क्या हिन्दू' शब्द विदेशियों का दिया हुआ नाम है ? क्या हिन्दू नाम का कोई धर्म नहीं ?
इन्ही सब प्रश्नों के उत्तर खोजते हुए कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं जो ये
दर्शाते हैं की "हिन्दू'" शब्द ईरानियों के आने से बहुत पहले ही सनातन
धर्म में प्रयोग होता था| सनातन को मानने वालों को "हिन्दू" कहा जाता था ,
ईरानियों ने तो बस केवल इसे प्रचलित किया|
कुछ उधाहरण देखते है सनातन में हिन्दू शब्द के बारे में :-
१-ऋग व...ेद में एक ऋषि का नाम 'सैन्धव' था जो बाद में " हैन्दाव/ हिन्दव " नाम से प्रचलित हुए
२- ऋग वेद के ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द
हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।।
( हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिन्दुस्थान कहते हैं)
३- मेरु तंत्र ( शैव ग्रन्थ) में हिन्दू शब्द
'हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्चते प्रिये'
( जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं)
४- यही मन्त्र शब्द कल्पद्रुम में भी दोहराई गयी है
'हीनं दूषयति इति हिन्दू '
५-पारिजात हरण में "हिन्दू" को कुछ इस प्रकार कहा गया है |
हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टमानसान ।
हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिंदुरभिधियते ।।
६- माधव दिग्विजय में हिन्दू
ओंकारमंत्रमूलाढ्य पुनर्जन्म दृढाशयः ।
गोभक्तो भारतगुरूर्हिन्दुर्हिंसनदूषकः ॥
( वो जो ओमकार को ईश्वरीय ध्वनी माने, कर्मो पर विश्वाश करे, गौ पालक, बुराइयों को दूर रखे वो हिन्दू है )
७- ऋग वेद (८:२:४१) में 'विवहिंदु' नाम के राजा का वर्णन है जिसने ४६००० गएँ दान में दी थी|
विवहिंदु बहुत पराक्रमी और दानी राजा था ऋग वेद मंडल ८ में भी उसका वर्णन है................
इन्ही सब प्रश्नों के उत्तर खोजते हुए कुछ तथ्य प्रस्तुत हैं जो ये दर्शाते हैं की "हिन्दू'" शब्द ईरानियों के आने से बहुत पहले ही सनातन धर्म में प्रयोग होता था| सनातन को मानने वालों को "हिन्दू" कहा जाता था , ईरानियों ने तो बस केवल इसे प्रचलित किया|
कुछ उधाहरण देखते है सनातन में हिन्दू शब्द के बारे में :-
१-ऋग व...ेद में एक ऋषि का नाम 'सैन्धव' था जो बाद में " हैन्दाव/ हिन्दव " नाम से प्रचलित हुए
२- ऋग वेद के ब्रहस्पति अग्यम में हिन्दू शब्द
हिमालयं समारभ्य यावत इन्दुसरोवरं ।
तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते ।।
( हिमालय से इंदु सरोवर तक देव निर्मित देश को हिन्दुस्थान कहते हैं)
३- मेरु तंत्र ( शैव ग्रन्थ) में हिन्दू शब्द
'हीनं च दूष्यत्येव हिन्दुरित्युच्चते प्रिये'
( जो अज्ञानता और हीनता का त्याग करे उसे हिन्दू कहते हैं)
४- यही मन्त्र शब्द कल्पद्रुम में भी दोहराई गयी है
'हीनं दूषयति इति हिन्दू '
५-पारिजात हरण में "हिन्दू" को कुछ इस प्रकार कहा गया है |
हिनस्ति तपसा पापां दैहिकां दुष्टमानसान ।
हेतिभिः शत्रुवर्गं च स हिंदुरभिधियते ।।
६- माधव दिग्विजय में हिन्दू
ओंकारमंत्रमूलाढ्य पुनर्जन्म दृढाशयः ।
गोभक्तो भारतगुरूर्हिन्दुर्हिंसनदूषकः ॥
( वो जो ओमकार को ईश्वरीय ध्वनी माने, कर्मो पर विश्वाश करे, गौ पालक, बुराइयों को दूर रखे वो हिन्दू है )
७- ऋग वेद (८:२:४१) में 'विवहिंदु' नाम के राजा का वर्णन है जिसने ४६००० गएँ दान में दी थी|
विवहिंदु बहुत पराक्रमी और दानी राजा था ऋग वेद मंडल ८ में भी उसका वर्णन है................
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें