गुरुवार, 16 अगस्त 2012

!! लाल किले से मनमोहन सिंह जी ने थपथपाई अपनी पीठ !!

पूरे देश में बुधवार को धूमधाम से आजादी का जश्न मनाया गया,,मनमोहन सिंह जी ने बतौर प्रधानमंत्री जी 9वीं बार लाल किले से तिरंगा फहराया,, 66 वें स्वाधीनता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से देश को संबोधित करते प्रधानमंत्री ने यूपीए-2 की उपलब्धियों का बखान किया.........

प्रधानमंत्री ने कहा कि वैश्विक अर्थव्यवस्था मुश्किल दौर से गुजर रही है,! दुनिया के सभी देशों में आर्थिक विकास की रफ्तार कमजोर हुई है ! वैश्विक आर्थिक मंदी का असर भारत पर भी पड़ा है !यूरोप के देशों को मिलाकर देखा जाए तो उनकी विकास दर शून्य रहने का अनुमान है...........

प्रधानमंत्री
जी ने कहा कि देश में कुछ इस तरह के हालात बने हैं जो कि आर्थिक विकास की रफ्तार को मंद कर रहे हैं,अब वक्त आ गया है,जब देश के विकास से जुड़े मामलों को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मामलों के बराबर ही महत्व दिया जाए !जहां तक देश के अंदर तेज आर्थिक विकास के लिए सही वातावरण बनाने का सवाल है,ऎसा आम राजनीतिक सहमति न बन पाने के कारण हो रहा है ! इसलिए जरूरी है कि हम देश के विकास से जुड़े मुद्दों को भी राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े मुद्दों की तरह देखें........

-----खराब मॉनसून से बढ़ी महंगाई----

प्रधानमंत्री ने कहा कि खराब मॉनसून से महंगाई बढ़ी है,, जिन जिलों में 50 प्रतिशत या उससे कम बारिश हुई है,वहां के किसानों को सरकार डीजल पर अलग से सब्सिडी दे रही है! बीज सब्सिडी में बढ़ोतरी की गई है और चारे के लिए केन्द्र की योजना में उपलब्ध राशि बढ़ा दी गई है ! अच्छी बात यह है कि हमारे किसान भाई-बहनों की मेहनत की वजह से देश में अनाज का बहुत बडा भंडार है और अनाज की उपलब्धता की समस्या हमारे सामने पैदा नहीं होगी..........जबकि अपने भाषण में या भी कहा की पिछाले दो वर्ष में भरपूर खाद्यान्न पैदा हुआ ...PM जी ने बिरोधाभाशी बाते कही है ..एक तरफ खराब मानसून का रोना रोया और दुसरी तरफ भरपूर उत्पादन के बात किया .....

------लोकपाल बिल पारित होने की उम्मीद-----
प्रधानमंत्री ने उम्मीद जताई है कि राज्यसभा में लोकपाल बिल पारित हो जाएगा ! उन्होंने उम्मीद जताई है कि सभी राजनीतिक दल बिल पारित कराने में सहयोग करेंगे...लोकसेवकों के काम में पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने और उसमें भ्रष्टाचार कम करने की कोशिश जारी रखेंगे लेकिन उन्होंने यह भी ध्यान रखने को कहा कि झूठी शिकायतों और गैर जरूरी अदालती कार्रवाइयों की वजह से अधिकारियों के मनोबल को नुकसान नहीं पहुंचना चाहिए....!! यहाँ भी बिरोधाभासी बाते ...एक तरफ तो इनके तथाकथित जनसेवक भ्रष्टाचार ,बलात्कार के जुर्म में फस रहे है ..अन्ना जी और बाबा रामदेव जी के जैसे के साथ सौतेला ब्यवहार कर रहे है ..लोकपाल को राज्यसभा में लटका रखा है अभी तक क्यों ?

