शनिवार, 11 जुलाई 2015

महान संगीत सम्राट ''रामतनु पाण्डेय उर्फ़ तानसेन''






चलिए आज आपको इतिहास के अनछुए पहलु को बताते है !
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महान संगीत सम्राट ''रामतनु पाण्डेय उर्फ़ तानसेन'' को लेकर दिल्ली के सम्राट अकबर और रीवा के ''महाराजा श्री रामचन्द्र जूदेव'' के बीच हुए भयानक टकराव का वृतांत ! 
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महान सगीत सम्राट ''रामतनु पाण्डेय उर्फ़ तानसेन'' को तो आप सभी जानते है ! इनका जन्म ग्वालियर रियासत के ग्राम बेहट में हुआ था ! पर इनके जन्म के सन पर इतिहास एकमत नहीं है ! श्री तानसेन बांधवगढ़ (रीवा) के महाराजा रामचन्द्र जूदेव के दरबारी गायक नियुक्त थे ! एक बार अकबर के सेना की एक टुकड़ी बांधवगढ़ (रीवा) के पास रुकी थी, जो तानसेन जी के संगीत ''राग दीपक'' (इस राग से दीपक अपने आप प्रज्वलित हो जाता था) को सुनकर सेना का प्रमुख बहुत प्रभावित हुआ और वापस दिल्ली जाकर अकबर को बताया तो अकबर ने सेना की एक छोटी सी टुकड़ी रीवा भेजी तानसेन को लाने के लिए पर रीवा के राजा ने तानसेन को देने से मना कर दिया इस पर अकबर की सेना और रीवा की सेना के बीच युद्ध हुआ और अकबर की लगभग पूरी सेना ख़त्म हो गई ! जो सैनिक बचे ओ वापस जाकर अकबर को बताया तो अकबर ने और बड़ी सेना भेजी तानसेन को लेने के लिए पर रीवा के जिद्दी राजा रामचन्द्र जूदेव ने फिर से युद्ध किया और अकबर की सीना को खदेड़ दिया ! इस युद्ध में बाघेला,सेंगर,कर्चुली राजपूतों की बहुत बड़ी संख्या शहीद हुई ! जब ये बात अकबर को पता चली तो अकबर स्वेम बहुत बड़ी सेना लेकर रीवा रियासत पर हमला करने चल पड़ा और रीवा के किले को घेर लिया और एक आदेश पत्र लिखकर भेजा जिसे रीवा के राजा मानने से इंकार कर दिया और अकबर के सामने तानसेन की याचना की सर्त रखी (मतलब अकबर याचना पत्र लिखकर भेजे) जिसे अकबर ने इंकार कर दिया तो अगले दिन अकबर की विशाल सेना के सामने कुछ हजार ''बाघेला, सेंगर ,कर्चुली'' वीर लड़ने-मरने को तैयार हो गए ! ये सब देखकर श्री तानसेन खूनखराबा रोकने के लिए आत्महत्या करने के लिए स्वेम को कटार से मार लिया पर बच गए ! ये बात अकबर को पता चली तो उसने सेना को पीछे कर लिया और युद्ध टल गया ! तब अकबर स्वेम राजा रामचन्द्र जूदेव से मिला (आपको बता दूँ की रीवा के राजा
रामचन्द्र जूदेव और अकबर बचपन से ही मित्र थे, अकबर के बचपन के ५ वर्ष से अधिक रीवा के ''मुकुंदपुर'' गाँव में छिपकर बिताया था और कभी कभी रीवा के किले में भी रहा था,इस कारन दोनों में मित्रता थी) और तानसेन को देने की बात किया पर जिदद्दी रामचन्द्र जूदेव ने फिर से मना कर दिया और बोले ''तानसेन ब्राह्मण है और एक सच्चा क्षत्रिय, ब्राह्मण की रक्षा मरते दम तक करेगा'' अकबर निरास होकर वापस अपने डेरे पर चला गया और युद्ध की घोषणा कर दिया अगले दिन फिर दोनों सेना आमने सामने हो गई तो संगीत सम्राट तानसेन सेना के बीच में आये और रामचन्द्र जूदेव से बोले ''पहले मुझे मारो'' तब रीवा के राजा ने अपनी तलवार तानसेन के क़दमों में रख दिया और अकबर के सामने सर्त रखी '' एक ब्राह्मण को पालकी में बैठाकर उस पालकी को अकबर और मैं कंधा देकर विदा करूंगा'' जिसके लिए अकबर राजी हो गया और तानसेन को पालकी में अकबर और रामचन्द्र जूदेव ने विदा किया ! और अकबर ने तानसेन के बदले एक बड़ी सी तोप रीवा के महाराजा को दिया था ! (Maharaja RAMCHANDRA SINGH,JUDEV Maharaja of Bandhogarh 1555/1592, born about 1537) 
{ये पूरा वृतांत सीरियल तानसेन में देखा था, ऐतिहासिक प्रमाणिकता का अभाव है}


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http://www.tejnews.com/tejnews-309-42-tansen-cannon-instead.html
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https://hi.wikipedia.org/wiki/%E0%A4%A4%E0%A4%BE%E0%A4%A8%E0%A4%B8%E0%A5%87%E0%A4%A8

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