यदि यही समाजवाद है तो हमें नहीं चाहिए ऐसा समाजवाद ....! |
Brijesh Pandey
डीएसपी जिया उल हक की पत्नी को पचीस लाख
और उनके पिता को पचीस लाख का चेक
मुख्यमंत्री उनके घर जाकर दिए .. घर के तीन
सदस्य को सरकारी नौकरी .. और जितने साल
डीएसपी की नौकरी बाकि थी उतने साल पुरे वेतन
भी मिलेंगे .. अच्छा है
किसी भी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी निभाते
हत्या होने पर सरकार को उसके परिवार के साथ
खड़े रहना चाहिए ..
लेकिन मंजुनाथ .. सतेन्द्र दुबे और
पाकिस्तानी सेना के द्वारा सर कलम किये गये
भारतीय सैनिक लोग भी तो अपनी ड्यूटी निभाते
शहीद हुए थे लेकिन उन्हें इतना सब कुछ
क्यों नही मिला? जिया उल हक के घर दिल्ली से
जामा मस्जिद का दी इमाम
बुखारी भी अपनी राजनितिक रोटीयाँ सेकने पहुच
गया .. बस फर्क इतना है मंजूनाथ, सतेन्द्र दुबे
और तीन भारतीय सैनिक हिन्दू थे और जिया उल
हक मुस्लिम ... जिया उल
हक का समाज वोट बैंक की श्रेणी में आता है और
मंजुनाथ का समाज यानी हिन्दू वोट बैंक
की श्रेणी में नही आता.. पता नहीं ये वोट
बैंक की लिए मुलायम और अखिलेश
गोवत कितना गिरेगी ?
जय हो समाजवाद =मसाज कंपनी =परिवारवाद ....??
डीएसपी जिया उल हक की पत्नी को पचीस लाख
और उनके पिता को पचीस लाख का चेक
मुख्यमंत्री उनके घर जाकर दिए .. घर के तीन
सदस्य को सरकारी नौकरी .. और जितने साल
डीएसपी की नौकरी बाकि थी उतने साल पुरे वेतन
भी मिलेंगे .. अच्छा है
किसी भी सरकारी कर्मचारी की ड्यूटी निभाते
हत्या होने पर सरकार को उसके परिवार के साथ
खड़े रहना चाहिए ..
लेकिन मंजुनाथ .. सतेन्द्र दुबे और
पाकिस्तानी सेना के द्वारा सर कलम किये गये
भारतीय सैनिक लोग भी तो अपनी ड्यूटी निभाते
शहीद हुए थे लेकिन उन्हें इतना सब कुछ
क्यों नही मिला? जिया उल हक के घर दिल्ली से
जामा मस्जिद का दी इमाम
बुखारी भी अपनी राजनितिक रोटीयाँ सेकने पहुच
गया .. बस फर्क इतना है मंजूनाथ, सतेन्द्र दुबे
और तीन भारतीय सैनिक हिन्दू थे और जिया उल
हक मुस्लिम ... जिया उल
हक का समाज वोट बैंक की श्रेणी में आता है और
मंजुनाथ का समाज यानी हिन्दू वोट बैंक
की श्रेणी में नही आता.. पता नहीं ये वोट
बैंक की लिए मुलायम और अखिलेश
गोवत कितना गिरेगी ?
जय हो समाजवाद =मसाज कंपनी =परिवारवाद ....??