रविवार, 18 जुलाई 2021

राजपूतों नें क्या दिया भारत वर्ष को ?

एक गुर्जर लड़की का लेख राजपूतों पर...
मै जाति से गुर्जर हूँ , मेरा नाम सुमन कुमारी है और मैं राजस्थान की रहने वाली हूं। गोवा में रहकर software engineering  की पढ़ाई करती हूं। लेकिन आज एक ठाकुरवादी (राजपूती) पोस्ट लिख रही हूं।
राजपूतों के बारे में कहा जाता है.......

अजी साहब बहुत भेदभाव हुआ दलितों के साथ। उनसे खेतों में काम कराया गया, हरवाही कराई गई, गोबर उठवाया गया, उन्हें शिक्षा से वंचित रखा गया इत्यादि इत्यादि।

साब बहुत जुल्म हुआ दलितों पे ..!

यह बात बहुत जोरों से सोशल मीडिया, मास मीडिया के माध्मय से लोगों को बताई जा रही है।

मगर 1400 साल पहले जब मक्का से इंसानी खून की प्यासी इस्लाम की तलवार लपलपाते हुए निकली तो ...

एक झटके में ही...ईरान, इराक, सीरिया, मिश्र, दमिश्, अफगानिस्तान, कतर,  बलूचिस्तान से लेकर मंगोलिया और रूस तक ध्वस्त होते चले गए।

स्थानीय धर्मों और परम्पराओं का तलवार के बल पर  लुप्त कर दिया गया और सर्वत्र इस्लाम ही इस्लाम हो गया।

शान से इस्लाम का झंडा आसमान चूमता हुआ अफगानिस्तान होते हुए सिंध के रास्ते हिंदुस्तान पहुंचा।

पर यहां पहुंचते ही इस्लाम की लगाम आगे बढ़ के क्षत्रियों ने थाम ली जिसके कारण भीषण रक्तपात हुआ।

आठ सौ साल तक क्षत्रिय राजवंशों से लेकर आम क्षत्रियों ने इस्लाम की नकेल ढीली न पड़ने दी। इनका साथ भी दिया जाटों ने, गुज्जरों ने, यादवों ने, ब्राह्मणों ने, वैश्यों ने .....! 
पर ये लोग फ्रंट लाइनर नहीं रहे कभी, सिर्फ आत्मरक्षार्थ डटे रहते थे .....!

*असली लड़ाई तो राजपूतों (ठाकुरों) ने ही लड़ी .......!*

एक समय ऐसा आया जब 18 साल से ऊपर के लड़के ही न रहे क्षत्रियों में। विधवाओं का अंबार लग गया। इसी वजह से सती प्रथा जौहर जैसी व्यवस्थाएं आकार लेने लगीं।

क्षत्राणियां खुद आगे बढ़कर अपने पति, बेटों को युद्ध में तिलक लगाकर भेजती थीं और खुद जौहर करती थीं ताकि कोई गैर उनके शरीर को हाथ भी न लगा सके।

परिणामतः UP जैसे बड़े राज्य में ये राजपूत घट के 1 % से भी नीचे आ गए। जनसंख्या बढ़ने के बाद अब लगभग 8% तक पहुंचे हैं। किसी-किसी राज्य में तो इनकी जड़ ही गायब हो गई।

जबकि तथाकथित शोषित वर्ग खुद को 54% बताता है ..!

जिसका नतीजा यह हुआ कि इस्लाम यहीं फंस कर रह गया और आगे नहीं बढ़ पाया। 

परिणामतः-- चाइना, कोरिया,जापान, नेपाल जैसे भारत के पूर्वी राज्य इस्लाम के हमले से बच गए।

इतना सब कुछ झेलने के बाद भी कहीं किसी इतिहास में ये नही मिलेगा कि इस्लाम के खिलाफ लड़ाई में क्षत्रियों ने खुद न जा के किसी और जाति  को मरने के लिए आगे कर दिया।

बाकी जातियों में जो लड़े वो सिर्फ आत्म रक्षार्थ ही लड़े।

राजपूत अपने नाबालिग बेटे कुर्बान करते रहे पर कभी अपने कर्म से विमुख नहीं हुए। सामाजिक जातीय वर्ण व्यवस्था का पूरा ख्याल रखा। जिसके वजह से आज की हिन्दू पीढ़ी मुसलमान होने से बची रह गई।

राजपूतो में आपसी मतभेद होने के वजह से मुसलमानों का भारत पर अधिकार तो हो गया लेकिन 800 सालों में भी भारत को इस्लामिक देश नहीं बना पाया।

कुछ को छोड़ कर बाकी पूरा समाज सदा ही इनका ऋणी रहेगा।⚔🚩

बाकी तो हर जगह राजपूतों को अत्याचारी ही बताया गया है, रही सही कसर बॉलीवुड ने पूरी कर दी। सभी फिल्मों में इन्हें अत्याचारी ठाकुर दिखा दिखा के लोगों के दिमाग में इनकी गलत छवि पेश की गई।

लेकिन ये नहीं दिखाया कि जब मुस्लिम तलवारें रक्त मांगती थी तब पहला सिर इन क्षत्राणि माँओं ने अपने पति और बेटों के दिया है। कद्र करो इनकी सभी लोग और अहसान मानों, ये न होते तो आज किसी मस्जिद में नमाज पढ़ रहे होते।

जिनके दादा परदादा राजपूती तलवार के छत्रछाया में न केवल जिंदा रहे बल्कि अपने धर्म को बचाये रखने में कामयाब रहे आज वही लोग राजपूतों पर जातिवाद का आरोप लगाते हैं। इतिहास पता करो, राजपूतों को गाली देने से पहले। हिंदुत्व की रक्षा में इस कौम ने अपनी संतानों की बलि चढ़ा दी, धन्य हैं वो राजपूती नारियां।

धन्य धन्य धरा जहां की शक्ति भक्ति और 
स्वाभिमान कभी बिका नहीं।
धन्य था वो शूरवीर राणा जिसकी 
ताकत के  आगे अकबर तक टिका नहीं।
क्या फौलादी सीना था उस राणा का 
टकराकर तीर सीने में टूट जाते थे।
हिनहिनाता था जब चेतक तो 
मुगलों के छक्के छूट जाते थे।
ऐसा भगवा उड़ाया राणा ने हल्दीघाटी में 
की सूर्यदेव भी छिप गए गगन पर।
और आदमी तो आदमी एक घोड़े ने 
जान दे दी वतन पर।

धन्य हैं ऐसे राजपुताना वीरों को जिनके शब्दकोष में डर शब्द नहीं था।
मेरी हमेशा उनको नमन रहेगी, राजपुतों आपको और आपके वंश को।

राजपूतों , ब्राह्मणों , जाट , गुज्जर भाइयों एवं बहनों से निवेदन है कि इस पोस्ट को शेयर करके ज्यादा से ज्यादा लोगों तक भेजिये ताकि लोगों को राजपूतों के बलिदान और वीरता से अवगत कराया जा सके और जो लोग कहते हैं, राजपूतों ने शोषण किया है उनके मुँह पर तमाचा मारा जा सके।।

और मैं अपने गुर्जर व अन्य जातीय भाईयों एवं बहनों से कहना चाहती हूं कि राजपूतों से कभी बैर मत रखो और इनका हमेशा साथ देना, क्योंकि इन्होंने हमारे लिए बहुत बलिदान दिए हैं ।
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