शुक्रवार, 28 अप्रैल 2017

क्या सोनिया गाँधी और औरंगजेब की ये समानताये है ?

सोनिया गांधी हिन्दुओ के साथ वो करना चाहती थी जो बर्बर औरंगजेब ने भी नहीं किया था
औरंगजेब और अन्य मुगलो, तथा मुस्लिम हमलावरों ने भारत में हिन्दुओ का कत्लेआम किया, हिन्दू महिलाओं का बलात्कार किया, मंदिर तोड़े, धर्म का नाश किया ये सब हम इतिहास पढ़कर जानते है जो काम औरंगजेब ने भी हिन्दुओ के साथ नहीं किया वो काम सोनिया गांधी की कांग्रेस हिन्दुओ के साथ करना चाहती थी, यानि हिन्दुओ का पूरा सफाया इसके लिए सोनिया गांधी और कांग्रेस ने ये 2 मुख्य षड्यंत्र रचे थे
1 – पहला षड्यंत्र था हिन्दुओ को आतंकवादी घोषित करना- इसके तहत सरकार ने जिसके गृहमंत्री सुशिल कुमार शिंदे थे उन्होंने “हिन्दू आतंकवाद” शब्द का प्रयोग किया याद रखें आजतक भारत में सरकार ने कभी “मुस्लिम आतंकवाद” शब्द का प्रयोग नहीं किया षड्यंत्र 2004 में इनकी सरकार के बाद ही शुरू हो गया था जिसके तहत 2006 मालेगाव ब्लास्ट, समझौता एक्सप्रेस ब्लास्ट, हैदराबाद की मस्जिद में ब्लास्ट
इन सबको करवाकर हिन्दू नेताओं को पकड़ना तथा दुनिया में हिन्दू आतंकवादी है ऐसा दिखाना
इस षड्यंत्र में सुशिल कुमार शिंदे से पहले चिदंबरम मुख्य रूप से शामिल थे ब्लास्टों के बाद हिन्दू नेताओं की धरपकड़ हुई जिनपर आजतक एक भी सबूत नहीं मिले
इसके बाद कांग्रेस ने “हिन्दू आतंकवाद” शब्द का प्रयोग किया जिस से हिन्दुओ के प्रति दुनिया में एक सन्देश जाये आपको ध्यान रखना चाहिए की कांग्रेस के राहुल गांधी ने भी, हिन्दू आतंकवाद से देश को खतरा है ऐसा बयान दिया था
2 दूसरा षड्यंत्र था हिन्दुओ के खिलाफ ऐसा कानून की वो अपने ही देश में गुलाम होकर रह जाये वो कानून था “साम्प्रदायिकता विरोधी कानून”
इस कानून के तहत किसी भी इलाके में कोई भी दंगा हो, वो किसी ने भी शुरू किया हो पर उसके लिए हिन्दू को जिम्मेदार माना जायेगा चुकी हिन्दू देश में बहुसंख्यक है, अगर कश्मीर में भी कोई दंगा हो जहाँ मुस्लिम बहुसंख्यक हैं फिर भी दोषी हिन्दू को ही माना जायेगा तथा जिस इलाके में दंगा हुआ उस इलाके के हिन्दुओ पर केस चलाया जायेगा
इस कानून में ये भी नियम था की अगर दंगा हुआ और हिन्दू महिला का बलात्कार हुआ तो उस बलात्कार को नहीं माना जायेगा उदाहरण के तौर पर बंगाल के मुस्लिम बाहुल्य इलाके में भी दंगा हुआ और वहां हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हुआ तो बलात्कार का केस ही नहीं चलेगा
इस कानून के हिसाब से , दंगो के समय हिन्दू महिला का बलात्कार, कोई जुर्म ही नहीं होगा
सोनिया गांधी और कांग्रेस ने षड्यंत्र रचा था की दुनिया में हिन्दुओ को आतंकवादी की तरह दिखा दो, दुनिया को लगे की भारत को तो हिन्दू आतंकवाद से ही खतरा है ताकि दुनिंया हिन्दू समाज के प्रति नफरत का भाव रख ले वहीँ भारत में ऐसा कानून बनाओ की हिन्दुओ का जीना नर्क सामान हो जाये और हिन्दू महिलाओं को बलात्कार की भेंट चढ़ाओ और जब ऐसी ख़बरें आएं की हिन्दू महिलाओं का बलात्कार हो रहा है, या हिन्दुओ पर भारत में जुल्म हो रहा है तो दुनिया उसे सच ही ना माने और हिन्दुओ को आतंकवादी समझ नफरत करती रहे और यहाँ भारत में कांग्रेस हिन्दुओ को साफ़ कर दे
इस तरह सोनिया गांधी और कांग्रेस ने भारत में पहले हिन्दुओ को गुलाम बनाने फिर समाप्त कर देना का षड्यंत्र रचा था...

