शनिवार, 30 जून 2018

कांग्रेस के कुछ अनजाने कुकर्म


अंडमान निकोबार द्वीप समूह में भारत के नौसेना का बड़ा अड्डा है ये तो सभी को ज्ञात है पर क्या आप ये जानते है के हमारे इस नौसैनिक अड्डे से सिर्फ 20 किलोमीटर दूर चीन का भी एक नौसैनिक अड्डा है.....!
जी हां भारत से सिर्फ 20 KM दूर... जहां से चीनी हमारी हर हरकत पर नज़र रखते है....!
इस चीनी नौसैनिक अड्डे का नाम है #Coco_Islands (तस्वीर देखें).....साल 1950 तक ये भारत का ही हिस्सा हुआ करता था......पर आज भारत के लिए सबसे बड़े खतरों में से एक है....अंडमान निकोबार सहित पूरा दक्षिण भारत, कोलकाता, चेन्नई जैसे बड़े शहर आज इस चीनी अड्डे की मिसाइलों की जद में है....ये भारत की वो कमजोर नस है जो चीन की उंगलियों के बीच दबी है....!
सबसे मजेदार चीज़ ये अड्डा चीन ने हमसे बिना लड़े बिना एक गोली खर्च किये बिना एक बूंद खून बहाए लिया है.....क्या कुछ अजीब लग रहा है........!
इस ऐतिहासिक मूर्खता को समझने को आपको कुछ साल पीछे लौटना होगा.....
सबसे पहले इस महा मूर्खता का खुलासा भारत के पूर्व रक्षा मंत्री श्री जॉर्ज फर्नांडीस ने 2003 में किया था...उन्हों ने संसद और देश को बताया था के कैसे जो कोको आइलैंड देश के लिए सबसे बड़ा खतरा है उसे जवाहरलाल नेहरू नाम के एक अय्यास ने बाप का माल समझ दान में दे दिया था.....!
साल 1937 तक बर्मा(#म्यांमार) भारत का ही हिस्सा हुआ करता था फिर अंग्रेज़ों ने बर्मा को अलग कॉलोनी बनाया....तब के किसी भी भारतीय राजनीतिक नेता ने इसका कोई विरोध नहीं किया उल्टा कांग्रेस ने इस निर्णय को पूरा समर्थन दिया.....इस बटवारे में अंग्रेज़ों ने सामरिक फायदे को देख #कोको_आइलैंड को बर्मा के साथ जोड़ कर वहां काला पानी जैसी ही जेल बनाई जबकि ये बर्मा से 250 KM दूर था और भारत से सिर्फ 20KM.....!
1942 में इस द्वीप समूह पर अंडमान निकोबार के साथ ही जापान ने जीत हासिल की और बाद में इसे आज़ाद हिंद का इलाका माना....!
1947 में भारत को आज़ादी मिलने के बाद अंडमान एक स्वतंत्र देश की तरह बन गया जो बाद में 1950 में भारतीय गणराज्य में शामिल हुआ .....तब तक 1948 मैं बर्मा भी आज़ाद हो चुका था.....!
भारत का तब का प्रधानमंत्री खुद के विश्व नेता होने की गलत फहमी से नथुनों तक भरा था और इसी वाहियात सनक में उसने अंडमान निकोबार के पांच द्वीपों का समूह कोको आइलैंड बर्मा को दे दिया....!
नेहरू की इस #भयानक_अदूरदर्शिता का खामियाजा भारत ने भुगता 1994 में जब बर्मा की सरकार ने ये द्वीप सैनिक अड्डा बनाने को चीन के हवाले कर दिए.....वर्ष 2013 तक चीन ने यहां राडार, हवाई पट्टी, मिसाइलें सब खड़ा कर लिया न भारत की बार बाला सरकार ने न कोई विरोध किया न इस मुद्दे को बर्मा या चीन के साथ द्विपक्षीय वार्ता में कभी उठाया...!
नेहरू कितना बड़ा विश्व नेता बन सका ये तो सभी को ज्ञात है पर भारत के सीने में कोको आइलैंड के रूप में ठोंकी उसकी कील आने वाले समय में कितना दर्द देगी इसका किसी को क्या कोई अनुमान है......!
सिर्फ सोच के देखिए सिहर उठेंगे आप!

