देखो हमारे गुजरात को मैं PM बना तो भारत का विकास इसी तरह से होगा |
आइये देखते है ,गुजरात में मोदी ने मुसलमानों पर कौन-कौन से अत्याचार किये हैं, आखिर गुजरात में===
मोदी ने मुसलमानों पर कौन-कौन से अत्याचार
किये हैं , पेश किये जा रहे आँकड़े और तथ्य मनगढ़न्त
नहीं हैं, बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा गठित सच्चर
कमीशन की रिपोर्ट में से लिये गये हैं.. जी हाँ,
“गुजरात में मुस्लिमों पर इतने ज़ुल्म ढाये गये हैं
कि गुजरात के मुसलमान देश के बाकी सभी हिस्सों के मुसलमानों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मामले
में आगे निकल गये हैं…”! गुजरात में मुस्लिमों का साक्षरता प्रतिशत
73%, जबकि बाकी देश में 59%! ग्रामीण गुजरात में मुस्लिम
लड़कियों की साक्षरता दर 57%, बाकी देश में 43%।गुजरात में प्राथमिक शाला पास किये हुए मुस्लिम 74%, जबकि देश में 60% ! गुजरात में हायर सेकण्डरी पास किये मुस्लिमों का प्रतिशत 45%, देश में 40%.. शिक्षा सम्बन्धी सारे के सारे आँकड़े मुस्लिम हितों की कथित पैरवी करने वाले, मुस्लिम हितैषी(?) पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और बिहार से कोसों आगे हैं..गुजरात के जिन गाँवों में मुस्लिम
आबादी 2000 से अधिक है वहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता है 89%, जबकि बाकी देश में 70% ! जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 1000 से कम है वहाँ 53%, राष्ट्रीय औसत है सिर्फ़ 20%.. शायद राहुल गाँधी आपको बतायेंगे, कि उनके पुरखों ने बीते 60 साल में, भारत के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिये कितने महान कार्य किये हैं... “लाल झण्डे वाले बन्दर” हों या “पंजा छाप लुटेरे’ ,गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों की प्रति व्यक्ति आय 668 रुपये हैं, पश्चिम बंगाल में 501, आंध्रप्रदेश में 610, उत्तरप्रदेश में 509, मध्यप्रदेश में 475 और मीडिया के दुलारे जोकर यानी लालू द्वारा बर्बाद किये गये बिहार में 400 रुपये से भी कम,,गुजरात के शहरों में भी मुस्लिमों की बढ़ती आर्थिक सम्पन्नता इसी से प्रदर्शित होती है कि गुजराती मुस्लिमों के बैंक अकाउंट में औसत 32,932 रुपये की राशि है, जबकि यही औसत पश्चिम बंगाल में 13824/- तथा आसाम में 26,319/- है !
इनकी राजनीति, रोजी-रोटी-कुर्सी इसी बात से
चलती है कि किस तरह से भारत की जनता को अधिक से अधिक समय तक गरीब और अशिक्षित बनाये रखा जाये। क्योंकि उन्हें पता है कि जिस दिन जनता शिक्षित, समझदार और आत्मनिर्भर हो जायेगी, उसी दिन “लाल झण्डा” और “परिवार की चमचागिरी” दोनों को ज़मीन में दफ़ना दिया जायेगा। इसीलिये ये दोनों शक्तियाँ मीडिया को पैसा खिलाकर या उनके हित साधकर अपने पक्ष में बनाये रखती है, और नरेन्द्र मोदी जैसों के खिलाफ़ “एक बिन्दु आलोचना अभियान” सतत चलाये रखती हैं टीमों द्वारा पाये गये) आँकड़े और तथ्य उन्हें बताये जाते हैं तो वे बगलें झाँकने लगते हैं। ढीठता और बेशर्मी से बात तो ऐसे करते हैं मानो भारत केइतिहास में सिर्फ़ गुजरात में ही दंगे हुए, न पहलेकभी कहीं हुए, न अब कभी होंगे। गुजरात के विकासहिन्दू आराध्य देवताओं, हिन्दू धर्मरक्षकों, संतों और शंकराचार्यों के विरुद्ध एक योजनाबद्ध घृणा अभियान चलाया जाता है, लेकिन जब गुजरात सम्बन्धी (उन्हीं की सरकार द्वारा गठित ...
