सोमवार, 11 मार्च 2013

राजा भैया डीएसपी जिया उल हक जी के मर्डर केस में निर्दोष है ?

!!यहाँ स्पस्ट कर दू  इस देश के सभी मुसलमान भाई एक जैसे नहीं है !!
डीएसपी जिया उल हक की हत्या के बाद राजा भैया को एक षड़यंत्र के तहत इसमें फंसा दिया गया है.इस काण्ड में राजा भैया का नाम आने के बाद उनके समर्थक और विरोधियों के बीच बहस एक बार फिर तेज़ हो गयी है.समर्थकों में अधिकांश वो लोग हैं जो राजा भैया के क्षेत्र व राजपूत जाति से ताल्लुक रखते हैं शेष समर्थक वो लोग हैं जो उनके व्यक्तित्व अथवा रुतबे के कायल हैं.विरोधी लोगों में वो लोग शामिल हैं जो किसी न किसी कारणवश राजा भैया से द्वेष रखते हैं या उनके बारे में पूर्ण जानकारी के अभाव में ,बिना उनके व्यक्तित्व को जाने बिकाऊ मीडिया द्वारा दुष्प्रचारित अनर्गल बातों से प्रभावित हैं.
अगर मैं खुद की बात करूँ तो उनके समर्थन की जितनी भी वजहें मैंने बताई हैं वो सब मेरे साथ हैं.मेरा नगर व जनपद इटावा होने के कारण मैं भले ही उनके क्षेत्र का नहीं हूँ ...मैं कई दिनों से राजा भैया के समर्थन और विरोध में लोगों की प्रतिक्रियाएं देख-सुन रहा हूँ.उनमे जिन लोगों का राजा भैया से कुछ व्यक्तिगत द्वेष है उनका तो विरोध करना समझ में आता है किन्तु जो बिना वजह विरोध पर उतारू हैं वो क्या सोचकर ऐसा कर रहे हैं,मेरी समझ से परे है.सबसे ज्यादा तो ताज्जुब उनके उन विरोधियों पर होता है जो खुद को हिंदुत्व के आधार पर राष्ट्रभक्त साबित कर रहे हैं.मैं जानता हूँ कि उनके अन्दर राष्ट्रभक्ति का ज़ज्बा है किन्तु राजा भैया के मामले में वे भ्रमित ही लगते हैं.मै जानना चाहूँगा कि भला क्यूँ राजा भैया का विरोध किया जाये?? क्या राजा भैया ने कोई राष्ट्रद्रोह किया है,किसी पाक आतंकवादी या मुस्लिम आतंकवादी का समर्थन किया है या फिर वो किसी देशविरोधी षड़यंत्र में शामिल रह चुके हैं ?क्या वह हिंदुत्व के विरोध या धर्मनिरपेक्षता को बढ़ावा देते हैं?क्या उन्होंने कभी हिन्दुओं को छोड़कर अपना मुस्लिम प्रेम दिखाया है?अगर इनमे से किसी भी प्रश्न का उत्तर 'हाँ' में हो तो उनका विरोध करने का मतलब समझ आता है.किन्तु जब सभी के लिए 'नहीं' ही एकमात्र उत्तर है तो उनके विरोध का आधार क्या है???
कुछ लोग मानते हैं कि राजा भैया बाहुवली है,बहुत सारे मुक़दमे उनपर दर्ज हैं,इसलिए उनका समर्थन नहीं किया जा सकता है. इसमें जानना जरुरी है कि क्या बाहुवली होना पाप है?क्या जितने भी लोगों के खिलाफ मुक़दमे दर्ज हैं वे सब राष्ट्रद्रोही या हिन्दुद्रोही हैं?सब जानते हैं कि राजा भैया पर अधिकांश मुक़दमे फर्जी हैं.मायावती ने तो पोटा तक लगवा दिया था उनपर.फिर कैसे मान ले कि उनके खिलाफ मुक़दमे ठीक हैं?और अगर कुछ मुक़दमे वास्तविक भी हैं तो क्या उनकी व्यक्तिगत समस्याओं या रंजिशों को हम विरोध का आधार बना ले?