सोमवार, 18 जून 2018

मोदी, हिंदुत्व और उनके राजनीतिक मायने


कई दिनों से "तथाकथित" हिन्दू राष्ट्र्वादी ग्रुप के एक धड़े ने मोदी के खिलाफ एक अघोषित केम्पेन सा चला रखा है। ये लोग काफी ज्ञानी और खुद को हिंदुत्व का सबसे बड़ा पुरोधा समझते है। ज्यादातर तो नही लेकिन कभी कभार इनकी पोस्ट पढ़ लेता हूँ तो बस यही लगता कि इन्होंने मोदी सरकार बनवायी थी और वो भी सिर्फ इस लिए की मोदी सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व के लिए ही काम करेंगे और न ही वो विकास करेंगे न ही वो किसी दूसरे धर्म के त्योहारों पर बधाई देंगे।
और बस 5 साल में देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देंगे तो इस देश की सभी समस्याओं का अंत अपने आप हो जाएगा। और इससे थोड़ा आगे बढ़ते है तो ये पाते है कि मोदी सरकार ने 4 साल में हिंदुत्व के लिए कुछ भी नही किया बल्कि हिंदुत्व के खिलाफ ही काम किया है।।
क्योकि इनकी पोस्टो में न तो किसी भी विकास कार्य का जिक्र होगा कभी न ही कभी किसी ऐसे कार्य का जिक्र होगा जिसके केंद्र में हिन्दू हो उल्टा ये लोग सिरे से इसे इग्नोर करके पुरानी कहानियों के आधार पर इसका सिरा दूसरे से जोड़ कर वर्तमान की घटनाओं को अपने नजरिये से न्यायसंगत बनाने की कोशिश करते रहते हैं।
वैसे मोदी ने जो कार्य हिंदुत्व हित मे किये वो इन कार्यो पर हमेशा मौन ही रहे है और मौन रहेंगे आगे भी क्योकि इन्हें सिर्फ विरोध करना ही रह गया है।
मोदी सरकार और दूसरी BJP की सरकारों ने जो हिन्दू हितों में काम किये वो कुछ इस तरह से है - - -
👉 गौ हत्या पर रोक लगाई,असीमानन्द साध्वी प्रज्ञा की रिहाई के साथ ही कर्नल पुरोहित की रिहाई भी इसी सरकार में हुई। और इन सबको भगवा आतंकवाद के कारण ही कांग्रेस ने कई सालों से जेल में डाल रखा था।
😡 मोदी के समय में ही "श्रीकांत पुरोहित", "साध्वी प्रज्ञा", ''पीएसआई बंजारा' और पूर्व एमएलए 'माया कोडनानी' को जेल से बाहर लाया गया जो की कहीं न कहीं झूंठे 'हिन्दू आतकवाद' के घिनौने षड़यंत्र में फंसाये गए थे !
👉 हिंदुत्व दर्शन और आध्यत्म का प्रमुख केंद्र बनारस के घाटों की सफाई और सौंदर्यता के काम किये गए।
👉 अयोध्या और मथुरा को नगर निगम का दर्जा दिया गया जिससे कि इन दोनों नगरों का समुचित विकास हो सके जो आज तक उपेक्षित थे। जिससे यहाँ आने वाले दर्शनार्थियों और यहाँ की जनता को ही लाभ होगा।
👉 मानसरोवर भवन का गाजियाबाद में निर्माण और up से मानसरोवर यात्रा पर जाने वालों की राशि दुगनी की गई।
👉 कैलाश के लिए नया रूट चीन से खुलवाया और धनराशि में बद्धोत्तरी।
👉 तो वही केदारनाथ का पुनर्निर्माण और चारो धाम यात्रा को जोड़ने वाले राजमार्ग का निर्माण इस तरह से करवाया जा रहा कि लंबे समय तक ये बना रहे और लोगों को यहाँ पहुँचने में आसानी हो साथ ही साथ जान का जोखिम भी कम हो।
👉 वैष्णो देवी के निकटतम तक रेल मार्ग का निर्माण करवाया।
👉 सभी धार्मिक स्थलों को एक सर्किट के रूप में जोड़ा और एक आध bjp शाषित राज्यो में यात्रा के लिए धन की व्यवस्था करना।
👉 अर्ध कुम्भ का बजट बढ़ाया। MP में साधुओं को मंत्री का दर्जा।
👉 UP में अयोध्या में पहली बार भव्य दिवाली मनाई गई।
