शुक्रवार, 30 मई 2014

भारत में अल्पसंख्यक कौन ?

'यह मुसलमानों के मामलों का मंत्रालय नहीं, बल्कि अल्पसंख्यकों से जुड़े मामलों का मंत्रालय है । मुसलमान अल्पसंख्यक नहीं हैं । पारसी अल्पसंख्यक हैं और उनकी संख्या लगातार घट रही है । उन्हें मदद की जरूरत है ताकि वे खत्म न हो जाएं ----: नजमा हेपतुल्ला 
                                   (अल्पसंख्यक मामलों की केंद्रीय मंत्री)
 

                         मुस्लिम समाज के लोग हेपतुल्ला के इस बयान की आलोचना कर रहे हैं । उनका कहना है कि मुसलमान धार्मिक आधार पर अल्पसंख्यक हैं । जमियत उलेमा हिंद के जनरल सेक्रेटरी मौलाना महमूद मदनी को उस बात पर आपत्ति है, जिसमें कहा जा रहा है कि चूंकि मुसलमानों की आबादी बहुत अधिक है, इसलिए वे अल्पसंख्यक नहीं हैं । मदनी का कहना है, 'आपको मुसलमानों की आबादी पूरे देश के अन्य कौम के लोगों की तुलना में देखनी चाहिए।'

गौरतलब है कि भारत में मुसलमानों की आबादी कुल आबादी का 13.4 फीसदी है ।  वहीं, यहूदी और पारसी समाज की आबादी बहुत कम है। देश में पारसी समाज की आबादी 69,000 और यहूदी समाज की आबादी 5000 बताई जाती है।

संख्या

वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक भारत की कुल आबादी 1,028,610,328 थी। इसमें हिंदू धर्म को मानने वाले लोगों की तादाद करीब 827,578,868 यानी 80.5 फीसदी थी। जनगणना के आंकड़ों के मुताबिक हिंदू धर्म को मानने वाले लोग भारत में धार्मिक आधार पर बहुसंख्यक हैं। लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि हिंदू समाज विभिन्न समुदायों, मत मतांतरों, भाषायी, सांस्कृतिक तौर पर बंटा हुआ है। इस समुदाय में लोग अलग-अलग देवी-देवताओं की पूजा करते हैं। ऐसी मान्यता वाले लोगों का कहना है कि हिंदू समाज को इन्हीं कारणों के चलते एक ईकाई के रूप में देखना मुश्किल है। साथ ही यह तर्क भी दिया जाता है कि जम्मू-कश्मीर, पूर्वोत्तर भारत और पंजाब जैसे इलाकों में हिंदू समुदाय बहुसंख्यक नहीं है। यही नहीं, उत्तर प्रदेश में ऐसे कई जिले हैं, जहां हिंदुओं और मुसलमानों की आबादी तकरीबन आधी-आधी है।

आबादी कहां-कहां

मणिपुर, अरुणाचल प्रदेश, मिजोरम, लक्षदीप, नागालैंड, मेघालय, जम्मू-कश्मीर और पंजाब को छोड़कर देश के अन्य 27 राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों में हिंदू बहुसंख्यक हैं।


मुस्लिम जनसंख्या

वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में मुसलमानों की आबादी 13.4 फीसदी यानी 138,188,240 थी। इसका मतलब यह हुआ कि संख्या के आधार पर मुसलमान भारत में अल्पसंख्यक हैं। लेकिन कुछ जानकारों का कहना है कि देश के ऐसे कई इलाके हैं, जहां उनकी आबादी हिंदुओं के मुकाबले ज्यादा है। यही नहीं, अगर अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देखा जाए तो इंडोनेशिया के बाद भारत में मुसलमानों की आबादी सबसे ज्यादा है। भारत में मुसलमानों की तादाद पाकिस्तान और बांग्लादेश में मुसलमानों की आबादी की तुलना में ज्यादा है।

आबादी कहां-कहां

तकरीबन पूरे देश में मुस्लिम समाज के लोग रहते हैं। जम्मू-कश्मीर और लक्षदीप में मुसलमान आबादी बहुसंख्यक है। असम (30.9%), पश्चिम बंगाल (25.2%), केरल (24.7%), उत्तर प्रदेश (18.5%) और बिहार (16.5%) मुस्लिम आबादी है।