शुक्रवार, 22 जून 2018

वेद और कुरआन

अन्तिम संदेष्टा का वर्णन वेदों की दुनिया में:
अन्तिम संदेष्टा का वर्णन वेदों में नराशंस के नाम से 31 स्थान पर हुआ है और पुराणों में कल्कि अवतार के नाम से उनका वर्णन मिलता है।
नराशंस की खोजः नराशंस शब्द “नर” और “आशंस” दो शब्दों से मिल कर बना है। नर का अर्थ होता है मनुष्य और आशंस का अर्थ होता है ” प्रशंसित” अर्थात् मनुष्यों द्वारा प्रशंसित। ज्ञात यह हुआ कि वह व्यक्ति मनुष्यों द्वारा प्रशंसित होगा और मनुष्य की जाति से होगा, देवताओं की जातियों से नहीं। और मुहम्मद का अर्थ भी “प्रशंसित मनुष्य” होता है जो मनुष्य ही थे और आज जब मुसलमान उन्हें एक मनुष्य के रूप में ही देखता है।
नराशंस की विशेषताएं
हम वेदों द्वारा नराशंस की कुछ प्रमुख विशेषताओं का उल्लेख करते हैं:
(1) वाणी की मधुरताः ऋग्वेद में नराशंस को “मधुजिह्वं” (ऋग्वेद संहिता 1/13/3) कहा गया है। अर्थात् उन में वाणी की मधुरता होगी। और सभी जानते हैं कि मुहम्मद सल्ल0 की वाणी में काफी मिठास थी।
(2) सुन्दर कान्ति के धनीः इस विशेषता का उल्लेख करते हुए ऋग्वेद संहिता (2/3/2) में “स्वर्चि” शब्द आया है। इस शब्द का अर्थ है “सुन्दर दिप्ति या कान्ति से यु्क्त” और मुहम्मद सल्ल0 इतने सुन्दर थे कि लोग स्वतः आपकी ओर खींच आते थे अपितु आपकी सुंद्रता चाँद के समान थी।
(3) पापों का निवारकः ऋग्वेद(1/106/4) में नराशंस को पापों से लोगों को हटाने वाला बताया गया है। और यह बिल्कुल स्पष्ट है कि मुहम्मद सल्ल0 की समस्त शिक्षायें लोगों को पापों से निकालती हैं। इस्लाम जुआ, शराब, अवैध कमाई, ब्याज आदि से रोकता है और अत्याचार, दमन और शौषण से मुक्त समाज की स्थापना करता है।
(4) पत्नियों की साम्यताः अथर्ववेद कुन्ताप सूक्त (20/127/2) में आया है कि नराशंस के पास 12 पत्नियाँ होंगी। और वास्तव में मुहम्मद सल्ल0 के पास 12 पत्नियाँ थीं। “उल्लेखनीय है कि और किसी भी धार्मिक व्यक्ति की बारह पत्नियाँ नहीं थीं” ( देखिए हज़रत मुहम्मद सल्ल0 और भारतीय धर्म ग्रन्थ, लेखकः डा0 एम ए श्रीवास्तव पृष्ठ 12)
अन्य विशेषताएं:
(1) नराशंस की प्रशंसा की जाएगी तथा सबको प्रिय होगा(ऋग्वेद संहिता 1/13/3) संसार में जितनी प्रशंसा मुहम्मद सल्ल0 की की गई तथा आज तक की जा रही है वह किसी व्यक्ति के भाग में नहीं आया। हर मुस्लिम उन्हें केवल ईश्-दुत मानता है तथा यह आस्था रखता है कि वह लाभ अथवा हानि के अधिकारी नहीं फिर भी उनके लिए अपनी जान भी देने में संकोच नहीं करता क्योंकि उन्हीं के द्वारा अन्तिम ईश्वरीय संदेश मिला।
(2) नराशंस सवारी के रूप में ऊँटों का प्रयोग करेगा( अथर्ववेद 20/127/2) मुहम्मद सल्ल0 ऊँट की सवारी ही करते थे क्योंकि आपके समय में ऊँटों की ही सवारी होती थी।
(3) नराशंस को परोक्ष का ज्ञान दिया जाएगा (ऋग्वेद संहिता 1/3/2) मुहम्मद सल्ल0 ने परोक्ष से सम्बन्धित विभिन्न बातें बताईं जो सत्य सिद्ध हुईं।
(4) नराशंस अत्यधिक सुन्दर एवं ज्ञान के प्रसारक होंगे।(ऋग्वेद संहिता 2/3/2) मुहम्मद सल्ल0 का मुख-मण्डल चंद्रमा के समान था जिस पर प्रत्येक इतिहारकार सहमत हैं। उसी प्रकार आपने ईश्वरीय ज्ञान को घर घर प्रकाशित किया और आज यह ज्ञान पूरे संसार में फैला हुआ है।
(5) नराशंस लोगों को पापों से निकालेगा (ऋग्वेद संहिता 1/106/4) हमने पिछले पन्नों में सिद्ध किया है कि मुहम्मद सल्ल0 जिस समाज में पैदा हुए वह समाज हर प्रकार के पापों में ग्रस्त था परन्तु आपने उनके आचरण की सुधार की।
(6) नराशंस को सौ निष्क प्रदान किए जाएंगे (अथर्ववेद 20/127/6)
(7) नसाशंस दस मालाओं वाला होगा। (अथर्ववेद 20/127/6)
(8) नराशंस दस हज़ार गौयों से युक्त होगा। (अथर्ववेद 20/127/6)
डा0 वेद प्रकाश उपाध्याय लिखते हैं कि सौ निष्क से अभिप्राय चबूतरा में रहने वाले साथी हैं जो आप से धार्मिक शिक्षा लिया करते थे। उनकी संख्या भी 100 थी। दस मोतियों के हार से संकेत आप सल्ल0 के उन मित्रों की ओर है जिन्हें संसार ही में स्वर्ग की शुभ-सूचना दी गई थी। दस हज़ार गौयों से अभिप्राय वह सहयोगी हैं जिनकी सहायता से मक्का पर विजय प्राप्त किया था उनकी संख्या भी दस हज़ार थी।
यह था मुहम्मद सल्ल0 का संक्षिप्त वर्णन वेदों की दुनिया में, रहा यह कि पुराणों ने आपके सम्बन्ध में क्या भविष्यवाणी की है तो इसका वर्णन हम अगले पोस्ट में करेंगे।
पिछले पोस्ट में हमने वेदों में मुहम्मद साहब की आगमण की भविष्यवाणी का वर्णन किया था अब हम पुराणों में मुहम्मद सल्ल0 की आगमण का प्रमाण पेश कर रहे हैं:
पुराणों के प्रमाण:
भविष्य पुराण में इस प्रकार आया हैः” हमारे लोगों का खतना होगा, वे शीखाहीन होंगें, वे दाढ़ी रखेंगे, ऊँचे स्वर में आलाप करेंगे यानी अज़ान देंगे, शाकाबारी मांसाहारी (दोनों) होंगे, किन्तु उनके लिए बिना कौल अर्थात् मंत्र से पवित्र किए बिना कोई पशु भक्ष्य (खाने) योग्य नहीं होगा (वह हलाल मास खाएंगे) , इस प्रकार हमारे मत के अनुसार हमारे अनुवाइयों का मुस्लिम संस्कार होगा। उन्हीं से मुसलवन्त अर्थात् निष्ठावानों का धर्म फैलेगा और ऐसा मेरे कहने से पैशीत धर्न का अंत होगा।” [भविष्य पुराण पर्व3 खण्ड3 अध्याय1 श्लोक 25, 26, 27 ]
भविष्य-पुराण के अनुसार ”शालिवाहन (सात वाहन) वंशी राजा भोज दिग्विजय करता हुआ समुद्रपार (अरब) पहुंचे तथा (उच्च कोटि के) आचार्य शिष्यों से घिरे हुए महामद (मुहम्मद सल्ल0) नाम के विख्यात आचार्य को देखा।” [ प्रतिसर्ग पर्व 3, अध्याय 3, खंड 3 कलियुगीतिहास समुच्चय] संग्राम-पुराण में गोस्वामी तुलसी दास जी लिखते हैं:
तब तक सुन्दर मद्दिकोया।
बिना महामद पार न होया।
अर्थात् ” जब तक सुन्दर वाणी (क़ुरआन) धरती पर रहेगी उसके और महामद ( मुहम्मद सल्ल0) के बिना मुक्ति न मिलेगी।”
संग्राम-पुराण, स्कन्द 12, कांड 6 पद्दानुवाद: गोस्वामी तुलसी दास)
कल्की अवतार का स्थानः
अन्तिम संदेष्टा की आगमण के सम्बन्ध में पुराणों में बताया गया है कि जिस युग के युद्ध में तलवार तथा सवारी में घोड़ा का प्रयोग होगा ऐसे ही ऐसे ही युग में अन्तिम संदेष्टा की आगमण होगी। बल्कि कल्कि पुराण में अन्तिम संदेष्टा के जन्म-तिथि का भी उल्लेख किया गया है:
” जिसके जन्म लेने से मानवता का कल्यान होगा, उसका जन्म मधुमास के शुम्भल पक्ष और रबी फसल में चंद्रमा की 12वीं तिथी को होगा।“[ कल्कि पुराण 2:15 ]
मुहम्मद सल्ल0 का जन्म भी 12 रबीउल अव्वल को हुआ, रबीउल-अव्वल का अर्थ हाता है मधवमास का हर्षोल्लास का महीना।
श्रीमद भगवद महापुराण में कल्कि अवतार के माता पिता का वर्णन करते हुए कहा गया है:
शम्भले विष्णु पशसो ग्रहे प्रादुर्भवाम्यहम।
सुमत्यांमार्तार विभो पत्नियाँ न्नर्दशतः।।
अनुवाद: “ सुनो! शम्भल शहर में विष्णु-यश के यहाँ उनकी पत्नी सुमत्री के गर्भ से पैदा होगा।” [ कल्कि अवतार अध्याय2 श्लोक1]
इस श्लोक में अवतार का जन्म स्थान शम्भल बताया गया है, शम्भल का शाब्दिक अर्थ है ” शान्ति का स्थान” और मक्का जहाँ मुहम्मद सल्ल0 पैदा हुए उसे अरबी में “दारुल-अम्न” कहा जाता है। जिसका अर्थ ” शान्ति का घर” होता है। विष्णुयश कल्कि के पिता का नाम बताया गया है और मुहम्मद सल्ल0 के पिता का नाम अब्दुल्लाह था और जो अर्थ विष्णुयश का होता है वही अर्थ अब्दुल्लाह का होता है। विष्णु अर्थात् अल्लाह और यश अर्थात् बन्दा, यानी “अल्लाह का बन्दा।” (अब्दुल्लाह) ।
उसी प्रकार कल्कि की माता का नाम “सुमति” ( सोमवती) आया है जिसका अर्थ होता है: ” शान्ति एवं मननशील स्वभाव वाली” और मुहम्मद सल्ल0 की माता का नाम भी “आमना” था जिसका अर्थ है: ” शान्ति वाली।”
कल्कि अवतार की प्रमुख विशेषताएं
(1) जगत्पतिः अर्थात् संसार की रक्षा करने वाला। भगवत पुराण द्वादश स्कंध,द्वीतीय अध्याय,19वें श्लोक में कल्कि अवतार को जगत्पति कहा गया है। और वास्तव में मुहम्मद सल्ल0 जगत्पति हैं। क़ुरआन ने मुहम्मद सल्ल0 को “सम्पूर्ण संसार हेतु दयालुता” (सूरःअल-अम्बिया107) की उपाधि दी है। एक दूसरे स्थान पर क़ुरआन कहता है “हमने तुमको सभी इंसानों के लिए शुभसूचना सुनाने वाला और सचेत करने वाला बना कर भेजा है। ” (सूरः सबा आयत 28)
(2) चार भाइयों के सहयोग से युक्त
कल्कि पुराण (2/5) के अनुसार चार भाईयों के साथ कल्कि कलि ( शैतान) का निवारण करेंगे। मुहम्मद सल्ल0 ने भी चार साथियों के साथ शैतान का नाश किया था। यह चार साथी थे अबू बक्र रज़ि0, उमर रज़ि0, उस्मान रज़ि0 और अली रज़ि0।
(3) शरीर से सुगन्ध का निकलना
कल्कि पूराण (द्वादश स्कंध, द्वितीय अध्याय, 21वाँ श्लोक) में भविष्यवाणी की गई है कि कल्कि के शरीर से ऐसी सुगन्ध निकलेगी जिस से लोगों के मन निर्मल हो जाएंगे। और मुहम्मद सल्ल0 के शरीर की खूशबू बहुत प्रसिद्ध है, आप जिस से हाथ मिलाते थे उसके हाथ से दिन भर सुगन्ध आती रहती थी।
हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों में मुहम्मद तथा अहमद का उल्लेख
आज के इस पोस्ट में हम आपकी सेवा में कुछ ऐसे प्रमाण पेश कर रहे हैं जिन से सिद्ध होता है कि “कल्कि अवतार” अथवा “नराशंस” जिनके सम्बन्ध में हिन्दू धार्मिक ग्रन्थों ने भविष्यवाणी की है वह मुहम्मद सल्ल0 ही हैं। क्योंकि कुछ स्थानों पर स्पष्ट रूप में “मुहम्मद” और “अहमद” का वर्णन भी आया है।
देखिए भविष्य पुराण ( 323:5:8)
” एक दूसरे देश में एक आचार्य अपने मित्रों के साथ आएगा उनका नाम महामद होगा। वे रेगिस्तानी क्षेत्र में आएगा।”
