनब: लेकिन मोदी कैसे जिम्मेदार?

राहुल: जब वह सीएम थे, तब दंगे हुए।

अरनब: लेकिन मोदी को क्लीन चिट मिल चुकी है। क्या ऐसे में कांग्रेस उन पर हमले जारी रख सकती है?

राहुल: कांग्रेस और बीजेपी अलग सोच पर काम करती है। हमारा बीजेपी पर हमला इस पर आधारित है कि देश को लोकतांत्रिक तरीके से आगे बढ़ना चाहिए। इसमें गांवों का, महिलाओं का युवाओं का सशक्तिकरण जरूरी है।

अरनब: लेकिन नरेंद्र मोदी दंगों के लिए कैसे जिम्मेदार हैं, जब उन्हें दंगों के लिए क्लीनचिट मिल चुकी है?

राहुल: हमारी पार्टी विचारधारा के आधार पर बीजेपी पर हमले कर रही है। हमारी पार्टी का मानना है कि महिलाएं सशक्त हों, लोकतंत्र हर घर तक पहुंचे। बीजेपी की सोच है कि ताकत केंद्रित रहे और कुछ लोग देश को चलाएं।

अरनब: लेकिन नरेंद्र मोदी 2002 के दंगों के लिए कैसे जिम्मेदार हैं, जब उन्हें कोर्ट और एसआईटी से क्लीनचिट मिल चुकी है। इसलिए राहुल जी आप नरेंद्र मोदी को गुजरात दंगों पर निजी तौर पर कैसे घसीट सकते हैं? आपको नहीं लगता कि कांग्रेस की यह रणनीति मूलभूत तौर पर गलत है?

राहुल: हमारी पार्टी की रणनीति साफ है। हमने जो कुछ पिछले पांच-दस सालों में किया है और जैसे लोगों को अधिकार दिए हैं, उसको आप आजादी के आंदोलन से अब तक जोड़ सकते हैं। हमने किसानों को हरित क्रांति दी। लोगों को टेलिकॉम क्रांति दी। सूचना का अधिकार दिया। जो चीजें बंद होती थीं, जिनके बारे में कोई नहीं जानता था। उनके बारे में अब लोग जान सकते हैं।

अरनब: लेकिन आपने मेरे सवाल का जवाब नहीं दिया? गुजरात दंगों पर आपकी पार्टी मोदी को घेरती रही है। और वह कहते हैं कि मुझे कोर्ट से क्लीन चिट मिल चुकी है। मैं आपसे यह पूछ रहा हूं कि कोर्ट से क्लीन चिट के बाद क्या दंगों पर मोदी को घेरने की रणनीति गलत है?

राहुल: प्रधानमंत्री ने दंगों पर अपनी स्थिति रखी है। गुजरात में दंगे हुए। लोग मरे। मोदी उस समय राज्य के मुखिया थे। अब असली विचारधारा की लड़ाई यह है और जिसे हम जीतने जा रहे हैं, वह लोगों के सशक्तिकरण की बात है। गुजरात दंगों पर आपका नजरिया अपनी जगह पर है और यह भी जरूरी है कि जो इनके कसूरवार हैं, उन्हें सजा मिले। लेकिन असली सवाल देश की महिलाओं को ज्यादा अधिकार देने का है। हम अभी सुपरपावर बनने की बात करते हैं। लेकिन जब तक औरतों को हक नहीं मिलेगा, हम आधी सुपर पावर ही रहेंगे। मैं चाहता हूं कि देश के युवा पार्टी में लोकतंत्र को आगे बढ़ाएं। मैं चाहता हूं कि हम सब मिलकर सबको साथ लेते हुए भारत निर्माण करें। मैं चाहता हूं कि हम भारत को दुनिया में मैन्युफैक्चरिंग का केंद्र बनाएं। कम से कम चीन की तरह।

