सोमवार, 25 अगस्त 2014

किस किस बीजेपी नेता की बेटी ने मुस्लिम से शादी की है ?

आजकल आपीए और कांग्रेसी एक प्रोपेगेंडा फैलाते है ... जिसमे लिखा होता है फलाने फैलाने बीजेपी के नेताओ की बरतियो ने मुस्लिमो से शादी किया  है 

आप सच्चाई जाने

1--अशोक सिंघल जी ने शादी नहीं की है वे ब्रह्मचारी है....उनकी कोई ओलाद नहीं है...फिर अशोक सिंघल जी की बेटी की शादी किसी मुस्लिम से होने का कोई सवाल ही पैदा नही होता ..

2...मुख्तार अब्बास नकवी की बीबी का नाम सीमा नकवी है जो एक साधारण हिन्दू पिता और मुस्लिम माँ की सन्तान है ..

आपियो का झूट3--मुरली मनोहर बेटी की शादी एक मुस्लिम से हुई है ... महाझूठ ....जोशी जी की बेटी कि शादी अलाहाबाद के हिन्दू घराने में हुई है

4....शहनवाज हुसैन की पत्नी एक हिन्दू रेनू शर्मा है जो एक प्रसिद्द टीचर है और उन्होंने इस्लाम कुबूल नही किया है आज भी उनके घर हिन्दू त्योहार मनाये जाते है

5--झूठ नम्बर पांच ---नरेंद्र मोदी जी की भतीजी की शादी एक मुस्लिम से हुई है ... हा हा हा ये केजरू खुद तो झूठा है और अपने समर्थको को झूठ फ़ैलाने की प्रेरणा देता है .. मोदी जी की सिर्फ दो भतीजीओ की शादी हुई है और दोनों के पति एक साधारण हिन्दू है

6--लाल कृष्णा अडवानी की बेटी ने नहीं बल्कि उनके बड़े भाई की बेटी यानी भतीजी ने अपनी दूसरी शादी प्रेम विवाह के रूप में मुल्ले से की थी... फिर सात महीने के बाद तलाक हो गया

7--सुब्रमन्यम स्वामी जी की लड़की ने अवश्य प्रेम विवाह किया मुस्लिम से ... सुहासिनी स्वामी लन्दन में पढती थी और वही पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का बेटा नदीम हैदर भी पढ़ता था .. और दोनों में प्रेम हो गया ...मगर उसने इस्लाम कबूल नहीं किया है....आज भी उनकी लडकी एक हिन्दू धर्म को मानती है और अपने पति को भी हिन्दू बना चुकी हैशादी Civil Marriage Boston,US में हुवी फिर भारत में Re-Register हुवा उनको एक बेटा है प्रतीक नामक....जिसे धर्म आज तक हिन्दू धर्म है और उसका आज तक खतना भी नहीं हुआ है!

8--बाला साहेब ठाकरे जी की पोती ने किसी मुस्लिम से शादी नहीं की बल्कि एक गुजराती लोहाना परिवार में शादी हुई गई है...सामना के सम्पादक प्रेम शुक्ल ने कई बार उस लडके के पुरे खानदान का विवरण दे चुके है ... .असल में सबसे पहले एक पाकिस्तानी अख़बार और टीवी चैनेल ने ये झूठ चलाया फिर बिना सच्चाई जाने भारत के कुछ बेबपोर्टल और आम आदमी पार्टी के नेता इस झूठ को फ़ैलाने लगे ... उसी चैनेल ने कुछ समय पहले खबर दिया था की गायक हंस राज हंस ने इस्लाम कुबूल कर लिया है .. जबकि हंस राज हंस ने कहा की वो एक कट्टर सिख है और उनके बारे में झूठी खबर फैलाई गयी है

मित्रो, ये दोगले आम आदमी पार्टी के बीस हजारी ई नरेगा वाले मजदूरो का जन्म किसी हिन्दू वीर्य से नही हुआ है वरना ये दोगले बिना सच्चाई जाने इस झूठ की नही फैलाते | 