श्रीमदभग्वत पुराण : उसी प्रकार श्रीमदभग्वत पुराण (72-2) में शब्द “मुहम्मद” इस प्रकार आया है:
अज्ञान हेतु कृतमोहमदान्धकार नाशं विधायं हित हो दयते विवेक
“मुहम्मद के द्वारा अंधकार दूर होगा और ज्ञान तथा आध्यात्मिकता का प्रचनल होगा।”
यजुर्वेद (18-31) में है:
वेदाहमेत पुरुष महान्तमादित्तयवर्ण तमसः प्रस्तावयनाय 
” वेद अहमद महान व्यक्ति हैं, यूर्य के समान अंधेरे को समाप्त करने वाले, उन्हीं को जान कर प्रलोक में सफल हुआ जा सकता है। उसके अतिरिक्त सफलता तक पहंचने रा कोई दूसरा मार्ग नहीं।”
इति अल्लोपनिषद में अल्लाह और मुहम्मद का वर्णन:
आदल्ला बूक मेककम्। अल्लबूक निखादकम् ।। 4 ।।अलो यज्ञेन हुत हुत्वा अल्ला सूय्र्य चन्द्र सर्वनक्षत्राः ।। 5 ।।अल्लो ऋषीणां सर्व दिव्यां इन्द्राय पूर्व माया परमन्तरिक्षा ।। 6 ।।अल्लः पृथिव्या अन्तरिक्ष्ज्ञं विश्वरूपम् ।। 7 ।।इल्लांकबर इल्लांकबर इल्लां इल्लल्लेति इल्लल्लाः ।। 8 ।।ओम् अल्ला इल्लल्ला अनादि स्वरूपाय अथर्वण श्यामा हुद्दी जनान पशून सिद्धांतजलवरान् अदृष्टं कुरु कुरु फट ।। 9 ।।असुरसंहारिणी हृं द्दीं अल्लो रसूल महमदरकबरस्य अल्लो अल्लाम्इल्लल्लेति इल्लल्ला ।। 10 ।।इति अल्लोपनिषद
अर्थात् ‘‘अल्लाह ने सब ऋषि भेजे और चंद्रमा, सूर्य एवं तारों को पैदा किया। उसी ने सारे ऋषि भेजे और आकाश को पैदा किया। अल्लाह ने ब्रह्माण्ड (ज़मीन और आकाश) को बनाया। अल्लाह श्रेष्ठ है, उसके सिवा कोई पूज्य नहीं। वह सारे विश्व का पालनहार है। वह तमाम बुराइयों और मुसीबतों को दूर करने वाला है। मुहम्मद अल्लाह के रसूल (संदेष्टा) हैं, जो इस संसार का पालनहार है। अतः घोषणा करो कि अल्लाह एक है और उसके सिवा कोई पूज्य नहीं।’’
इस श्लोक का वर्णन करने के पश्चात डा0 एम. श्रीवास्त व अपनी पुस्तक “हज़रत मुहम्म,द (सल्ल.) और भारतीय धर्मग्रन्थन” मे लिखते हैं:
(बहुत थोड़े से विद्वान, जिनका संबंध विशेष रूप से आर्यसमाज से बताया जाता है, अल्लोपनिषद् की गणना उपनिषदों में नहीं करते और इस प्रकार इसका इनकार करते हैं, हालांकि उनके तर्कों में दम नहीं है। इस कारण से भी हिन्दू धर्म के अधिकतर विद्वान और मनीषी अपवादियों के आग्रह पर ध्यान नहीं देते। गीता प्रेस (गोरखपुर) का नाम हिन्दू धर्म के प्रमाणिक प्रकाशन केंद्र के रूप में अग्रगण्य है। यहां से प्रकाशित ‘‘कल्याण’’ (हिन्दी पत्रिका) के अंक अत्यंत प्रामाणिक माने जाते हैं। इसकी विशेष प्रस्तुति ‘‘उपनिषद अंक’’ में 220 उपनिषदों की सूची दी गई है, जिसमें अल्लोपनिषद् का उल्लेख 15वें नंबर पर किया गया है। 14वें नंबर पर अमत बिन्दूपनिषद् और 16वें नंबर पर अवधूतोपनिषद् (पद्य) उल्लिखित है। डा. वेद प्रकाश उपाध्याय ने भी अल्लोपनिषद को प्रामाणिक उपनिषद् माना है। ‘देखिए: वैदिक साहित्य: एक विवेचन, प्रदीप प्रकाशन, पृ. 101, संस्करण 1989।)
हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) और बौद्ध धर्म ग्रन्थ
डा. एम. ए. श्रीवास्तकव नें एक पुस्तक लिखा है (हज़रत मुहम्म द (सल्ल.) और भारतीय धर्मग्रन्थ ) अपनी इस पुस्तक की भूमिका में वह लिखते हैं-
(हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) के आगमन की पूर्व सूचना हमें बाइबिल, तौरेत और अन्य धर्मग्रन्थों में मिलती है, यहाँ तक कि भारतीय धर्मग्रन्थों में भी आप (सल्ल.) के आने की भविष्यवाणियाँ मिलती हैं। हिन्दू, बौद्ध और जैन धर्म की पुस्तकों में इस प्रकार की पूर्व-सूचनाएं मिलती हैं। इस पुस्तिका में सबको एकत्र करके पेश करने का प्रयास किया गया है।) इस पुस्तक से एक भाग हम आपकी सेवा में प्रस्तुत कर रहे हैं आशा है कि इस से लाभांवित होंगे।
अंतिम बुद्ध-मैत्रेय और मुहम्मद (सल्ल.) बौद्ध ग्रन्थों में जिस अंतिम बुद्धि मैत्रेय के आने की भविष्यवाणी की गई है, वे हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ही सिद्ध होते हैं। ‘बुद्ध’ बौद्ध धर्म की भाषा में ऋषि होते हैं।
गौतम बुद्ध ने अपने मृत्यु के समय अपने प्रिय शिष्य आनन्दा से कहा था कि-
‘‘नन्दा! इस संसार में मैं न तो प्रथम बुद्ध हूं और न तो अंतिम बुद्ध हूं। इस जगत् में सत्य और परोपकार की शिक्षा देने के लिए अपने समय पर एक और ‘बुद्ध’ आएगा। यह पवित्र अन्तःकरणवाला होगा। उसका हृदय शुद्ध होगा। ज्ञान और बुद्धि से सम्पन्न तथा समस्त लोगों का नायक होगा। जिस प्रकार मैंने संसार को अनश्वर सत्य की शिक्षा प्रदान की, उसी प्रकार वह भी विश्व को सत्य की शिक्षा देगा। विश्व को वह ऐसा जीवन-मार्ग दिखाएगा जो शुद्ध तथा पूर्ण भी होगा। नन्दा! उसका नाम मैत्रेय होगा। (Gospel of Buddha, by Carus, P-217)
बुद्ध का अर्थ ‘बुद्धि से युक्त’ होता है। बुद्ध मनुष्य ही होते हैं, देवता आदि नहीं। (It is only a human being tha can be a Buddha, a deity can not. ‘Mohammad in the Buddist Scriputures P.1′)मैत्रेय का अर्थ ‘दया से युक्तa’ होता है।
मैत्रेय की मुहम्मद (सल्ल.) से समानताअंतिम बुद्ध मैत्रेय में बुद्ध की सभी विशेषताओं का पाया जाना स्वाभाविक है।
बुद्ध की प्रमुख विशेषताएँ इस प्रकार हैं।
1. वह ऐश्वर्यवान् एवं धनवान होता है।
2. वह सन्तान से युक्त होता है।
3. वह स्त्री और शासन से युक्त रहता है।
4. वह अपनी पूर्ण आयु तक जीता है। (Warren,P. 79)
5. वह अपना काम खुद करता है। ( The Dhammapada, S.B.E Vol. X.P.P. 67)
6. बुद्ध केवल धर्म प्रचारक होते हैं। (The Tathgatas are only preaches, ‘The Dhammapada S.B.E. Vol X. P.67)
7. जिस समय बुद्ध एकान्त में रहता है, उस समय ईश्वर उसके साथियों के रूप में देवताओं और राक्षसों को भेजता है। (Saddharma-Pundrika, S.B.E. Vol XXI., P. 225)
8. संसार में एक समय में केवल एक ही बुद्ध रहता है। (The life and teachings of Buddha, Anagarika Dhammapada P. 84)
9. बुद्ध के अनुयायी पक्के अनुयायी होते हैं, जिन्हें कोई भी उनके मार्ग से विचलित नहीं कर सकता। (Dhammapada, S.B.E. Vol. X. P. 67)
10. उसका कोई व्यक्ति गुरु न होगा। (Romantic History of Buddha, by Beal, P.241)
11. प्रत्येक बुद्ध अपने पूर्णवर्ती बुद्ध का स्मरण कराता है और अपने अनुयायियों को ‘मार’ से बचने की चेतावनी देता है। (Dhammapada, S.B.E. Vol. X1, P. 64) मार का अर्थ बुराई और विनाश को फैलनेवाला होता है। इसे शैतान कहते हैं।
12. सामान्य पुरुषों की अपेक्षा बुद्धों की गर्दन की हड्डी अत्यधिक दृढ़ हाती थी, जिससे वे गर्दन मोड़ते समय अपने पूरे शरीर को हाथी की तरह घुमा लेते थे।
अंतिम बुद्ध मैत्रेय की इनके अलावा अन्य विशेषताएं भी हैं। मैत्रेय के दयावान होने और बोधि वृक्ष के नीचे सभा का आयोजन करनेवाला भी बताया गया है। इस वृक्ष के नीचे बुद्ध को ज्ञान प्राप्ति होती है। डा. वेद प्रकाश उपाध्याय ने यह सिद्ध किया है ये सभी विशेषताएँ मुहम्मद (सल्ल.) के जीवन में मिलती है। तथा अंतिम बुद्ध मैत्रेय हज़रत मुहम्मद (सल्ल.) ही हैं।
मुहम्मद सल्ल0 सन्तों की दृष्टि में
(1) बाबा गुरू नानक जीः हज़रत मुहम्मद सल्ल0 के सम्बन्ध में कहते हैं
पहला नाम खुदा का दूजा नाम रसूल।
तीजा कलमा पढ़ नानका दरगे पावें क़बूल।
डेहता नूरे मुहम्मदी डेगता नबी रसूल।
नानक कुदरत देख कर दुखी गई सब भूल
ऊपर की पंक्तियों को गौर से पढ़िए फिर सोचिए कि स्पष्ट रूप में गुरू नानक जी ने अल्लाह और मुहम्मद सल्ल0 का परिचय कराया है। और इस्लाम में प्रवेश करने के लिए यही एक शब्द बोलना पड़ता है कि मैं इस बात का वचन देता हूं कि अल्लाह के अतिरिक्त कोई सत्य पूज्य नहीं। औऱ मैं इस बात का वचन देता हूं कि मुहम्मद सल्ल0 अल्लाह के अन्तिम संदेष्टा और दूत हैं।
न इस्लाम में प्रवेश करने के लिए खतना कराने की आवशेकता है और न ही गोश्त खाने की जैसा कि कुछ लोगों में यह भ्रम पाया जाता है। यही बात गरू नानक जी ने कही है और मुहम्मद सल्ल0 को मानने की दावत दी है। परन्तु किन्हीं कारणवश खुल कर सामने न आ सके और दिल में पूरी श्रृद्धा होने ते साथ मुहम्मद सल्ल0 के संदेष्टा होने को स्वीकार करते थे।
(2) संत प्राणनाथ जीः ( मारफत सागर क़यामतनामा ) में कहते हैं-
आयतें हदीसें सब कहे, खुदा एक मुहंमद बरहक।
और न कोई आगे पीछे, बिना मुहंमद बुजरक ।
अर्थात् क़ुरआन हदीस यही कहती है कि अल्लाह मात्र एक है और मुहम्मद सल्ल0 का संदेश सत्य है इन्हीं के बताए हुए नियम का पालन करके सफलता प्राप्त की जा सकती है। मुहम्मद सल्ल0 को माने बिना सफलता का कोई पथ नहीं।
(3) तुलसी दास जीः
श्री वेद व्यास जी ने 18 पुराणों में से एक पुराण में काक मशुण्ड जी और गरूड जी की बात चीत को संस्कृत में लेख बद्ध किया है जिसे श्री तुलसी दास जी इस बात चीत को हिन्दी में अनुवाद किया है। इसी अनुवाद के 12वें स्कन्द्ध 6 काण्ड में कहा गया है कि गरुड़ जी सुनो-
यहाँ न पक्ष बातें कुछ राखों। वेद पुराण संत मत भाखों।।
देश अरब भरत लता सो होई। सोधल भूमि गत सुनो धधराई।।
अनुवादः इस अवसर पर मैं किसी का पक्ष न लूंगा। वेद पुराण और मनीषियों का जो धर्म है वही बयान करूंगा। अरब भू-भाग जो भरत लता अर्थात् शुक्र ग्रह की भांति चमक रहा है उसी सोथल भूमि में वह उत्पन्न होंगे।
इस प्रकार हज़रत मुहम्मद सल्ल0 की विशेषताओं का उल्लेख करने के बाद अन्तिम पंक्ति में कहते हैं-
तब तक जो सुन्दरम चहे कोई।
बिना मुहम्मद पार न कोई।।
यदि कोई सफलता प्राप्त करना चाहता है तो मुहम्मद सल्ल0 को स्वीकार ले। अन्यथा कोई बेड़ा उनके बिना पार न होगा।

