मंगलवार, 5 जून 2012

!!बलात्कार - एक नारी, समाज, देश और पुलिस !!

हाल ही में एक सर्वे किया गया जिसमे पुलिस से (समाज के रक्षको से) कुछ सवाल किये गए की उनकी नज़र में बलात्कार होने के कारन क्या हैं और उसके लिए कौन कौन जिम्मेदार होते हैं। जिसके लिए इन लोगो ने बड़े अजीबो गरीब उदहारण दिए की क्यों बलात्कार होते हैं ? इन कारणों को जानने के बाद शायद महिलाएं यही अनुमान लगाएंगी की उन्होंने एक स्त्री के रूप में (भारत जैसे देश में) जन्म क्यों लिया??? ये तो अच्छा हुआ की पुलिस के पास सिर्फ बलात्कार के विषय में इस तरह के अजीबो गरीब कारन हैं. कही छेड़ छाड जैसी घटनाओं के लिए इनसे जवाब मांगे जाये तो ये क्या क्या वजह बताएँगे. निचे दिए गए उदाहरानो को पढ़ने से यही ज्ञात होती हैं की पुलिस की नज़र में बलात्कार की मूल वजह्ज सिर्फ और सिर्फ नारी है!!! या फिर यह कह सकते हैं की यदि नारी या नारी के जैसी कोई चीज़ यदि घर में, सड़क पर, मोहल्ले में, शहर में, समाज में, और देश में ना रहे तो बलात्कार जैसी घटनाये नहीं होंगी. पर यहाँ सवाल उठता हैं की बलात्कार जैसी घटना को अन्ज्जाम कौन देता हैं. आदमी या औरत !!! आज तक समाज में या फिर संसार में जहापर भी बलात्कार जैसी घटना हुई, उसमे एक नारी ने ही शिकायत दर्ज कराई. मैंने तो आज तक नहीं सुना किसी मर्द को यह इलज़ाम लगते हुए की उसके साथ बलात्कार या सामूहिक बलात्कार हुआ हैं. हमारी पुलिस ने जिस तरह के कारन बताएं हैं उनसे तो लगता हैं की एक नारी ही एक पुरुष को या पुरुषों को आमत्रण देती हैं की उसका बलात्कार करे - आ बैल मुझे मार !!!
आईये हम सब जाने की ऐसे कोनसे कारन हैं पुलिस की नज़र में जिनसे समाज में बलात्कार जैसी घटनाएँ होती हैं. जानते हैं - - - -