अरनब: आप कहते हैं कि गुजरात दंगों के समय मोदी सत्ता में थे, यूपी में दंगों के दौरान अखिलेश रहे। और 1984 के दंगे के दौरान कांग्रेस सत्ता में थी। आपने अपने भाषण में दादी की मौत और उससे उपजे गुस्से का जिक्र किया था। और आपने कहा था कि गुस्से को काबू में रखकर उसे ताकत बनाना चाहिए। उसके बाद नरेंद्र मोदी ने आपकी खूब आलोचना की थी और कहा था कि वह अपनी दादी की मौत पर तो आंसू बहा रहे हैं, लेकिन क्या 1984 के दंगों में मारे गए लोगों के लिए आंसू बहाए? वह आपको बार-बार शहजादा कहते हैं। मैं आपसे पूछना चाहता हूं कि क्या आपकी पार्टी के लोग 1984 के दंगों में शामिल थे? क्या आप इन दंगों के लिए माफी मांगेंगे जैसे कि मोदी से आप गुजरात दंगों के लिए माफी चाहते हैं?

राहुल: 1977 में हार के बाद हमें कई लोग छोड़कर चले गए। लेकिन सिख समुदाय हमारी दादी के साथ जुड़ा रहा। सिख इस देश के सबसे उद्यमी लोगों में से हैं और मैं उनका सम्मान करता हूं। हमारे पीएम भी सिख हैं। मेरा अपने विरोधियों जैसा नजरिया नहीं है। जिन लोगों ने दादी की हत्या की वे दो लोग थे। मैं पीछे मुड़कर उस गुस्से को नहीं देखता हूं। वह मेरे लिए खत्म हो चुका है।

अरनब: तो फिर आप 84 के दंगों के लिए माफी क्यों नहीं मांगते? 2009 में तो जगदीश टाइटलर कांग्रेसी उम्मीदवार बनने जा रहे थे, जिनकी उम्मीदवारी को मीडिया में उठे विवाद के बाद वापस लेना पड़ा।

राहुल: 1984 के दंगों में मासूम लोग मारे गए थे और उनका मारा जाना बहुत भयानक था, जैसा नहीं होना चाहिए। 1984 और गुजरात दंगों में फर्क यह है कि गुजरात दंगों में सरकार शामिल थी।

अरनब: आप ऐसा कैसे कह सकते हैं? उन्हें क्लीन चिट मिली है।

राहुल: 84 के दंगों के दौरान सरकार दंगे रोकने की कोशिश कर रही थी। मैं तब बच्चा था और मुझे याद है कि सरकार पूरी कोशिश कर रही थी। गुजरात में इसके उलट हुआ। सरकार दंगों को भड़का रही थी। इन दोनों में बहुत फर्क है। मासूम लोगों का मरना कतई सही नहीं है।

अरनब: आरटीआई करप्शन से लड़ने का सबसे बड़ा हथियार है। जैसा कि आपने एआईसीसी की स्पीच में कहा था। आपकी पार्टी के 2008 से 2012 के फंड का 90 फीसदी कैश से आया है। जिसमें से 89.11 फीसदी हिस्सा बेनामी स्रोतो से है। आप अपने घर से शुरुआत क्यों नहीं करते? क्यों कांग्रेस पार्टी के फंड को आरटीआई के तहत नहीं लाते?

राहुल: मुझे लगता है कि राजनीतिक दल अगर ऐसा मानते हैं तो उन्हें आरटीआई के तहत आना चाहिए। मेरा नजरिया है कि ज्यादा खुलापन हो तो अच्छा है। कानून संसद से बनता है। और राजनीतिक दलों को आरटीआई के तहत लाने के लिए ऐसा ही करना होगा। मेरा यह निजी नजरिया है। ...असली सवाल हमारे सिस्टम के अलग-अलग स्तंभों का है। अगर आप किसी एक को आरटीआई में लाते हैं और बाकियों को मसलन जुडिशरी और प्रेस इससे बाहर रहते हैं तो असंतुलन हो सकता है। मैं आरटीआई के दायरे में ज्यादा से ज्यादा चीजों को लाने के पक्ष में हूं और ऐसा करने से असंतुलन नहीं बनेगा।

अरनब: आपकी महाराष्ट्र सरकार ने आदर्श पर बने जुडिशल कमिशन की रिपोर्ट को खारिज कर दिया था। यह सब लोगों के सशक्तिकरण का हिस्सा तो नहीं था। अफसरों को दोषी ठहरा दिया गया, लेकिन नेता बचते दिखे। क्या आप अशोक चव्हाण को बचा रहे हैं?