इस विषय से सम्बन्धित उल्लेख:
1. आदर्श जीवन ( मुहम्मद सल्ल0)
2. मुहम्मद सल्ल0 के मदीना हिजरत से प्राप्त होने वाले पाठ
3. मुहम्मद (सल्लल्लाहु अलैहि व सल्लम) एसे थे।
4. क़ुरआन में परिवर्तन क्यों सम्भव नहीं ?

बुधवार, 20 जून 2018

नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए 20 लाख का ऑफर..


रोहित वेमुला हैदराबाद विश्वविद्यालय में पीएचडी का छात्र और अम्बेडकर स्टूडेंट फेडरेशन के कार्यकर्ता थे। 2016 में निजी कारणों से रोहित वेमुला ने आत्महत्या कर ली थी। उनकी आत्महत्या की वजह से देश की सियासत गरमा उठी थी और सड़क से लेकर संसद तक व्यापक विरोध प्रदर्शन आयोजित किये गए थे। रोहित वेमुला की आत्महत्या को राजनैतिक रंग दिया गया। केंद्र सरकार और भाजपा को दलित विरोधी साबित करने के लिए इस दुखद आत्महत्या का इस्तेमाल किया गया।
हालांकि रोहित वेमुला और उनकी माँ दोनो दलित समुदाय से नही आते थे, जिसकी पुष्टि वहाँ के जिला प्रशासन ने की थी। लेकिन धूर्त राजनैतिक दलों ने उन्हें दलित बता कर राजनैतिक माइलेज लेने की भरपूर कोशिश की। कल हुए एक सनसनीखेज खुलासे में इन्ही राजनैतिक दलों पर रोहित वेमुला की माँ ने सनसनीखेज आरोप लगाते हुए कहा कि उन्हें बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ बोलने के लिये बोलने के लिए 25 लाख रुपये का ऑफर दिया गया था। रोहित वेमुला की आत्महत्या के बाद इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग ने रोहित की मां राधिका वेमुला को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खिलाफ बोलने के लिए 20 लाख रुपए ऑफर दिया था। राधिका ने कहा कि उन लोगो ने उन्हें बीजेपी और पीएम मोदी के खिलाफ बोलने के लिए 20 लाख रुपये देने का वायदा किया था। राधिका वेमुला के अनुसार, उनसे यह वादा उस समय किया गया जब लीग के नेता के साथ-साथ आंबेडकर स्टूडेंट फेडरेशन के कार्यकर्ता भी उनसे मिलने आते थे।
राधिका वेमुला ने मुस्लिम लीग पर अपने वादे से मुकरने के साथ-साथ उनका राजनीतिक दुरुपयोग करने का भी आरोप लगाया है। उन्हे केंद्र सरकार और भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ आयोजित रैलियों के मंच पर बिठाया जाने लगा और राजनीतिक बयान दिलवाए जाने लगे। राधिका वेमुला ने बताया, ”एक महीने के भीतर ही वह लोग हमें केरल ले गए, जहां 30 से 40 हजार लोग मौजूद थे। उन्होंने हमसे वादा किया कि वे लोग हमें 20 लाख रुपये देंगे और हमारे लिए नया घर बनवा देंगे।
राधिका वेमुला का आरोप है कि मुस्लिम लीग ने उन्हें मुख्य अतिथि के रूप में कई रैलियों में बुलाकर उसका राजनैतिक फायदा उठाया। सभी राज्यों में सबसे ज्यादा मैंने केरल की यात्रा की है। मुस्लिम लीग की केरल युवा शाखा का महासचिव सीके सुबैर मुझे हमेशा कहा करता था कि उन रैलियों में और भी अत्याचारों से सताए हुए लोग होंगे, जिनसे बात करने के लिए मुझे ले जाया जा रहा है।
राधिका वेमुला ने ये भी कहा, “वह केरल में एक रैली में शामिल होने के लिए जा रही थीं। उसी वक्त उन्हें खबर मिली कि उनकी बहू को बच्चा हुआ है। मैंने लौटने के बारे में सोचा, लेकिन उन्होंने मुझसे कहा कि रैली आयोजित की जा चुकी है और 15 लाख रुपये का चेक तो बस मेज पर साइन किया हुआ ही रखा है। जिसे वह मुझे तुरंत ही दे देंगे। ये वादा वह मुझसे पिछले दो साल से करते रहे, मैं आज भी उस चेक की उम्मीद लगाए बैठी हूं।”
राधिका ने मीडिया के सामने दावा किया, “सुबैर उनका भाषण खत्म होते ही डायस से तुरंत नीचे उतर गया और उनके दो बार आवाज देने के बाद भी पलटकर नहीं आया। बाद में उसके साथियों ने हमें भरोसा दिलवाया कि वह मुझे एयरपोर्ट पर मिलने के लिए आएगा। हम उसका इंतजार ही करते रह गए लेकिन वह नहीं आया।”
राधिका कहती हैं, एक बार इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग के कई नेता केरल से उनसे मिलने उनके घर आए और एक बड़े चेक के साथ फोटो खिंचवाई। उस चेक पर बड़े-बड़े अक्षरों में 25 लाख रुपये लिखा था लेकिन वह चेक बाउंस हो गया। राधिका वेमुला ने कहा कि बेटे कि मौत के बाद वह टूट चुकी थी लेकिन तभी वह इन मुस्लिम लीग वालों के लालच में आ गई तथा भाजपा व उनकी सरकार के खिलाफ इनके कहने पर राजनैतिक बयान देने लगी लेकिन उन्हें पैसे तो मिले नहीं बल्कि उनकी छवि सरकार विरोधी भी बन गई है।
.............ये घटनाएं दो चीजों को उजागर करती हैं,
पहला यह है कि राजनीतिक दलों ने राधिका वेमुला और उनके मृत पुत्र के नाम का इस्तेमाल राजनीतिक क्षेत्र में प्रासंगिकता हासिल करने के लिए किया है। यहां सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि पीड़ितों के परिवारों को सरकार के खिलाफ प्रोपोगंडा फैलाने के लिए झूठे वादे और लालच देकर गुमराह किया जाता हैं। दूसरी बात राधिका वेमुला ने अपने बयान में एक बार भी यह नही कहा कहा था कि वह समाज के भले के लिए पार्टी के साथ खड़ी थी। वह केवल पैसे के लिए सरकार के विरुद्ध मंचो से बोल रही थी। सवाल यह उठता हैं कि क्या यह उचित हैं की एक मां पैसे और घर के लिए अपने बेटे की मृत्यु का इस्तेमाल करे?
हालांकि इन सभी चीजो में एक अच्छी बात यह उभर कर आई की दलितों और अल्पसंख्यक वर्ग की राजनीति करने वाले लोग एक बार फिर बेनकाब हो गए। यह साबित हो गया कि यह सारा ड्रामा सिर्फ राजनैतिक फायदा उठाने के लिए रचा गया था। इसके लिए हमे राधिका वेमुला का भी शुक्रगुजार होना चाहिए आखिरकार उन्होंने बिना किसी लागलपेट के यह स्वीकार कर लिया कि वह उनके साथ सिर्फ अपने लालच की वजह से थी।