पहला कारण :
महिलाएं हमेशा सलवार कमीज या साड़ी नहीं पहनती हैं। 'लड़कियों को पूरे शरीर को ढंकना चाहिए...वे स्कर्ट पहनती हैं, ब्लाउज पहनती हैं, लेकिन पूरे शरीर को ढंकने वाले कपड़े नहीं पहनती हैं और दुपट्टा नहीं डालती हैं। अपना दिखावा करती हैं तो बच्चा उसकी तरफ आकर्षित होता है। 'वह इस तरह से कपड़े पहनती हैं कि लोग उसकी तरफ आकर्षित हो जाते हैं। कि महिलाएं इसीलिए ऐसा करती हैं कि लोग उनके साथ कुछ करें इन दलीलों के जरिए यही बात साबित करने की कोशिश की गई है कि अगर महिला ने सिर से लेकर पांव तक अपने आप को कपड़ों से नहीं ढंका हुआ है तो उसके साथ बलात्कार होना पक्का है
दूसरा कारण :
अगर कोई लड़की किसी एक लड़के के साथ शारीरिक संबंध बनाती है तो उसके साथ लड़के के अलावा उसके दोस्त भी रेप कर सकते हैं। ऐसा बहुत ही कम होता है कि किसी एक लड़की को 10 लड़के उठा लें। अगर कोई लड़की लड़कों से भरी कार में बैठती है तो वह निर्दोष नहीं हो सकती है। अगर वह ऐसा करती है तो उसका किसी न किसी लड़के के साथ रिश्ता है।
तीसरा कारण :
वह शराब पिए हुए लोगों के साथ रहती है, तो उसके साथ रेप हो सकता है। क्या किसी अजनबी के साथ शराब पीना भारत में गलत फैसला है? पुलिस का मानना है कि शराब और मौका रेप के लिए जरूरी माहौल तैयार करते हैं और यही रेप की वजह होते हैं।
चौथा कारण :
अगर किसी लड़की की मां का चरित्र ठीक नहीं है तो उसकी बेटी के साथ रेप होने की काफी आशंका रहती है। ऐसे में इस बात की पूरी आशंका है कि लड़कियां भटक सकती हैं।'
पांचवां कारण :
अगर महिला समाज के ऊंचे तबके से आती है तो वह रेप का शिकार बनेगी। समाज के उच्च वर्ग की महिलाओं को सलीके से कपड़े पहनना नहीं आता है। इस वजह से वे मुसीबत को न्योता देती हैं।बलात्कार की 'वास्तविक' घटनाएं बहुत कम होती हैं। 70 फीसदी मामलों में सेक्स रजामंदी से होता है। लेकिन जब कोई ऐसा देख लेता है या पैसे की मांग पूरी नहीं होती है तो इसे रेप में तब्दील कर दिया जाता है।
छठा कारण :
अगर किसी महिला ने पुलिस में शिकायत की है तो उसके साथ रेप होना बड़ी बात नहीं है। पुलिस का यह भी कहना है कि जो महिला रेप की शिकायत लेकर थाने आती है, वह 'धंधे' में लिप्त होती है। उसके लिए (रेप से पीड़ित के लिए) आसान नहीं होता। बेइज़्ज़ती से सभी डरती हैं। अखबार बाजी से भी डरती हैं। असलियत में वही आती (रेप की शिकायत लेकर थाने) हैं जो धंधे में लिप्त होती हैं।' दूसरे शब्दों में अगर आपके साथ वाकई रेप हुआ है तो आप कभी शिकायत नहीं करेंगी। लेकिन अगर आपने शिकायत कर दी तो पुलिस यह मानेगी ही नहीं कि आपके साथ रेप हुआ है।

ऐसा नहीं हैं की बलात्कार जैसी घटनाओं के लिए सिर्फ महिलाएं ही जिम्मेदार हो. पुरे संसार में पुरुष प्रधान समाज हैं जिसकी वजह से वह अभी तक बचा हुआ हैं. यह एक ताज्जुब की बात हैं की बलात्कार जैसी घटना सिर्फ कुछ वर्षों से नहीं बल्कि सदियों से चली आ रही हैं. शायद इस बात का पता हमरे इतिहासकार भी नहीं लगा पाएंगे की संसार में पहली महिला कौनसी थी जिसके साथ बलात्कार हुआ या वह पहला इंसान/लोगो का समूह कौन था/कोनसा था जिसने बलात्कार किया या किसी महिलाके साथ ऐसा दुर्व्यवहार किया जिससे उसका सर्वस्वः लुट गया. या वह कोनसा राजा/सरदार/न्याय करने वाला इंसान था जिसके सामने एक महिलाने इस तरह के अत्याचार की शिकायत की या वह कौन व्यक्ति था जिसने एक नारी पर इस तरह की होने वाली अमानवीय घटना को 'बलात्कार' जैसी की संज्ञा दी. हम तो आज तक यह भी नहीं जान पाए की 'बलात्कार' शब्द कब प्रचलन में आया. ??? इसका जवाब हमें कोई नहीं दे सकता और ये सच हैं की हमें इसका जवाब क्यों नहीं मिल सकता क्यों की इस जवाब के ना मिलाने की वजह हमें पता हैं. जब इतिहास ने अपने सुनहरे पन्नो पर बलात्कार जैसी किसी चीज़ या घटना को जगह नहीं दी तो हम लोग अपनी राय क्यों देते है. इसे रोकने की या समाज में इस तरह की घनाएं ना हो ऐसी बात क्यों नहीं करते ????