👉 अयोध्या में "रामायण सर्किट" का निर्माण शुरू हुआ और वहाँ अनवतरत जारी राम लीला जो एक समय अखिलेश सरकार के समय फंड की कमी से बन्द होने के कगार पर आ गयी थी उसके लिए योगी सरकार द्वारा धन की व्यवस्था करना।
🙄 इसके अलावा अखिलेश सरकार के समय जब कांवर यात्रा के समय और होली के समय DJ पर रोक लगाई गई तो उसे योगी सरकार ने हटाया और जन्माष्टमी के थानों पे मनाए जाने की अलिखित रोक को भी हटाया।
🙄 और ये भी पहली बार ही हुआ था जब इस बार होली और जुम्मा साथ होने पर भी नमाज का समय आगे किया गया।
🙄 गौ संरक्षण की पहल और गौ शाला के निर्माण की तरफ प्रयास शुरू हुए। लेकिन इतना जरूर है कि इसकी गति धीमी है और आपकेक्षित परिणाम नही सामने आए।
🙄 भगवा आतंकवाद के धब्बे से मुक्ति भी इसी सरकार के समय मिली।
कांग्रेस जो अल्पसंख्यक संप्रायिक लक्षितएक बिल ला रही थी जिसमें अल्पसंख्यक पर कोई बहुसंख्यक कुछ करता तो कड़ी कार्यवाही और इसके उलट अल्पसंख्यक को उसमे प्रश्रय दिया जा रहा था वो ठंडे बस्ते में चला गया और अब कुछ लोग ये चाह रहे कि मोदी ने हिंदुत्व के लिए कुछ नही किया तो किसी को भी ले आओ और फिर वो इस तरह के नए बिल को लेकर आएगी तब समझ मे आएगा मोदी ने क्या किया हिंदुत्व के लिए।
👉 हिंदुत्व दर्शन के ही भाग योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा।
ज्यादातर राष्ट्र प्रमुखों को गीता भेंट करना।
मोदी जी जापान के PM शिंजो आबे को माँ गंगा जी की आरती में शामिल करवाएं तो वो ठीक। उससे आगे बढ़कर शिंजो आबे खुद आरती करें और तिलक भी लगाएं वो भी ठीक। उसके बाद अफगानिस्तान के मुस्लिम राष्ट्रपति हामिद करजई स्वर्ण मंदिर गए तो एक बार फिर मोदी जी की वाह-वाह तो एक दूसरे क्रिश्चियन ऑस्ट्रेलियन PM को मोदी जी खुद मेट्रो में बैठाकर अक्षरधाम मंदिर ले गए।
और अबू धाबी में जब मन्दिर बना तब वहाँ के मुस्लिम शासक आये उन्होंने मन्दिर के लिए जमीन दी और मन्दिर निर्माण में सहयोग किया।
कई राष्ट्रप्रमुखों को गीता भेंट की। तो विदेशो में कई मंदिरों में भी गए औए देश मे भी विभिन्न राज्यो में इस तरह लगातर मन्दिर जाने वाले एकमात्र PM है जिनके कारण काँग्रेस को अपनी रणनीति बदल कर राहुल को जनेऊ धारी बताना पड़ा और अव राहुल भी मन्दिर मन्दिर जा रहे है। जबकि ये राहुल वही है जिन्होंने एक बार कहा था कि 'लोग मंदिरों में लड़कियां छेड़ने जाते हैं'
👉 जो एक इफ्तार पार्टी का कल्चर था उस पर रोक लगाई वही दूसरी तरफ UP के मुख्यमंत्री आवास और राष्ट्रपति भवन में कन्याओं का नवदुर्गा के समय पूजन किया गया।
👉 SC के आदेश से ही सही लेकिन इस सरकार ने हज सब्सिडी खत्म की।
👉 उत्तराखंड में संस्कृत को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
👉 वही दूसरी तरफ योग और आयुर्वेद को बढ़ावा केंद्र और राज्य स्तर पर दिया गया। इनके कालेजो की संख्या बढ़ाई गई और आयुर्वेद के मेडिकल कॉलेज की संख्या भी बढ़ाई गई।
😡 मोदी सरकार के आने के बाद ही .. ज़ाकिर नायक के पीस फाउंडेशन पर प्रतिवंध लगा, कार्यवाही हुई, अवैध NGO बंद किये गए जो 'हिन्दू' विरोधी कार्यों में लिप्त थे, मिशनरी और इस्लामिक संस्थाएं एक्सपोज़ हुईं !