मंगलवार, 19 जून 2018

गृहयुद्ध शुरू हो चुका है।


अधिकतर मध्यमवर्गी हिंदू अभी भी अपने आरामदायक कमरों में शांति से बैठे हैं और सोचते हैं कि मुस्लिम पृथकतावाद और आतंकवाद कुछ भटके नौजवानों कीतक सोच है। ये वर्ग हिंदुओं का सबसे बड़ा कायर वर्ग मुस्लिमों की ढाल है।
उन्हें दिख ही नहीं रहा कि केरल, कर्नाटक, बंगाल और असम धीरे धीरे कश्मीर बनने की कगार पर हैं और फिर एक और विभाजन की मांग।
दूसरी ओर हैं कुछ कथित राष्ट्रवादी जो हर मुद्दे पर बस मोदी और भाजपा को कोसकर सोचते हैं कि आज हमने राष्ट्र की बड़ी सेवा की है जबकि जमीनी हकीकत में कुछ करने के नाम से दासियों व्यवहारिक कठिनाइयां गिना देते हैं।
अगर आप स्वयं को इस कायर हिंदू वर्ग और इस खोखले शब्दवीर हिंदू वर्ग में नहीं मानते तो अपनी मातृभूमि को एक और विभाजन से बचाने के लिये कुछ सार्थक और सक्रिय काम कीजिये।
अगर आप इस निर्णायक युद्ध को जीतना चाहते हैं और अपनी पवित्र मातृभूमि को इन नरपिशाचों के खूनी हाथों में जाने और इस हिंदू भूमि को पाकिस्तान में परिवर्तित होने से रोकना चाहते हैं तो इस युद्ध में सक्रिय भाग लीजिये और इसका सबसे आसान तरीका है , उनके तरीके को उन पर ही पलट देना और वो है--
----- गांधी का असहयोग आंदोलन -----
अशांतिदूतों से असहयोग! उनका आर्थिक सामाजिक बहिष्कार।
आर्थिक व सामाजिक बहिष्कार का तात्पर्य यह बिल्कुल नहीं कि आप हमेशा नुकसान झेलें।
आर्थिक बहिष्कार को अहिंसाव्रत की तरह लें ।
जैसे अहिंसा का मतलब है यथासंभव जीवों के नुकसान पहुंचाने से बचाना उसी तरह आर्थिक बहिष्कार से तात्पर्य है स्वयं को नुकसान से बचाकर जितना संभव हो इन्हें आर्थिक चोट पहुंचाना।
जैसे ---
1-- दूध, फल, सब्जी आदि कभी भी किसी 'अशांतिदूत' ठेले वाले से ना खरीदें भले ही वो पड़ौसी हिंदू ठेले वाले से सस्ता क्यों ना बेच रहा हो। (और इसे दोंनों के सामने खुलकर जाहिर भी करें ताकि हिंदू ठेले वाले में भी हिन्दुत्व पर क्रियात्मक विश्वास जमे और अशांतिदूत हतोत्साहित हो)
2-- अगर मुहल्ले में अकेली दुकान भी 'शांतिदूत' की हो और कितना भी मीठा बोलता हो बहुत इमरजेंसी को छोड़कर उसकी दुकान से सामान कभी ना खरीदें।(उम्मीद है हिन्दुत्व की खातिर बाजार तक जाकर टांगों को कष्ट दे सकेंगे या थोड़ा पेट्रोल और जला लेंगे)
3-- अशांतिदूत नाइयों का बहिष्कार करें।
(ये अल तकिया और 'इंसानियत की चर्चा' के बहुत बड़े अडडे हैं।)
4-- अशांतिदूतों की टैक्सी, टायर पंक्चर दुकानों का बहिष्कार भले ही नया टायर क्यों ना खरीदना पड़े।
घर पर किसी शांतिदूत प्लम्बर, मिस्त्री, इलेक्ट्रीशियन को भूलकर भी न बुलायें चाहे वह सालों का विश्वसनीय क्यों ना हो।
(उम्मीद है कुछ परेशानी और चंद रुपये ज्यादा तो आप हिन्दुत्व की खातिर खर्च कर ही सकते हैं)
#ये बहिष्कार सर्वाधिक महत्वपूर्ण है क्योंकि इसी वर्ग के लड़के लवजेहाद में सबसे ज्यादा संलग्न पाये गये हैं
5-- 90% मांसाहारी भोजनालय अशांतिदूतो के होते हैं। अगर आप मांसाहारी हैं उनका बहिष्कार कर सरदारों या हिंदूओं के ढाबों पर जायें चाहे थोडा मंहगा ही क्यों ना पड़े।
घर पर पकाना हो तो हिंदू कसाइयों से खरीदें और अगर वो नहीं हैं तो या तो खुद काटें या और बेहतर होगा कि अपने चटोरेपन को हिन्दुत्व की खातिर काबू में रखें। (अगर इतना भी नहीं कर सकते तो फर्जी हिंदुत्व का पाखंड बंद कीजिये)
6-- अशान्तिदूतों की कोचिंग्स, टीचर्स का बहिष्कार करें। हिंदू कोचिंग संचालकों से साफ साफ शर्त रखें कि उनका बच्चा किसी अशांतिदूत टीचर से नहीं पढ़ेगा।
स्वयं अपने बच्चों को विशेषतः लड़कियों को पद्मावती के जौहर, गुरु तेगबहादुर के बलिदान, दशम गुरु के दीवार में चिनवाये गए साहिबजादों के बलिदानों , शम्भाजी महाराज की क्रूरतापूर्ण हत्या का विस्तृत वर्णन करें।
नजदीक स्थित किसी विध्वंसित हुए मंदिरों व तोड़ी गई मूर्तियों को दिखाकर व नालंदा की कहानी सुनाकर उनके मन में आक्रोश पैदा करें।
7-- हमदर्द जैसी कंपनी जिनके मालिक अशांतिदूत हैं उनके उत्पाद व सेवाओं का 'यथासंभव' बहिष्कार करें।
8-- 'अशांतिदूत दर्जी' आपके घर की इज्जत के लिये सबसे बड़े खतरे हैं। भूलकर भी इनके यहाँ कपड़े सिलने ना डालें।(ये हिंदू औरतों की जानकारी जुटाकर लव जेहादियों तक पहुंचाते हैं।)
9-- 'अशांतिदूतों' की चादर वगैरह पर कभी भी फूटी कौड़ी ना चढ़ाएं और उन्हें अपने इलाकों में ना घुसने दें।
10-- अशांतिदूतों और उनके चमचों की फिल्मों का बहिष्कार करें और टोरेंट पर अपलोड होने तक इंतजार करें।
11-- अगर परिवार की महिला/कन्या सदस्य के आसपास कोई अशांतिदूत छात्र आदि दिखे तो उसे सख्ती से रोकें और पड़ोसी के घर में ऐसा हो रहा है तो उन्हें सचेत करें या फेक आई डी से उन्हें पूरी नमकमिर्च लगाकर जानकारी दें। फिर भी ना मानें तो बजरंगियों से संपर्क कर अशांतिदूतों के अस्थिभंजन जैसे नेक काम को अंजाम दें।
अगर आपकी लड़की की दोस्त कोई अशांतिदूत की लड़की है तो उसे भी सख्ती से घर आने से रोकें और अपनी बेटी को भी समझाएं। ( ये लड़कियां लवजेहादियों की एजेंट होतीं हैं और अपने भाइज़ानों से यही हिंदू लड़कियों को मिलवातीं हैं।)
12-- अजमेर के ख्वाजा चिश्ती से लेकर दिल्ली के निजामुद्दीन और खुसरो जैसे सूफियों के काले कारनामों को उजागर करें और अन्य हिंदुओं को इनकी मजारों पर 'बाई हुक ऑर बाई क्रुक' रोकें।
13-- सोशल मीडिया पर ताबिश सिद्दीकी जैसे सूफी मुखौटे के पीछे छिपे शातिर शांतिदूतो को पहचानें और उनके अल तकिया से प्रभावित ना हों।
आपकी लिस्ट में कोई भी सैक्यूलर हिंदू या तनिक भी बचाव करता 'अशांतिदूत' दिखे तुरंत उसे इनबॉक्स में सूचित कर अमित्र कर दें।
14-- अपने आसपास के अशांतिदूतों को खुलकर 'घर वापसी' का आमंत्रण दें और बिंना गाली दिये आक्रामक होकर शांतिदूतों की किताब की पोल खोलें और इस हेतु Abhijeet जी जैसे विद्वान की मदद लें।
सूफियों की पोल खोलें, जो हिंदू वहां जायें उनकी बिंना। लिहाज कठोर शब्दों में निंदा करें।
15-- ट्रेन,पार्क, बस आदि में इनपर निगाह रखें और इन्हें लगातार घूरते रहें जिससे ये असहज महसूस करें।
अगर हम सिर्फ चार महीने के बहिष्कार से हजारों किलोमीटर दूर 150 करोड़ लोगों के शक्तिशाली देश चीन को घुटनों पर ला सकते हैं तो ये 30 करोड़ केंचुए तो कुछ महीने बाद रेंगने लगेंगे। जम्मू के लोगों द्वारा कश्मीर घाटी के लोगों की आर्थिक नाकेबंदी और गुजरातियों द्वारा इनकी आर्थिक नाकेबंदी याद है ना?
अगर हम इसे पूरे उत्तरी भारत पर भी लागू कर दें तो ये अशांतिदूत 7-8 महीनों के अंदर हिंदू धर्म में वापसी का तरीका पूछते नज़र आएंगे।
साभार देवेंद्र सिकरवार जी की फेसबुक पोस्ट .....

