गुरुवार, 20 सितंबर 2012

आप के लिए कुछ बचा क्या ?


भारत के 120 करोड़ से ज्यादा निवासियों में अधिकांश किसान हैं | करीब 40 करोड़ हिन्दुस्तानी 9 से 5 बजे तक की ( या इससे भी ज्यादा ) नौकरी बजाते हैं | ये ऐसा वर्ग है जिसे मध्य वर्ग कहा जाता है | इसके घर में छोटी छोटी चीजों के आने पर ही ख़ुशी का मौका बन जाता है | मोटर बाइक आ गई , ख़ुशी का मौका , कार आ गई , ख़ुशी का मौका | कल रेस्तुरांत में खाना खा आये तो खुश हो गए | अब जरा उन पर गौर फरमाइए जो चांदी की चम्मच लेकर ही पैदा हुए हैं | भारत में राजनीति और फिल्मों का धंधा धीरे धीरे पारिवारिक होता जा रहा है | पहले भी था लेकिन अब कुछ ज्यादा ही हो रहा है | सब को पता है कि इससे बेहतर काम और कोई हो ही नहीं सकता , न पढाई लिखाई की बहुत जरूरत न कोई संघर्ष | हालाँकि सभी अच्छे पढ़े लिखे आ रहे है |
पहले जरा राजनीति की बात कारें :
नेहरु गाँधी परिवार : जवाहर लाल नेहरु – इंदिरा गाँधी एवं फिरोज गाँधी – राजीव एवं संजय गाँधी – सोनिया एवं मेनका गाँधी – राहुल एवं वरुण गाँधी ( सभी संसद सदस्य रहे हैं )
लाल बहादुर शास्त्री : हरिकृष्ण शास्त्री , सुनील शास्त्री ( सभी संसद सदस्य रहे हैं )
प्रतिभा देवी सिंह पाटिल : राजेंद्र सखावत (पुत्र ) (महाराष्ट्र में विधायक )
मुलायम सिंह यादव : रामगोपाल यादव (भाई ), धर्मेन्द्र यादव (भतीजा ) , अखिलेश यादव (पुत्र -मुख्यमंत्री ) , स्वयं – सभी संसद सदस्य
शिवपाल यादव (भाई ) विधायक-मंत्री , डिम्पल यादव (बहु) कन्नौज से सांसद , प्रतीक यादव ( इंतजार करें)
कल्याण सिंह : राजवीर सिंह (पुत्र )(विधायक रहे हैं )
राजनाथ सिंह : नीरज सिंह , पंकज सिंह (पुत्र ) -तैयारी में
विलासराव देशमुख : अमित देशमुख (पुत्र )(विधायक )
सुशिल कुमार शिंदे : प्रणीति शिंदे ( पुत्री ) विधायक
शरद पवार : अजीत पवार ( भतीजा ) ( उप मुख्य मंत्री ), सुप्रिया सुले (पुत्री ) सांसद
नारायण राने : नीलेश राने (पुत्र )-तैयार
बाला साहेब ठाकरे : उद्धव ठाकरे (पुत्र ), राज ठाकरे (भतीजा )- शिव सेना एवं मनसे प्रमुख
छगन भुजबल : पंकज भुजबल (विधायक )
देवीलाल : ओम प्रकाश चौटाला (पुत्र ) (मुख्यमंत्री ), अजय चौटाला , अभय चौटाला (पुत्र ) (विधायक) सांसद
भजन लाल : कुलदीप विश्नोई (पुत्र ) विधायक , अब सांसद बनने की तैयारी
बंसी लाल : कुमारी शैलजा ( सांसद )
माधव राव सिंधिया : ज्योतिरादित्य सिंधिया (पुत्र -सांसद ), विजयराजे सिंधिया , वसुंधरा राजे सिंधिया ( बहन )
लालू प्रसाद यादव : राबड़ी देवी (पत्नी -मुख्यमंत्री ) , साधू यादव , सुभाष यादव (साले -विधायक , सांसद )
करूणानिधि : एम्.के. स्टालिन , एम्.के .अज़गिरी (पुत्र , विधायक एवं सांसद ), कनिमोज़ी ( पुत्री -सांसद )
प्रकाश सिंह बादल : सुखवीर सिंह बादल (पुत्र -उपमुख्यमंत्री )
अमरेन्द्र सिंह – परमजीत सिंह कौर (पत्नी-सांसद )
फारूक अब्दुल्ला : उमर अब्दुल्ला
मुफ्ती मोहम्मद सईद :रूबिया
अटल बिहारी वाजपयी : करुना शुक्ल (भतीजी )-मध्य प्रदेश में विधायक
येदियुरप्पा : राघवेन्द्र , विजयेन्द्र (पुत्र)-सांसद
देवेगोड़ा : कुमारस्वामी ( मुख्यमंत्री)
वी.पी.सिंह : अजय सिंह
शीला दिक्सित : संदीप दिक्सित (सांसद )
जसवंत सिंह : दुष्यंत सिंह (पुत्र)-सांसद
प्रिय रंजन दस मुंशी : दीपा दास मुंशी (पत्नी-सांसद )
भूपेंद्र सिंह हुड्डा : रणदीप सिंह हुड्डा (पुत्र -सांसद)
प्रेम सिंह धूमल : अनुराग ठाकुर (पुत्र -सांसद )प्रणव मुखर्जी : अरिजीत मुखर्जी ( विधायक -बंगाल )
अब ज़रा फिल्मों की बात कर लें :
दलीप कुमार : कोई औलाद नहीं
प्रथ्वी राज कपूर : राज कपूर : रंधीर कपूर , ऋषि कपूर , राजीव कपूर !
शम्मी कपूर : बेटे जो फिल्म लाइन में सफल नहीं हुए
शशि कपूर : एक बेटी फिल्मो में , मगर सफल नही
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रंधीर कपूर : करिश्मा कपूर , करीना कपूर ( दोनों हिरोइन )

