शनिवार, 3 सितंबर 2022

देश के संस्थानों को बेचने की शुरुआत...

आज जो निजी क्षेत्र के 03 सबसे बड़े बैंक है, यानी ICICI बैंक,  HDFC बैंक, और AXIS बैंक - यह तीनों कभी सरकारी बैंक हुआ करती थी, लेकिन पी.वी नरसिम्हा राव सरकार में महान वित्त मंत्री रहे डॉ.मनमोहन सिंह ने इन्हें बेच दिया!

ICICI का पूरा नाम था इंडस्ट्रियल क्रेडिट एंड इन्वेस्टमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया! यह भारत सरकार की ऐसी संस्था थी, जो बड़े उद्योगों को ऋण देती थी!

एक झटके में वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने इसका डिसइनवेस्टमेंट करके, इसे प्राइवेट बना दिया, और इसका नाम और ICICI बैंक हो गया!

आज जो HDFC बैंक है, उसका पूरा नाम हाउसिंग डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया था! यह भारत सरकार की एक ऐसी संस्था हुआ करती थी, जो मध्यम वर्ग के नागरिकों को सस्ते ब्याज पर होम लोन देने का काम करती थी!

नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री रहे डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, "सरकार का काम केवल गवर्नेंस करना है, होम लोन बेचना नहीं है!"

डॉ. मनमोहन सिंह  इसे आवश्यक कदम बताते हैं, और कहते हैं, "सरकार का काम केवल सरकार चलाना है, बैंक चलाना, या लोन देना नहीं है!"

और एक झटके में वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने HDFC बैंक को बेच दिया! और यह निजी क्षेत्र का बैंक बन गया!

इसी तरह की बेहद दिलचस्प कहानी AXIS बैंक की है!

भारत सरकार की एक संस्था हुआ करती थी, उसका नाम था यूनिट ट्रस्ट ऑफ इंडिया! यह संस्था लघु बचत को बढ़ावा देने के लिए बनाई गई थी! यानी आप इसमें छोटी-छोटी रकम जमा कर सकते थे!

नरसिम्हा राव सरकार में वित्त मंत्री डॉ. मनमोहन सिंह ने कहा, "सरकार का काम चिटफंड की स्कीम चलाना नहीं है!"

और एक झटके में इसे बेच दिया गया! पहले इसका नाम UTI बैंक हुआ, और बाद में इसका नाम AXIS बैंक हो गया!

इसी तरह आज IDBI बैंक है, जो एक प्राइवेट बैंक है! एक समय में यह भारत सरकार की संस्था हुआ करती थी, जिसका नाम था इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट कारपोरेशन ऑफ़ इंडिया! इसका भी काम उद्योगों को ऋण देना था! 

लेकिन डॉ. मनमोहन सिंह ने इसे भी बेच दिया! और आज यह निजी बैंक बन गया है!

अपनी याददाश्त को कमजोर न होने दें कभी!

डिसइनवेस्टमेंट पॉलिसी को भारत में कौन लाया था? जरा सर्च कर लो!

जब नरसिम्हा राव के समय में डॉ. मनमोहन सिंह वित्त मंत्री थे, तब डॉ. मनमोहन सिंह ने संसद में कहा था, "मैक्सिमम गवर्नमेंट, लेस गवर्नेंस!"

उन्होंने कहा था, कि "सरकार का काम व्यवसाय (धंधा) करना नहीं, सरकार का काम गवर्नेंस देना है! ऐसा वातावरण देना है, कि देश के नागरिक यह सब काम कर सकें!"

डॉ. मनमोहन सिंह ने ही सबसे पहले "टोल टैक्स पॉलिसी" लाई थी! यानी "निजी कंपनियों द्वारा सड़क बनाओ, और उन कंपनियों को टोल टैक्स वसूलने की अनुमति दो!"

डॉ. मनमोहन सिंह ने "सबसे पहले एयरपोर्ट के निजी करण" को आरंभ करवाया था, और सबसे पहला दिल्ली का "इंदिरा गांधी एयरपोर्ट" को जी.एम.आर ग्रुप को व्यवसायिक स्वरूप से चलाने के लिए दिया गया!

आज चम्पक उछल-उछल कर नाच-नाच कर, बेसुर राग गाता फिर रहा है, "मोदी ने अपने मित्रों में बेच दिया!"
डॉ. मनमोहन सिंह करें तो - विनिवेश!और मोदी करें तो - देश को बेचा!!

 २००९-१० में डॉ. मनमोहन सिंह ने ५ सरकारी कंपनियां बेचीं!
१. HPC Ltd.;
२. OIL 
३. NTPC 
४. REC 
५. NMDC 

 २०१०-११ में डॉ. मनमोहन सिंह ने ६ सरकारी कंपनियाँ और बेचीं!
१. SJVN 
२. EIL 
३. CIL 
४. PGCIL 
५. MOIL 
६. SCI - 
२०११-१२ मे
१. PFC 
२. ONGC 

२०१२-१३ में डॉ. मनमोहन सिंह ने बेचीं और ८ सरकारी कंपनियां!
१. SAIL 
२. NALCO 
३. RCF 
४. NTPC 
५. OIL 
६. NMDC 
७. HCL 
 ८.  एनबीसीसी!

 २०१३-१४ में डॉ. मनमोहन सिंह ने १२ और सरकारी कंपनियां बेचीं!
१. NHPC 
२. BHEL 
३. EIL 
४. NMDC 
५. CPSE 
६. PGCI 
७. NFL 
८. MMTC 
९. HCL 
१०. ITDC 
११. STC 
१२. NLC

कामीयो वामियो का तो मोदी विरोध में ये हाल हो चुका है , कोई बोले मोदी तुम्हारा कान ले गया, तो ये फोरन लठ ले कर मोदी  के पिछे भागेगे,अपना कान नहीं देखेंगे...

कोई टिप्पणी नहीं:

एक टिप्पणी भेजें