सोमवार, 18 जून 2018

मोदी, हिंदुत्व और उनके राजनीतिक मायने


कई दिनों से "तथाकथित" हिन्दू राष्ट्र्वादी ग्रुप के एक धड़े ने मोदी के खिलाफ एक अघोषित केम्पेन सा चला रखा है। ये लोग काफी ज्ञानी और खुद को हिंदुत्व का सबसे बड़ा पुरोधा समझते है। ज्यादातर तो नही लेकिन कभी कभार इनकी पोस्ट पढ़ लेता हूँ तो बस यही लगता कि इन्होंने मोदी सरकार बनवायी थी और वो भी सिर्फ इस लिए की मोदी सिर्फ और सिर्फ हिंदुत्व के लिए ही काम करेंगे और न ही वो विकास करेंगे न ही वो किसी दूसरे धर्म के त्योहारों पर बधाई देंगे।
और बस 5 साल में देश को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर देंगे तो इस देश की सभी समस्याओं का अंत अपने आप हो जाएगा। और इससे थोड़ा आगे बढ़ते है तो ये पाते है कि मोदी सरकार ने 4 साल में हिंदुत्व के लिए कुछ भी नही किया बल्कि हिंदुत्व के खिलाफ ही काम किया है।।
क्योकि इनकी पोस्टो में न तो किसी भी विकास कार्य का जिक्र होगा कभी न ही कभी किसी ऐसे कार्य का जिक्र होगा जिसके केंद्र में हिन्दू हो उल्टा ये लोग सिरे से इसे इग्नोर करके पुरानी कहानियों के आधार पर इसका सिरा दूसरे से जोड़ कर वर्तमान की घटनाओं को अपने नजरिये से न्यायसंगत बनाने की कोशिश करते रहते हैं।
वैसे मोदी ने जो कार्य हिंदुत्व हित मे किये वो इन कार्यो पर हमेशा मौन ही रहे है और मौन रहेंगे आगे भी क्योकि इन्हें सिर्फ विरोध करना ही रह गया है।
मोदी सरकार और दूसरी BJP की सरकारों ने जो हिन्दू हितों में काम किये वो कुछ इस तरह से है - - -
👉 गौ हत्या पर रोक लगाई,असीमानन्द साध्वी प्रज्ञा की रिहाई के साथ ही कर्नल पुरोहित की रिहाई भी इसी सरकार में हुई। और इन सबको भगवा आतंकवाद के कारण ही कांग्रेस ने कई सालों से जेल में डाल रखा था।
😡 मोदी के समय में ही "श्रीकांत पुरोहित", "साध्वी प्रज्ञा", ''पीएसआई बंजारा' और पूर्व एमएलए 'माया कोडनानी' को जेल से बाहर लाया गया जो की कहीं न कहीं झूंठे 'हिन्दू आतकवाद' के घिनौने षड़यंत्र में फंसाये गए थे !
👉 हिंदुत्व दर्शन और आध्यत्म का प्रमुख केंद्र बनारस के घाटों की सफाई और सौंदर्यता के काम किये गए।
👉 अयोध्या और मथुरा को नगर निगम का दर्जा दिया गया जिससे कि इन दोनों नगरों का समुचित विकास हो सके जो आज तक उपेक्षित थे। जिससे यहाँ आने वाले दर्शनार्थियों और यहाँ की जनता को ही लाभ होगा।
👉 मानसरोवर भवन का गाजियाबाद में निर्माण और up से मानसरोवर यात्रा पर जाने वालों की राशि दुगनी की गई।
👉 कैलाश के लिए नया रूट चीन से खुलवाया और धनराशि में बद्धोत्तरी।
👉 तो वही केदारनाथ का पुनर्निर्माण और चारो धाम यात्रा को जोड़ने वाले राजमार्ग का निर्माण इस तरह से करवाया जा रहा कि लंबे समय तक ये बना रहे और लोगों को यहाँ पहुँचने में आसानी हो साथ ही साथ जान का जोखिम भी कम हो।
👉 वैष्णो देवी के निकटतम तक रेल मार्ग का निर्माण करवाया।
👉 सभी धार्मिक स्थलों को एक सर्किट के रूप में जोड़ा और एक आध bjp शाषित राज्यो में यात्रा के लिए धन की व्यवस्था करना।
👉 अर्ध कुम्भ का बजट बढ़ाया। MP में साधुओं को मंत्री का दर्जा।
👉 UP में अयोध्या में पहली बार भव्य दिवाली मनाई गई।
👉 अयोध्या में "रामायण सर्किट" का निर्माण शुरू हुआ और वहाँ अनवतरत जारी राम लीला जो एक समय अखिलेश सरकार के समय फंड की कमी से बन्द होने के कगार पर आ गयी थी उसके लिए योगी सरकार द्वारा धन की व्यवस्था करना।
🙄 इसके अलावा अखिलेश सरकार के समय जब कांवर यात्रा के समय और होली के समय DJ पर रोक लगाई गई तो उसे योगी सरकार ने हटाया और जन्माष्टमी के थानों पे मनाए जाने की अलिखित रोक को भी हटाया।
🙄 और ये भी पहली बार ही हुआ था जब इस बार होली और जुम्मा साथ होने पर भी नमाज का समय आगे किया गया।
🙄 गौ संरक्षण की पहल और गौ शाला के निर्माण की तरफ प्रयास शुरू हुए। लेकिन इतना जरूर है कि इसकी गति धीमी है और आपकेक्षित परिणाम नही सामने आए।
🙄 भगवा आतंकवाद के धब्बे से मुक्ति भी इसी सरकार के समय मिली।
कांग्रेस जो अल्पसंख्यक संप्रायिक लक्षितएक बिल ला रही थी जिसमें अल्पसंख्यक पर कोई बहुसंख्यक कुछ करता तो कड़ी कार्यवाही और इसके उलट अल्पसंख्यक को उसमे प्रश्रय दिया जा रहा था वो ठंडे बस्ते में चला गया और अब कुछ लोग ये चाह रहे कि मोदी ने हिंदुत्व के लिए कुछ नही किया तो किसी को भी ले आओ और फिर वो इस तरह के नए बिल को लेकर आएगी तब समझ मे आएगा मोदी ने क्या किया हिंदुत्व के लिए।
👉 हिंदुत्व दर्शन के ही भाग योग को अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई और 21 जून को अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस मनाया जाने लगा।
ज्यादातर राष्ट्र प्रमुखों को गीता भेंट करना।
मोदी जी जापान के PM शिंजो आबे को माँ गंगा जी की आरती में शामिल करवाएं तो वो ठीक। उससे आगे बढ़कर शिंजो आबे खुद आरती करें और तिलक भी लगाएं वो भी ठीक। उसके बाद अफगानिस्तान के मुस्लिम राष्ट्रपति हामिद करजई स्वर्ण मंदिर गए तो एक बार फिर मोदी जी की वाह-वाह तो एक दूसरे क्रिश्चियन ऑस्ट्रेलियन PM को मोदी जी खुद मेट्रो में बैठाकर अक्षरधाम मंदिर ले गए।
और अबू धाबी में जब मन्दिर बना तब वहाँ के मुस्लिम शासक आये उन्होंने मन्दिर के लिए जमीन दी और मन्दिर निर्माण में सहयोग किया।
कई राष्ट्रप्रमुखों को गीता भेंट की। तो विदेशो में कई मंदिरों में भी गए औए देश मे भी विभिन्न राज्यो में इस तरह लगातर मन्दिर जाने वाले एकमात्र PM है जिनके कारण काँग्रेस को अपनी रणनीति बदल कर राहुल को जनेऊ धारी बताना पड़ा और अव राहुल भी मन्दिर मन्दिर जा रहे है। जबकि ये राहुल वही है जिन्होंने एक बार कहा था कि 'लोग मंदिरों में लड़कियां छेड़ने जाते हैं'
👉 जो एक इफ्तार पार्टी का कल्चर था उस पर रोक लगाई वही दूसरी तरफ UP के मुख्यमंत्री आवास और राष्ट्रपति भवन में कन्याओं का नवदुर्गा के समय पूजन किया गया।
👉 SC के आदेश से ही सही लेकिन इस सरकार ने हज सब्सिडी खत्म की।
👉 उत्तराखंड में संस्कृत को राजभाषा का दर्जा दिया गया।
👉 वही दूसरी तरफ योग और आयुर्वेद को बढ़ावा केंद्र और राज्य स्तर पर दिया गया। इनके कालेजो की संख्या बढ़ाई गई और आयुर्वेद के मेडिकल कॉलेज की संख्या भी बढ़ाई गई।
😡 मोदी सरकार के आने के बाद ही .. ज़ाकिर नायक के पीस फाउंडेशन पर प्रतिवंध लगा, कार्यवाही हुई, अवैध NGO बंद किये गए जो 'हिन्दू' विरोधी कार्यों में लिप्त थे, मिशनरी और इस्लामिक संस्थाएं एक्सपोज़ हुईं !
किसी को इस सरकार में सिर्फ हिन्दू होने के कारण प्रताड़ित नही किया गया जो सबसे बड़ी बात है। 🙌
और इससे ज्यादा क्या चाहते हो जो सिर्फ हिंदुत्व के नाम पर मोदी का विरोध कर रहे हैं। 🙄
पहले कुछ एक मंदिरों पर आतंकी हमले हुए लेकिन 4 साल में धमकी जरूर मिली लेकिन ऐसे किसी भी हमले को पहले को अंजाम तक नही पहुँचने देना भी इस सरकार की एक कामयाबी है। 🙌
👉 मोदी सकरकार ने सभी 'हिन्दू शरणार्थियों' को भारत में सीढ़ी एंट्री दे दी।
👉 8 राज्यों में हिंदुओ को अल्पसंख्यक का दर्जा इसी सरकार के प्रयासों से मिला।
अब कोई ये कहे कि इसमे क्या खुश होने वाली बात ये तो सही नही हुआ कि 8 राज्यों में हिन्दू अल्पसंख्यक हो गया।।तो बड़ी बात ये की हिन्दू अल्पसंख्यक पहले की सरकारों के समय हुआ लेकिन उसे जो अधिकार और सुविधाएं अल्पसंख्यक होने के कारण पहले से ही मिलनी चाहिए थी वो नही मिलती थी।।सरकार ने इस दिशा में प्रयास किया और बात SC तक गयी और सरकार ने इस दिशा में जीत हासिल की।
चित्रकूट के विकास के लिए नए सिरे से UP सरकार प्रयास कर रही है।
ये जितने काम मुझे याद थे वो बता दिए कि सरकार ने हिन्दू हितों के लिए किए। 🙏
लेकिन यहाँ बात ये आती है कि अगर मोदी नही तो कौन?
😡 उस काँग्रेस को लाएंगे जो SC में ये कहती है कि राम एक काल्पनिक व्यक्ति है और रामसेतु को तोड़ने की पुरजोर कोशिश की।
😡 तो शंकराचार्य तक को कई सालों के लिए जेल में डाल दिया।
😡 बाकी भगवा आतंकवाद, बटाला हाउस को फर्जी मुठभेड़ बताना, साध्वी प्रज्ञा , कर्नल पुरोहित को जेल में डलवाना, अल्पसंख्यक लक्षित बिल लाने की कोशिश करना और कुछ दिन पहले राम मंदिर सुनवाई को रुकवाने की पूरी कोशिश करना।
मुलायम को लाएंगे? 😇
जिन्होंने कारसेवकों पर गोली चलवाई थी। जिन्होंने ढाई कोसी और पंच कोसी यात्रा तक ओर रोक लगा दी थी। जिनकी सरकार ने मुस्लिम तुष्टिकरण की सारी हदें पार कर सी थी।
या
ममता बेनर्जी को लाएंगे? 😇
इनके बारे में तो सबकों पता ही है कि ये कितनी दयालु और करुणामयी हैं।
किसे लाएंगे या मोदी को सिर्फ कुछ घटनाओं के सहारे हिंदुत्व के विरोधी के रूप में खड़ा करके उनके विकल्प के रूप में कौन आएगा ? 🤔
2014 तक आरएसएस की 44 हजार शाखाएं थी जो अब 58 हजार हो गयी है। और एक समय अखिलेश की सरकार के समय आरएसएस वालों की आगरा में पुलिस द्वारा पपीटे जाने की खबरों से सोशल मीडिया गुलजार रहता था।
राष्ट्रीय गोकुल मिशन इस सरकार ने शुरू किया।
अभी जब मोदी जी इंडोनेशिया की मस्जिद गए और वहाँ हरी शॉल ओढ़ ली तो उस पर भी यही वर्ग सबसे ज्यादा गदर काटे था। 😤
लेकिन उन्होंने कभी ये जानने की कोशिश नही की मोदी जी वहाँ क्या करके आये। सबसे ज्यादा मुस्लिम जनसँख्या वाले देश मे एक मंदिर है। इसका नाम प्रम्बानन मंदिर है। 🙌
मध्य जावा में स्थित प्रम्बनन मंदिर भगवान शिव, भगवान विष्णु और भगवान ब्रह्मा को समर्पित है। यह मंदिर इंडोनेशिया का प्रसिद्ध और सबसे बड़ा हिन्दू मंदिर है। इस विशाल हिन्दू मंदिर की खास बात यह है कि यहां त्रिदेवों के साथ ही उनके वाहनों के भी मंदिर बने हुए हैं। इस मंदिर को यूनेस्को ने विश्व धरोहर घोषित किया है।
मोदी जी की इंडोनेशिया यात्रा में इस मंदिर की विश्व सांस्कृतिक विरासत के लिए भारतीय पुरात्तव सर्वेक्षण के बीच एक समझौता हुआ था। लेकिन इस बारे में सब चुप ही रहे।
इधर कुछ दिन पहले UP की BJP सरकार ने मथुरा के तीर्थ क्षेत्रों में शराब पर प्रतिबंध लगाया। जिले के बरसाना,गोकुल, गोवर्धन, नन्दगाँव, राधाकुण्ड और बलदेव को मद्यपान निषेध क्षेत्र घोषित किया गया।
इसी प्रकार नगर पंचायत गोवर्धन, राधा कुंड , नन्दगाँव एवं बलदेव को इस वर्ष 22 मार्च को पवित्र तीर्थ स्थल घोषित किया जा चुका है।
फैजाबाद में नवनिर्मित अंतराष्ट्रीय राम कथा संग्रहालय एवम आर्ट गैलरी के लिए 29 लाख रुपये दिए।
और इलाहाबाद का नाम प्रयागराज कर दिया गया।
UP में रहने के कारण यहाँ की बीजेपी सरकार के हिन्दू हितों के कार्यो की जानकारी रहती है। बाकी के दूसरे BJP शासित राज्यों में भी ऐसे ही कार्य होते होंगे उन्हें अपने हिसाब से इस लिस्ट में जोड़ सकते है।
इसकी जगह प बंगाल देख लीजिए जहाँ राम नवमी हो या दुर्गा पूजा यया संघ का कार्यक्रम इन सब पर सरकार रोक लगा देती है फिर कोर्ट से ये रोक हटती है।
केरल में सड़क पर वामी कांगी गाय काट कर खाते है।
कर्नाटक में टीपू सुल्तान जयंती मनाई जाती है।
ये कुछ उदाहरण दूसरे राज्यो के है जहाँ BJP की सरकार नही है।
निर्णय अब आप लोगों को खुद ही करना है जो दिन रात ये कहते है कि BJP ने किया ही क्या है हिंदुत्व के लिए।
तो ये वो काम थे जो मोदी और BJP ने हिंदुओ के लिए किए लेकिन कुछ लोगों को ये काम कभी नही दिखे न ही उन्होंने इसकी चर्चा की।।
उन्हें याद रहा तो बस "राम मंदिर", "धारा 370" और "कॉमन सिविल कोड"। 🙌
इन तीन मुद्दों पर ही मोदी को घेरने के लिए रोज बड़ी बड़ी पोस्टे लिखी जाती है और लोगों को ये बताया जाता है कि देखो मोदी ने हिंदुओ के लिए कुछ किया ही नही। और विकास कुछ काम नही आएगा सब का सब थी धरा रह जायेगा।
🙌 अब इन 3 प्रमुख बिंदुओं की अगर बात की जाए तो BJP ने अपने 2014 के घोषणा पत्र में "भारतीय संस्कृति और विरासत की रक्षा" नामक शीर्षक में सबसे पहले ये लिखा है कि
1. संविधान के दायरे में राम मंदिर के सभी विकल्पों को तलाशा जाएगा।
2. राम सेतु के विषय मे निर्णय लेते समय उसकी सांस्कृतिक विरासत और थोरियम के भंडार को ध्यान में रखा जाएगा।
3. गाय और गौ वंश की रक्षा की जाएगी।
4.गंगा जी की निर्मलता और उसके अविरल प्रवाह को सुनिश्चित किया जाएगा।
5.सर्वश्रेष्ठ परम्पराओं से प्रेरित और संविधान की भावना के अनुसार समान नागरिक संहिता।

