इतना ना इतराए दुनिया, पहले ही हम कर चुके हैं यह 'महाखोज' http://www.bhaskar.com/article/NAT-higgs-boson-is-also-mentioned-in-the-vedas-3484556.html?HF-27 |
नई दिल्ली.
यूरोपीय वैज्ञानिकों ने जिस हिग्स बोसॉन से मिलते-जुलते कण को खोजने का
दावा किया है उसका व बिग बैंग सिद्धांत का सबसे पहला जिक्र वेदों में आता
है। वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसॉन को गॉड पार्टिकल यानी ब्रह्म कण का नाम
दिया है।
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में वर्णित नासद सूक्त में प्राचीन मानव और अंतरिक्ष को समझने की उसकी मूलभूत जिज्ञासा का पता चलता है। नासद सूक्त में कहा गया है कि सृष्टि से पहले कुछ भी नहीं था, न आकाश था, न जमीन, न जल। इस श्लोक में ब्रह्म की चर्चा करते हुए बताया गया है कि सृष्टि से पहले ब्रह्म ही विद्यमान थे और उन्हें से सारी सृष्टि का विकास हुआ है।
वैज्ञानिकों का बिग बैंग सिद्धांत भी इस समझ को अधिक विस्तृत बनाते हुए कहता है कि 13.7 अरब वर्ष पहले समूचा अंतरिक्ष एक पिन की नोक के बराबर के बिंदु पर केंद्रित था। बिग बैंग कहलाने वाले इस महाविस्फोट के बाद इस बिंदु में विस्तार होता चला गया जिसने अंतरिक्ष का आकार लिया। हमारा अंतरिक्ष अभी भी फैल रहा है। अंतरिक्ष के सृजन के साथ ही हिग्स बोसॉन अस्तित्व में आया जिससे नक्षत्रों, ग्रहों, आकाशगंगाओं और जीवन का भी सृजन संभव हो सका।
वेदों और उपनिषदों के बाद आए पुराणों में अंतरिक्ष के सृजन के सिद्धांत से आगे बढ़ते हुए युगों की शुरुआत और उनके खात्मे का जिक्र किया गया। पुराणों में ब्रह्म के एक दिन को चार अरब 32 करोड़ वर्ष के बराबर बताया गया है जो एक महायुग और चार युगों के बराबर होता है। एक महायुग की समाप्ति के बाद प्रलय आती है और सबकुछ नष्ट हो जाता है और एक नई सृष्टि का सृजन होता है।
बोस के आखिरी बोसॉन की खोज
गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसॉन की खबर भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए सम्मान और निराशा की दोहरी अनुभूति लेकर आया। हिग्स बोसॉन का 'हिग्स' तो पीटर हिग्स के नाम पर है जिन्होंने इस खोज के अहम सिद्धांत और बुनियाद रखी।
हालांकि बहुत कम लोग खासकर गैर-वैज्ञानिक यह जानते हैं कि इस नाम का दूसरा हिस्सा बोसॉन एक भारतीय वैज्ञानिक के नाम पर है। भारतीय भौतिकविद सत्येंद्रनाथ बोस ने 1924 में बताया कि परमाणु में मौजूद कण प्रोटॉन एक जैसे नहीं होते।
उनसे निकलने वाली ऊर्जा अलग-अलग होती है। इसी आधार पर बोस-आइंस्टीन फार्मूला सामने आया। सब-एटॉमिक पार्टिकल को बोसॉन कहा गया। स्टैंडर्ड मॉडल ऑफ फीजिक्स में दो अहम समूह फर्मिओंस और बोसॉन ही हैं। छह बोसॉन में से 5 की खोज हो चुकी है। बस हिग्स बोसॉन का खोजा जाना बाकी है।http://www.jagran.com/news/national-god-particle-theory-in-regveda-9440669.html
सबसे प्राचीन वेद ऋग्वेद में वर्णित नासद सूक्त में प्राचीन मानव और अंतरिक्ष को समझने की उसकी मूलभूत जिज्ञासा का पता चलता है। नासद सूक्त में कहा गया है कि सृष्टि से पहले कुछ भी नहीं था, न आकाश था, न जमीन, न जल। इस श्लोक में ब्रह्म की चर्चा करते हुए बताया गया है कि सृष्टि से पहले ब्रह्म ही विद्यमान थे और उन्हें से सारी सृष्टि का विकास हुआ है।