-----पांच साल में हर घर में पहुंचेगी बिजली
-------
पीएम ने अगले पांच साल में हर घर में बिजली पहुंचाने का वादा किया है ! साथ ही प्रधानमंत्री ने कहा कि 5 साल में 8 करोड़ लोगों को रोजगार के लिए प्रशिक्षण दिया जाएगा..
प्रधानमंत्री ने राजीव आवास योजना शुरू करने और घर के लो पर ब्याज में छूट देने की बात कही......अच्छी  है ब्याज की छुट पर पर बिजली चोरो को भे ध्यान दे .....

------असिम हिंसा पर जताई चिंता------

प्रधानमंत्री ने असम के हालात पर भी चिंता जाहिर की। उन्होंने कहा कि हाल ही में घटी असम जैसी घटनाओं की वजह समझने के लिए सरकार पूरी कोशिश करेगी। साथ ही राज्य सरकारों से साथ मिलकर कोशिश करेगी कि इस तरह के हादसे दोबारा न हो पाएं! आंतरिक सुरक्षा की चर्चा करते हुए मनमोहन सिंह ने कहा कि सांप्रदायिक सद्भाव को हमें हर कीमत पर बनाए रखना है! पुणे में जो घटनाएं हुई वे इस बात की तरफ इशारा करती हैं कि आंतरिक सुरक्षा के क्षेत्र में हमें अभी काफी काम करना है.........

--------ज्यादा वक्त तक नहीं परेशानियां -------
मनमोहन सिंह
जी ने कहा कि पिछले आठ साल में हमने कई क्षेत्रों में असाधारण सफलताएं प्राप्त की हैं ! जरूरत इस बात की है कि हम इस तरह की सफलताएं बहुत से नए क्षेत्रों में भी हासिल करें ! पिछले आठ साल के दौरान सरकार की कोशिश रही है कि हम अपने नागरिकों को सामाजिक एवं आर्थिक रूप से सशक्त बनाएं ताकि वह राष्ट्र निर्माण के महान काम में योगदान दे सकें!उम्मीद जताई कि परेशानियों का मौजूदा दौर ज्यादा दिन नहीं चलेगा.......

----सेना हर चुनौती का मुकाबले करने के लिए तैयार----

देश के सैन्यबलों की सराहना करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि हमने हाल के महीनों में अपनी सेना की भूमिका और उसकी तैयारी के बारे में काफी बहस देखी,, हमारी सेना और अर्धसैनिक बल हर प्रकार की चुनौती का सामना करने के लिए तैयार हैं........अच्छा लगा सेना का मनोबल बढ़ाया ..पर सेना के भ्रष्टाचार और काले धन को लेकर अपनी जुवान क्यों बंद राखी ...?

सरकार इन बलों को आधुनिक बनाने के लिए वचनबद्ध है और उन्हें जरूरी प्रौद्योगिकी एवं साजो-सामान मुहैया कराने का काम जारी रखेगी ! सैनिकों और अधिकारियों के वेतन एवं पेंशन संबंधी मामलों की जांच के लिए सरकार ने एक समिति का गठन किया है !यह समिति सेवानिवृत्त सैनिकों और अधिकारियों की पेंशन और उनके परिजनों को मिलने वाली पारिवारिक पेंशन से संबंधित मुद्दों की भी जांच करेगी....समिति की सिफारिशें हासिल होने के बाद हम उन पर जल्द से जल्द फैसला करेंगे......

--------मंगल पर जाएगा भारत----------
प्रधानमंत्री ने भारत के मंगल मिशन को पूरा करने का वादा किया.उन्होंने बताया कि कैबिनेट ने मंगल अभियान को मंजूरी दे दी है.......हा हा हा हा हा अह ...अच्छा है मंगल में भी अमंगल करे ..और इस भारत देश की जो समस्याए है उन्हें पहले दूर करे ...पर ध्यान रखे PM जी ...मंगल में अमंगल नहीं करना .......

15 अगस्त को ही हमें आजादी क्यों मिली ?

