सर्वधर्म समभाव और वसुधैव कुटुंबकम को जीवन का आधार मानने वाले हिंदुओं
की स्थिति उन देशों में काफी बदतर है जहां वे अल्पसंख्यक हैं...! भारत से बाहर
रह रहे हिंदुओं की आबादी लगभग 20 करोड़ है! सबसे ज्यादा खराब स्थिति दक्षिण
एशिया के देशों में रह रहे हिंदुओं की है! दक्षिण एशियाई
देशों-बांग्लादेश, भूटान, पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ फिजी, मलेशिया,
त्रिनिदाद-टौबेगो में हाल के वर्षो में हिंदू अल्पसंख्यकों के खिलाफ
अत्याचार के मामले बढ़े हैं। इनमें जबरन मतांतरण, यौन उत्पीड़न, धार्मिक
स्थलों पर आक्रमण, सामाजिक भेदभाव, संपत्ति हड़पना आदि शामिल है... कुछ देशों
में राजनीतिक स्तर पर भी हिंदुओं के साथ भेदभाव की शिकायतें सामने आई है...
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में इसका
खुलासा हुआ है..यह रिपोर्ट 2011 की है, जिसे हाल ही में जारी किया गया है...
रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में 1947 में कुल आबादी का 25 प्रतिशत हिंदू
थे.. अभी इनकी जनसंख्या कुल आबादी की मात्र 1.6 प्रतिशत रह गई है क्यों ? वहां
गैर-मुस्लिमों के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार हो रहा हैक्यों ? 24 मार्च, 2005 को
पाकिस्तान में नए पासपोर्ट में धर्म की पहचान को अनिवार्य कर दिया गया क्यों ?
स्कूलों में इस्लाम की शिक्षा दी जाती है जबकि भारत में किसी भी धर्म की सिक्षा अनिवयार्य नहीं है फिर पाक में ईस निंदा कानून क्यों ? गैर-मुस्लिमों, खासकर हिंदुओं के
साथ असहिष्णु व्यवहार किया जाता हैक्यों ? जनजातीय बहुल इलाकों में अत्याचार
ज्यादा हैक्यों ? इन क्षेत्रों में इस्लामिक कानून लागू करने का भारी दबाव है..किसके इशारे पर ?
हिंदू युवतियों और महिलाओं के साथ दुष्कर्म, अपहरण की घटनाएं आम हैंज ज्यादा सुरक्षित है अल्पसंख्यक होने के बाद भी ....बकि भारत में मुस्लिम और अन्य धर्म के लोग
उन्हें इस्लामिक मदरसों में रखकर जबरन मतांतरण का दबाव डाला जाता है... गरीब
हिंदू तबका बंधुआ मजदूर की तरह जीने को मजबूर है...
इसी तरह बांग्लादेश में भी हिंदुओं पर अत्याचार के मामले तेजी से बढ़े
हैं....बांग्लादेश ने वेस्टेड प्रापर्टीज रिटर्न [एमेंडमेंट] बिल 2011 को
लागू किया है, जिसमें जब्त की गई या मुसलमानों द्वारा कब्जा की गई हिंदुओं
की जमीन को वापस लेने के लिए क्लेम करने का अधिकार नहीं है ! इस बिल के
पारित होने के बाद हिंदुओं की जमीन कब्जा करने की प्रवृति बढ़ी है और इसे
सरकारी संरक्षण भी मिल रहा है... इसका विरोध करने वाले मानवाधिकार
कार्यकर्ताओं और पत्रकारों पर भी जुल्म ढाए जाते हैं.. इसके अलावा हिंदू
इस्लामी कट्टरपंथियों के निशाने पर भी हैं..उनके साथ मारपीट, दुष्कर्म,
अपहरण, जबरन मतांतरण, मंदिरों में तोड़फोड़ और शारीरिक उत्पीड़न आम बात है!अगर यह जारी रहा तो अगले 25 वर्षो में बांग्लादेश में हिंदुओं की आबादी ही
समाप्त हो जाएगी...और भारत में मुस्लिमो की आवादी कितने हो जाएगा विचार करे ................
