मंगलवार, 29 मई 2018

वीर सावरकर...

एक कल्पना कीजिए... तीस वर्ष का पति जेल की सलाखों के भीतर खड़ा है और बाहर उसकी वह युवा पत्नी खड़ी है, जिसका बच्चा हाल ही में मृत हुआ है...
इस बात की पूरी संभावना है कि अब शायद इस जन्म में इन पति-पत्नी की भेंट न हो. ऐसे कठिन समय पर इन दोनों ने क्या बातचीत की होगी. कल्पना मात्र से आप सिहर उठे ना?? जी हाँ!!! मैं बात कर रहा हूँ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के सबसे चमकते सितारे विनायक दामोदर सावरकर की. यह परिस्थिति उनके जीवन में आई थी, जब अंग्रेजों ने उन्हें कालापानी (Andaman Cellular Jail) की कठोरतम सजा के लिए अंडमान जेल भेजने का निर्णय लिया और उनकी पत्नी उनसे मिलने जेल में आईं.
मजबूत ह्रदय वाले वीर सावरकर (Vinayak Damodar Savarkar) ने अपनी पत्नी से एक ही बात कही... – “तिनके-तीलियाँ बीनना और बटोरना तथा उससे एक घर बनाकर उसमें बाल-बच्चों का पालन-पोषण करना... यदि इसी को परिवार और कर्तव्य कहते हैं तो ऐसा संसार तो कौए और चिड़िया भी बसाते हैं. अपने घर-परिवार-बच्चों के लिए तो सभी काम करते हैं. मैंने अपने देश को अपना परिवार माना है, इसका गर्व कीजिए. इस दुनिया में कुछ भी बोए बिना कुछ उगता नहीं है. धरती से ज्वार की फसल उगानी हो तो उसके कुछ दानों को जमीन में गड़ना ही होता है. वह बीच जमीन में, खेत में जाकर मिलते हैं तभी अगली ज्वार की फसल आती है. यदि हिन्दुस्तान में अच्छे घर निर्माण करना है तो हमें अपना घर कुर्बान करना चाहिए. कोई न कोई मकान ध्वस्त होकर मिट्टी में न मिलेगा, तब तक नए मकान का नवनिर्माण कैसे होगा...”. कल्पना करो कि हमने अपने ही हाथों अपने घर के चूल्हे फोड़ दिए हैं, अपने घर में आग लगा दी है. परन्तु आज का यही धुआँ कल भारत के प्रत्येक घर से स्वर्ण का धुआँ बनकर निकलेगा. यमुनाबाई, बुरा न मानें, मैंने तुम्हें एक ही जन्म में इतना कष्ट दिया है कि “यही पति मुझे जन्म-जन्मांतर तक मिले” ऐसा कैसे कह सकती हो...” यदि अगला जन्म मिला, तो हमारी भेंट होगी... अन्यथा यहीं से विदा लेता हूँ.... (उन दिनों यही माना जाता था, कि जिसे कालापानी की भयंकर सजा मिली वह वहाँ से जीवित वापस नहीं आएगा).
अब सोचिये, इस भीषण परिस्थिति में मात्र 25-26 वर्ष की उस युवा स्त्री ने अपने पति यानी वीर सावरकर से क्या कहा होगा?? यमुनाबाई (अर्थात भाऊराव चिपलूनकर की पुत्री) धीरे से नीचे बैठीं, और जाली में से अपने हाथ अंदर करके उन्होंने सावरकर के पैरों को स्पर्श किया. उन चरणों की धूल अपने मस्तक पर लगाई. सावरकर भी चौंक गए, अंदर से हिल गए... उन्होंने पूछा.... ये क्या करती हो?? अमर क्रांतिकारी की पत्नी ने कहा... “मैं यह चरण अपनी आँखों में बसा लेना चाहती हूँ, ताकि अगले जन्म में कहीं मुझसे चूक न हो जाए. अपने परिवार का पोषण और चिंता करने वाले मैंने बहुत देखे हैं, लेकिन समूचे भारतवर्ष को अपना परिवार मानने वाला व्यक्ति मेरा पति है... इसमें बुरा मानने वाली बात ही क्या है. यदि आप सत्यवान हैं, तो मैं सावित्री हूँ. मेरी तपस्या में इतना बल है, कि मैं यमराज से आपको वापस छीन लाऊँगी. आप चिंता न करें... अपने स्वास्थ्य का ध्यान रखें... हम इसी स्थान पर आपकी प्रतीक्षा कर रहे हैं...”.