के लिये नरेन्द्र मोदी को क्रेडिट देते समय मीडिया वालों का मुँह ऐसा हो जाता है, मानो उन्हें किसी ने उन्हें अरंडी के बीज का तेल पिला दिया हो। तीन-तीन चुनाव जीते हुए, दस
साल से एक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे किसी व्यक्ति के खिलाफ़ इतिहास में आज तक कभी ऐसी उपेक्षा-अपमान-आलोचना नहीं आई
होगी, न तो 15 साल में बिहार को चरने वाले लालू के… न ही दस साल राज करके मध्यप्रदेश को अंधेरे में धकेलने वाले दिग्गी राजा के
परन्तु नरेन्द्र मोदी की गलती सिर्फ़ एक ही है (और आजकल यही सबसे बड़ी गलती भी मानी जाती है) कि वे हिन्दुत्ववादी-राष्ट्रवादी शक्तियों के साथ हैं ! मजे की बात तो यह है कि गुजरात के इन
...
नतीजों के बावजूद सच्चर कमेटी ने मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की सिफ़ारिश कर दी है, जबकि सच्चर साहब
को केन्द्र सरकार से सिफ़ारिश करना चाहिये थी कि नरेन्द्र मोदी के “थोड़े से गुण” देश के बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय
मंत्रियों के दिमागों में भरे जायें…। बहरहाल, मुझे डर है कि योजना आयोग द्वारा गुजरात की तारीफ़ तथा इस शानदार बोनस और प्रमोशन के कारण कहीं मनमोहन सिंह अपनी “नौकरी” न
खो बैठें। जी हाँ नौकरी… क्योंकि वैसे भी वे आजीवन “यस-मैन” ही रहे हैं, कभी रिजर्व बैंक के, कभी वित्त मंत्रालय के, कभी IMF के, कभी विश्व बैंक के… और अब “भरत” की तरह खड़ाऊं लिये तैयार बैठे हैं कि कब “राहुल बाबा” आयें और उन्हें रिटायर करें…...........न्यूयॉर्क, लंदन,
सैनफ्रांसिसको और दुबई के बाजारों में मजबूत पैठ बनाने वाले विश्व के सबसे
प्रसिद्ध ब्रोकरेज मार्केट सीएलएसए ने गुजरात के विकास को भारत में
सर्वश्रेष्ठ करार दिया है। सीएलएसए के मैनेजिंग डायरेक्टर व प्रसिद्ध
आर्थिक समीक्षक क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि नरेंद्र मोदी गुजरात को
मुख्यमंत्री से ज्यादा एक सीईओ के रूप में चला रहे हैं। यही कारण है कि
गुजरात विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है।
क्रिस्टोफर वुड ने 31 मई के न्यूजलेटर 'ग्रीड एंड फियर' में लिखा है
कि इसमें कोई शक नहीं है कि आज हर जगह गुजरात की चर्चा है। यह इसलिए
क्योंकि मुख्यमंत्री मोदी राज्य को एक सीईओ की तरह चला रहे हैं। यही
कारण है कि राज्य की क्षमता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ी खासियत
यह है कि गुजरात में निवेश को सरकारी रजामंदी बड़े ही त्वरित गति से मिल
जाती है। यहां तक राज्य के अधिकारी भी निजी कंपनियों के लिए हमेशा तत्पर
रहते हैं।
वुड ने लिखा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में गुजरात भारत में शीर्ष
पर है। अहमदाबाद को देखें वहां की सड़कें, इमारतें और सार्वजनिक स्थान
विकास की दास्तां बयां करते हैं। यहां बिजली जरूरत से ज्यादा उपलब्ध है।
लगभग सभी क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां इस राज्य में आपको मिलेंगी।
पत्रिका ने लिखा है कि लगभग छह ऑटो कंपनियां गुजरात में अपनी इकाईयां
स्थापित करने की योजना बना रही हैं। इससे राज्य को आगे चलकर बहुत फायदा
होने वाला है। खास तौर से मोदी के डीएमआईसी प्रोजेक्ट को...........