🙏 पहला मुद्दा है "राम मंदिर"।।
राम मंदिर की सुनवाई पिछले 7-8 सालों से SC में हो रही है लेकिन इसमे असली तेजी सीजेआई दीपक मिश्रा जी की अगुवाई में पिछले साल ही आयी है। वरना कितने CJI चले गए और केस वही अटका रहा। जस्टिस खेहर ने अदालत के बाहर मध्यस्थता की पेशकश भी की थी लेकिन उसके पहले सुनवाई एक तरह से बन्द ही थी। सुब्रमण्यम स्वामी की याचिका पर इसकी तेज सुनवाई शुरू हुई और ये उम्मीद बनी की अक्टूबर से पहले तक इसमे निर्णय भी आ जायेगा। लेकिन फिर सिब्बल ने SC में कहा कि इसका निर्णय चुनाव बाद आना चाहिए और अंत मे CJI पर महाभियोग की प्रक्रिया शुरू करके दबाव में लाने का प्रयास किया गया।
अगर पूरे केस को देखेंगे और विश्लेषण करेंगे तो राम जन्म भूमि केस में कांग्रेस के समय कोई प्रगति नही हुई थी। BJP के शुरुआती 2 सालों में भी इस दिशा में कोई खास पहल न हुई लेकिन बाद में कोर्ट के अंदर और कोर्ट के बाहर श्री श्री के प्रयास और शिया लोगों का मंदिर को समर्थन सरकार के प्रयासों का ही नतीजा था। बाकी मामला कोर्ट में है और उसी के द्वारा हल हो वही देश हित मे है और ऐसा होगा भही नही लेकिन 1% अगर ऐसा हुआ भी तब सरकार अध्यादेश ला कर मन्दिर का निर्माण करेगी।
जो लोग अभी अध्यादेश लाने की बात कर रहे उन्हें दूसरी पार्टियों की राजनीति को भी ध्यान में रखना चाहिए जो कल पूरे देश मे ये प्रचारित करवा देंगी की bjp न्यायिक प्रक्रियाओं का आदर नही करती है।
🙏 दूसरा मुद्दा "धारा-370" का है।।
इसकी परिणीति भी इसी सरकार के समय शुरू हुई जब BJP के वकील ने SC में 35 A संवैधानिक स्तिथि स्पष्ट करने को SC से कहा। क्योकि इसी शुरुआत यही से होनी है, वरना सब 370 के बारे में जानते थे लेकिन 35 A के बारे में किसी को पता ही नही था। ये सही बात है कि ये भी अंजाम तक नही पहुँचा लेकिन इसे इतनी जल्दी अंजाम तक पहुँचाना आसान भी न होगा। और हो सकता है इसे खत्म करने में 10-12 साल और लग जाये क्योकि सरकार इसे तभी खत्म करेगी जब घाटी पूरी तरह शांत हो जाएगी और जम्मू कश्मीर में शांति होगी और इस बारे में एक आम राय बन जाएगी।
🙏 तीसरा मुद्दा 'कॉमन सिविल कोड' का है।।
कॉमन सिविल कोड पर भाजपा सरकार ने 'यूनिफार्म सिविल कोड' बिल लॉ पैनल को 2017 में दे दिया है और उस पर चर्चा चालू है। इस पर समय लगेगा, उन्होंने इससे पहले मुस्लिमो में ही उनके समान अधिकारों की पहल की जिसमें तीन तलाक को खत्म किया गया और अगली सुनवाई हलाला पर चल रही। इससे कॉमन सिविल कोड की आगे की राह आसान होगी।
बाकी मैं मोदी सरकार से रोहनिया के मुद्दे पर और प बंगाल में हो रही राजनीतिक हत्याओं पर ज्यादा मुखर होने की उम्मीद करता था लेकिन यहाँ सरकार का रवैय्या निराश कर गया। लेकिन फिर भी इस सरकार के अलावा दूसरी किसी सरकार या राजनीतिक दल से उम्मीद भी नही की जा सकती इस विषय मे।
🙄 अब सिर्फ हिंदुत्व के सहारे ही मोदी के विकास को बकवास बताने वालों की भी कमी नही है। उनका ये कहना है कि उन 3 मुद्दों पर सरकार काम करे बाकी विकास से किसी को कोई मतलब नही है। न ही इससे कोई फर्क पड़ता है।
तो इन सबसे बस एक सीधा सा ये सवाल है कि सिर्फ एक दिन बिना बिजली और पानी के रह लेंगे ये लोग? जब पूरे दिन बिजली नही रहेगी तो मोबाइल भी नही चार्ज होगा तब वो किस तरह हिंदुत्व की पोस्ट करेंगे? 
सिर्फ कुछ घण्टो को अगर लाइट चली जाए तो आदमी बिलबिलाने लगता है। 1 दिन पानी न आये तो क्या हालात हो जाएगी वो सोच कर देख लीजिए। 
5 km एक सड़क गड्ढों से भरी सफर करने को मिल जाये तब विकास के मायने समझ आ जाएंगे।अभी शिमला में जो जल संकट है उनसे जाकर पूछो जरा की उन्हें ये 3 मुद्दे चाहिए या पानी चाहिए? सब कुछ साथ लेकर चलना है और बैलेंस के साथ चलना है । ये बात समझने की है, धर्म भी बढ़े और उसकी रक्षा हो तो दूसरी तरफ विकास भी हो तभी देश और समाज की उन्नति हो सकती है।
बाकी मोदी को 2002 के बाद हिन्दू अभिमान, हिन्दू राष्ट्रगौरव इन्ही लोगों ने माना था। वो खुद नही मनवाने आये थे किसी को की उन्हें हिन्दू हितों के रक्षक समझें। आप की अदालत में चुनाव से पहले ही उन्होंने मुस्लिमो के एक हाथ मे कुरान और लैपटॉप की बात बोली थी। और उसके पहले से ही गुजरात विकास मॉडल पर ही चुनाव लड़ा था बस ये कहा था कि वो तुष्टिकरण की राजनीति नही करेंगे।
ये आप लोगों के समझने का फेर था तो दूसरे को क्यो दोष दे रहें हैं इसके लिए? 
इससे थोड़ा और क्लीयर करते है तो मन्दिर और शौचालय वाला मोदी का जब बयान आया था तो उससे ही इनकी सोच समझ जानी चाहिए थी कि ये क्या करेंगे?
और आखिरी में कुछ लोग योगी जी को लाने की बात कर रहे है तो अभी तक जबसे वो मुख्यमंत्री बने है उनमें पुराने वाले तेवर गायब है। और कल को वो भी आप लोगों की आकांक्षाओ पर न उतरे तो फिर किसी तीसरे,चौथे को लाओगे? और ये क्रम ऐसे ही चलता रहेगा।
🙌 एक बात और समझ लीजिए इससे आप किसी दूसरे का नही बल्कि खुद का ही नुकसान कर रहे है। लोगों में संशय हो रहा है और वो कही से न ही हिंदुत्व के लिए और न ही देश के लिए सही है।
बाकी बिना मोदी के BJP कितनी सीट जीतेगी ये भी एक बार सोच कर देख लीजिएगा। 
अंत मे कोई भी परफेक्ट नही होता है, कुछ निर्णय मोदी जी के भी गलत रहे होंगे और वो हमारी आशाओं के अनुरूप नही होंगे । लेकिन बाकी जो काम हुए उसके आधार पर तो हम उनका समर्थन कर ही सकते है या नही?
आज का समय वो नही है कि एकदम से कट्टरता के साथ होकर शासन किया जाए। समय के हिसाब से बैलेंस बनाकर चलना बहुत जरूरी है। वरना एक तरफ ट्रम्प अपनी राष्ट्रीय नीतियों को लगातार पूरा करते जा रहे लेकिन लोग फिर भी उनसे खुश नही और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी ट्रंप अलग थलग होते जा रहे।
और आखिरी में चलिए मान भी लेता हूँ कि इस सरकार ने हिंदुओं के लिए कुछ भी नही किया। लेकिन ये भी तो है कि हिंदुओ के खिलाफ भी कुछ नही किया.
तो क्या इतना भी काफी नही है फिर? किन ये सब न दिखेगा इन लोगों को न समझना चाहेंगे। ये छाती कूट रहे हैं की "मोदी" हिन्दू विरोधी है।
(पोस्ट थोड़ी लम्बी है परन्तु आग्रह है की समय निकाल कर पढ़ें अवश्य आपको बहोत से सवालों के जवाब मिल जायेंगे) 