क्या जबरदस्त ताकत है... उस युवावस्था में पति को कालापानी की सजा पर ले जाते समय, कितना हिम्मत भरा वार्तालाप है... सचमुच, क्रान्ति की भावना कुछ स्वर्ग से तय होती है, कुछ संस्कारों से. यह हर किसी को नहीं मिलती.
वीर सावरकर को 50 साल की सजा देकर भी अंग्रेज नहीं मिटा सके, लेकिन कांग्रेस व मार्क्सहवादियों ने उन्हें मिटाने की पूरी कोशिश की.. 26 फरवरी 1966 को वह इस दुनिया से प्रस्थाान कर गए। लेकिन इससे केवल 56 वर्ष व दो दिन पहले 24 फरवरी 1910 को उन्हें ब्रिटिश सरकार ने एक नहीं, बल्कि दो-दो जन्मोंो के कारावास की सजा सुनाई थी। उन्हें1 50 वर्ष की सजा सुनाई गई थी। वीर सावरकर भारतीय इतिहास में प्रथम क्रांतिकारी हैं, जिन पर हेग स्थित अंतरराष्ट्री य न्या्यालय में मुकदमा चलाया गया था। उन्हें काले पानी की सजा मिली। कागज व लेखनी से वंचित कर दिए जाने पर उन्हों ने अंडमान जेल की दीवारों को ही कागज और अपने नाखूनों, कीलों व कांटों को अपना पेन बना लिया था, जिसके कारण वह सच्चा ई दबने से बच गई, जिसे न केवल ब्रिटिश, बल्कि आजादी के बाद तथाकथित इतिहासकारों ने भी दबाने का प्रयास किया। पहले ब्रिटिश ने और बाद में कांग्रेसी-वामपंथी इतिहासकारों ने हमारे इतिहास के साथ जो खिलवाड़ किया, उससे पूरे इतिहास में वीर सावरकर अकेले मुठभेड़ करते नजर आते हैं।
भारत का दुर्भाग्यय देखिए, भारत की युवा पीढ़ी यह तक नहीं जानती कि वीर सावरकर को आखिर दो जन्मों के कालापानी की सजा क्यों मिली थी, जबकि हमारे इतिहास की पुस्त कों में तो आजादी की पूरी लड़ाई गांधी-नेहरू के नाम कर दी गई है। तो फिर आपने कभी सोचा कि जब देश को आजाद कराने की पूरी लड़ाई गांधी-नेहरू ने लड़ी तो विनायक दामोदर सावरकर को कालेपानी की सजा क्यों दी गई। उन्होंलने तो भगत सिंह, चंद्रशेखर आजाद और उनके अन्यग क्रांतिकारी साथियों की तरह बम-बंदूक से भी अंग्रेजों पर हमला नहीं किया था तो फिर क्यों उन्हें 50 वर्ष की सजा सुनाई गई थी।
वीर सावरकर की गलती यह थी कि उन्होंंने कलम उठा लिया था और अंग्रेजों के उस झूठ का पर्दाफाश कर दिया, जिसे दबाए रखने में न केवल अंग्रेजों का, बल्कि केवल गांधी-नेहरू को ही असली स्वजतंत्रता सेनानी मानने वालों का भी भला हो रहा था। अंग्रेजों ने 1857 की क्रांति को केवल एक सैनिक विद्रोह करार दिया था, जिसे आज तक वामपंथी इतिहासकार ढो रहे हैं। 1857 की क्रांति की सच्चा्ई को दबाने और फिर कभी ऐसी क्रांति उत्पकन्ना न हो इसके लिए ही अंग्रेजों ने अपने एक अधिकारी ए.ओ.हयूम से 1885 में कांग्रेस की स्थांपना करवाई थी। 1857 की क्रांति को कुचलने की जयंती उस वक्तस ब्रिटेन में हर साल मनाई जाती थी और क्रांतिकारी नाना साहब, रानी लक्ष्मीतबाई, तात्याज टोपे आदि को हत्याथरा व उपद्रवी बताया जाता था। 1857 की 50 वीं वर्षगांठ 1907 ईस्वीो में भी ब्रिटेन में विजय दिवस के रूप मे मनाया जा रहा था, जहां वीर सावरकर 1906 में वकालत की पढ़ाई करने के लिए पहुंचे थे।