ऋषि कपूर : रणवीर कपूर ( हीरो )
देव आनंद – सुनील आनंद ( हीरो -लेकिन सफल नहीं )
चेतन आनंद
सुनील दत्त : संजय दत्त (हीरो) , प्रिया दत्त (सांसद ) , नम्रता दत्त ( कुमार गौरव की पत्नी )
अमिताभ बच्चन : अभिषेक बच्चन (बेटा -हीरो ) , ऐश्वर्या बच्चन ( बहु -हिरोइन )
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रोशन : संगीतकार
राकेश रोशन (हीरो -निर्माता , निर्देशक )
राजेश रोशन ( संगीतकार )
ऋतिक रोशन -हीरो
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धर्मेन्द्र -हीरो , निर्माता
सनी देओल – हीरो , निर्माता
बोबी देओल – हीरो
हेमा मालिनी (पत्नी ) -हिरोइन
ईशा देओल (बेटी )- हिरोइन
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यशराज चोपड़ा – निर्माता
बलराज चोपड़ा(भाई ) -निर्माता
विधु विनोद चोपड़ा (भाई )- निर्माता
आदित्य चोपड़ा(यशराज का बेटा ) -निर्माता
उदय चोपड़ा (यश राज का बेटा ) -हीरो , निर्माता
रवि चोपड़ा( बलराज का बेटा ) -निर्माता , निर्देशक
जैकी (विधु का बेटा ) -हीरोये तो केवल एक बानगी है | बहुत सारे ऐसे हैं जो अभी लाइन में हैं या हो सकता है मुझे उनके विषय में जानकारी न हो | फिर हमारे तुम्हारे लिए क्या बचता है ? सिर्फ 9 से 5 बजे तक की नौकरी ही न ? सोचिये और बस सोचिये | क्योंकि इसके अलावा हम कुछ कर भी नहीं सकते |


yogi sarswat ji & Ranjan Kumar ji

धर्म के नाम पर बहने वाले खून का हर कतरा हमारा है..

