अक्सर हम लोग बाजार में सब्जिया लेने जाते है तो गरीब सब्जिया बेचने वालो से एक या दो रूपये के लिए हम मोल भाव करने लगते है
जैसे की अगर 20 रूपये किलो टमाटर मिल रहा है तो हम उस सब्जी वाले को बोलते
है भइया 18 रूपये लगा लो पर बेचारा बोलता है कम दाम में उसे बेचना पड़ता
है जहा 2 रूपये कमा रहा था वही1 रूपये ही सही कमा ले आखिर उसका पेट का
मामला रहता है
लेकिन जब हम बडे बडे शो रूम में या मोल में जाते है
और ब्रांडेड कपडा खरीदते है हजारो हजारो रूपये में तब मोल भाव नहीं करते
है क्यूँकी उस वक्त हमारे मान सम्मान स्वाभिमान का मामला रहता है न
इसे ही कहते है दोहरा चरित्र
एक वो जो 1या 2 रूपये के लिए हम गरीब सब्जी वाले से मोल भाव करते है एक और
जगह जहा ब्रांडेड चीजो के लिए अपने मान सम्मान के लिए हम हजारो हजारो
रूपये पानी की तरह बहा देते है....क्यों ?
जैसे की अगर 20 रूपये किलो टमाटर मिल रहा है तो हम उस सब्जी वाले को बोलते है भइया 18 रूपये लगा लो पर बेचारा बोलता है कम दाम में उसे बेचना पड़ता है जहा 2 रूपये कमा रहा था वही1 रूपये ही सही कमा ले आखिर उसका पेट का मामला रहता है
लेकिन जब हम बडे बडे शो रूम में या मोल में जाते है और ब्रांडेड कपडा खरीदते है हजारो हजारो रूपये में तब मोल भाव नहीं करते है क्यूँकी उस वक्त हमारे मान सम्मान स्वाभिमान का मामला रहता है न
इसे ही कहते है दोहरा चरित्र
एक वो जो 1या 2 रूपये के लिए हम गरीब सब्जी वाले से मोल भाव करते है एक और जगह जहा ब्रांडेड चीजो के लिए अपने मान सम्मान के लिए हम हजारो हजारो रूपये पानी की तरह बहा देते है....क्यों ?
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