सोमवार, 8 अक्तूबर 2012

600 BC इन हिन्दू सनातन धर्म

‎600 ईसा पूर्व तक यानि की उत्तर वैदिक काल तक हिन्दू धर्म में जात पात का कोई नाम नहीं था .............समाज में चार वर्ग होते थे.... ब्राह्मण भी पद था जाति नहीं ...इसी प्रकार से क्षत्रिय भी पद था जिसमे समाज का कोई भी इंसान अपनी सेवा दे सकता था ............. शांतिपूर्वक जीवन निर्वाह की इच्छा रखने वाले मनुष्य शुद्र वर्ग को चुनते थे ...और छोटे छोटे काम करके अपनी आजीविका चलाकर शांतिपूर्वक जीवन जीते थे .....................

इस बात के क्या प्रमाण है की उत्तर वैदिक काल तक कर्म आधारित वर्ण व्यवस्था थी ..............

१. चारो वेद उत्तर वैदिक काल से पहले लिखे गए थ और उनमे कही भी ...जन्म आधारित जातिव्यवस्था का कही वर्णन नहीं मिलता..........(बाकि जिन पाखंडी ग्रंथो में ये जन्म प्रधान जाति आधारित समाज की बात की जाती है ..वे सभी उत्तर वैदिक काल के बहुत बाद में लिखे गए है .................
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२. हिन्दुओ में अधिकतर लोग भूरी चमड़ी के होते है.........ये भूरी चमड़ी आर्यों और मूलनिवासियों के आपसी वैवाहिक संबंधो से उपजी नस्ल है .............. यानि की हिन्दू संस्कृति केवल आर्यों की नहीं बल्कि आर्यों और मूलनिवासियों की साझा संस्कृति थी ................

३.चूँकि उत्तर वैदिक कल तक जाति व्यवस्था नहीं थी ..इसीलिए किसी भी मनुवादी भगवान या यु कहे की विशिष्ठ जाति में जन्म लेने वाले किसी भी देवता का उल्लेख नहीं मिलता है ......................

४. उत्तर वैदिक काल के बाद ही जैन और बुद्ध नामक हिन्दू विरोधी प्रतिक्रिया या धर्म ....उत्तर वैदिक काल के बाद ही पनपी ...........

५. उत्तर वैदिक काल के बाद ही जो जहाँ था वाही रुक गया यनी की जो जिस वर्ग में था उसी में रुक गया ................ उस समय में बहुत से लोगो के रिश्तेदार जो एक ही खून के थे .............अब अलग अलग जातियों में बटे हुए थे ......................

६. छुआ छूट बड़ने लगी ......... जाति पाती का अहंकार लोगो में पनपने लगा .................. मनुवादी ग्रंथो की रचना होने लगी ,अब भगवान की रचना की जाने लगी जो ब्रह्मण या क्षत्रिय वंश में जन्म लेते थे ...............ये काल्पनिक पत्र बहुत लोकप्रिय हो गए .................. ब्रह्मण कषत्रिया और वेश्या वर्ग आमिर बनाने लगा और शुद्रो की स्थति ख़राब होने लगी........................
कहने का मतलब है की हिन्दू धर्म की जो सबसे मजबूत नीव थी वो ..उत्तर वैदिक काल तक बहुत मजबूत थी ................."दलित आक्रोश"