वुड ने लिखा है कि देश में तमाम लोग ऐसे हैं जो 61 वर्षीय मोदी को
प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि गुजरात
को देख कर लगता है कि भविष्य में भारत में भारी निवेश होने वाला है। यहां
पर न तो भ्रष्टाचार है और न अपराध, लिहाजा कोई भी मल्टीनेशनल कंपनी आसानी
से निवेश करने के लिए आगे आ सकती है। वहीं देश के अन्य राज्यों की
परिस्थितियां अलग हैं। वुड ने आगे लिखा कि केंद्र में यूपीए सरकार
दुष्क्रियाशील हो चुकी है। ऐसे में मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए एक
अच्छे विकल्प के रूप में आगे आने की संभावनाएं अधिक हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कि मोदी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सराहना मिली
हो। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस की थिंक टैंक ने नरेंद्र मोदी को 'किंग ऑफ
गवर्नेन्स' करार दिया था। वहीं टाइम पत्रिका ने कवर पेज पर प्रकाशित किया।
ब्रूकिंग्स के विलियम एंथोलिस ने भी मोदी की जमकर सराहना की। और तो और
फाइनेंशियल टाइम्स ने हाल ही में लिखा था कि देश के युवाओं के लिए मोदी
प्रेरणा के स्रोत बन चुके हैं।......
जय हिंद जय भारत ........वन्देमातरम......
किये हैं , पेश किये जा रहे आँकड़े और तथ्य मनगढ़न्त
नहीं हैं, बल्कि केन्द्र सरकार द्वारा गठित सच्चर
कमीशन की रिपोर्ट में से लिये गये हैं.. जी हाँ,
“गुजरात में मुस्लिमों पर इतने ज़ुल्म ढाये गये हैं
कि गुजरात के मुसलमान देश के बाकी सभी हिस्सों के मुसलमानों के मुकाबले शिक्षा, स्वास्थ्य और बुनियादी सुविधाओं के मामले
में आगे निकल गये हैं…”! गुजरात में मुस्लिमों का साक्षरता प्रतिशत
73%, जबकि बाकी देश में 59%! ग्रामीण गुजरात में मुस्लिम
लड़कियों की साक्षरता दर 57%, बाकी देश में 43%।गुजरात में प्राथमिक शाला पास किये हुए मुस्लिम 74%, जबकि देश में 60% ! गुजरात में हायर सेकण्डरी पास किये मुस्लिमों का प्रतिशत 45%, देश में 40%.. शिक्षा सम्बन्धी सारे के सारे आँकड़े मुस्लिम हितों की कथित पैरवी करने वाले, मुस्लिम हितैषी(?) पश्चिम बंगाल, उत्तरप्रदेश और बिहार से कोसों आगे हैं..गुजरात के जिन गाँवों में मुस्लिम
आबादी 2000 से अधिक है वहाँ प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्र की उपलब्धता है 89%, जबकि बाकी देश में 70% ! जिन गाँवों में मुस्लिम आबादी 1000 से कम है वहाँ 53%, राष्ट्रीय औसत है सिर्फ़ 20%.. शायद राहुल गाँधी आपको बतायेंगे, कि उनके पुरखों ने बीते 60 साल में, भारत के ग्रामीण क्षेत्र में स्वास्थ्य सुविधाएं बढ़ाने के लिये कितने महान कार्य किये हैं... “लाल झण्डे वाले बन्दर” हों या “पंजा छाप लुटेरे’ ,गुजरात के ग्रामीण क्षेत्रों में मुस्लिमों की प्रति व्यक्ति आय 668 रुपये हैं, पश्चिम बंगाल में 501, आंध्रप्रदेश में 610, उत्तरप्रदेश में 509, मध्यप्रदेश में 475 और मीडिया के दुलारे जोकर यानी लालू द्वारा बर्बाद किये गये बिहार में 400 रुपये से भी कम,,गुजरात के शहरों में भी मुस्लिमों की बढ़ती आर्थिक सम्पन्नता इसी से प्रदर्शित होती है कि गुजराती मुस्लिमों के बैंक अकाउंट में औसत 32,932 रुपये की राशि है, जबकि यही औसत पश्चिम बंगाल में 13824/- तथा आसाम में 26,319/- है !