राहुल: कांग्रेस पार्टी में जब भी भ्रष्टाचार का मामला आता है तो हम एक्शन लेते हैं। हम लोग ही आरटीआई लाए थे, जो भ्रष्टाचार के खिलाफ सबसे बड़ा हथियार है। प्रेस कॉन्फ्रेंस करके मैंने इस मामले में अपनी स्थिति साफ कर दी थी। कांग्रेस पार्टी में जो भी करप्शन का हिस्सा है, सजा दी जाएगी। मैं कहता हूं कि संसद में जो 6 विधेयक फंसे हैं, उन्हें पास किया जाए।

अरनब: लेकिन आपके बोल आपके काम से मेल नहीं खाते राहुल? अशोक चव्हाण की तरह सारे नेता बच जाते हैं। इस मामले में कई एनसीपी के मंत्री भी हैं। अपने फायदे के लिए इन्होंने करगिल के नाम तक का इस्तेमाल किया।

राहुल: मैंने अपनी स्थिति प्रेस के सामने साफ कर दी है। चाहे जो भी हो उस पर कार्रवाई जरूर होगी। हमने अपने मंत्रियों को भी सजा दी है।

अरनब : यह भी आरोप है कि आप बहुत अच्छे इंसान हैं। आप आलोचना से प्रभावित होते हैं। सुब्रमण्यम स्वामी आपकी डिग्री पर सवाल उठाते हैं। वह कहते हैं कि कैंब्रिज में आपकी एमफिल डिग्री की कोई थीसिस ही नहीं है। किसी ने 110 लाख डॉलर हार्वर्ड मेडिकल स्कूल को देकर आपका एडमशिन कराया। उन्होंने आपकी दोनों डिग्रियों पर सवाल उठाए हैं।

राहुल : क्या आप कैंब्रिज में थे?

अरनब : मैं ऑक्सफर्ड में था?

राहुल : लेकिन, आपने कैंब्रिज में भी कुछ वक्त बिताया।

अरनब : मैं कैंब्रिज में कुछ समय के लिए विजिटिंग फेलो था।

राहुल : क्रैंब्रिज में कहां?

अरनब : सिडनी ससेक्स कॉलेज...

राहुल : मैं कैंब्रिज में ट्रिनिटी में था। मैंने एक साल वहां गुजारा और मैंने वहीं एमफिल किया। आप मेरी डिग्री देखना चाहते हैं तो मैं दिखा सकता हूं।

अरनब : क्या आप सुब्रमण्यम स्वामी को डिग्री दिखाना चाहेंगे? क्या आप उन्हें चैलेंज करेंगे?

राहुल : उन्होंने शायद मेरी डिग्री देखी है। मैंने हलफनामे दाखिल किए हैं कि मेरे पास ये डिग्रियां हैं। अगर मैं झूठ बोल रहा हूं तो उन्हें कानूनी प्रक्रिया अपनानी चाहिए। इससे ज्यादा मैं क्या करूं? मैं क्यों उन्हें चैलेंज करूं। वह मेरे परिवार पर 40 साल से हमले कर रहे हैं। मैं क्यों उन्हें चुनौती दूं?

अरनब : क्या आप नरेंद्र मोदी के साथ बहस के लिए तैयार होंगे। अगर वह भी तैयार होते हैं? मैं आपसे सीधा सवाल पूछ रहा हूं। क्यों बड़ी पार्टियों के उम्मीदवारों के बीच सीधी बहस नहीं होनी चाहिए।

राहुल : मैं कांग्रेस पार्टी का ढांचा बनाकर यह बहस ही कर रहा हूं। बहस के लिए आप का स्वागत है। जहां तक मेरा सवाल है तो बहस शुरू हो चुकी है।

अरनब : मैं यह पूछ रहा हूं कि क्या आप तैयार हैं? ताकि मैं मोदी से पूछ सकूं कि वह भी तैयार हैं।

राहुल : आप बहस शुरू करो, लेकिन असली मुद्दा पार्टी मशीनरी है। और हम ही यह कर रहे हैं। हम 15 सीटों पर कांग्रेस कार्यकर्ताओं से उम्मीदवार चुनेंगे। राष्ट्रीय बहस शुरू हो चुकी है। एक तरफ कांग्रेस पार्टी है, जो खुलेपन में विश्वास रखती है और दूसरी तरफ विपक्ष है जो सत्ता को केंद्रित रखता है। यह बहस शुरू हो चुकी है और इसी के बारे में सारा चुनाव है।

अरनब : मोदी कहते हैं कि आपको 60 साल दिए। हमें 60 महीने दो...