5 अगस्त 1947 ये तारीख लार्ड लुई माउण्टबैटन ने जानबूझ कर तय की थी। क्योंकि ये द्वितीय विश्व युद्ध में जापान द्वारा समर्पण करने की दूसरी वर्षगांठ थी। 15 अगस्त 1945 को जापान आत्म समर्पण कर दिया था, तब माउण्टबैटन सेना के साथ बर्मा के जंगलों में थे । इसी वर्षगांठ को यादगार बनाने के लिए माउण्टबैटन ने 15 अगस्त 1947 को भारत की आजादी के लिए तय किया था । किन्तु भोपाल के लोगों को भारत संघ का हिस्सा बनने के लिए बाद में दो साल और इंतजार करना पड़ा था ।

दरअसल, माउण्टबैटन ने जो प्रस्ताव भारत की आजादी को लेकर जवाहरलाल नेहरू के सामने रखा था उसमें ये प्रावधान था कि भारत के 565 रजवाड़े भारत या पाकिस्तान में किसी एक में विलय को चुनेंगे और वे चाहें तो दोनों के साथ न जाकर अपने को स्वतंत्र भी रख सकेंगे । इन 565 रजवाड़ों जिनमें से अधिकांश प्रिंसली स्टेट (ब्रिटिश भारतीय साम्राज्य का हिस्सा) थे में से भारत के हिस्से में आए रजवाड़ों ने एक-एक करके विलय पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए, या यूँ कह सकते हैं कि सरदार वल्लभ भाई पटेल तथा वीपी मेनन ने हस्ताक्षर करवा लिए।

बचे रह गए थे, हैदराबाद, जूनागढ़, कश्मीर और भोपाल । इनमें से भोपाल का विलय सबसे अंत में भारत में हुआ। भारत संघ में शामिल होने वाली अंतिम रियासत भोपाल इसलिए थी क्योंकि पटेल और मेनन को पता था कि भोपाल को अंतत: मिलना ही होगा। जूनागढ़ पाकिस्तान में मिलने की घोषणा कर चुका था तो काश्मीर स्वतंत्र बने रहने की । जूनागढ़, काश्मीर तथा हैदराबाद तीनों राज्यों को सेना की मदद से विलय करवाया गया किन्तु भोपाल में इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी ।

भोपाल जहां नवाब हमीदुल्लाह खान उस रियासत के नवाब थे जो भोपाल, सीहोर और रायसेन तक फैली हुई थी। इस रियासत की स्थापना 1723-24 में औरंगजेब की सेना के बहादुर अफगान योद्धा दोस्त मोहम्मद खान ने सीहोर, आष्टा, खिलचीपुर और गिन्नौर को जीत कर स्थापित की थी । 1728 में दोस्त मोहम्मद खान की मृत्यु के बाद उसके बेटे यार मोहम्मद खान के रूप में भोपाल रियासत को अपना पहला नवाब मिला था ।

मार्च 1818 में जब नजर मोहम्मद खान नवाब थे तो एंग्लो भोपाल संधि के तहत भोपाल रियासत भारतीय ब्रिटिश साम्राज्य की प्रिंसली स्टेट हो गई । 1926 में उसी रियासत के नवाब बने थे हमीदुल्लाह खान । अलीगढ़ विश्वविद्यालय से शिक्षित नवाब हमीदुल्लाह दो बार 1931 और 1944 में चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर बने तथा भारत विभाजन के समय वे ही चांसलर थे । आजादी का मसौदा घोषित होने के साथ ही उन्होंने 1947 में चांसलर पद से त्यागपत्र दे दिया था, क्योंकि वे रजवाड़ों की स्वतंत्रता के पक्षधर थे ।

नवाब हमीदुल्लाह 14 अगस्त 1947 तक ऊहापोह में थे कि वो क्या निर्णय लें । जिन्ना उन्हें पाकिस्तान में सेक्रेटरी जनरल का पद देकर वहाँ आने की पेशकश दे चुके थे, और इधर रियासत का मोह था । 13 अगस्त को उन्होंने अपनी बेटी आबिदा को भोपाल रियासत का शासक बन जाने को कहा ताकि वे पाकिस्तान जाकर सेक्रेटरी जनरल का पद सभाल सकें, किन्तु आबिदा ने इससे इनकार कर दिया ।

भोपाल का विलीनीकरण सबसे अंत में हुआ तो उसके पीछे एक कारण ये भी था कि नवाब हमीदुल्लाह जो चेम्बर ऑफ प्रिंसेस के चांसलर थे उनका देश की आंतरिक राजनीति में बहुत दखल था, वे नेहरू और जिन्ना दोनों के घनिष्ठ मित्र थे।