बलात्कार की वजह नारी हो यह जरुरी नहीं हैं. शायद हमारे देश की पुलिस यह वाकई नहीं जानती की बलात्कार क्यों होंते हैं. ऐसा ही सर्वे विदेशो में हुआ जिसमे सिर्फ उन गुनाहगारों से सवाल पूछे गए जिन्होंने बलात्कार किया और बलात्कार करने के जुर्म में उन्हें कड़ी सजा हुई और वेह जेल में बलात्कार करने के जुर्म में कठोर सजा भुगत रहे हैं. इन सभी से एक ही सवाल पूछा गया की क्यों एक इंसान बलात्कार करता हैं या बलात्कार जैसी घटना को अंजाम देता हैं ? यहाँ पर जो भी जवाब सामने आये वह सारे उन लोगो की मानसिकता को दर्शाते थे. कुछ जवाब इस तरह के थे :
१. मैं मर्द हु यह दर्शाने के लिए मैंने बलात्कार किया.
२. अपने आप को ताकतवर दर्शाने के लिए मैंने बलात्कार किया.
३. बदला लेने के लिए मैंने बलात्कार किया.
४. मैंने मजाक मजाक में बलात्कार कर डाला.

ऐसे कई जवाब इस सर्वे में सामने आये जिनसे एक बात साफ़ होती थी की बलात्कार जैसी घटना को अंजाम देने के लिए एक बलात्कारी की, कही ना कही उसकी मानसिकता और उसकी सोच ही जिम्मेदार होती हैं. इस सर्वे में कही पर भी नारी के ऊपर बात सामने नहीं आई की एक नारी ही बलात्कार के लिए जिम्मेदार मानी जाये. इसका एक छोटा सा उदहारण मुझे याद आता हैं. भारत ने अलग अलग राज्य हैं, समुदाय हैं. भारत में जितने शहर नहीं उनसके कई गुना गाँव और देहात हैं. हम शहरों में तो कुछ हद तक ठीक थक कानून व्यवस्था को देखते हैं, लेकिन गाँव में आज भी किसी मसले या झगड़े का निपटारा पंचायत या गाँव के वरिष्ट बुद्धिजीवी लोगो के द्वारा ही न्याय, समझोता या फैसला किया जाता हैं. एक घटना की जानकारी में यहाँ देना चाहूँगा की एक गाँव की पंचायत ने एक लड़की को सजा के तोर पर गाँव के ही लोगो द्वारा सामूहिक बलात्कार करने की सजा सुनाई और यह सजा उसके प्रेमी के सामने दी जाये. और यह सजा दी भी गयी. यहाँ पर उस लड़की को सजा क्यों दी गयी यह बात सामने आती हैं. उस लड़की और लडके का क्या गुनाह था जो इस तरह की सजा उन्हें दी गयी. वेह दोनों एक दुसरे से सिर्फ प्यार ही तो करते थे. एक दुसरे के साथ शादी करना चाहते थे. लेकिन गाँव के लोगो को यह ठीक नहीं लगा. इसके जैसी कई घटनाएँ हुई हैं. जिसमे बलात्कार की पहल सिर्फ मर्द ने ही की.

बलात्कार की असली वजह के लिए कही ना कही हमारा समाज या हमारी न्यायप्रणाली भी जिम्मेदार होती हैं. आज यदि हमारी न्यायप्रणाली मजबूत हो, समाज विवेकशील हो तो ऐसी घटनाएँ शायद नहीं होंगी. अपराधो में कमी यदि लानी हैं तो हमारे कानून को मजबूत होना होगा. आज हमारे देश में यदि अत्याचार, गुंडा गर्दी या कोई गैर क़ानूनी काम होता हैं तो वह सिर्फ और सिर्फ कानून के कमजोर होने की वजह से. क्यों की इसे पुरे देश में सक्ती से लागू नहीं किया जा सका. इसीलिए हमारे देश की, समाज की और एक आम इंसान की सेवा और सुरक्षा की जिम्मेदारी जिन लोगो पर सोपी हैं वही इस कानून का सहारा लेकर इस देश को, समाज को और इस देश के आम इंसान को लुटता हैं एक तरह से उस आम इंसान का हर दिन और हर पल बलात्कार किया जाता हैं. मै यह जरुरी नहीं समझता की 'बलात्कार' यह संज्ञा सिर्फ जबरजस्ती शारीरिक सम्बन्ध बनाने की घटना को कहे, बल्कि इसे तो एक देश की जनता पर अपने द्वारा निर्धारित देश के रखवालों के द्वारा होने वाले शोषण और अत्याचार को कहा जाना चाहियें. यह अत्याचार किसी भी रूप में हो सकता हैं.