बहु-धार्मिक, बहु-सांस्कृतिक और बहुभाषी देश कहे जाने वाले भूटान में
भी हिंदुओं के खिलाफ अत्याचार हो रहा है....1990 के दशक में दक्षिण और पूर्वी
इलाके से एक लाख हिंदू अल्पसंख्यकों और नियंगमापा बौद्धों को बेदखल कर
दिया गया.... ईसाई बहुल देश फिजी में हिंदुओं की आबादी 34 प्रतिशत है... स्थानीय
लोग यहां रहने वाले हिंदुओं को घृणा की दृष्टि से देखते हैं... 2008 में
यहां कई हिंदू मंदिरों को निशाना बनाया गया.. 2009 में ये हमले बंद हुए..
फिजी के मेथोडिस्ट चर्च ने लगातार इसे इसाई देश घोषित करने की मांग की,
लेकिन बैमानिरामा के प्रधानमंत्रित्व में गठित अंतरिम सरकार ने इसे खारिज
कर दिया और अल्पसंख्यकों, खासकर हिंदुओं के संरक्षण की बात कही... मलेशिया
घोषित इस्लामी देश है, इसलिए वहां की हिंदू आबादी को अकसर भेदभाव का सामना
करना पड़ता है.... मंदिरों और अन्य धार्मिक स्थानों को अकसर निशाना बनाया जाता
है... सरकार मस्जिदों को सरकारी जमीन और मदद मुहैया कराती है, लेकिन हिंदू
धार्मिक स्थानों के साथ इस नीति को अमल में नहीं लाती.... हिंदू कार्यकर्ताओं
पर तरह-तरह के जुल्म किए जाते हैं और उन्हें कानूनी मामलों में जबरन फंसाया
जाता है.. उन्हें शरीयत अदालतों में पेश किया जाता है...सिंहली बहुल
श्रीलंका में भी हिंदुओं के साथ दोयम दर्जे का व्यवहार होता है...पिछले कई
दशकों से हिंदुओं और तमिलों पर हमले हो रहे हैं.. हिंसा के कारण उन्हें
लगातार पलायन का दंश झेलना पड़ रहा है...हिंदू संस्थानों को सरकारी संरक्षण
नहीं मिलता है.. त्रिनिदाद-टोबैगो में भारतीय मूल की कमला परसाद बिसेसर के
सत्ता संभालने के बाद आशा बंधी है कि हिंदुओं के साथ साठ सालों से हो रहा
अत्याचार समाप्त होगा....इंडो-त्रिनिदादियंस समूह सरकारी नौकरियों और अन्य
सरकारी सहायता से वंचित है... हिंदू संस्थाओं के साथ और हिंदू त्यौहारों के
दौरान हिंसा होती है.................
हिंदू अमेरिकन फाउंडेशन की आठवीं वार्षिक मानवाधिकार रिपोर्ट में
जम्मू-कश्मीर में हिंदुओं के खिलाफ हो रहे अत्याचार का भी जिक्र है...कश्मीरी पंडितो के साथ क्या क्या जुर्म धाये गए सभी को पता है .....
पाकिस्तान ने कश्मीर के 35 फीसदी भू-भाग पर अवैध तरीके से कब्जा कर रखा है.. 1980 के दशक से यहां पाकिस्तान समर्थित आतंकी सक्रिय हैं ! कश्मीर घाटी से
अधिकांश हिंदू आबादी का पलायन हो चुका ह...तीन लाख से ज्यादा कश्मीरी
हिंदू अपने ही देश में शरणार्थी के तौर पर रह रहे हैं....क्यों ? कश्मीरी पंडित
रिफ्यूजी कैंप में बदतर स्थिति में रहने को मजबूर हैं... यह चिंता की बात है
कि दक्षिण एशिया में रह रहे हिंदुओं पर अत्याचार के मामले लगातार बढ़ रहे
हैं, लेकिन चंद मानवाधिकार संगठनों की बात छोड़ दें तो वहां रह रहे हिंदुओं
के हितों की रक्षा के लिए आवाज उठाने वाला कोई नहीं है...जिस तरह से
श्रीलंका में तमिलों के मानवाधिकार हनन के मुद्दे पर अमेरिका, फ्रांस और
नार्वे ने संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार आयोग में प्रस्ताव रखा और तमिल
राजनीतिक दलों के दबाव में ही सही भारत को प्रस्ताव के पक्ष में वोट डालना
पड़ा उसी तरह की पहल भारत को भी दक्षेस के मंच पर तो करनी ही चाहिए..
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नोट ---ब्लॉग अभी अधूरा है ......
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