किसी को इस सरकार में सिर्फ हिन्दू होने के कारण प्रताड़ित नही किया गया जो सबसे बड़ी बात है। 🙌
और इससे ज्यादा क्या चाहते हो जो सिर्फ हिंदुत्व के नाम पर मोदी का विरोध कर रहे हैं। 🙄
पहले कुछ एक मंदिरों पर आतंकी हमले हुए लेकिन 4 साल में धमकी जरूर मिली लेकिन ऐसे किसी भी हमले को पहले को अंजाम तक नही पहुँचने देना भी इस सरकार की एक कामयाबी है। 🙌
👉 मोदी सकरकार ने सभी 'हिन्दू शरणार्थियों' को भारत में सीढ़ी एंट्री दे दी।
👉 8 राज्यों में हिंदुओ को अल्पसंख्यक का दर्जा इसी सरकार के प्रयासों से मिला।
अब कोई ये कहे कि इसमे क्या खुश होने वाली बात ये तो सही नही हुआ कि 8 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया।।तो बड़ी बात ये की हिन्दू अल्पसंख्यक पहले की सरकारों के समय हुआ लेकिन उसे जो अधिकार और सुविधाएं अल्पसंख्यक होने के कारण पहले से ही मिलनी चाहिए थी वो नही मिलती थी।।सरकार ने इस दिशा में प्रयास किया और बात SC तक गयी और सरकार ने इस दिशा में जीत हासिल की।
चित्रकूट के विकास के लिए नए सिरे से UP सरकार प्रयास कर रही है।
ये जितने काम मुझे याद थे वो बता दिए कि सरकार ने हिन्दू हितों के लिए किए। 🙏
लेकिन यहाँ बात ये आती है कि अगर मोदी नही तो कौन?
😡 उस काँग्रेस को लाएंगे जो SC में ये कहती है कि राम एक काल्पनिक व्यक्ति है और रामसेतु को तोड़ने की पुरजोर कोशिश की।
😡 तो शंकराचार्य तक को कई सालों के लिए जेल में डाल दिया।
😡 बाकी भगवा आतंकवाद, बटाला हाउस को फर्जी मुठभेड़ बताना, साध्वी प्रज्ञा , कर्नल पुरोहित को जेल में डलवाना, अल्पसंख्यक लक्षित बिल लाने की कोशिश करना और कुछ दिन पहले राम मंदिर सुनवाई को रुकवाने की पूरी कोशिश करना।
मुलायम को लाएंगे? 😇
जिन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवाई थी। जिन्होंने ढाई कोसी और पंच कोसी यात्रा तक ओर रोक लगा दी थी। जिनकी सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर सी थी।
या
ममता बेनर्जी को लाएंगे? 😇
इनके बारे में तो सबकों पता ही है कि ये कितनी दयालु और करुणामयी हैं।
किसे लाएंगे या मोदी को सिर्फ कुछ घटनाओं के सहारे हिंदुत्व के विरोधी के रूप में खड़ा करके उनके विकल्प के रूप में कौन आएगा ? 🤔
2014 तक आरएसएस की 44 हजार शाखाएं थी जो अब 58 हजार हो गयी है। और एक समय अखिलेश की सरकार के समय आरएसएस वालों की आगरा में पुलिस द्वारा पपीटे जाने की खबरों से सोशल मीडिया गुलजार रहता था।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन इस सरकार ने शुरू किया।
अभी जब मोदी जी इंडोनेशिया की मस्जिद गए और वहाँ हरी शॉल ओढ़ ली तो उस पर भी यही वर्ग सबसे ज्यादा गदर काटे था। 😤
लेकिन उन्होंने कभी ये जानने की कोशिश नही की मोदी जी वहाँ क्या करके आये। सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसँख्या वाले देश मे एक मंदिर है। इसका नाम प्रम्बानन मंदिर है। 🙌