ऐसा लगता हैं की हमारे देश की पुलिस को बलात्कार और उसके कारणों के विषय में अभी बहोत कुछ सीखना और पता लगाने की आवश्यकता हैं या फिर इन्होने जो सारे कारण बताये हैं, क्या वह इनके द्वारा देश की सेवा और समाज की रक्षा करते समय प्राप्त किये गए कार्य के अनुभव के आधार पर हैं !!! 


पुलिस ने जो कारण बताये वो निम्‍न हैं-

1. सलवार कमीज़ से परहेज

दिल्‍ली पुलिस का मानना है कि आज-कल की लड़कियों और महिलाओं को सलवार कमीज़ पहनने से परहेज हो गया है, जो रेप की वारदातों का प्रमुख कारण है। लड़कियां आजकल उत्‍तेजक कपड़े पहनना ज्‍यादा पसंद करती हैं, जैसे- जींस टॉप, शॉर्ट स्‍कर्ट, स्‍लीवलेस टॉप, आदि। ऐसे कपड़े पहन कर लड़कियां का बार और रेस्‍त्रां में जाना आम हो गया है। उनके उत्‍तेजक कपड़े लड़कों को उकसाने का पहला कारण होते हैं। सेक्‍टर 31 फरीदाबाद के थाने के एसएचओ सतबीर सिंह इस बारे में कहते हैं, "लड़कियां स्‍कर्ट पहनती हैं वो भी छोटी-छोटी। ब्‍लाउज़ डालती हैं वो भी पूरा नहीं, दुपट्टा तो जैसे ताक पर रख आयी हैं। वे खुद की नुमाइश करती हैं। युवा तो दूर बच्‍चे तक उनकी ओर आकर्षित हो उठते हैं।"

ग्रेटर नोएडा सूरजपुर पुलिस थाने के एसएचओ अर्जुन सिंह कहते हैं, "लड़कियां इस प्रकार की ड्रेस पहनकर चाहती हैं कि लोग उन्‍हें देखें, लोग उनके साथ कुछ कहें या करें।" यहां पुलिस का मतलब है कि लड़कियां चाहती हैं कि उनके साथ शारीरिक संबंध स्‍थापित हो।

2. शादी से पहले यौन संबंध

यदि युवती का संबंध किसी एक युवक से है, तो उसके साथ कई अन्‍य भी उसके साथ संबंध स्‍थापित करना चाहेंगे। इंदिरापुरम, गाजियाबाद के एसएचओ धरमवीर सिंह कहते हैं कि ऐसा बहुत कम होता है कि किसी लड़की को 10 लड़कों ने उठा लिया हो। जो लड़की कार में बैठकर लड़कों के साथ जा रही है वो मासूम हो ही नहीं सकती। अधिकांश मामलों में उसका उनमें से किसी एक के साथ संबंध होता ही है। पुलिस का मानना है कि कई बार लड़कियां अपने ब्‍वॉयफ्रेंड व उसके दोस्‍तों के साथ अकेली निकलती हैं और उस स्थिति में ब्‍वॉयफ्रेंड के दोस्‍तों में भी लड़की से रेप करने की कहीं न कहीं चाहत होती है।


3. शराबियों के साथ घूमना

गुड़गांव सेक्‍टर 40 के पुलिस इंस्‍पेक्‍टर रूप लाल का कहना है, "जैसे हम लोग बैठे हैं, ज्‍यादा दारू पी ली। साथ में लड़की हो। फिर तो ऐसा ही होगा। रात भर रख ली। उसका जवाब क्‍या देगी वो अपने घर वालों को जो एक घंटे के लिए गई थी और रात भर नहीं लौटी। मां-बाप तो पूछेंगे ही, भाई तो पूछेगा ही... फिर सुबह केस दर्ज कराने आ जायेंगे।"