सरायघाट का युद्ध :



सरायघाट का युद्ध :: The Battle of Saraighat ::: असम का परमवीर योद्धा "लचित बोरफूकन" ... 
अहोम राज्य (आज का आसाम या असम) के राजा थे चक्रध्वज सिंघा .. और दिल्ली में मुग़ल शासक था औरंगज़ेब। औरंगज़ेब का पूरे भारत पे राज करने का सपना अधूरा था बिना पूर्वी भारत पर कब्ज़ा जमाए ... इसी महत्वकांक्षा के चलते औरंगज़ेब ने अहोम राज से लड़ने के लिए एक विशाल सेना भेजी। इस सेना का नेतृत्व कर रहा था राजपूत राजा राजाराम सिंह .. राजाराम सिंह औरंगज़ेब के साम्राज्य को विस्तार देने के लिए अपने साथ 4000 महाकौशल लड़ाके, 30000 पैदल सेना, २१ राजपूत सेनापतियों का दल, 18000 घुड़सवार सैनिक, 2000 धनुषधारी सैनिक और 40 पानी के जहाजों की विशाल सेना लेकर चल पड़ा अहोम (आसाम) पर आक्रमण करने।
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अहोम राज के सेनापति का नाम था "लचित बोरफूकन" .. कुछ समय पहले ही लचित बोरफूकन ने गौहाटी को मुग़ल शासन के मुक्त करा के दिल्ली के मुग़ल शासन से आज़ाद करा लिया था। इससे बौखलाया औरंगज़ेब जल्द से जल्द पूरे पूर्वी भारत पर कब्ज़ा कर लेना चाहता था। ......... राजाराम सिंह ने जब गौहाटी पर आक्रमण किया तो विशाल मुग़ल सेना का सामना किया अहोम के सेनापति "लचित बोरफूकन" ने ..... मुग़ल सेना का रास्ता रोक गया ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे .... इस लड़ाई में अहोम राज्य के 10000 सैनिक मारे गए और लचित बोरफुकन बुरी तरह जख्मी होने के कारण बीमार पड़ गए ... अहोम सेना का बुरी तरह नुक्सान हुआ। राजाराम सिंह ने अहोम के राजा को आत्मसमर्पण ने लिए कहा ... जिसको राजा चक्रध्वज ने यह कह कर कि "आखरी जीवित अहोम भी मुग़ल सेना से लड़ने के लिए तैयार है" अस्वीकार कर दिया। लचित बोरफुकन जैसे प्लानर और जाबाज सेनापति के घायल और बीमार होने से अहोम सेना मायूस हो गयी थी। .. अगले दिन ही लचित बोरफुकन ने राजा को कहा कि जब मेरा देश, मेरा राज्य आक्रांताओं द्वारा कब्ज़ा किये जाने के खतरे से जूझ रहा है, जब हमारी संस्कृति, मान और सम्मान खतरे में हैं तो मैं बीमार होकर भी आराम कैसे कर सकता हूँ, मैं युद्ध भूमि से बीमार और लाचार होकर घर कैसे जा सकता हूँ ... हे राजा युद्ध की आज्ञा दें। ...
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इसके बाद ब्रम्हपुत्र नदी के किनारे सरायघाट पे वो ऐतिहासिक युद्ध लड़ा गया .... जिसमे "लचित बोरफुकन" ने सीमित संसाधनों के होते हुए भी मुग़ल सेना को रौंद डाला .. अनेकों मुग़ल कमांडर मारे गए और मुग़ल सेना भाग खड़ी हुई .. जिसका पीछा करके लचित बोफुकन की सेना ने मुग़ल सेना को अहोम राज के सीमाओं से काफी दूर खदेड़ दिया ...... इस युद्ध के बाद कभी मुग़ल सेना की हिम्मत नहीं हुई पूर्वोत्तर पर आक्रमण करने की जिससे ये इलाका कभी गुलाम नहीं बना ....
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लोगों को मालूम नहीं कि आज के समय जो NDA कैडेट बेस्ट होता है उसको "लचित बोरफुकन" मैडल मिलता है ................ आज के आसाम में जोरहट शर में लचित बोरफुकन की प्रतिमा है, इसके नींचे अभी भी उनके अवशेष सुरक्षित रखे हुए हैं ....... कभी जोरहट जाना तो उन चरणों पर शीश झुका देना ......