इनकी राजनीति, रोजी-रोटी-कुर्सी इसी बात से
चलती है कि किस तरह से भारत की जनता को अधिक से अधिक समय तक गरीब और अशिक्षित बनाये रखा जाये। क्योंकि उन्हें पता है कि जिस दिन जनता शिक्षित, समझदार और आत्मनिर्भर हो जायेगी, उसी दिन “लाल झण्डा” और “परिवार की चमचागिरी” दोनों को ज़मीन में दफ़ना दिया जायेगा। इसीलिये ये दोनों शक्तियाँ मीडिया को पैसा खिलाकर या उनके हित साधकर अपने पक्ष में बनाये रखती है, और नरेन्द्र मोदी जैसों के खिलाफ़ “एक बिन्दु आलोचना अभियान” सतत चलाये रखती हैं टीमों द्वारा पाये गये) आँकड़े और तथ्य उन्हें बताये जाते हैं तो वे बगलें झाँकने लगते हैं। ढीठता और बेशर्मी से बात तो ऐसे करते हैं मानो भारत केइतिहास में सिर्फ़ गुजरात में ही दंगे हुए, न पहलेकभी कहीं हुए, न अब कभी होंगे। गुजरात के विकासहिन्दू आराध्य देवताओं, हिन्दू धर्मरक्षकों, संतों और शंकराचार्यों के विरुद्ध एक योजनाबद्ध घृणा अभियान चलाया जाता है, लेकिन जब गुजरात सम्बन्धी (उन्हीं की सरकार द्वारा गठित ...
चलती है कि किस तरह से भारत की जनता को अधिक से अधिक समय तक गरीब और अशिक्षित बनाये रखा जाये। क्योंकि उन्हें पता है कि जिस दिन जनता शिक्षित, समझदार और आत्मनिर्भर हो जायेगी, उसी दिन “लाल झण्डा” और “परिवार की चमचागिरी” दोनों को ज़मीन में दफ़ना दिया जायेगा। इसीलिये ये दोनों शक्तियाँ मीडिया को पैसा खिलाकर या उनके हित साधकर अपने पक्ष में बनाये रखती है, और नरेन्द्र मोदी जैसों के खिलाफ़ “एक बिन्दु आलोचना अभियान” सतत चलाये रखती हैं टीमों द्वारा पाये गये) आँकड़े और तथ्य उन्हें बताये जाते हैं तो वे बगलें झाँकने लगते हैं। ढीठता और बेशर्मी से बात तो ऐसे करते हैं मानो भारत केइतिहास में सिर्फ़ गुजरात में ही दंगे हुए, न पहलेकभी कहीं हुए, न अब कभी होंगे। गुजरात के विकासहिन्दू आराध्य देवताओं, हिन्दू धर्मरक्षकों, संतों और शंकराचार्यों के विरुद्ध एक योजनाबद्ध घृणा अभियान चलाया जाता है, लेकिन जब गुजरात सम्बन्धी (उन्हीं की सरकार द्वारा गठित ...
के लिये नरेन्द्र मोदी को क्रेडिट देते समय मीडिया वालों का मुँह ऐसा हो जाता है, मानो उन्हें किसी ने उन्हें अरंडी के बीज का तेल पिला दिया हो। तीन-तीन चुनाव जीते हुए, दस
साल से एक प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे किसी व्यक्ति के खिलाफ़ इतिहास में आज तक कभी ऐसी उपेक्षा-अपमान-आलोचना नहीं आई
होगी, न तो 15 साल में बिहार को चरने वाले लालू के… न ही दस साल राज करके मध्यप्रदेश को अंधेरे में धकेलने वाले दिग्गी राजा के
होगी, न तो 15 साल में बिहार को चरने वाले लालू के… न ही दस साल राज करके मध्यप्रदेश को अंधेरे में धकेलने वाले दिग्गी राजा के
परन्तु नरेन्द्र मोदी की गलती सिर्फ़ एक ही है (और आजकल यही सबसे बड़ी गलती भी मानी जाती है) कि वे हिन्दुत्ववादी-राष्ट्रवादी शक्तियों के साथ हैं ! मजे की बात तो यह है कि गुजरात के इन
...