हम सभी  एक धरमनिरपेक्ष देश मेंरहते है  जहाँ किसी धर्म कि कदर है कि नहीं मुझे नहीं पता पर इतना पता है कि कोई न कोई प्रतिदिन धर्म कि बलि पर किसी न किसी को चढाया जाता है . ऑस्ट्रेलिया में भेदभाव होता है तो भारत में उसकी प्रतिक्रिया होती या देश कि सम्पति को नुकसान पहुँचाया जाता है और सरकारें तथा कानून नग्न नाच देखता रहता है और किसी के उपर कानूनी कारवाही नहीं होती . अगर एक छोटे से व्यक्ति ने भीख मिटने के लिए खाना भी चुरा लिया जाये तो उसको मर मर कर उसकी दुर्गति कि जाती है .

कुछ लोग अपना- अलग अलग पंथ बनाकर देश का बिभाजन कर रहे हैं तो कुछ लोग क्षेत्रवाद के नाम पर ,तो कुछ धर्म के नाम पर ऐसा लगता है जैसे की सभी धर्मों का ठेका उन्होंने ले लिया है .

जब भी ऐसे उन्माद होते हैं तो उसमें मरने वालो की सबसे ज्यादा संख्या बच्चों और महिलाओं और बूदों की होती है .
जहाँ तक मुझे पता है बच्चे का कोई मजहब नहीं होता है उसे जो अपनाएगा उसी धर्म का हो जाएगा तो फिर हिंसा क्यों .

अगर एक हिन्दू मरता है तो एक सिख मरता है एक सिख मरता है तो एक मुसलमान मरता है एक मुसलमान मरता है तो एक ईसाई मरता है . हर बहने वाले खून का कतरा एक भारतीय का होता है तो क्यों हम उन लोगों का साथ दें . अगर वे अपने खून बहाने का मादा रखते तो सबसे पहले उनका खून बहता न की मासूम बच्चों और औरतों का . वो आप के लिए अपना खून क्यों बहायेंगे . आपको दो वक़्त की रोटी तो छोड़ो बीमारी के समय में सहायता नहीं कर सकते तो उनको आपकी क्या पड़ी हैं वो समय चला गया जब देशभक्त पैदा होते थे वो लोग तो धरम के नाम पर हमारी बलि दे देंगे लेकिन उनके अपने अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती है किवो अपना खून बहाएं . शरारती तत्व हर जगह हैं .

किसी न किसी रूप में हर धर्म के व्यक्ति का देश को बनाने में सहायक होता है . (भारत के नानावटी जैसे मुख्या न्यायधीश को एक मुसलमान ने अपने परवरिश दी )और आर रहमान जैसे व्यक्ति हिन्दुत्व छोड़ कर मुसलमान बन गए .
ऐसे ही कई उदारहण हैं जो कभी हमारे सामने नहीं आये पर इंसानियत आज भी है

इसलिए भड़काऊ लोगो से बचे और अपने बच्चों के साथ अपने देश कि तथा दुसरे बच्चों और महिलाओं कि भी सुरक्षा करें .
मैं एक धरमनिरपेक्ष देश में रहता हूँ जहाँ किसी धर्म कि कदर है कि नहीं मुझे नहीं पता पर इतना पता है कि कोई न कोई प्रतिदिन धर्म कि बलि पर किसी न किसी को चढाया जाता है . ऑस्ट्रेलिया में भेदभाव होता है तो भारत में उसकी प्रतिक्रिया होती या देश कि सम्पति को नुकसान पहुँचाया जाता है और सरकारें तथा कानून नग्न नाच देखता रहता है और किसी के उपर कानूनी कारवाही नहीं होती . अगर एक छोटे से व्यक्ति ने भीख मिटने के लिए खाना भी चुरा लिया जाये तो उसको मर मर कर उसकी दुर्गति कि जाती है .
कुछ लोग अपना- अलग अलग पंथ बनाकर देश का बिभाजन कर रहे हैं तो कुछ लोग क्षेत्रवाद के नाम पर ,तो कुछ धर्म के नाम पर ऐसा लगता है जैसे की सभी धर्मों का ठेका उन्होंने ले लिया है .

जब भी ऐसे उन्माद होते हैं तो उसमें मरने वालो की सबसे ज्यादा संख्या बच्चों और महिलाओं और बूदों की होती है .
जहाँ तक मुझे पता है बच्चे का कोई मजहब नहीं होता है उसे जो अपनाएगा उसी धर्म का हो जाएगा तो फिर हिंसा क्यों .