राहुल : मेरा जवाब है कि पिछले 10 साल में हमने देश को सबसे तेज आर्थिक तरक्की दी है। हमने किसी भी सरकार से ज्यादा खुला सिस्टम दिया है। हमने मनरेगा, आधार जैसी व्यवस्थाएं दी हैं। कांग्रेस की सरकार 60 साल से है, इसलिए हम इस रफ्तार से तरक्की कर रहे हैं।

अरनब : आम आदमी पार्टी पर आपकी क्या राय है? आपका नजरिया आम आदमी पार्टी की ओर क्यों बढ़ रहा था? अचानक ऐसा क्यों लगता है कि अब आप उनकी आलोचना कर रहे हैं? जब आपने ऐसा कहा था कि कुछ लोग गंजों को भी कंघी बेच देते हैं, तो क्या आप आम आदमी पार्टी की ओर इशारा कर रहे थे?

राहुल : कांग्रेस और मैंने युवाओं के बीच जो काम किया है। उससे पार्टी में नई पीढ़ी आएगी। उम्मीदवार चुनने की प्रक्रिया मजबूत होगी। आम आदमी पार्टी के बारे में मैंने यह कहा कि हम उससे कुछ सीख सकते हैं, किस तरह लोगों तक पहुंचा जाए, यह उनसे समझा जा सकता है। लेकिन कुछ ऐसी भी चीजें हैं, जो उनसे नहीं लेनी चाहिए। हमारे पास कांग्रेस की मजबूत बातें हैं और हम उन पर तीन-चार साल से काम कर रहे हैं। हमारी पार्टी की गहरी जड़ें उसकी सबसे बड़ी ताकत हैं और बदलाव के नाम पर हम उन्हें खत्म नहीं कर सकते।

अरनब : पिछले दिनों चिदंबरम ने कहा कि आम आदमी पार्टी को समर्थन देना जरूरी नहीं था? क्या आप उससे सहमत हैं, क्या आपको लगता है कि आपने गलत किया। कृपया सच्चा जवाब दीजिए।

राहुल : जहां तक मेरा नजरिया है, आप ने दिल्ली में चुनाव जीता और मुझे लगता है कि हमें उनकी मदद करनी चाहिए। हमारी पार्टी को लगा कि उनको अपने को साबित करने का मौका दिया जाना चाहिए। अब हम देख सकते हैं कि वे क्या कर रहे हैं और उन्होंने अपने को किस हद तक साबित किया है।

अरनब : अरविंद केजरीवाल के बारे में आपकी क्या राय है?

राहुल : वह विपक्ष के कई नेताओं की तरह हैं। हमें बतौर कांग्रेस पार्टी तीन चीजें करनी हैं। पहला, हमें खुद को बदलना होगा, ज्यादा युवाओं को लाना होगा और उन्हें जगह देनी होगी। इसके अलावा हमें मैन्युफैक्चरिंग पर जोर देना होगा। हमने नॉर्थ, साउथ, ईस्ट-वेस्ट कॉरिडोर बनाए हैं और भारत को मैन्युफैक्चरिंग सुपर हाउस बनाना होगा।

अरनब : क्या आप आम आदमी पार्टी को एंटी कांग्रेस वोट बैंक काटने के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं?

राहुल : आपका मतलब है कि क्या हम आप को लेकर आए हैं। मुझे लगता है कि आप कांग्रेस की ताकत को कम करके आंक रहे हैं। यह पार्टी अगर ऐसा चाहे तो भी असर नहीं करेगी। कांग्रेस बहुत पावरफुल सिस्टम है और हमें चुनावों में नए चेहरों को लाने की जरूरत है, जो हम करने जा रहे हैं और हम चुनाव जीतेंगे।

अरनब: क्या आप चुनाव जीतेंगे? अगर ऐसा नहीं हुआ तो इसकी पूरी जिम्मेदारी लेंगे?

