सर्वोच्च अदालत के दबाव से ही सही, विदेशों में जमा काला धन वापस लाने की दिशा में शुरूआत तो हुई। केन्द्र में सत्तारूढ़ मोदी जी की नई सरकार के अपनी पहली बैठक में काले धन की वापसी के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) के गठन से इरादे तो साफ कर दिए हैं। लेकिन लाख टके का सवाल हर भारतीय के दिल में उमड़ रहा है कि.......
क्या जांच दल बना देने से ही काला धन वापस आ जाएगा ?
देश का हर राजनीतिक दल अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वापस लाने की वकालत करते नहीं थकता लेकिन पिछले पांच साल में इस दिशा में हम शायद एक कदम भी आगे नहीं चल पाए ।
बीजेपी 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से काले धन का मुद्दा उठाती रही है। दस साल से केन्द्र में विपक्ष की भूमिका निभाती रही भाजपा अब सत्ता में है, लिहाजा उससे उम्मीदें कुछ ज्यादा ही हैं। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम.बी. शाह की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल में रिजर्व बैंक, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय जैसे वित्तीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों को सदस्य बनाया गया है। सरकार की पहल कितना रंग लाएगी, यह तो समय ही बताएगा लेकिन इस दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ा जाए तो सफलता हाथ लग सकती है। भारत ने कुछ देशों के साथ दोहरे कराधान सम्बंधी करार किए हैं। इन्हीं करार के तहत जर्मनी के एक बैंक ने पिछले साल कुछ खाता धारकों के नामों का खुलासा किया था।
स्विट्जरलैण्ड के बैंक काला धन जमा करने के मामले में सदा से चर्चा में रहे हैं लेकिन अब दुनिया के अनेक देशों में वहां की सरकारों की मदद से ऎसे बैंक होने के खुलासे सामने आ रहे हैं। विशेष जांच दल का गठन शुरूआत जरूर है लेकिन सरकार यदि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करे तो कोई कारण नहीं कि सफलता हाथ नहीं लगे। अमरीकी सरकार स्विट्जरलैण्ड पर दबाव डाल कर कई गुप्त जानकारियां हासिल करने में कामयाब रही है और देश भी इस तरह के प्रयासों में कामयाबी के करीब है । विदेशों में भारत का कितना काला धन जमा है, यह अनुमान का खेल है लेकिन सार्थक प्रयास जारी रहे तो इसका कुछ हिस्सा वापस आना भी किसी सपने से कम नहीं होगा। काला धन वापस लाने की दिशा में तो काम हो ही, कोशिश ये भी रहे कि भविष्य में काला धन भारत से बाहर जाने ना पाए। इसके लिए जो भी बंदोबस्त करने हों सख्ती से किए जाने चाहिए।
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क्या जांच दल बना देने से ही काला धन वापस आ जाएगा ?
देश का हर राजनीतिक दल अवैध तरीके से कमाए गए काले धन को वापस लाने की वकालत करते नहीं थकता लेकिन पिछले पांच साल में इस दिशा में हम शायद एक कदम भी आगे नहीं चल पाए ।
बीजेपी 2009 के लोकसभा चुनाव के बाद से काले धन का मुद्दा उठाती रही है। दस साल से केन्द्र में विपक्ष की भूमिका निभाती रही भाजपा अब सत्ता में है, लिहाजा उससे उम्मीदें कुछ ज्यादा ही हैं। सर्वोच्च न्यायालय के सेवानिवृत्त न्यायाधीश एम.बी. शाह की अध्यक्षता में गठित विशेष जांच दल में रिजर्व बैंक, सीबीआई, प्रवर्तन निदेशालय जैसे वित्तीय जांच एजेंसियों के प्रमुखों को सदस्य बनाया गया है। सरकार की पहल कितना रंग लाएगी, यह तो समय ही बताएगा लेकिन इस दिशा में ईमानदारी से आगे बढ़ा जाए तो सफलता हाथ लग सकती है। भारत ने कुछ देशों के साथ दोहरे कराधान सम्बंधी करार किए हैं। इन्हीं करार के तहत जर्मनी के एक बैंक ने पिछले साल कुछ खाता धारकों के नामों का खुलासा किया था।
स्विट्जरलैण्ड के बैंक काला धन जमा करने के मामले में सदा से चर्चा में रहे हैं लेकिन अब दुनिया के अनेक देशों में वहां की सरकारों की मदद से ऎसे बैंक होने के खुलासे सामने आ रहे हैं। विशेष जांच दल का गठन शुरूआत जरूर है लेकिन सरकार यदि दृढ़ इच्छाशक्ति के साथ काम करे तो कोई कारण नहीं कि सफलता हाथ नहीं लगे। अमरीकी सरकार स्विट्जरलैण्ड पर दबाव डाल कर कई गुप्त जानकारियां हासिल करने में कामयाब रही है और देश भी इस तरह के प्रयासों में कामयाबी के करीब है । विदेशों में भारत का कितना काला धन जमा है, यह अनुमान का खेल है लेकिन सार्थक प्रयास जारी रहे तो इसका कुछ हिस्सा वापस आना भी किसी सपने से कम नहीं होगा। काला धन वापस लाने की दिशा में तो काम हो ही, कोशिश ये भी रहे कि भविष्य में काला धन भारत से बाहर जाने ना पाए। इसके लिए जो भी बंदोबस्त करने हों सख्ती से किए जाने चाहिए।
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