Note---:फेसबुक में जीतेन्द्र प्रताप सिंह जी के वाल से साभार ।

मंगलवार, 5 अगस्त 2014

भारतीय जनता पार्टी को वंशवाद से बचना चाहिए




प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भले देश की राजनीति को वंशवाद से मुक्त करने के प्रयासों में जुटे हों लेकिन उनकी पार्टी भाजपा के ही नेता गाहे-बगाहे ऎसे बयान दे जाते हैं जिसमें वंशवाद की बू नजर आती है । ताजा मामला केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी का है जो चाहती है  कि उनके पुत्र वरूण गांधी सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभालें । लोकतंत्र में किसी भी नेता को किसी पद पर बिठाने का दारोमदार मतदाताओं पर है । माताओ पर नहीं ।
जैसे कांग्रेस हो या भाजपा अथवा अन्य दल, वंशवाद की लम्बी फेहरिस्त हर जगह है । कार्यकर्ताओं में प्रोत्साहित करने का मंत्र फूंका जाता हो लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं । किसी नेता का पुत्र होना कोई अयोग्यता नहीं मानी जा सकती लेकिन राजनीति में सिर्फ रिश्तेदारी को ही महत्व क्यों मिले ? लालबहादुर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपेयी, पी.वी. नरसिम्हाराव, चन्द्र शेखर और नरेन्द्र मोदी समेत तमाम नेताओं को राजनीति विरासत में नहीं मिली बल्कि उन्होंने संघर्ष  करके यह मुकाम हासिल किया ।
वरूण गांधी जी  उत्तर प्रदेश से दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं । भाजपा की राजनीति में वरूण सक्रिय हैं, युवा हैं, उत्साही भी हैं लेकिन उनकी यही खूबी क्या मुख्यमंत्री पद की योग्यता के लिए पर्याप्त है ? उत्तरप्रदेश पहले  से ही पहले ही इस वंसवादी राजनीती के कारण एक अयोग्य और अनुभवहीन मुख्यमंत्री को ढो रहा है ।  उत्तर प्रदेश भाजपा में तमाम ऎसे नेता होंगे जो योग्यता में वरूण से आगे होंगे । भारतीय राजनीति में अच्छे लोग खासकर युवा पीढ़ी इसलिए नहीं जुड़ पा रही है क्योंकि वह जानती हैं कि युवाओं के नाम पर यहां बड़े नेताओं के पुत्र-पुत्रियों अथवा रिश्तेदारों को ही प्रोत्साहन मिलता है । और जमीनी कार्यकर्ताओ की अनदेखी की  जाती है और यह रोग सभी राजनैतिक दलों में लगा हुआ है ।

राजनीतिक दलों के ढांचे पर नजर डाली जाए तो स्पष्ट होता है कि आज ''भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों'' को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दल एक व्यक्ति अथवा एक परिवार की छत्र छाया में फल-फूल रहे हैं । सेवाभाव की बजाय राजनीति व्यवसाय का रूप लेती जा रही है जो चिंता का विषय  है । राजनीति को वंशवाद अथवा परिवारवाद से मुक्त करना है तो भाषणो  की बजाय यथार्थ में ऎसा करके दिखाना होगा ताकि अच्छे युवा राजनीति से जुड़ने के लिए प्रेरित हो सकें । इसके लिए वरिष्ठ नेताओं को परिवारवाद के मोह से ऊपर उठना होगा, राजनीति की दशा और दिशा में सुधार की उम्मीद तभी बलवती होगी । मेनका गांधी और ऎसी इच्छा रखने वाले सभी नेताओं को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा । ऎसा करना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव तो नहीं ।
यदि भाजपा भी वंसवाद की राजनीती की तरफ चल पडी तो अपनी विशेष पहचान खो सकती है । अतः मोदी जी को सावधान और सतर्क रहना होगा । अब मेनका जी तो माँ है , पर मेनका जी को एक नेक सलाह देता हु । जेठानी (सोनिया गांधी) नहीं बने ।