अगर एक हिन्दू मरता है तो एक सिख मरता है एक सिख मरता है तो एक मुसलमान मरता है एक मुसलमान मरता है तो एक ईसाई मरता है . हर बहने वाले खून का कतरा एक भारतीय का होता है तो क्यों हम उन लोगों का साथ दें . अगर वे अपने खून बहाने का मादा रखते तो सबसे पहले उनका खून बहता न की मासूम बच्चों और औरतों का . वो आप के लिए अपना खून क्यों बहायेंगे . आपको दो वक़्त की रोटी तो छोड़ो बीमारी के समय में सहायता नहीं कर सकते तो उनको आपकी क्या पड़ी हैं वो समय चला गया जब देशभक्त पैदा होते थे

वो लोग तो धरम के नाम पर हमारी बलि दे देंगे लेकिन उनके अपने अंदर इतनी हिम्मत नहीं होती है किवो अपना खून बहाएं . शरारती तत्व हर जगह हैं .किसी न किसी रूप में हर धर्म के व्यक्ति का देश को बनाने में सहायक होता है . भारत के नानावटी जैसे मुख्या न्यायधीश को एक मुसलमान ने अपने परवरिश दी और आर रहमान जैसे व्यक्ति हिन्दुत्व छोड़ कर मुसलमान बन गए
ऐसे ही कई उदारहण हैं जो कभी हमारे सामने नहीं आये पर इंसानियत आज भी है

इसलिए भड़काऊ लोगो से बचे और अपने बच्चों के साथ अपने देश कि तथा दुसरे बच्चों और महिलाओं कि भी सुरक्षा करें .

!! जो मरने को राजी है, वह जीवन पा लेता है.......??

एक भिखारी भीख मांगने निकला था। वह बूढ़ा हो गया था और आंखों से उसे कम दिखता था। उसने एक मंदिर के सामने आवाज लगाई। किसी ने उससे कह, 'आगे बढ़। यह ऐसे आदमी का मकान नहीं है, जो तुझे कुछ दे सके।'भिखारी ने कहा, 'आखिर इस मकान का मालिक कौन है, जो किसी को कुछ नहीं देता?' वह आदमी बोला, 'पागल, तुझे यह भी पता नहीं कि यह मंदिर है! इस घर का मालिक स्वयं परमपिता परमात्मा है।'
भिखारी ने सिर उठाकर मंदिर पर एक नजर डाली और उसका हृदय एक जलती हुई प्यास से भर गया। कोई उसके भीतर बोला,'अफसोस, असंभव है इस दरवाजे आगे बढ़ना। आखिरी दरवाजा आ गया। इसके आगे और दरवाजा कहां है?'
उसके भीतर एक संकल्प घना हो गया। अडिग चट्टान की भांति उसके हृदय ने कहा, 'खाली हाथ नहीं लौटूंगा। जो यहां से खाली हाथ लौट गए, उनके भरे हाथों का मूल्य क्या?'
वह उन्हीं सीढि़यों के पास रुक गया। उसने अपने खाली हाथ जोड़ कर बैठ गया वही , वह प्यास था- और प्यास ही प्रार्थना है।
दिन आये और गये। माह आये और गये। ग्रीष्म बीती, वर्षा बीती,सर्दियां भी बीत चलीं। एक वर्ष पूरा हो रहा था। उस बूढ़े के जीवन की मियाद भी पूरी हो गई थी। पर अंतिम क्षणों में लोगों ने उसे नाचते देखा था.....
उसकी आंखें एक अलौकिक दीप्ति से भर गयीं थीं। उसके वृद्ध शरीर से प्रकाश झर रहा था...
उसने मरने से पूर्व एक व्यक्ति से कहा था, 'जो मंगता है, उसे मिल जाता है। केवल अपने को समर्पित करने का साहस चाहिए,,'
अपने को समर्पित करने का साहस...
अपने को मिटा देने का साहस..
जो मिटने को राजी है, वह पूरा हो जाता है,जो मरने को राजी है, वह जीवन पा लेता है.......

