1942 में द्वितीय विश्व युद्ध छिड़ गया था ... सबसे खराब हालत पोलैंड की थी ..क्योकि पोलैंड ब्रिटेन को जितने के लिए जर्मनी को पोलैंड को जितना जरूरी था ..पोलैंड पर रूस अमेरिका ब्रिटेन और जर्मनी जापान आदि देशो की सेनाओ ने कब्जे के लिए हमला बोल दिया ..
पोलैंड के सैनिको ने अपने 500 महिलाओ और करीब 200 बच्चों को एक शीप में बैठाकर समुद्र में छोड़ दिया ..और कैप्टन से कहा की इन्हें किसी भी देश में ले जाओ ..जहाँ इन्हें शरण मिल सके ..अगर जिन्दगी रही ..हम बचे रहे या ये बचे रहे तो दुबारा मिलेंगे ..
पांच सौ शरणार्थी पोलिस महिलाओ और दो सौ बच्चो से भरा वो जहाज ईरान के इस्फहान बंदरगाह पहुंचा .. वहां किसी को शरण क्या उतरने की अनुमति तक नही मिली .. फिर सेशेल्स .. में भी नही मिली .. फिर अदन में भी अनुमति नही मिली .. अंत में समुद्र में भटकता भटकता वो जहाज गुजरात के जामनगर के तट पर आया ... जामनगर के तत्कालीन महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह ने न सिर्फ पांच सौ महिलाओ बच्चो के लिए अपना एक राजमहल जिसे हवामहल कहते है वो रहने के लिए दिया ..बल्कि अपनी रियासत में बालाचढ़ी में सैनिक स्कुल में उन बच्चों की पढाई लिखाई की व्यस्था की .. ये शरणार्थी जामनगर में कुल नौ साल रहे ..
उन्ही शरणार्थी बच्चो में से एक बच्चा बाद में पोलैंड का प्रधानमंत्री भी बना .. आज भी हर साल उन शरणार्थीयो के वंशज जामनगर आते है और अपने पूर्वजो को याद करते है .. उनके फोटो और नाम सब रखे हुए है ...
पोलैंड की राजधानी वर्साय में चार सडको का नाम महराजा दिग्विजय सिंह रोड है ..उनके नाम पर पोलैंड में कई योजनाये चलती है .. हर साल पोलैंड के अखबारों में महाराजा जाम साहब दिग्विजय सिंह के बारे में आर्टिकल छपता है दया/परहित का दूसरा धर्मनाम " सनातन " भारत वसुधैव कुटुम्बकम वाला देश है, और आज कल हमें ही सहिष्णुता सिखाई जाती है।
अगर यही उपकार किसी मुल्ले पर किया जाता तो वो मुल्ला उसी राजा का राज्य हड़प लेता, और राजा की पुत्री को भागा ले जाता और अंत में राजा की हत्या कर देता जैसा टीपू सुल्तान के बाप हैदर अली ने किया था। ..