मध्य जावा में स्थित प्रम्बनन मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यह मंदिर इंडोनेशिया का प्रसिद्ध और सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है। इस विशाल हिन्दू मंदिर की खास बात यह है कि यहां त्रिदेवों के साथ ही उनके वाहनों के भी मंदिर बने हुए हैं। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।
मोदी जी की इंडोनेशिया यात्रा में इस मंदिर की विश्व सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के बीच एक समझौता हुआ था। लेकिन इस बारे में सब चुप ही रहे।
इधर कुछ दिन पहले UP की BJP सरकार ने मथुरा के तीर्थ क्षेत्रों में शराब पर प्रतिबंध लगाया। जिले के बरसाना,गोकुल, गोवर्धन, नन्दगाँव, राधाकुण्ड और बलदेव को मद्यपान निषेध क्षेत्र घोषित किया गया।
इसी प्रकार नगर पंचायत गोवर्धन, राधा कुंड , नन्दगाँव एवं बलदेव को इस वर्ष 22 मार्च को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया जा चुका है।
फैजाबाद में नवनिर्मित अंतराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय एवम आर्ट गैलरी के लिए 29 लाख रुपये दिए।
और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया गया।
UP में रहने के कारण यहाँ की बीजेपी सरकार के हिन्दू हितों के कार्यो की जानकारी रहती है। बाकी के दूसरे BJP शासित राज्यों में भी ऐसे ही कार्य होते होंगे उन्हें अपने हिसाब से इस लिस्ट में जोड़ सकते है।
इसकी जगह प बंगाल देख लीजिए जहाँ राम नवमी हो या दुर्गा पूजा यया संघ का कार्यक्रम इन सब पर सरकार रोक लगा देती है फिर कोर्ट से ये रोक हटती है।
केरल में सड़क पर वामी कांगी गाय काट कर खाते है।
कर्नाटक में टीपू सुल्तान जयंती मनाई जाती है।
ये कुछ उदाहरण दूसरे राज्यो के है जहाँ BJP की सरकार नही है।
निर्णय अब आप लोगों को खुद ही करना है जो दिन रात ये कहते है कि BJP ने किया ही क्या है हिंदुत्व के लिए।
तो ये वो काम थे जो मोदी और BJP ने हिंदुओ के लिए किए लेकिन कुछ लोगों को ये काम कभी नही दिखे न ही उन्होंने इसकी चर्चा की।।
उन्हें याद रहा तो बस "राम मंदिर", "धारा 370" और "कॉमन सिविल कोड"। 🙌
इन तीन मुद्दों पर ही मोदी को घेरने के लिए रोज बड़ी बड़ी पोस्टे लिखी जाती है और लोगों को ये बताया जाता है कि देखो मोदी ने हिंदुओ के लिए कुछ किया ही नही। और विकास कुछ काम नही आएगा सब का सब थी धरा रह जायेगा।
🙌 अब इन 3 प्रमुख बिंदुओं की अगर बात की जाए तो BJP ने अपने 2014 के घोषणा पत्र में "भारतीय संस्कृति और विरासत की रक्षा" नामक शीर्षक में सबसे पहले ये लिखा है कि
1. संविधान के दायरे में राम मंदिर के सभी विकल्पों को तलाशा जाएगा।
2. राम सेतु के विषय मे निर्णय लेते समय उसकी सांस्कृतिक विरासत और थोरियम के भंडार को ध्यान में रखा जाएगा।
3. गाय और गौ वंश की रक्षा की जाएगी।
4.गंगा जी की निर्मलता और उसके अविरल प्रवाह को सुनिश्चित किया जाएगा।
5.सर्वश्रेष्ठ परम्पराओं से प्रेरित और संविधान की भावना के अनुसार समान नागरिक संहिता।

🙏 पहला मुद्दा है "राम मंदिर"।।