पुलिस का कहना है कि पीने के बाद पुरुष सेक्‍स के लिए पागल हो जाता है और एक जानवर की तरह अपने साथ की लड़की से रेप करने के की कोशिश करता है। यदि लड़की ने भी शराब पी रखी होती है, तो वो खुद को रोक नहीं पाती और सब कुछ हो जाता है। फिर चाहे वो आदमी उसका ब्‍वॉयफ्रेंड या ब्‍वॉयफ्रेंड के दोस्‍त ही क्‍यों न हों।

4. मां का किसी से संबंध होना

पुलिस ने हाल ही के नोएडा गैंगरेप केस का हवाला देते हुए कहा अगर लड़की की मां के किसी के साथ संबंध हैं, तो बेटी के साथ रेप होना कोई बड़ी बात नहीं। 10वीं कक्षा की एक छात्रा की तलाकशुदा मां के संबंध एक 28 वर्षीय युवक के साथ थे। उसी युवक ने बेटी के साथ दुष्‍कर्म कर डाला। सोचिये यहां पुलिस क्‍या कर सकती है जब घर के अंदर ही खिचड़ी पक चुकी हो।

5. लड़की अगर हाई क्‍लास की हो या लो क्‍लास की है

पुलिस का कहना है कि तमाम लड़कियां जो हाई क्‍लास सोसाइटी की होती हैं उन्‍हें कपड़े पहनने की तमीज़ नहीं होती। उन्‍हें बात करने का सलीका नहीं पता होता है। वे शराब पीने और रिलेशनशिप बनाने में भी आगे होती हैं। लिहाजा उनके साथ बलात्‍कार की वारदातें ज्‍यादा होती हैं। 30 में से 17 पुलिस वालों ने कहा, "हाई क्‍लास मामलों में 70 प्रतिशत रेप के मामले सहमति के साथ बनाये गये संबंध के होते हैं।" ऐसे मामलों जब पैसे या प्‍यार में धोखे की बात आती है तभी यौन संबंध रेप में परिवर्तित हो जाते हैं।

नोडा सेक्‍टर 24 के सब इंस्‍पेक्‍टर मनोज रावत का कहना है कि एनसीआर में जो कुछ भी होता है सब सहमति के साथ होता है, सिर्फ दो प्रतिशत मामले असल में जबरन बलात्‍कार के होते हैं।

वहीं लो क्‍लास की बात करें तो गरीब तबके के लोगों में सेक्‍स के प्रति भूख ऐसी होती है कि वो पड़ोसी की बेटियों-बहनों को शिकार बना डालते हैं। ऐसे पुरुषों को अपने कॅरियर की चिंता नहीं होती। और गरीब लड़कियां सशक्‍त नहीं हो पाने की वहज से उनसे लड़ नहीं पाती हैं।

6. रेप की झूठी रिपोर्ट

पुलिस के मुताबिक बलात्‍कार की अधिकांश रिपोर्ट झूठी होती है। कई बार लड़कियां ब्‍लैकमेल करने के लिए रेप का मामला दर्ज करा देती हैं। इनमें कई मामलों में लड़कियां पहले सहमति के साथ संबंध बनाती हैं और फिर ब्‍लैकमेल करने के लिए रिपोर्ट दर्ज कराती हैं। नोएडा सेक्‍टर 39 के एसएचओ का कहना है, "रेप पीड़िता के लिए कंप्‍लेन दर्ज कराना आसान नहीं होता है। बेइज्‍जती से डरती हैं।

अखबारबाजी से डरती हैं। असलियत में वही लड़की रिपोर्ट दर्ज कराने आती है जो ब्‍लैकमेलिंग के धंधे में लिप्‍त होती हैं। जिनके साथ वाकई में रेप हुआ होता है, वे कभी रिपोर्ट दर्ज कराने नहीं आतीं और जो रिपोर्ट दर्ज कराने खुद आती हैं उनके साथ रेप नहीं हुआ होता है।"
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!!बाबा रामदेव जी निष्पक्ष है क्या ?

http://jaihindjanab.com/baba-with-mulayam.html
मैं ब्याक्तिगत रूप से बाबा रामदेव जी का समर्थक हु .पर कभी कभी बाबा जी के बयानों और कार्यो से संकित हो जता हु ..जैसे भाई राजीव दीक्षित जी की रहस्यमई मौत ? और अब मुस्लिम आरक्षण की माग ? और अब नेताओं का नाम लेने से अरविन्द केजरीवाल को मना करना ? ये सभी बाते मन में संका पैदा करता है ,,की बाबा जी क्या सत्य में देश के लिए कुछ कर रहे है या किसी पार्टी विशेष की राजनीती चमकाने के लिए यह कदम है ?