सिख जनसंख्या

वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में 1.9 फीसदी आबादी सिखों की है। सिखों की जनसंख्या 19,215,730 थी। यह अल्पसंख्यक समाज है।

आबादी कहां-कहां

सिख समुदाय के लोग मुख्य रूप से पंजाब में पाए जाते हैं। देश के कुल सिखों की 75 फीसदी आबादी पंजाब में रहती है। इसके अलावा चंडीगढ़ (16.1%), हरियाणा (5.5%), दिल्ली (4.0%), उत्तराखंड (2.5%), जम्मू-कश्मीर (2.0%) में भी सिखों की ठीक ठाक आबादी रहती है। 

ईसाई  जनसंख्या

वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक देश में ईसाई समाज की आबादी कुल आबादी का 2.3 फीसदी यानी भारत में 24,080,016 ईसाई रहते हैं। भारत में ईसाई समाज को अल्पसंख्यक माना जाता है।

आबादी कहां-कहां

पूर्वोत्तर भारत और दक्षिण के कुछ हिस्सों में ईसाई समाज की अच्छी खासी आबादी है। इसके अलावा शायद ही देश का कोई ऐसा जिला होगा जहां ईसाई समाज के लोग न हों। नागालैंड, मिजोरम, मेघालय में ईसाई बहुसंख्यक हैं। मणिपुर (34.0%), गोवा (26.7%), अंडमान और निकोबार (21.7%) और केरल (19.0%) और अरुणाचल प्रदेश (18.7%) में भी अच्छी तादाद में मुसलमान आबादी है।

बौद्ध जनसंख्या

देश में बौद्ध समाज के लोगों का कुल आबादी में प्रतिशत 0.8 है। यानी उनकी तादाद वर्ष 2011 में हुई जनगणना के मुताबिक 7,955,207 थी। बौद्ध समाज के लोग अल्पसंख्यक माने जाते हैं।

आबादी कहां-कहां

बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग उत्तर प्रदेश, बिहार, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश के अलावा पूर्वोत्तर भारत, जम्मू-कश्मीर, उत्तराखंड और हिमाचल प्रदेश, पश्चिम बंगाल और ओडिशा में काफी तादाद में मिलते हैं। लेकिन भारत का शायद ही कोई ऐसा जिला हो, जहां बौद्ध धर्म का कोई अनुयायी न रहता हो।

जैन समाज जनसंख्या

देश में जैन समाज के लोगों की आबादी 0.4 फीसदी यानी 4,225,053 है।

आबादी कहां-कहां

जैन समाज के लोग हरियाणा, दिल्ली, उत्तर प्रदेश, राजस्थान, मध्य प्रदेश और गुजरात समेत देश के कई राज्यों में रहते हैं।


पारसी जनसंख्या
 
देश में पारसी समाज के लोगों की कुल आबादी करीब 69,000 है। पारसी समाज की आबादी अन्य धर्मों के लोगों के मुकाबले तेजी से घट रही है । 

आबादी कहां-कहां

पारसी समाज के लोग महाराष्ट्र, गोवा, दमन-दीव और गुजरात में सबसे ज्यादा रहते हैं।

यहूदीजनसंख्या 

भारत में यहूदियों की कुल आबादी 5000 बताई जाती है। पारसी समाज की तरह यहूदी समाज की आबादी भी भारत में अन्य धर्मों के लोगों के मुकाबले तेजी से घट रही है।  

आबादी कहां-कहां 

भारत में यहूदी समाज के लोग महाराष्ट्र के मुंबई और थाणे में रहते हैं ।




नोट---: इस ब्लॉग  के माध्यम  से हम सभी को एक सार्थक बहस करना चाहिए की '' अल्पसंख्यक'' का मापदंड क्या होना चाहिए ?