आरक्षण पर क्या कोई बन्धु मेरी जिज्ञासा का समाधान करेगे??


क्या कोई बन्धु मेरी जिज्ञासा का समाधान करेगे --
मेरी जिज्ञासा ----
जब संविधान में आरक्षण देने का निर्णय लिया गया था तब इसका आधार जातिय रखा गया
और कुछ को अनुसूचितजाति [SC ]और कुछ को अनुसूचित जनजाति [ST ] माना गया |

...
...
प्रश्न 1 . ------------- इस बात का क्या आधार निर्धारित किया की
ये ये जातिया अनुसूचित जातिया होगी और ये ये जातिया अनुसूचित जनजातीय होगी ?

( इसी तरह एक और प्रश्न है की १९५० जब से संविधान लागु हुआ
उससे पहिले तक भारत में चमड़े का जितना भी व्यापर होता था

उस पर चमार जाति का एकाधिकार था अर्थात चमार जाति एक व्यापारी जाति थी
चमड़े की चड्स जो कुओ से पानी निकालने के काम आती थी
जिसका पानी खेतमे काम करने वाले ब्राह्मण राजपूत और अन्य सभी खेतिहर जातिया पीती थी
फिर चमार जाति को किस आधार पर आरक्षण दिया गया ?

इसी तरह राजस्थान मीणा जाति के पास १९५० से पहिले ही कृषि भूमि थी
उन्हें किस आधार पर अनुसूचित जन जाति माना गया ? मीणाजाति कृषक जाति थी )

प्रश्न 2 . ---------- ---- क्या कोई बन्धु आरक्षण में जाति का क्या CRITERIA था की जानकारी देगे ?

प्रश्न 3 .-------------------------पिछले ६२ वर्षों में किस आरक्षित जाति ने कितनी तरक्की की ?

प्रश्न 4 --------------------- कितनी जातिया आरक्षण के सहारे अगड़ी जातियों के बराबर आगयी ?

प्रश्न 5 -----------------------वो कौनसी सीमा रेखा थी जिसको पार करने पर दलित दलित नही होगा ?

प्रश्न 6 ------------------------आरक्षण के सहारे सभी दलित कब तक अगडे हो जायेगे ?

है किसी के पास इस जिज्ञासा का जवाब ?

क्या दलितो में जातिया नही होती ?

सरकार दलित जातियों में यानि SC& ST जातियों में आपसी विवाह को प्रोत्साहन क्यों नही देती ?

भंगी और चमार जाति में आपसी विवाह को प्रोत्साहन देके जातीयता को समाप्त क्यों नही करती ?

राज सत्ता दलित और गैर दलित में ही विवाह को प्रोत्साहन के लिए धन का लालच क्यों देती है ?

मेरे मित्रों इन राजनेतिक षड्यंत्रो को पहिचानो और आरक्षण के विरोध में सवर्ण जाति राजनेतिक एकता के प्रयास करों |

यदि सवर्ण एक नही हुए तो आपके वंशानुगत संस्कारो को नष्ट करने में ये देश के गद्दार पीछे नही हटेगे |

देश के गद्दार कहते है की ये जातीय हजारो सालो से दबी कुचली हुई है | हम इनसे पूछते है की ---------------

हजारो सालो से विधर्मी और विदेशी हमलो का सामना किन जातियों ने किया ? इन हमलावरों के साथ युद्ध में वीरता पूर्वक कौन लड़े ?

युध्दों में कौन जाति के लोग शहीद हुए ? जनहानी और धनहानी किन जातियों की हुई ? अंग्रेजो से आज़ादी के लिए कौन लड़े ?

जब देश के गद्दार दलितों को हर क्षेत्र में वीर जातियों के बराबर लाना चाहते है तो इन दलितों को रक्षा सेनाओ में आरक्षण क्यों नही ?

इन में वीरता के गुणों के विकास के लिए 100 % दलित आरक्षण भारत की रक्षा सेनाओ में क्यों नही करते ?

शेरो जागो इन भेडियों की गुलामी मत करों | वोट की राजनीति देश को गर्त में ले जा रही है |

जागो देश भगतो जागो और मेरी जिज्ञासा का समाधान करों