सावरकर को रानी लक्ष्मीक बाई, नाना साहब, तात्याा टोपे का अपमान करता नाटक इतना चुभ गया कि उन्होंकने उस क्रांति की सच्चासई तक पहुंचने के लिए भारत संबंधी ब्रिटिश दस्ताोवेजों के भंडार 'इंडिया ऑफिस लाइब्रेरी' और 'ब्रिटिश म्यूतजियम लाइब्रेरी' में प्रवेश पा लिया और लगातार डेढ़ वर्ष तक ब्रिटिश दस्ता वेज व लेखन की खाक छानते रहे। उन दस्तारवेजों के खंघालने के बाद उन्हें पता चला कि 1857 का विद्रोह एक सैनिक विद्रोह नहीं, बल्कि देश का पहला स्वलतंत्रता संग्राम था। इसे उन्हों ने मराठी भाषा में लिखना शुरू किया।
10 मई 1908 को जब फिर से ब्रिटिश 1857 की क्रांति की वर्षगांठ पर लंदन में विजय दिवस मना रहे थे तो वीर सावरकर ने वहां चार पन्ने1 का एक पंपलेट बंटवाया, जिसका शीर्षक था 'ओ मार्टर्स' अर्थात 'ऐ शहीदों'। इपने पंपलेट द्वारा सावरकर ने 1857 को मामूली सैनिक क्रांति बताने वाले अंग्रेजों के उस झूठ से पर्दा हटा दिया, जिसे लगातार 50 वर्षों से जारी रखा गया था। अंग्रेजों की कोशिश थी कि भारतीयों को कभी 1857 की पूरी सच्चारई का पता नहीं चले, अन्यशथा उनमें खुद के लिए गर्व और अंग्रेजों के प्रति घृणा का भाव जग जाएगा।
1910 में सावरकर को लंदन में ही गिरफतार कर लिया गया। सावरकर ने समुद्री सफर से बीच ही भागने की कोशिश की, लेकिन फ्रांस की सीमा में पकड़े गए। इसके कारण उन पर हेग स्थित अंतरराष्ट्रींय अदालत में मुकदमा चला। ब्रिटिश सरकार ने उन पर राष्ट्रअद्रोह का मुकदमा चलाया और कई झूठे आरोप उन पर लाद दिए गए, लेकिन सजा देते वक्तद न्या याधीश ने उनके पंपलेट 'ए शहीदों' का जिक्र भी किया था, जिससे यह साबित होता है कि अंग्रेजों ने उन्हेंन असली सजा उनकी लेखनी के कारण ही दिया था। देशद्रोह के अन्ये आरोप केवल मुकदमे को मजबूत करने के लिए वीर सावरकर पर लादे गए थे।
वीर सावरकर की पुस्ततक '1857 का स्वायतंत्र समर' छपने से पहले की 1909 में प्रतिबंधित कर दी गई। पूरी दुनिया के इतिहास में यह पहली बार था कि कोई पुस्तबक छपने से पहले की बैन कर दी गई हो। पूरी ब्रिटिश खुफिया एजेंसी इसे भारत में पहुंचने से रोकने में जुट गई, लेकिन उसे सफलता नहीं मिल रही थी। इसका पहला संस्केरण हॉलैंड में छपा और वहां से पेरिस होता हुए भारत पहुंचा। इस पुस्ताक से प्रतिबंध 1947 में हटा, लेकिन 1909 में प्रतिबंधित होने से लेकर 1947 में भारत की आजादी मिलने तक अधिकांश भाषाओं में इस पुस्तुक के इतने गुप्ते संस्कदरण निकले कि अंग्रेज थर्रा उठे।
भारत, ब्रिटेन, अमेरिका, फ्रांस, जापान, जर्मनी, पूरा यूरोप अचानक से इस पुस्ताकों के गुप्त, संस्कंरण से जैसे पट गया। एक फ्रांसीसी पत्रकार ई.पिरियोन ने लिखा, ''यह एक महाकाव्यक है, दैवी मंत्रोच्चांर है, देशभक्ति का दिशाबोध है। यह पुस्त क हिंदू-मुस्लिम एकता का संदेश देती है, क्योंचकि महमूद गजनवी के बाद 1857 में ही हिंदुओं और मुसलमानों ने मिलकर समान शत्रु के विरुद्ध युद्ध लड़ा। यह सही अर्थों में राष्ट्रीाय क्रांति थी। इसने सिद्ध कर दिया कि यूरोप के महान राष्ट्रोंद के समान भारत भी राष्ट्रीरय चेतना प्रकट कर सकता है।''
आपको आश्च र्य होगा कि इस पुस्त क पर लेखक का नाम नहीं था..।
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पवन अवस्थी जी के FB वाल से साभार .....