राहुल: हां हम चुनाव जीतेंगे। अगर नहीं जीते तो पार्टी उपाध्यक्ष होने के नाते मैं इसकी पूरी जिम्मेदारी लूंगा।

मुस्लिम राष्ट्रीय मंच और धारा 370(आरएसएस की मुस्लिम साखा)

आठ दशकों से भी अधिक समय से राष्ट्रीय हित में कार्यरत राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ अपने विरुद्ध किए जाने वाले तमाम दुष्प्रचार के बाद भी राष्ट्र-निर्माण के अपने कार्य में लगा हुआ है | इसी का एक अनुपम उदाहरण सामने आया है आतंकवाद के साये में जी रहे मुस्लिम बहुल कश्मीर के सन्दर्भ में | ज्ञात हो कि संघ से १९५९ से (५२ वर्षों से) जुड़े वरिष्ठ कार्यकर्ता इन्द्रेश कुमार ने कुछ वर्षों पहले घाटी के मुस्लिमों को राष्ट्र की मुख्यधारा में जोड़ने के लिए मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की स्थापना की थी | इन्द्रेश कुमार पंजाब इंजीनियरिंग कॉलेज से मेकेनिकल इंजीनियरिंग में सर्वाधिक अंकों के साथ उत्तीर्ण हुए थे परन्तु १० वर्ष की आयु से ही संघ से जुड़े होने के कारण उनका राष्ट्र-निर्माण में ही स्वयं को समर्पित करने का मन था | उनके घोर साहस एवं सपर्पित कर्मयोग का परिणाम तब भी सामने आया था जब मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ने लगभग १० लाख मुस्लिम लोगों के हस्ताक्षर  गो-हत्या के विरोध में करवा के दिखलाये | मुस्लिम राष्ट्रीय मंच के राष्ट्रीय एकीकरण के इतने बड़े प्रयास को मीडिया ने कभी दिखाने का प्रयास नहीं किया | यदि कभी दिखलाया भी तो इस रूप में जैसे संघ भी तथाकथित राजनैतिक दलों की तरह तुष्टिकरण के खेल खेल रहा है | यहाँ तक कि राष्ट्र को जोड़ने के इस यज्ञ की सफलता से घबराए सत्ताधारी राजनैतिक गठबंधन की सरकार ने मक्का मस्जिद धमाकों के सिलसिले में सीबीआई को भी इन्द्रेश कुमार के पीछे लगा दिया | परन्तु संघ के प्रत्यक्ष योगदान से एवं इन्द्रेश कुमार के सतत प्रयासों से बने इस संगठन का चमत्कार अब छुपाये नहीं छुप रहा |
मुस्लिम राष्ट्रीय मंच विगत ३ माह से “हम हिन्दुस्तानी, कश्मीर हिंदुस्तान का”, नाम से एक सशक्त अभियान चलाये हुए था | इस अभियान के अंतर्गत राष्ट्रवादी मुस्लिमों से मस्जिदों में प्रार्थनाएं की, व्याख्यान आयोजित किए एवं देश भर में सभाएं की | अभियान का समापन इस रविवार को दिल्ली में हुआ जिसमें इतनी सर्दी के बाद भी देश के २३ राज्यों के १७५ जनपदों से आये १० हज़ार राष्ट्रवादी मुस्लिमों ने भाग लिया | समापन समारोह में कश्मीर को शेष भारत से अलग संविधान देने वाली धारा ३७० को स्थायी रूप से समाप्त करने, कश्मीरी युवाओं को रोजगार दिलवाने, एवं पाकिस्तान एवं चीन द्वारा हड़प लिए गए कश्मीर के भूभागों को वापस लेने की मांगें उन १० हज़ार मुस्लिमों द्वारा एक स्वर में उठायी गयी |
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In Eng : RSS' Magic - Kashmiri Muslims call for revoking article 370, taking