बुधवार, 28 मई 2014

कांग्रेसी मित्रो अभी भी वक्त है सम्हल जाए ।

मित्रो पूरी पोस्ट को पढ़े आपको जरूर अच्छा लगेगा ।

सोच रहा हु की मेरे कांग्रेसी मित्रो को आइना दिखा दू , पर मेरे कांग्रेसी मित्रो आइना नहीं तोड़ना । लोकसभा के 2014चुनाव में कांग्रेसियों के पास कोई मुद्दा नहीं था ये पुरे चुनाव में सिर्फ और सिर्फ नरेंद्र मोदी जी को घेरने में लगे रहे और इस देश की जनता ने कांग्रेस को ऐसा घेरा की 44 सीट पर लाकर पटक दिया फिर भी कांग्रेसी मित्रो ने सीख नहीं लिया और अब स्मृत ईरानी जी के शिक्षा को लेकर बीजेपी को घेरने लगे परिणाम में गड़े मुर्दे उखाड़ गए और राष्टवादी मित्र इंद्रा गांधी जी से लेकर सोनिया गांधी जी और राहुल गांधी जी की डिग्री तक खंगाल लिया । कांग्रेसी मित्रो अभी भी वक्त है , अपने आपको सकरात्मकताकता में लगाए नहीं तो इससे भी बड़ी दुर्दशा होगी आने वाले समय में ।

एक सौ तीस बरस की कांग्रेस ने इतने बुरे दिन नहीं देखे होंगे जितने वो आज देख रही है। बेचारी के पास से मुख्य विपक्षी दल का तमगा तक छिन रहा है। अब वह इस बात के लिए सरकार पर ही आश्रित हो गई कि उसे मुख्य विपक्षी दल कहा जाए। तो क्या सचमुच कांग्रेस बूढ़ी हो गई ? सालेएक पहले नरेन्द्र मोदी जी ने कहा था कि कांग्रेस अब बूढ़ी हो गई है। इसके जवाब में प्रियंका जी बोली थी कि क्या मैं बूढ़ी नजर आती हूं ।

प्रियंका जी ने सही कहा था कि कोई भी राजनीतिक दल उसके कार्यकर्ताओं के दम पर ही बूढ़ा और जवान होता है। किन्तु कहने और करने में फर्क होता है। प्रियंका जी ने कांग्रेस को जवान तो बता दिया लेकिन वे जवान लोगों को कांग्रेस की तरफ आकर्षित नहीं कर पाये। उल्टे ये काम किया नरेन्द्र मोदी जी ने।

उन्होंने युवाओं के सामने एक मजबूत भारत बनाने का वादा किया और नई पीढ़ी उनसे जुड़ गई। आज हालत ये है कि कांग्रेस के पास युवा कार्यकर्ताओं का टोटा है। अब वह सत्ता से बाहर बैठी स्यापा कर रही है। अब उसे समझ नहीं आ रहा कि वह क्या करे, कौन-सी रणनीति बनाए और किस रास्ते पर चले? ले दे कर कांग्रेस अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ती नजर आ रही है।

दिग्गी राजा आह्वान कर रहे हैं- हे विश्व के समस्त कांग्रेसियो तुम सब वापस घर आ जाओ । हे पवारो, हे बनर्जिओ सब कांग्रेस में लौट आओ । पप्पू तुम्हारा इन्तजार कर रहा है। कुछ कांग्रेसी कह रहे हैं कि भैया को आजमा लिया अब दीदी को लाओ।

ऎसी दिग्भ्रम कांग्रेस अपने आपको कैसे खड़ा कर पाएगी, यह बहुत बड़ी चुनौती है। एक जमाना था जब कांग्रेस में हर एक प्रान्त के भीतर क्षत्रप थे लेकिन आलाकमान ने धीरे-धीरे सारे प्रान्तीय नेतृत्व को अपना दास बना लिया और आज कांग्रेस में सिर्फ तीन चेहरे नजर आते हैं सोनिया, राहुल और प्रियंका। गिरना कोई अपराध नहीं है लेकिन गिरकर संभल ना पाना और संभल कर आगे ना बढ़ना किसी के लिए भी परेशानी का सबब हो सकता है।

बहरहाल नरेन्द्र मोदी जी ने जैसी रणनीति बना रखी है और जैसे सपने दिखा रखे हैं उसके आधार पर कांग्रेस के पास तैयारी के लिए एक दो नहीं बल्कि दस बरस हैं और सत्ता से बाहर रहकर दस बरस तक दम बनाए रखना दम वालों के बस की बात है। आने वाले वर्षो में कांग्रेस कैसे चलती है यह देखना भी बड़ा दिलचस्प होगा।