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नतीजों के बावजूद सच्चर कमेटी ने मुसलमानों को पिछड़ेपन के आधार पर आरक्षण की सिफ़ारिश कर दी है, जबकि सच्चर साहब
को केन्द्र सरकार से सिफ़ारिश करना चाहिये थी कि नरेन्द्र मोदी के “थोड़े से गुण” देश के बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय
मंत्रियों के दिमागों में भरे जायें…। बहरहाल, मुझे डर है कि योजना आयोग द्वारा गुजरात की तारीफ़ तथा इस शानदार बोनस और प्रमोशन के कारण कहीं मनमोहन सिंह अपनी “नौकरी” न
खो बैठें। जी हाँ नौकरी… क्योंकि वैसे भी वे आजीवन “यस-मैन” ही रहे हैं, कभी रिजर्व बैंक के, कभी वित्त मंत्रालय के, कभी IMF के, कभी विश्व बैंक के… और अब “भरत” की तरह खड़ाऊं लिये तैयार बैठे हैं कि कब “राहुल बाबा” आयें और उन्हें रिटायर करें…...........न्यूयॉर्क, लंदन, सैनफ्रांसिसको और दुबई के बाजारों में मजबूत पैठ बनाने वाले विश्व के सबसे प्रसिद्ध ब्रोकरेज मार्केट सीएलएसए ने गुजरात के विकास को भारत में सर्वश्रेष्ठ करार दिया है। सीएलएसए के मैनेजिंग डायरेक्टर व प्रसिद्ध आर्थिक समीक्षक क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि नरेंद्र मोदी गुजरात को मुख्यमंत्री से ज्यादा एक सीईओ के रूप में चला रहे हैं। यही कारण है कि गुजरात विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। क्रिस्टोफर वुड ने 31 मई के न्यूजलेटर 'ग्रीड एंड फियर' में लिखा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि आज हर जगह गुजरात की चर्चा है। यह इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री मोदी राज्य को एक सीईओ की तरह चला रहे हैं। यही कारण है कि राज्य की क्षमता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि गुजरात में निवेश को सरकारी रजामंदी बड़े ही त्वरित गति से मिल जाती है। यहां तक राज्य के अधिकारी भी निजी कंपनियों के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
वुड ने लिखा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में गुजरात भारत में शीर्ष पर है। अहमदाबाद को देखें वहां की सड़कें, इमारतें और सार्वजनिक स्थान विकास की दास्तां बयां करते हैं। यहां बिजली जरूरत से ज्यादा उपलब्ध है। लगभग सभी क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां इस राज्य में आपको मिलेंगी। पत्रिका ने लिखा है कि लगभग छह ऑटो कंपनियां गुजरात में अपनी इकाईयां स्थापित करने की योजना बना रही हैं। इससे राज्य को आगे चलकर बहुत फायदा होने वाला है। खास तौर से मोदी के डीएमआईसी प्रोजेक्ट को...........
वुड ने लिखा है कि देश में तमाम लोग ऐसे हैं जो 61 वर्षीय मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि गुजरात को देख कर लगता है कि भविष्य में भारत में भारी निवेश होने वाला है। यहां पर न तो भ्रष्टाचार है और न अपराध, लिहाजा कोई भी मल्टीनेशनल कंपनी आसानी से निवेश करने के लिए आगे आ सकती है। वहीं देश के अन्य राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं। वुड ने आगे लिखा कि केंद्र में यूपीए सरकार दुष्क्रियाशील हो चुकी है। ऐसे में मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए एक अच्छे विकल्प के रूप में आगे आने की संभावनाएं अधिक हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कि मोदी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सराहना मिली हो। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस की थिंक टैंक ने नरेंद्र मोदी को 'किंग ऑफ गवर्नेन्स' करार दिया था। वहीं टाइम पत्रिका ने कवर पेज पर प्रकाशित किया। ब्रूकिंग्स के विलियम एंथोलिस ने भी मोदी की जमकर सराहना की। और तो और फाइनेंशियल टाइम्स ने हाल ही में लिखा था कि देश के युवाओं के लिए मोदी प्रेरणा के स्रोत बन चुके हैं।......