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चर्चा का प्रारंभ श्रीनगर के मुहम्मद फारूक ने किया | उन्होंने स्पष्ट कहा कि कश्मीर समस्या की जद धारा ३७० ही है और इसे यथाशीघ्र हटाया जाना चाहिए | उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच ही नहीं, घाटी के आम मुस्लिम भी यही चाहते हैं | उन्होंने सीधे सीधे शेख अब्दुल्ला और जवाहरलाल नेहरु को कश्मीर समस्या के लिए उत्तरदायी ठहराया |
बारामूला से आये मुश्ताक अहमद पीर ने कहा कि अलगाववाद की राजनीति करने से या लाल चौक पर तिरंगा लहर देने से कश्मीर कि समस्याएं हल नहीं होंगी एवं उसके लिए राज्य की प्रगति में बाधक कारणों के उन्मूलन की आवश्यकता है | बशीर अहमद, जिन्होंने अपना मत “भारत माँ की जय” के नारे के साथ देना आरम्भ किया, उन्होंने कहा कि कश्मीर के विस्थापितों को ६ दशक से मत डालने तक का अधिकार नहीं है जो उन्हें मिलना चाहिए | इंजिनियर गुलाम अली जो बक्करवाल समाज से आते हैं, उन्होंने भी शेख अब्दुल्लाह और नेहरु को ही कश्मीर समस्या का दोषी माना | उन्होंने आगे कहा कि कश्मीर के राजनैतिक दलों ने जम्मू के निवासियों के साथ अन्याय किया है | उन्होंने ये भी कहा कि धारा ३७० कुछ स्वार्थी नेताओं के हाथ का खिलौना रही है और इसने कभी जनता का भला नहीं किया | गुलाम अली ने भारतीय संसद को पाकिस्तान और चीन से अपना कश्मीर वापस लेने की उसकी वर्षों पुरानी प्रतिज्ञा को पूरा करने को भी कहा |
कश्मीर से आई हालिमा ने आम लोगों की आर्थिक दशा सुधारने वाले प्रयासों की आवश्यकता पर बल दिया | नजीर मीर, जिन्होंने आतंकवाद में अपने तीन भाई गँवा दिए, उन्होंने आजादी की मांग की भर्त्सना करते हुए कहा कि जब हम पहले ही आज़ाद है तो ऐसी मांग के पीछे क्या औचित्य रह जाता है? मुफ्ती मौलाना अब्दू सामी ने हसरत मोहानी, आंबेडकर एवं रफ़ी अहमद किदवई का नाम लेकर कहा कि ये लोग भी ३७० के विरोध में थे परन्तु नेहरु की जिद के कारण ३७० आई और कश्मीरियों का जीवन बर्बाद कर गयी | तब से अब तक सभी राजनैतिक दलों ने इसका दुरूपयोग भारत के विरोध में ही किया है | उन्होंने मुस्लिम राष्ट्रीय मंच की प्रशंसा की और भरोसा दिलाया कि उनका संगठन इन्द्रेश कुमार के नेतृत्व में काम करता रहेगा |
जमात-ए-हिंद के अध्यक्ष ने इस अवसर पर कहा कि यह अभियान राष्ट्र हित में चलाया गया क्योंकि भारत के सीमावर्ती भागों में स्वाधीनता के इतने वर्ष बाद भी स्थितियाँ विकट हैं | उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच पहला मुस्लिम संगठन है जिसने सीमा सुरक्षा का विषय उठाया है | बंगलूरू से आये अब्बास अली बोहरा ने कहा कि दक्षिण भारत के मुस्लिम कश्मीर के राष्ट्रवादी मुस्लिमों के साथ हैं |
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छत्तीसगढ़ हज समिति के सभापति डॉ. सलीम राज ने कहा कि कांग्रेस ने मुस्लिमों को बदनाम करवाया है | भाजपा अल्पसंख्यक मोर्चा के अध्यक्ष तनवीर अहमद ने कश्मीर समस्या का इतिहास लोगों को स्मरण करवाया | उन्होंने कहा कि जब महाराज हरि सिंह ने २६ अक्टूबर १९४७ को विलय पत्र पर हस्ताक्षर किए तो कश्मीर का भारत में विलय पूर्ण एवं अंतिम था परन्तु नेहरु की हठधर्मिता एवं एकतरफा युद्धविराम और मामले को संयुक्त राष्ट्र में ले जाने के कारण ये समस्या अस्तित्व में आई | उन्होंने रफ़ी अहमद किदवई के कथन का स्मरण करवाया कि कांग्रेस ने कश्मीर की सभ्यता नष्ट कर देने का काम किया है |