राम मंदिर की सुनवाई पिछले 7-8 सालों से SC में हो रही है लेकिन इसमे असली तेजी सीजेआई दीपक मिश्रा जी की अगुवाई में पिछले साल ही आयी है। वरना कितने CJI चले गए और केस वही अटका रहा। जस्टिस खेहर ने अदालत के बाहर मध्यस्थता की पेशकश भी की थी लेकिन उसके पहले सुनवाई एक तरह से बन्द ही थी। सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर इसकी तेज सुनवाई शुरू हुई और ये उम्मीद बनी की अक्टूबर से पहले तक इसमे निर्णय भी आ जायेगा। लेकिन फिर सिब्बल ने SC में कहा कि इसका निर्णय चुनाव बाद आना चाहिए और अंत मे CJI पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करके दबाव में लाने का प्रयास किया गया।
अगर पूरे केस को देखेंगे और विश्लेषण करेंगे तो राम जन्म भूमि केस में कांग्रेस के समय कोई प्रगति नही हुई थी। BJP के शुरुआती 2 सालों में भी इस दिशा में कोई खास पहल न हुई लेकिन बाद में कोर्ट के अंदर और कोर्ट के बाहर श्री श्री के प्रयास और शिया लोगों का मंदिर को समर्थन सरकार के प्रयासों का ही नतीजा था। बाकी मामला कोर्ट में है और उसी के द्वारा हल हो वही देश हित मे है और ऐसा होगा भही नही लेकिन 1% अगर ऐसा हुआ भी तब सरकार अध्यादेश ला कर मन्दिर का निर्माण करेगी।
जो लोग अभी अध्यादेश लाने की बात कर रहे उन्हें दूसरी पार्टियों की राजनीति को भी ध्यान में रखना चाहिए जो कल पूरे देश मे ये प्रचारित करवा देंगी की bjp न्यायिक प्रक्रियाओं का आदर नही करती है।
🙏 दूसरा मुद्दा "धारा-370" का है।।
इसकी परिणीति भी इसी सरकार के समय शुरू हुई जब BJP के वकील ने SC में 35 A संवैधानिक स्तिथि स्पष्ट करने को SC से कहा। क्योकि इसी शुरुआत यही से होनी है, वरना सब 370 के बारे में जानते थे लेकिन 35 A के बारे में किसी को पता ही नही था। ये सही बात है कि ये भी अंजाम तक नही पहुँचा लेकिन इसे इतनी जल्दी अंजाम तक पहुँचाना आसान भी न होगा। और हो सकता है इसे खत्म करने में 10-12 साल और लग जाये क्योकि सरकार इसे तभी खत्म करेगी जब घाटी पूरी तरह शांत हो जाएगी और जम्मू कश्मीर में शांति होगी और इस बारे में एक आम राय बन जाएगी।
🙏 तीसरा मुद्दा 'कॉमन सिविल कोड' का है।।
कॉमन सिविल कोड पर भाजपा सरकार ने 'यूनिफार्म सिविल कोड' बिल लॉ पैनल को 2017 में दे दिया है और उस पर चर्चा चालू है। इस पर समय लगेगा, उन्होंने इससे पहले मुस्लिमो में ही उनके समान अधिकारों की पहल की जिसमें तीन तलाक को खत्म किया गया और अगली सुनवाई हलाला पर चल रही। इससे कॉमन सिविल कोड की आगे की राह आसान होगी।
बाकी मैं मोदी सरकार से रोहनिया के मुद्दे पर और प बंगाल में हो रही राजनीतिक हत्याओं पर ज्यादा मुखर होने की उम्मीद करता था लेकिन यहाँ सरकार का रवैय्या निराश कर गया। लेकिन फिर भी इस सरकार के अलावा दूसरी किसी सरकार या राजनीतिक दल से उम्मीद भी नही की जा सकती इस विषय मे।
🙄 अब सिर्फ हिंदुत्व के सहारे ही मोदी के विकास को बकवास बताने वालों की भी कमी नही है। उनका ये कहना है कि उन 3 मुद्दों पर सरकार काम करे बाकी विकास से किसी को कोई मतलब नही है। न ही इससे कोई फर्क पड़ता है।
तो इन सबसे बस एक सीधा सा ये सवाल है कि सिर्फ एक दिन बिना बिजली और पानी के रह लेंगे ये लोग? जब पूरे दिन बिजली नही रहेगी तो मोबाइल भी नही चार्ज होगा तब वो किस तरह हिंदुत्व की पोस्ट करेंगे? 
