!! सेना में देशभक्त मुस्लिम वीरों की कमी क्यों ?
मैं
अक्सर "वीर अब्दुल हमीद" के बारे में पढता रहता हूँ और युद्ध के मैदान में
दिखाई गयी उनकी बहादुरी को प्रणाम करता हूँ. अक्सर सेकुलर और मुस्लिम लोग
उनका नाम लेकर, देश और हिंदुओं पर मुसलमानों का अहेसान जताते रहते हैं.
"वीर अब्दुल हमीद" की देशभक्ति या बहादुरी पर कोई प्रश्न चिन्ह नहीं लगाया
जा सकता लेकिन उनकी बजह से आतंकवादियों को तो देशभक्त नहीं माना जा सकता
है. देशभक्त मुस्लिम वीरों की कहानी "वीर अब्दुल हमीद" से शुरू होकर "वीर
अब्दुल हमीद" पर ही खतम हो जाती है.
परमवीर चक्र भारत का सर्वोच्च
सैन्य अलंकरण है जो दुश्मनों के सामने उच्च कोटि की शूरवीरता एवं त्याग के
लिए प्रदान किया जाता है. देश में लगभग १८% मुस्लिम होने के बाबजूद
"परमवीर चक्र" पाने वाले केवल एक ही मुस्लिम हैं. और हाँ इस पूरी लिस्ट में
किसी बौद्ध का नाम भी नहीं है,
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परमवीर चक्र हासिल करनेवाले वीरों की सूची
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१. मेजर सोमनाथ शर्मा
२. लांस नायक करम सिंह
३. सेकेंड लेफ़्टीनेंट राम राघोबा राणे
४. नायक यदुनाथ सिंह
५. कंपनी हवलदार मेजर पीरू सिंह
६. कैप्टन गुरबचन सिंह सलारिया
७. मेजर धनसिंह थापा
८. सूबेदार जोगिंदर सिंह
९. मेजर शैतान सिंह
१०. हवलदार अब्दुल हमीद *
११. लेफ्टीनेंट कर्नल आर्देशिर तारापोर
१२. लांस नायक अलबर्ट एक्का
१३. फ्लाईंग आफिसर निर्मलजीत सिंह शेखो
१४. लेफ्टीनेंट अरुण क्षेत्रपाल
१५. मेजर होशियार सिंह
१६. नायब सूबेदार बन्ना सिंह
१७. मेजर रामास्वामी परमेश्वरन
१८. लेफ्टीनेंट मनोज कुमार पांडे
१९. ग्रेनेडियर योगेन्द्र सिंह यादव
२०. राइफलमैन संजय कुमार
२१. कैप्टन विक्रम बत्रा
सरकार से मांग की जानी चाहिए कि - मुस्लिमों के लिए भी परमवीर चक्र देने
में आरक्षण होना चाहिए, चाहे वो सीमा पर लड़ने जाएँ या न जाएँ. अल्पसंख्यक
होते हुए भी बहुसंख्यक समाज की हालत खराब कर रखी है ये क्या कम बहादुरी का
काम है ?
वैसे भी मुस्लिम युवा भारतीय सेना में जाने के बजाये ,
तैयब के लश्कर में जाना ज्यादा पसन्द करते हैं क्योंकि उनको पता है कि-
यहाँ मरे तो सिर्फ एक तमगा मिलगा और वहाँ मरे तो जन्नत में हरें मिलेंगी............
बाय--Naveen Verma ji
बहुत ही अच्छी पोस्ट है....
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