हम में से न जाने कितने ही लोग ऐसे होंगे जिनके विरुद्ध मामले दर्ज हैं तो क्या हम देश धर्मं से प्यार नहीं करते?जिस क्षेत्र से राजा भैया का सम्बन्ध है वो तो क्या पूरा पूर्वांचल ही बाहुबलियों का गढ़ है.इसी पूर्वांचल से दाऊद,अबू सालेम,मुख्तार अंसारी,अतीक अहमद और न जाने कितने मुस्लिम बाहुवली ताल्लुक रखते हैं.ऐसे में जब राजा भैया जैसे दिग्गज हमारे समाज में नहीं होंगे तो क्या हिन्दू समाज इनके इनके आतंक के सामने नतमस्तक नहीं हो जायेगा ?क्या कोई सरकार ऐसी है जो उनके खिलाफ कार्रवाई कर मुस्लिम वोटरों को नाराज़ करने का जोखिम उठाये? ऐसी उम्मीद सिर्फ भाजपा से कि जा सकती है किन्तु उसकी सरकार कितनी कम समय के लिए रह पाती है ये तो सबको पता ही है.तो क्या जब तक भाजपा कि सरकार आये तब तक मुस्लिम बाहुबलियों को हिन्दुओं पर अत्याचार करते रहने दिया जाये??उनको न रोक कर देश व प्रदेश में पाकिस्तानियों का प्रभाव बढाया जाये.अगर नहीं तो राजा भैया का विरोध क्यूँ?सिर्फ बाहुवली होना या किसी पर मुक़दमे दर्ज होना विरोध करने का कारण नहीं होना चाहिए.कभी कभी समाज में संतुलन बनाये रखने के लिए हिंसा का भी सहारा लेना पड़ता है.अगर ऐसा न होता तो गुजरात में इतना बड़ा नरसंहार नहीं होता.क्या उस घटना और मुकदमो के आधार पर हिंदूवादी नरेन्द्र मोदी का समर्थन करना छोड़ दें?सही बात तो ये है कि गुजरात में दंगों के बाद ही मोदी जी पूरे देश के हिन्दुओं के नेता बनकर उभरे थे.और हिंसा का रास्ता तो हमारे क्रांतिकारी देशभक्तों ने आज़ादी कि लड़ाई में भी लिया था.अंग्रेजों कि अन्यायी सरकार ने तो उनपर न सिर्फ मुक़दमे चलाये बल्कि दोषी सिद्ध कर फांसी तक कि सजा दी,तो क्या अपने देशभक्त क्रांतिकारियों का विरोध करना शुरू कर दें?
अंत में सबसे महत्वपूर्ण बात,राजा भैया मूल रूप से भाजपा के ही समर्थक हैं.उनके परिवार और संघ परिवार में हमेशा नजदीकी रही है.आज तक भाजपा कि तरफ से उन्हें कभी भी अपराधी नहीं बताया गया.उनके जेल में होने के दौरान कई भाजपा नेताओं ने उनसे मुलाकात भी की थी.डीएसपी हत्याकांड में फंसाए जाने के विरोध में भाजपा के कट्टर हिंदूवादी नेता और सांसद योगी आदित्यनाथ खुद राजा भैया के समर्थन में खुलकर सामने आ गए हैं.कुछ ही समय बाद पूरी पार्टी उनके समर्थन में खड़ी नज़र आयेगी.सारे परदे हट जायेंगे और मीडिया कि बातों से भ्रमित हिंदूवादी समझ जायेंगे कि राजा भैया वास्तव में एक कट्टर हिंदूवादी नेता हैं.
जय श्री राम!!...जय हिन्द!!...जय प्रताप!!...जय शिवाजी!!...जय रघुराज !! राजा भैया की जय हो, जय हो ,जय हो...............
साभार
!! यूथ हिन्दू इंजीनियर !!
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DSP हत्याकांड: जिन पर FIR दर्ज हुई वे क्राइम स्थल पर नहीं थे-CBI