को केन्द्र सरकार से सिफ़ारिश करना चाहिये थी कि नरेन्द्र मोदी के “थोड़े से गुण” देश के बाकी राज्यों के मुख्यमंत्रियों और केन्द्रीय
मंत्रियों के दिमागों में भरे जायें…। बहरहाल, मुझे डर है कि योजना आयोग द्वारा गुजरात की तारीफ़ तथा इस शानदार बोनस और प्रमोशन के कारण कहीं मनमोहन सिंह अपनी “नौकरी” न
खो बैठें। जी हाँ नौकरी… क्योंकि वैसे भी वे आजीवन “यस-मैन” ही रहे हैं, कभी रिजर्व बैंक के, कभी वित्त मंत्रालय के, कभी IMF के, कभी विश्व बैंक के… और अब “भरत” की तरह खड़ाऊं लिये तैयार बैठे हैं कि कब “राहुल बाबा” आयें और उन्हें रिटायर करें…...........न्यूयॉर्क, लंदन, सैनफ्रांसिसको और दुबई के बाजारों में मजबूत पैठ बनाने वाले विश्व के सबसे प्रसिद्ध ब्रोकरेज मार्केट सीएलएसए ने गुजरात के विकास को भारत में सर्वश्रेष्ठ करार दिया है। सीएलएसए के मैनेजिंग डायरेक्टर व प्रसिद्ध आर्थिक समीक्षक क्रिस्टोफर वुड ने कहा है कि नरेंद्र मोदी गुजरात को मुख्यमंत्री से ज्यादा एक सीईओ के रूप में चला रहे हैं। यही कारण है कि गुजरात विकास के पथ पर तेजी से आगे बढ़ रहा है। क्रिस्टोफर वुड ने 31 मई के न्यूजलेटर 'ग्रीड एंड फियर' में लिखा है कि इसमें कोई शक नहीं है कि आज हर जगह गुजरात की चर्चा है। यह इसलिए क्योंकि मुख्यमंत्री मोदी राज्य को एक सीईओ की तरह चला रहे हैं। यही कारण है कि राज्य की क्षमता दिन पर दिन बढ़ती जा रही है। सबसे बड़ी खासियत यह है कि गुजरात में निवेश को सरकारी रजामंदी बड़े ही त्वरित गति से मिल जाती है। यहां तक राज्य के अधिकारी भी निजी कंपनियों के लिए हमेशा तत्पर रहते हैं।
वुड ने लिखा कि इंफ्रास्ट्रक्चर के मामले में गुजरात भारत में शीर्ष पर है। अहमदाबाद को देखें वहां की सड़कें, इमारतें और सार्वजनिक स्थान विकास की दास्तां बयां करते हैं। यहां बिजली जरूरत से ज्यादा उपलब्ध है। लगभग सभी क्षेत्रों से जुड़ी कंपनियां इस राज्य में आपको मिलेंगी। पत्रिका ने लिखा है कि लगभग छह ऑटो कंपनियां गुजरात में अपनी इकाईयां स्थापित करने की योजना बना रही हैं। इससे राज्य को आगे चलकर बहुत फायदा होने वाला है। खास तौर से मोदी के डीएमआईसी प्रोजेक्ट को...........
वुड ने लिखा है कि देश में तमाम लोग ऐसे हैं जो 61 वर्षीय मोदी को प्रधानमंत्री के रूप में देखना चाहते हैं। इसमें कोई शक नहीं है कि गुजरात को देख कर लगता है कि भविष्य में भारत में भारी निवेश होने वाला है। यहां पर न तो भ्रष्टाचार है और न अपराध, लिहाजा कोई भी मल्टीनेशनल कंपनी आसानी से निवेश करने के लिए आगे आ सकती है। वहीं देश के अन्य राज्यों की परिस्थितियां अलग हैं। वुड ने आगे लिखा कि केंद्र में यूपीए सरकार दुष्क्रियाशील हो चुकी है। ऐसे में मोदी के राष्ट्रीय नेतृत्व के लिए एक अच्छे विकल्प के रूप में आगे आने की संभावनाएं अधिक हैं।
ऐसा पहली बार नहीं है कि मोदी को अंतर्राष्ट्रीय मंच पर सराहना मिली हो। इससे पहले अमेरिकी कांग्रेस की थिंक टैंक ने नरेंद्र मोदी को 'किंग ऑफ गवर्नेन्स' करार दिया था। वहीं टाइम पत्रिका ने कवर पेज पर प्रकाशित किया। ब्रूकिंग्स के विलियम एंथोलिस ने भी मोदी की जमकर सराहना की। और तो और फाइनेंशियल टाइम्स ने हाल ही में लिखा था कि देश के युवाओं के लिए मोदी प्रेरणा के स्रोत बन चुके हैं।......