केजरीवाल ने भ्रष्ट नेताओ में मुलायम सिंह ‘यादव’ का नाम लिया तो नाराज हो गए रामकिशन ‘यादव’ उर्फ रामदेव बाबा  . बोले किसी नेता पर नाम लेकर आरोप  ...
लगाना सही बात नही.  जातिवाद और मुस्लिम आरक्षण के समर्थन में मुलायम  सिंह यादव और बाबा उर्फ रामकिशन यादव एक साथ काम कर रहे है | मुलायम और  रामदेव के बिच हमेशा गोपनीय बैठके होती रहती है| अखिलेश के गुंडाराज में हो
रहे दंगे, बलात्कार, हत्या के बावजूद मुलायम की तारीफ़ करते नहीं थकते  रामदेव |

http://www.bhaskar.com/article/DEL-what-you-have-said-arvind-kejriwal-that-suddenly-changed-the-whole-view-3363658.html?HF-17&nbsp

!!सत्यमेव जयते और SMS और अमीर खान जी ?

मानो मीडिया वालो की छाती पे सांप लेट गया है .. क्या इन हरामखोर , नीच और बिकाऊ मीडिया को ये सब नहीं दिखता ?? ,
आमिर खान द्वारा संचालित सत्यमेवजयते नमक कार्यक्रम को देश के लोग ठीक वैसे ही देखने लगे है जैसे अस्सी के दसक में लोग नहा धो कर दूरदर्शन में रामानंद कृत "रामायण" देखा करते थे , प्रोगाम के माध्यम से SMS के जरिये डोनेसन माँगा जाता है , इस SMS का पैसा कहाँ और किस प्रयोजन के लिए जाता है ये जरा जान लेवे, और अपनी बुद्धि का इस्तेमाल करते हुए कान पकडे की एक फूटी कौड़ी भी अब नहीं दी जाएगी .
दरअसल www.humanitytrust.com नमक एक NGO के पास ये सारा पैसा जाता है . इस वेबसाइट को आप देख सकते है और समझ सकते है की इनका उद्दश्य क्या है ? इसमें कहा गया है की पैसा एक विशेष समुदाय की भलाई के लिए खर्च की जाएगी .. ये अच्छी बात है , पर उसमे ये भी लिखा है उसी पैसे से इस समुदाय के लिए प्राथना गार बनायीं जाएगी ..अब आप ये बताओ की ये कहाँ तक उचित है , भारत देश से लगभग सभी जाती व धर्म के लोग डोनेसन देते है तो उसका उपयोग सिर्फ एक विशेष समुदाय क्यों करे.
सनातन धर्म के लोगो के लिया तो ऐसा कुछ प्रयोजन नहीं होता .. ?? कृपया अपनी राय ये और बुद्धिजीवी गन ये भी बताओ की क़ानूनी रूप से इस हरामखोरी को कैसे रोका जा सकता है
मेरे इस लेख के पुष्टि के लिए आप ये दोनों वेबसाइट देख सकते है
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..वाह रे आमिर.....आपकी एक्टिंग.....क्या बात है.....!!!.....आपकी तो नकली आंसुओं की भी कीमत मिलती है ...
Description
वाह रे आमिर.....आपकी एक्टिंग.....क्या बात है.....!!!

१.आमिर खान ब्रिटिस पत्रकार जैशिका हिने के बच्चे का बाप है (मतलब उसे भ्रूण हत्या के लिये मजबूर किया.....लेकिन उसने ऐसा नहीं किया.....

२. अपनी पहली बीबी को तलाक--तलाक-तलाक बोलकर छोड दिया.....बच्चों को भी.....
...३.अपने भाई को भी पगला बोलकर छोड दिया.....