दिल्ली के इमरान इस्माइल ने कहा कि वो इन्द्रेश कुमार ही थे जिन्होंने कश्मीरी विधवाओं की विनती पर ७२४ सिलाई मशीनें कश्मीर भिजवाई थी | भूकंप के समय भी उन्होंने ही पीड़ितों को सहायता उपलब्ध करवाई थी जबकि एक भी मुस्लिम नेता सहायता करने आगे नहीं आया था | इमरान ने कड़े शब्दों में इन्द्रेश कुमार को आतंकवादी गतिविधियों से जोड़ने के कांग्रेसी हथकंडों की निंदा की और कहा कि ये लोग भारत के मुस्लिमों को संघ के विरूद्ध भड़काते हैं ताकि डरा दिखा कर वोट लिए जा सकें |
भाजपा के डॉ. डी के जैन ने कहा कि कश्मीर की स्वायत्तता की मांग निराधार है | कांग्रेस और दूसरे दल झूठ पे झूठ फैला कर देश को बांटने के षड़यंत्र कर रहे हैं और संदेह का माहौल देश में पैदा कर रहे हैं | इन्द्रेश कुमार जो कोहरे के कारण ट्रेन के देरी से चलने के कारण सभा में नहीं पहुच पाए, उन्होंने मोबाइल फोन से अपना संबोधन दिया | उन्होंने कहा कि सरकार निर्दोषों को आतंकवादी बनाने का कुत्सित खेल खेल रही है और भारत विरोधी तत्त्व एवं राजनैतिक दल कश्मीर के लोगों को भ्रमित करने का प्रयास कर रहे हैं | उन्होंने कहा कि मुस्लिम राष्ट्रीय मंच शान्ति, सौहार्द एवं आपसी सद्भाव से भरपूर भारत के निर्माण का सात्विक प्रयास है और उन्हें विश्वास है कि यह अवश्य सफल होगा |
एक ओर तमाम तथाकथित धर्मनिरपेक्ष राजनैतिक दल अपनी राजनैतिक रोटियां सेंकने के लिए मुस्लिम समाज को वोट बैंक मान कर उन्हें आरक्षण की अफीम पिलाने में जुटे हैं ताकि समाज को धर्म के नाम पर बाँट सकें | तथाकथित पिछडों के अधिकार की बात करने वाले जातियों में समाज को पहले ही बाँट चुके हैं | वही दूसरी ओर हिंदू-मुस्लिम का भेद मिटा कर मुस्लिमों को राष्ट्र की मुख्यधारा से जोड़ने के प्रयास में एवं जातियों के भेद मिटा कर हिंदू समाज को एक करने में लगे संघ के संगठन जुटे हुए हैं | जो लोग संघ के स्वयंसेवकों से परिचित हैं, अथवा संघ की पचासों अनुसांघिक संस्थाओं में से किसी से जुड़ कर राष्ट्र निर्माण के कार्य में लगे हुए हैं, उनके लिए संघ सम्मान का विषय है | कितनी ही बड़ी संख्या में परिवार होंगे जिनके बच्चे संघ के विद्यालयों में शिक्षा प्राप्त कर राष्ट्र निर्माण में जुटे हैं |
सच्चाई दिखलाना मीडिया का काम होता है, परन्तु जब मीडिया स्वयं कोयले की दलाली में (नीरा राडिया के टेपों में) मुँह काला कर चुका हो, तो राष्ट्रवादी मीडिया की कमी जनता को खलती है | समाज और देश को तोड़ने वाले लोग, वोट बैंक की राजनीति करने वाले लोग, तथाकथित बुद्धिजीवी व मीडिया के लोगों ने मिल कर दुष्प्रचार का जो एक गहरा जाल संघ के इर्द-गिर्द बुना है, भारत की जनता को इसके आर पार देखने की आवश्यकता है |