कामना पूरी न होगी, ..... भावना बढती रहेगी !
चक्र चलता ही रहेगा,..... विश्व गलता ही रहेगा !!
क्या इसे संसार कहते ?
आस मिटती ही रहेगी,.....श्वास घुटती ही रहेगी !
... आयु नित घटती रहेगी,..मृत्यु हंसती ही रहेगी !!
क्या इसे व्यापार कहते ?
लौ मचलती ही रहेगी,.. शलभ को डसती रहेगी !
निशा घुलकर सुबह होगी, शाम ढलती ही रहेगी !!
क्या इसे दिन-रात कहते ?
घन घटायें घुल गिरेंगी, अवनि प्यासी ही रहेगी !
दामिनी दमका करेगी,. विरहणी व्याकुल रहेगी !!
क्या इसे अभिशाप कहते ?
पतन होता ही रहेगा,......प्रगति पंखों से उड़ेगी !
जन्म होता ही रहेगा,.... लाश धू-धू ही जलेगी !!
क्या इसे अमरत्व कहते ?
प्रेम छलता ही रहेगा,..... वासना जलती रहेगी !
नयन रोते ही रहेंगे,..... नीर सरिता बन बहेगा !!
क्या इसे संताप कहते ?
'चन्द्र' छिपता ही रहेगा,.......चांदनी ढूँढा करेगी !
प्यास पपिहा की न बुझेगी, स्वाति झरती ही रहेगी !!
क्या इसे अभिमान कहते ?
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