मार्च 1948 में नवाब हमीदुल्लाह ने भोपाल के स्वतंत्र रहने की घोषणा की । मई 1948 में नवाब ने भोपाल सरकार का एक मंत्रीमंडल घोषित कर दिया था जिसके प्रधानमंत्री चतुरनारायण मालवीय थे । इस समय तक आते-आते भोपाल रियासत में विलीनीकरण को लेकर विद्रोह पनपने लगा था। साथ ही विलीनीकरण की  सूत्रधार पटेल-मेनन की जोड़ी भी दबाव बनाने लगी थी।

एक और समस्या ये सामने आ गई थी कि चतुर नारायण मालवीय भी विलीनीकरण के पक्ष में हो चुके थे । प्रजामंडल विलीनीकरण आंदोलन का प्रमुख दल बन चुका था । अक्टूबर 1948 में नवाब हज पर चले गये और दिसम्बर 1948 में भोपाल के इतिहास का जबरदस्त प्रदर्शन विलीनीकरण को लेकर हुआ, कई प्रदर्शनकारी गिरफ्तार किए गए जिनमें ठाकुर लाल सिंह, डॉ शंकर दयाल शर्मा, भैंरो प्रसाद और उद्धवदास मेहता जैसे नाम भी शामिल थे । पूरा भोपाल बंद था, राज्य की पुलिस आंदोलनकारियों पर पानी फेंक कर उन्हें नियंत्रित करने की कोशिश कर रही थी।

23 जनवरी 1949 को डॉ. शंकर दयाल शर्मा को आठ माह के लिए जेल भेज दिया गया । इन सबके बीच वीपी मेनन एक बार फिर से भोपाल आए मेनन ने नवाब को स्पष्ट शब्दों में कहा कि भोपाल स्वतंत्र नहीं रह सकता, भौगोलिक, नैतिक और सांस्कृतिक नजर से देखें तो भोपाल मालवा के ज्यादा करीब है इसलिए भोपाल को मध्यभारत का हिस्सा बनना ही होगा । आखिरकार 29 जनवरी 1949  को नवाब ने मंत्रिमंडल को बर्खास्त करते हुए सत्ता के सारे सूत्र एक बार फिर से अपने हाथ में ले लिए । पंडित चतुरनारायण मालवीय इक्कीस दिन के उपवास पर बैठ चुके थे ।

वीपी मेनन पूरे घटनाक्रम को भोपाल में ही रहकर देख रहे थे, वे लाल कोठी (वर्तमान राजभवन) में रुके हुए थे तथा लगतार दबाव बनाए हुए थे नवाब पर । और अंतत: 30 अप्रैल 1949 को नवाब ने विलीनीकरण के पत्र पर हस्ताक्षर कर दिए। सरदार पटेल ने नवाब को लिखे पत्र में कहा -मेरे लिए ये एक बड़ी निराशाजनक और दुख की बात थी कि आपके अविवादित हुनर तथा क्षमताओं को आपने देश के उपयोग में उस समय नहीं आने दिया जब देश को उसकी जरूरत थी ।

अंतत: 1 जून 1949 को भोपाल रियासत, भारत का हिस्सा बन गई, केंद्र द्वारा नियुक्त चीफ कमिश्नर श्री एनबी बैनर्जी ने कार्यभार संभाल लिया और नवाब को मिला 11 लाख सालाना का प्रिवीपर्स । भोपाल का विलीनीकरण हो चुका था । लगभग 225 साल पुराने (1724 से 1949) नवाबी शासन का प्रतीक रहा तिरंगा (काला, सफेद, हरा) लाल कोठी से उतारा जा रहा था और भारत संघ का तिरंगा (केसरिया, सफेद, हरा) चढ़ाया जा रहा था।
 नोट --यह ब्लॉग भास्कर डाट कॉम से लिया है ......
(लेखक भारतीय ज्ञानपीठ युवा पुरस्कार प्राप्त हैं)