मित्रो पूरी पोस्ट को पढ़े आपको जरूर अच्छा लगेगा ।
सोच रहा हु की मेरे कांग्रेसी मित्रो को आइना दिखा दू , पर मेरे कांग्रेसी मित्रो आइना नहीं तोड़ना । लोकसभा के 2014चुनाव में कांग्रेसियों के पास कोई मुद्दा नहीं था ये पुरे चुनाव में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी जी को घेरने में लगे रहे और इस देश की जनता ने कांग्रेस को ऐसा घेरा की 44 सीट पर लाकर पटक दिया फिर भी कांग्रेसी मित्रो ने सीख नहीं लिया और अब स्मृत ईरानी जी के शिक्षा को लेकर बीजेपी को घेरने लगे परिणाम में गड़े मुर्दे उखाड़ गए और राष्टवादी मित्र इंद्रा गांधी जी से लेकर सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी की डिग्री तक खंगाल लिया । कांग्रेसी मित्रो अभी भी वक्त है , अपने आपको सकरात्मकताकता में लगाए नहीं तो इससे भी बड़ी दुर्दशा होगी आने वाले समय में ।
एक सौ तीस बरस की कांग्रेस ने इतने बुरे दिन नहीं देखे होंगे जितने वो आज देख रही है। बेचारी के पास से मुख्य विपक्षी दल का तमगा तक छिन रहा है। अब वह इस बात के लिए सरकार पर ही आश्रित हो गई कि उसे मुख्य विपक्षी दल कहा जाए। तो क्या सचमुच कांग्रेस बूढ़ी हो गई ? सालेएक पहले नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि कांग्रेस अब बूढ़ी हो गई है। इसके जवाब में प्रियंका जी बोली थी कि क्या मैं बूढ़ी नजर आती हूं ।
प्रियंका जी ने सही कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल उसके कार्यकर्ताओं के दम पर ही बूढ़ा और जवान होता है। किन्तु कहने और करने में फर्क होता है। प्रियंका जी ने कांग्रेस को जवान तो बता दिया लेकिन वे जवान लोगों को कांग्रेस की तरफ आकर्षित नहीं कर पाये। उल्टे ये काम किया नरेन्द्र मोदी जी ने।
उन्होंने युवाओं के सामने एक मजबूत भारत बनाने का वादा किया और नई पीढ़ी उनसे जुड़ गई। आज हालत ये है कि कांग्रेस के पास युवा कार्यकर्ताओं का टोटा है। अब वह सत्ता से बाहर बैठी स्यापा कर रही है। अब उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे, कौन-सी रणनीति बनाए और किस रास्ते पर चले? ले दे कर कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है।
दिग्गी राजा आह्वान कर रहे हैं- हे विश्व के समस्त कांग्रेसियो तुम सब वापस घर आ जाओ । हे पवारो, हे बनर्जिओ सब कांग्रेस में लौट आओ । पप्पू तुम्हारा इन्तजार कर रहा है। कुछ कांग्रेसी कह रहे हैं कि भैया को आजमा लिया अब दीदी को लाओ।
ऎसी दिग्भ्रम कांग्रेस अपने आपको कैसे खड़ा कर पाएगी, यह बहुत बड़ी चुनौती है। एक जमाना था जब कांग्रेस में हर एक प्रान्त के भीतर क्षत्रप थे लेकिन आलाकमान ने धीरे-धीरे सारे प्रान्तीय नेतृत्व को अपना दास बना लिया और आज कांग्रेस में सिर्फ तीन चेहरे नजर आते हैं सोनिया, राहुल और प्रियंका। गिरना कोई अपराध नहीं है लेकिन गिरकर संभल ना पाना और संभल कर आगे ना बढ़ना किसी के लिए भी परेशानी का सबब हो सकता है।
बहरहाल नरेन्द्र मोदी जी ने जैसी रणनीति बना रखी है और जैसे सपने दिखा रखे हैं उसके आधार पर कांग्रेस के पास तैयारी के लिए एक दो नहीं बल्कि दस बरस हैं और सत्ता से बाहर रहकर दस बरस तक दम बनाए रखना दम वालों के बस की बात है। आने वाले वर्षो में कांग्रेस कैसे चलती है यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा।