सिर्फ कुछ घण्टो को अगर लाइट चली जाए तो आदमी बिलबिलाने लगता है। 1 दिन पानी न आये तो क्या हालात हो जाएगी वो सोच कर देख लीजिए। 
5 km एक सड़क गड्ढों से भरी सफर करने को मिल जाये तब विकास के मायने समझ आ जाएंगे।अभी शिमला में जो जल संकट है उनसे जाकर पूछो जरा की उन्हें ये 3 मुद्दे चाहिए या पानी चाहिए? सब कुछ साथ लेकर चलना है और बैलेंस के साथ चलना है । ये बात समझने की है, धर्म भी बढ़े और उसकी रक्षा हो तो दूसरी तरफ विकास भी हो तभी देश और समाज की उन्नति हो सकती है।
बाकी मोदी को 2002 के बाद हिन्दू अभिमान, हिन्दू राष्ट्रगौरव इन्ही लोगों ने माना था। वो खुद नही मनवाने आये थे किसी को की उन्हें हिन्दू हितों के रक्षक समझें। आप की अदालत में चुनाव से पहले ही उन्होंने मुस्लिमो के एक हाथ मे कुरान और लैपटॉप की बात बोली थी। और उसके पहले से ही गुजरात विकास मॉडल पर ही चुनाव लड़ा था बस ये कहा था कि वो तुष्टिकरण की राजनीति नही करेंगे।
ये आप लोगों के समझने का फेर था तो दूसरे को क्यो दोष दे रहें हैं इसके लिए? 
इससे थोड़ा और क्लीयर करते है तो मन्दिर और शौचालय वाला मोदी का जब बयान आया था तो उससे ही इनकी सोच समझ जानी चाहिए थी कि ये क्या करेंगे?
और आखिरी में कुछ लोग योगी जी को लाने की बात कर रहे है तो अभी तक जबसे वो मुख्यमंत्री बने है उनमें पुराने वाले तेवर गायब है। और कल को वो भी आप लोगों की आकांक्षाओ पर न उतरे तो फिर किसी तीसरे,चौथे को लाओगे? और ये क्रम ऐसे ही चलता रहेगा।
🙌 एक बात और समझ लीजिए इससे आप किसी दूसरे का नही बल्कि खुद का ही नुकसान कर रहे है। लोगों में संशय हो रहा है और वो कही से न ही हिंदुत्व के लिए और न ही देश के लिए सही है।
बाकी बिना मोदी के BJP कितनी सीट जीतेगी ये भी एक बार सोच कर देख लीजिएगा। 
अंत मे कोई भी परफेक्ट नही होता है, कुछ निर्णय मोदी जी के भी गलत रहे होंगे और वो हमारी आशाओं के अनुरूप नही होंगे । लेकिन बाकी जो काम हुए उसके आधार पर तो हम उनका समर्थन कर ही सकते है या नही?
आज का समय वो नही है कि एकदम से कट्टरता के साथ होकर शासन किया जाए। समय के हिसाब से बैलेंस बनाकर चलना बहुत जरूरी है। वरना एक तरफ ट्रम्प अपनी राष्ट्रीय नीतियों को लगातार पूरा करते जा रहे लेकिन लोग फिर भी उनसे खुश नही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ट्रंप अलग थलग होते जा रहे।
और आखिरी में चलिए मान भी लेता हूँ कि इस सरकार ने हिंदुओं के लिए कुछ भी नही किया। लेकिन ये भी तो है कि हिंदुओ के खिलाफ भी कुछ नही किया.
तो क्या इतना भी काफी नही है फिर? किन ये सब न दिखेगा इन लोगों को न समझना चाहेंगे। ये छाती कूट रहे हैं की "मोदी" हिन्दू विरोधी है।
(पोस्ट थोड़ी लम्बी है परन्तु आग्रह है की समय निकाल कर पढ़ें अवश्य आपको बहोत से सवालों के जवाब मिल जायेंगे) 

सरायघाट का युद्ध :



सरायघाट का युद्ध :: The Battle of Saraighat ::: असम का परमवीर योद्धा "लचित बोरफूकन" ... 