शनिवार, 26 मई 2018

मैं मानता हूँ कांग्रेस में कुछ कमियां थी


🤓 ये सच है कि कुछ घोटाले हुए
🤓 ये सच है कि हिन्दुओ की नही सुनी जाती थी
🤓 ठीक है मानता हूं कि महँगाई बढ़ते बढ़ते 12% से ऊपर चली गई थी
🤓 मैं मानता हूं कि आतंकवादी मजबूत थे
🤓 मैं मानता हूं कि पाकिस्तान और चीन हमारे उपर हावी थे
🤓 मैं मानता हूं कि अलगाववादियों की चलती थी
🤓 मैं ये भी मानता हूँ कि विकास दर एक बार को 4% से भी नीचे आ गई थी
🤓 भगवा आतंकवाद को झूठा प्रचार मिला था
🤓 चलो ये भी मानता हूं कि विदेशों से परमाणु और सैन्य सौदों में दिक्कत थी
🤓 10 साल तक कोई हथियार नही खरीदे गए थे
🤓 मानता हूं कि कालाधन की एक पैरेलेल व्यवस्था से प्रोपर्टी डीलर खुश थे
🤓 कोयला, 2G, कामनवेल्थ में थोड़ा बहुत देश का नुकसान हुआ होगा
🤓 माना कि चीन कभी कभार हमारे यहां घुस आता था
🤓 सेना का मनोबल कम था, मानता हूं सेना को OROP नही दे पाए थे
🤓 आज की तरह 28 किमी की जगह प्रतिदिन 12 किमी हाइवे ही बनते थे
🤓 माना कि 18,000 गावो में बिजली नही थी
🤓 मानता हूं कि लोग खुले में शौच जाते थे
🤓 माना कि PM की नही सुनी जाती थी
🤓 मानता हूं व्यापार घाटा ज्यादा था
🤓 मैं मानता हूं फसल बीमा नही था
🤓 माना कि, होमलोन 11% थे, मकान बनवाना महगां था
🤓 हम मानते है गौहत्या आसान था
🤓 ये भी सही है कि जाकिर नाइक बदमाशी करता था
🤓 बुखारी के अनुसार काम होता रहा होगा
🤓 लोग कभी कभी देशविरोधी नारे लगा लेते थे
🤓 देशद्रोही कभी कभी तिरंगा भी जला लेते थे
🤓 माना कांग्रेस राम मंदिर और हिन्दू विरोधी थी
#लेकिन
ये तो मानना पड़ेगा 🙌
कि 🤔
#कांग्रेस_के_समय_प्लेटफॉर्म_टिकट_मात्र_5_रु_में_था
क्या आप लोग कांग्रेस के देश पर किये अहसान भूल जाओगे....? 🙄
🤗 चीन से पिटे और उसने हमारी जमीन कब्जा की
🤗 कश्मीरी ब्राह्मणों को दिल्ली में सेटल किया
🤗 2 करोड़ बंगलादेशियो को देश मे जॉब दिया
🤗 कश्मीर में आतंकवादियों का शासन स्थापित किया
🤗 सरदारों की जनसंख्या नियंत्रित की
🤗 सिंधु नदी के पानी से पाकिस्तान की फसल लहलहाई
🤗 अफजल गुरु और कसाब को इज्जत बख्शी
🤗 उर्दू को द्वितीय राजभाषा बनाया
🤗 पंचशील सिद्धांत से चीन को काबू में रखा
🤗 शिमला समझौते से पाकिस्तान को पराजित किया
🤗 दामादो को हमेशा सम्मान दिया
🤗 सबसे बड़ा अहसान तो ये किया कि गाँधी वंश परम्परा को मरने नही दिया
अब तो होश में आओ 🙌
अगर प्लेटफॉर्म टिकट 5 रु में चाहते हो तो 🤔
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बोलो
राहुल भैया की जय ...


Avinash Srivastava

2019 में मोदी के दुबारा प्रधानमंत्री बनाने की बजह



👉 मोदी जी ने पूरी दुनिया में हिंदुत्व का डंका बजाया...
👉 सऊदी अरब जैसी इस्लामी कंट्री में मंदिर का निर्माण करवाया...