प्रतापगढ़ में डीएसपी जिआ-उल-हक की हत्या की गुत्थी सुलझाने में लगी सीबीआई को पता चला है कि जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है वे हत्या के वक्त वहां मौजूद नहीं थे। डीएसपी जिआ-उल-हक की पत्नी परवीन आजाद ने जिन लोगों पर हत्या के आरोप लगाए थे उनके कॉल डिटेल रिकॉर्ड से जानकारी मिली है कि उस दिन आरोपी क्राइम स्थल पर नहीं थे।

परवीन आजाद की शिकायत पर चार लोगों को कार्रवाई के लिए नामजद किया गया है। राजा भैया को एफआईआर में मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। गौरतलब है कि इस मामले में नाम आने की वजह से राजा भैया को यूपी में अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। इस घटना में परवीन आजाद की शिकायत में राजा भैया के अलावे चार नाम और हैं। कुंडा नगर पंचायत के चेयरमैन गुलशन यादव, राजा भैया के सहयोगी हरि ओम श्रीवास्तव, राजा भैया के गनर रोहित सिंह, ड्राइवर संजय प्रताप सिंह और गुड्डु सिंह का नाम है।

सूत्रों ने बताया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड से बात सामने आई है कि गुड्डु सिंह और रोहित सिंह उस रात लखनऊ में थे जबकि गुलशन यादव और हरिओम श्रीवास्तव कुंडा शहर में थे। गौरतलब है कि बलिपुर गांव में डीएसपी जिआ-उल-हक समेत प्रधान नन्हे लाल यादव और उनके भाई सुरेश यादव की हत्या कर दी गई थी।
By -- विवेक सिंह जी FB से...
DSP हत्याकांड: जिन पर FIR दर्ज हुई वे क्राइम स्थल पर नहीं थे-CBI

प्रतापगढ़ में डीएसपी जिआ-उल-हक की हत्या की गुत्थी सुलझाने में लगी सीबीआई को पता चला है कि जिन लोगों पर एफआईआर दर्ज की गई है वे हत्या के वक्त वहां मौजूद नहीं थे। डीएसपी जिआ-उल-हक की पत्नी परवीन आजाद ने जिन लोगों पर हत्या के आरोप लगाए थे उनके कॉल डिटेल रिकॉर्ड से जानकारी मिली है कि उस दिन आरोपी क्राइम स्थल पर नहीं थे।

परवीन आजाद की शिकायत पर चार लोगों को कार्रवाई के लिए नामजद किया गया है। राजा भैया को एफआईआर में मुख्य साजिशकर्ता बताया गया है। गौरतलब है कि इस मामले में नाम आने की वजह से राजा भैया को यूपी में अखिलेश सरकार के मंत्रिमंडल से इस्तीफा देना पड़ा था। इस घटना में परवीन आजाद की शिकायत में राजा भैया के अलावे चार नाम और हैं। कुंडा नगर पंचायत के चेयरमैन गुलशन यादव, राजा भैया के सहयोगी हरि ओम श्रीवास्तव, राजा भैया के गनर रोहित सिंह, ड्राइवर संजय प्रताप सिंह और गुड्डु सिंह का नाम है।

सूत्रों ने बताया कि कॉल डिटेल रिकॉर्ड से बात सामने आई है कि गुड्डु सिंह और रोहित सिंह उस रात लखनऊ में थे जबकि गुलशन यादव और हरिओम श्रीवास्तव कुंडा शहर में थे। गौरतलब है कि बलिपुर गांव में डीएसपी जिआ-उल-हक समेत प्रधान नन्हे लाल यादव और उनके भाई सुरेश यादव की हत्या कर दी गई थी।
 
 

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