सोच रहा हु की मेरे कांग्रेसी मित्रो को आइना दिखा दू , पर मेरे कांग्रेसी मित्रो आइना नहीं तोड़ना । लोकसभा के 2014चुनाव में कांग्रेसियों के पास कोई मुद्दा नहीं था ये पुरे चुनाव में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी जी को घेरने में लगे रहे और इस देश की जनता ने कांग्रेस को ऐसा घेरा की 44 सीट पर लाकर पटक दिया फिर भी कांग्रेसी मित्रो ने सीख नहीं लिया और अब स्मृत ईरानी जी के शिक्षा को लेकर बीजेपी को घेरने लगे परिणाम में गड़े मुर्दे उखाड़ गए और राष्टवादी मित्र इंद्रा गांधी जी से लेकर सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी की डिग्री तक खंगाल लिया । कांग्रेसी मित्रो अभी भी वक्त है , अपने आपको सकरात्मकताकता में लगाए नहीं तो इससे भी बड़ी दुर्दशा होगी आने वाले समय में ।
एक सौ तीस बरस की कांग्रेस ने इतने बुरे दिन नहीं देखे होंगे जितने वो आज देख रही है। बेचारी के पास से मुख्य विपक्षी दल का तमगा तक छिन रहा है। अब वह इस बात के लिए सरकार पर ही आश्रित हो गई कि उसे मुख्य विपक्षी दल कहा जाए। तो क्या सचमुच कांग्रेस बूढ़ी हो गई ? सालेएक पहले नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि कांग्रेस अब बूढ़ी हो गई है। इसके जवाब में प्रियंका जी बोली थी कि क्या मैं बूढ़ी नजर आती हूं ।
प्रियंका जी ने सही कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल उसके कार्यकर्ताओं के दम पर ही बूढ़ा और जवान होता है। किन्तु कहने और करने में फर्क होता है। प्रियंका जी ने कांग्रेस को जवान तो बता दिया लेकिन वे जवान लोगों को कांग्रेस की तरफ आकर्षित नहीं कर पाये। उल्टे ये काम किया नरेन्द्र मोदी जी ने।
उन्होंने युवाओं के सामने एक मजबूत भारत बनाने का वादा किया और नई पीढ़ी उनसे जुड़ गई। आज हालत ये है कि कांग्रेस के पास युवा कार्यकर्ताओं का टोटा है। अब वह सत्ता से बाहर बैठी स्यापा कर रही है। अब उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे, कौन-सी रणनीति बनाए और किस रास्ते पर चले? ले दे कर कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है।
दिग्गी राजा आह्वान कर रहे हैं- हे विश्व के समस्त कांग्रेसियो तुम सब वापस घर आ जाओ । हे पवारो, हे बनर्जिओ सब कांग्रेस में लौट आओ । पप्पू तुम्हारा इन्तजार कर रहा है। कुछ कांग्रेसी कह रहे हैं कि भैया को आजमा लिया अब दीदी को लाओ।
ऎसी दिग्भ्रम कांग्रेस अपने आपको कैसे खड़ा कर पाएगी, यह बहुत बड़ी चुनौती है। एक जमाना था जब कांग्रेस में हर एक प्रान्त के भीतर क्षत्रप थे लेकिन आलाकमान ने धीरे-धीरे सारे प्रान्तीय नेतृत्व को अपना दास बना लिया और आज कांग्रेस में सिर्फ तीन चेहरे नजर आते हैं सोनिया, राहुल और प्रियंका। गिरना कोई अपराध नहीं है लेकिन गिरकर संभल ना पाना और संभल कर आगे ना बढ़ना किसी के लिए भी परेशानी का सबब हो सकता है।
बहरहाल नरेन्द्र मोदी जी ने जैसी रणनीति बना रखी है और जैसे सपने दिखा रखे हैं उसके आधार पर कांग्रेस के पास तैयारी के लिए एक दो नहीं बल्कि दस बरस हैं और सत्ता से बाहर रहकर दस बरस तक दम बनाए रखना दम वालों के बस की बात है। आने वाले वर्षो में कांग्रेस कैसे चलती है यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा।
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