👉 पूरी दुनिया में भारतीय भाषा "हिंदी" का गौरव बढ़ाने के साथ भारत की प्राचीन भाषा संस्कृत का भी मान सम्मान बढ़ाया...
👉 हजारों ऐसे एनजीओ बंद करवा दिए जो विदेशी चंदे पर देश में हिंदुओ का धर्मांतरण करवाते थे...
👉 पाकिस्तान जैसे आतंकी मुल्क को दुनिया में अलग थलग कर दिया और इस क़दर अलग थलग किया कि कोई भी मुस्लिम कंट्री पाकिस्तान के साथ खड़े होने में कतराती है..
👉 पाकिस्तान द्वारा एक्सपोर्ट किए गए आतंकियों को, जन्नत के लिए डिपोर्ट करवाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है भारतीय सेना ने, ऐसा सिर्फ सेना के हाथ खुले रखने कि वजह से संभव हुआ है..
👉 डोकलाम में भारतीय सेना चीन के सामने अपना 56" सीना चौड़ा किए 73 दिनों तक डटी रही पीछे नहीं हटने दिया...
👉 आज पूरे विश्व में भारत का क्या मान सम्मान है ये विदेशो में रह रहे अपने रिश्तेदारों से पूछिए...
👉 एक तरफ भारत के प्रधानमंत्री मोदी जी जब भी विदेश जाते है तो वहां के राष्ट्रपति/प्रधानमंत्री प्रोटोकॉल तोड़ कर स्वयं मोदी जी का स्वागत करने आते है और विदाई करने भी जाते है वहीं दूसरी तरफ पाकिस्तान के प्रधानमंत्री की अमेरिका द्वारा कपड़े उतरवा के तलाशी ली जाती है...
👉 अमेरिका, फ्रांस, इजरायल, रूस आदि देश अपनी लेटेस्ट टेक्नोलॉजी और हथियार भारत के साथ साझा करने को तैयार है,
👉 दुनिया भर के देशों में भारत अपना मिलिक्ट्री बेस बना रहा है..
👉 पिछले 4 सालो में भारत 10वें पायदान से आगे बढ़ कर विश्व की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन चुका है..
👉 नोटबंदी जैसे ऐतिहासिक फैसले से भ्रष्टाचारियों और काले धन पर कड़ा प्रहार किया है...
👉 इंसोलवेंसि एंड बैंकरप्सी कानून की वजह से देश के बैंको से जनता के टैक्स का पैसा हजम किए बड़े बड़े उद्योगपति अब सरा पैसा चुकाने को मजबूर है...
👉 कलाधन विदेशो में रखने वाले लोगों की जानकारी साझा करने को मलेशिया, स्विट्जरलैंड आदि देश तैयार हुए है...
👉 अब भ्रष्टाचारी नेता व लोग विदेशो में काला धन ना तो भेज पाने समर्थ है ना वहां जमा निकाल पाने में सक्षम है... क्युकी ईमानदार चौकीदार प्रधानमंत्री के रूप में ऐसे लोगो पर नजर रखे हैं...
👉 भ्रष्टाचार व ठगी करने वाले किसी भी नेता या बड़े उद्योगपतियों को बख्शा नहीं जा रहा... जैसे : लालू यादव, शुभ्रत रॉय (सहारा)
👉 विश्व की बड़ी बड़ी कंपनिया आज भारत में निवेश करने को उत्सुक है, जिससे भारत में रोजगार के अवसर भी पैदा हो रहे है, जैसे 4 मोबाइल फैक्ट्री से 104 मोबाइल फैक्ट्री सिर्फ 4 सालो में भारत में खुली है..
👉 भारत का विदेशी मुद्रा भंडार $ बढ़ता चला जा रहा है..
👉 सेंसेक्स, निफ्टी दिन प्रतिदिन रिकॉर्ड स्तर छू रहे है..
👉 महंगाई पर 4.5% की औसत दर से अंकुश लगा है जो 2014 के पहले 11% की औसत दर से बढ़ रही थी..
इतना तो सिर्फ एक देश के परिपेक्ष्य में मोदी जी ने भारत के लिए किया है जो अवास्तविक रूप से भारत की जनता को भी प्रभावित करता है...
और कुछ वास्तविक रूप से प्रभावित करने वाले कार्य इस वीडियो के माध्यम से आप देख सकते है... 
अभिजीत श्रीवास्तव ....