अहोम राज्य (आज का आसाम या असम) के राजा थे चक्रध्वज सिंघा .. और दिल्ली में मुग़ल शासक था औरंगज़ेब। औरंगज़ेब का पूरे भारत पे राज करने का सपना अधूरा था बिना पूर्वी भारत पर कब्ज़ा जमाए ... इसी महत्वकांक्षा के चलते औरंगज़ेब ने अहोम राज से लड़ने के लिए एक विशाल सेना भेजी। इस सेना का नेतृत्व कर रहा था राजपूत राजा राजाराम सिंह .. राजाराम सिंह औरंगज़ेब के साम्राज्य को विस्तार देने के लिए अपने साथ 4000 महाकौशल लड़ाके, 30000 पैदल सेना, २१ राजपूत सेनापतियों का दल, 18000 घुड़सवार सैनिक, 2000 धनुषधारी सैनिक और 40 पानी के जहाजों की विशाल सेना लेकर चल पड़ा अहोम (आसाम) पर आक्रमण करने।
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अहोम राज के सेनापति का नाम था "लचित बोरफूकन" .. कुछ समय पहले ही लचित बोरफूकन ने गौहाटी को मुग़ल शासन के मुक्त करा के दिल्ली के मुग़ल शासन से आज़ाद करा लिया था। इससे बौखलाया औरंगज़ेब जल्द से जल्द पूरे पूर्वी भारत पर कब्ज़ा कर लेना चाहता था। ......... राजाराम सिंह ने जब गौहाटी पर आक्रमण किया तो विशाल मुग़ल सेना का सामना किया अहोम के सेनापति "लचित बोरफूकन" ने ..... मुग़ल सेना का रास्ता रोक गया ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे .... इस लड़ाई में अहोम राज्य के 10000 सैनिक मारे गए और लचित बोरफुकन बुरी तरह जख्मी होने के कारण बीमार पड़ गए ... अहोम सेना का बुरी तरह नुक्सान हुआ। राजाराम सिंह ने अहोम के राजा को आत्मसमर्पण ने लिए कहा ... जिसको राजा चक्रध्वज ने यह कह कर कि "आखरी जीवित अहोम भी मुग़ल सेना से लड़ने के लिए तैयार है" अस्वीकार कर दिया। लचित बोरफुकन जैसे प्लानर और जाबाज सेनापति के घायल और बीमार होने से अहोम सेना मायूस हो गयी थी। .. अगले दिन ही लचित बोरफुकन ने राजा को कहा कि जब मेरा देश, मेरा राज्य आक्रांताओं द्वारा कब्ज़ा किये जाने के खतरे से जूझ रहा है, जब हमारी संस्कृति, मान और सम्मान खतरे में हैं तो मैं बीमार होकर भी आराम कैसे कर सकता हूँ, मैं युद्ध भूमि से बीमार और लाचार होकर घर कैसे जा सकता हूँ ... हे राजा युद्ध की आज्ञा दें। ...
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इसके बाद ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे सरायघाट पे वो ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया .... जिसमे "लचित बोरफुकन" ने सीमित संसाधनों के होते हुए भी मुग़ल सेना को रौंद डाला .. अनेकों मुग़ल कमांडर मारे गए और मुग़ल सेना भाग खड़ी हुई .. जिसका पीछा करके लचित बोफुकन की सेना ने मुग़ल सेना को अहोम राज के सीमाओं से काफी दूर खदेड़ दिया ...... इस युद्ध के बाद कभी मुग़ल सेना की हिम्मत नहीं हुई पूर्वोत्तर पर आक्रमण करने की जिससे ये इलाका कभी गुलाम नहीं बना ....
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लोगों को मालूम नहीं कि आज के समय जो NDA कैडेट बेस्ट होता है उसको "लचित बोरफुकन" मैडल मिलता है ................ आज के आसाम में जोरहट शर में लचित बोरफुकन की प्रतिमा है, इसके नींचे अभी भी उनके अवशेष सुरक्षित रखे हुए हैं ....... कभी जोरहट जाना तो उन चरणों पर शीश झुका देना ......