४. गुजरात दंगों पर भी ये काफी कुछ बोले .पर सिर्फ मुस्लिमो के लिए ...जबकि गोधरा काण्ड पर मुह नहीं खोला क्यों ? .... और मुस्लिम ओ के लिए अनसन पर भी बैठ गए थे ....क्या हिन्दू इंसान नहीं है उनके नजरो में ?

वाह आमिर क्या बात है.....आपकी तो नकली आंसुओं की भी कीमत मिलती है .....ये भारत देश है यहाँ के बच्चे शक्तिमान को भी सच मान लेते हैं.....तो फिर आपकी दुकान चलने से कौन रोक सकता है.....

आमिर खान को अपने टीवी कार्यक्रम सत्यमेव जयते का नाम बदल लेना चाहिए.. जो कार्यक्रम सत्य नहीं अपितु झूठे भ्रामक प्रचार पर आधारित हो व किसी धर्म विशेष के प्रति दुराग्रह से ग्रस्त हो, उसे मुंडकोपनिषद के इस महान उदात्त उद्घोष का प्रयोग करने का कोई अधिकार नहीं है.. कार्यक्रम के अनुसार छुआछूत हिंदुधर्म की उपज है.. कई उदाहरण दिये गए जहां लोगों के साथ अमानवीय व्यवहार किया जा रहा है.. वे उदाहरण वास्तव मेँ दुखद हैं किन्तु जिस तरह इस वीभत्स सामाजिक बुराई को हिंदुओं की धार्मिक बुराई के रूप मे प्रचारित कर हिन्दू धर्म से जोड़ा गया, वह अत्यंत निंदनीय है......मुस्लिमो के बहु पत्नी प्रथा पर कुछ नहीं बोले क्यों ?

असत्यमेव जयते: अमीर खान की बेवफ़ाई की दास्तां

एक सामान्य सी लडकी रिना दत्ता और अमीर खान का प्यार ... जब जनाब हिरो क्या जीरो भी नही थें...उम्र थी मात्र 21 वर्ष ... रिना हिंदु , अमीर मुसलमान , प्यार में रुकावट तो आनी हीं थी .. रिना के मां बाप इस रिश्ते के खिलाफ़ थें... दिवाने मजनू ने लैला को भाग चलने की सलाह दी .. अपने मजनू के प्यार की दिवानी लैला गायब हो गई मजनू के साथ...शादी भी रचाई 18 अप्रील 1986 को ... अमीर खान की पहली व्यवसायिक फ़िल्म कयामत से कयामत तक 1988 में आई जो सफ़ल थी ..शादी के दो साल बाद ..इन दो सालों में रिना दता ने आर्थिक रुप से अमीर खान की मदद की ...

लगान की निर्माता रिना दता थी ..ह फ़िल्म रिना दता के वैवाहिक जिंदगी के लिये दुर्भाग्यशाली साबित हुई ..उसी फ़िल्म के बाद अमीर खान रिना दता से किनारा कसने लगे..सहायक निदेशक किरन राव के दिवाने बने अमीर खान ने दिसंबर 2002 में रिना दता से तलाक ले लिया .. रिना दता स्वाभिमानी हैं , वह समझ गई कि जबर्दस्ती रिश्तों को जिंदा रखने का कोई अर्थ नही है और उन्होने त्याग करते हुये तलाक दे दिया..अमीर खान और किरन राव ने शादी करली... इस दुसरे विवाह में पत्रकारो का प्रवेश निषेध था...

अब इधर अमीर खान ने पतियों की सताई गई पत्नियों .पर एक धारावाहिक सत्यमेव जयते शुरु किया है .. अमीर खान ने अपनी शादी में किसी भी पत्रकार को नही बुलाया आज वह सारे चैनल अमीर खान के सिरियल की प्रशंसा कर रहे हैं .. बेचारी रिना दता को कहीं का नही छोडा अमीर खान नें .. मां-बाप से बगावत कर के शादी की ..धर्म भी बदल लिया...आजकल वह अकेले में भगवान के सामने यही गा गा कर रोती है ..बना के क्यों बिगाडा रे बिगाडा रे नसिबा और हम गाते हैं " नायक नहीं खलनायक है तूं"