वैज्ञानिकों का बिग बैंग सिद्धांत भी इस समझ को अधिक विस्तृत बनाते हुए कहता है कि 13.7 अरब वर्ष पहले समूचा अंतरिक्ष एक पिन की नोक के बराबर के बिंदु पर केंद्रित था। बिग बैंग कहलाने वाले इस महाविस्फोट के बाद इस बिंदु में विस्तार होता चला गया जिसने अंतरिक्ष का आकार लिया। हमारा अंतरिक्ष अभी भी फैल रहा है। अंतरिक्ष के सृजन के साथ ही हिग्स बोसॉन अस्तित्व में आया जिससे नक्षत्रों, ग्रहों, आकाशगंगाओं और जीवन का भी सृजन संभव हो सका।
वेदों और उपनिषदों के बाद आए पुराणों में अंतरिक्ष के सृजन के सिद्धांत से आगे बढ़ते हुए युगों की शुरुआत और उनके खात्मे का जिक्र किया गया। पुराणों में ब्रह्म के एक दिन को चार अरब 32 करोड़ वर्ष के बराबर बताया गया है जो एक महायुग और चार युगों के बराबर होता है। एक महायुग की समाप्ति के बाद प्रलय आती है और सबकुछ नष्ट हो जाता है और एक नई सृष्टि का सृजन होता है।
बोस के आखिरी बोसॉन की खोज
गॉड पार्टिकल या हिग्स बोसॉन की खबर भारतीय वैज्ञानिक समुदाय के लिए सम्मान और निराशा की दोहरी अनुभूति लेकर आया। हिग्स बोसॉन का 'हिग्स' तो पीटर हिग्स के नाम पर है जिन्होंने इस खोज के अहम सिद्धांत और बुनियाद रखी।
हालांकि बहुत कम लोग खासकर गैर-वैज्ञानिक यह जानते हैं कि इस नाम का दूसरा हिस्सा बोसॉन एक भारतीय वैज्ञानिक के नाम पर है। भारतीय भौतिकविद सत्येंद्रनाथ बोस ने 1924 में बताया कि परमाणु में मौजूद कण प्रोटॉन एक जैसे नहीं होते।
उनसे निकलने वाली ऊर्जा अलग-अलग होती है। इसी आधार पर बोस-आइंस्टीन फार्मूला सामने आया। सब-एटॉमिक पार्टिकल को बोसॉन कहा गया। स्टैंडर्ड मॉडल ऑफ फीजिक्स में दो अहम समूह फर्मिओंस और बोसॉन ही हैं। छह बोसॉन में से 5 की खोज हो चुकी है। बस हिग्स बोसॉन का खोजा जाना बाकी है।http://www.jagran.com/news/national-god-particle-theory-in-regveda-9440669.html
http://www.livehindustan.com/news/desh/national/article1-european-scientist-higs-boson-ved-book-39-39-241271.html
यूरोपीय वैज्ञानिक ने जिंस हिग्स बोसोन से मिलते जुलते जिस कण को खोजने का दावा किया है, उसका एवं बिग बैंग सिद्धांत का सबसे पहला जिंक्र वेदों में आता है !
वैज्ञानिकों ने हिग्स बोसोन को गॉड पार्टिकल अर्थात ब्रह्म कण का नाम दिया है ! सबसे प्राचीन वेद ऋगवेद में वर्णित नासद सूक्त में प्राचीन मानव और अंतिरक्ष को समझने की उसकी मूलभूत जिज्ञासा का पता चलता है। नासद सूक्त में कहा गया है कि सृष्टि से पहले कुछ भी नहीं था, न आकाश था, न जमीन और न जल। इस पौराणिक श्लोक में ब्रह्मा की तुलना हिरण्यगर्भ से करते हुए बताया गया है कि सृष्टि से पहले ब्रह्म ही विद्यमान थे और उन्हें से सारी सृष्टि का विकास हुआ है ! वेदों और उपनिषदों के बाद आई पुराणों में अंतिरक्ष के सृजन के सिद्धांत से आगे बढ़ते हुए युगों की शुरुआत और उनके खात्मे का जिक्र किया गया ! पुराणों में ब्रह्म के एक दिन को चार अरब 32 करोड़ वर्ष के बराबर बताया गया है जो एक महायुग और चार युगों के बराबर होता है! एक महायुग की समाप्ति के बाद प्रलय आती है और समूचा ज्ञान और सभ्यताएं नष्ट हो जाती हैं और एक नई सृष्टि का सृजन होता है..............