मंगलवार, 25 अप्रैल 2017

परदे के पीछे से इन नक्सलियों को हवा कौन दे रहा है

कल सुकमा में जो हुआ, उसका सभी ऐसे भारत वासियों को गहरा दुःख होगा , जो ऐसी घटनाओं को सीधे सीधे देखते हैं और सोचते हैं कि हमारे अपने ही देश में ऐसे कौन लोग हैं जो देश की सुरक्षा (चाहे आंतरिक हो या बाह्य) लिये अपनी जान हथेली पर लेकर चलने वाले नौजवानों को बेरहमी से और कायराना तरीके से हमेशा के लिये सुला देते हैं ?
इसका जबाव बहुत ईमानदारी से ढूंढ़ना है तो ऐसी घटनाओं की पृष्ठभूमि में जाना होगा ।
बस्तर में चल रहा नक्सली आंदोलन अपनी आखिरी सांसें ले रहा है । जाहिर है कि जब नक्सली अपने अस्तित्व की लड़ाई लड़ रहे हैं तो उसमें वे सबसे घातक भी होंगे । ये जो सशस्त्र संघर्ष है, ये तो उस हिंसक विचारधारा का एक विद्रूप चेहरा मात्र है जो दिल्ली में JNU से लेकर बंगाल के जाधवपुर विश्वविद्यालय तक देश में नयी आकार लेती राष्ट्रवादी विचारधारा से अपने को अत्यंत आतंकित और भयभीत महसूस कर रही है । क्यों केजरीवाल और ममता बैनर्जी मोदी से अपने आप को इतना आतंकित महसूस करते हैं ? क्यों ये दोनों मुख्यमंत्री नीति आयोग की 2022 के भारत के लिये आयोजित vision पर चर्चा के लिये उपस्थित नहीं होते ? कौन परदे के पीछे से इन नक्सलियों को हवा दे रहा है, संचालित कर रहा है ? कौन अपनी राजनीति ख़त्म होने के डर से कश्मीर से लेकर केरल तक और गुजरात से लेकर मणिपुर तक राष्ट्रविरोधी ताकतों को भड़का रहा है ? ये सारे मोर्चे एक साथ यूपी में हुयी विराट जीत के बाद और उग्रता से क्यों खुल रहे हैं ? इन सब यक्ष प्रश्नों का उत्तर बहुत चतुराई और साहस के साथ ढूँढना भी होगा और परदे के पीछे की ताक़तों को बेनक़ाब भी करना होगा । यही मोदी सरकार की सबसे कड़ी अग्नि परीक्षा भी है । अगर आपने इस देश से भ्रष्टाचार और राष्ट्र विरोधी ताक़तों को ख़त्म करने का संकल्प लिया है तो इसे दृढ़ता और कठोरता के साथ समाप्त करने के उपाय भी करने होंगे और कदम भी उठाने होंगे ।
सुकमा के संदर्भ में ही एक छोटी सी जानकारी बहुत प्रासंगिक है । छत्तीसगढ़ में IG स्तर के एक आईपीएस अधिकारी हैं, शिवराम प्रसाद कल्लूरी, जिन्हें नक्सलियों के विरुद्ध लड़ाई में राज्य का सबसे सफल और असरदार अधिकारी माना जाता है । उन्होंने राज्य के उत्तरी इलाके (सरगुजा), जो कि झारखण्ड से लगता है, से नक्सलियों का जड़ से सफाया कर दिया । उन्हें इस मामले में कुछ हद तक छत्तीसगढ़ का केपीएस गिल भी कहा जा सकता है । अभी कुछ महीने पहले तक वे बस्तर के IG थे और उन्होंने सुकमा जिले को 2018 के पहले नक्सलमुक्त करने की घोषणा तक की थी । उनके कार्यकाल में बस्तर में नक्सलियों का तेजी से सफाया हुआ और सुकमा से उनके पैर उखड़ गये थे । लेकिन लगभग 2 महीने पहले नक्सलियों के दिल्ली में बैठे आकाओं ने उनको मानवाधिकार उल्लंघन मामले में सुप्रीम कोर्ट में याचिका दायर कर फंसा दिया और छत्तीसगढ़ सरकार ने सुप्रीम कोर्ट के दबाव में आकर उनको हटा दिया । न केवल हटाया बल्कि लंबी छुट्टी पर भी भेज दिया ।
उनके बस्तर के IG पद से हटने के बाद 2 महीनों में ये दूसरा बड़ा हमला है । मार्च में CRPF के 11 जवान शहीद हुए और अब 26 जवान । नक्सली फिर सुकमा में अपनी मज़बूती दर्ज़ करा रहे हैं । यही उनकी लड़ाई का तरीका है ।

अब ये समझा जा सकता है कि क्या नक्सलियों के खिलाफ लड़ाई ऐसे लड़ी जा सकती है ?
कहने का अर्थ ये है कि जो दिखता है, वो अधूरा सच है और उसे पूर्णता में देखने के लिये हमेशा बड़ी पिक्चर को देखना चाहिये । तभी पूरा सच सामने आता है ।
शहीद वीर जवानों को भावपूर्ण श्रद्धांजलि और ऐसे नेताओं को ईश्वर जल्दी उठायें जो देश की रक्षा में शहीद होने वालों की जान की कीमत पर अपनी राजनीति चमकाने का सपना सँजोये हुए हैं ।

इस्लाम की निशानियां मिटाने का विरोध क्यों नहीं होना चाहिए

सऊदी अरब ने मोहमद साहब के जन्म स्थान.. और उस पहाड़ी जहाँ उन्होंने पहली बार उपदेश दिया था.. उसके उपर बुलडोजर चलवाकर प्रिंस के लिए आलिशान महल और पार्किंग बनवा दी
पिछले कुछ सालों में सऊदी सरकार ने वह तमाम ऐतिहासिक निशानियां मिटा दीं जो पैगम्बर मुहम्मद साहेब से जुड़ी थीं। मेरे एक मित्र पिछले साल हज से लौटे तो वह बहुत दुखी थे। उन्होंने बताया जहां कल तक पैगम्बर साहब के शुरूआती साथियों की कब्रें थीं वे अब नजर नहीं आतीं। कई ऐतिहासिक मस्जिदें जिन्हें हम पवित्र मानते थे वहां अब बिजनेस सेंटर या शाही परिवार का महल नजर आता है। कहीं-कहीं तो इन प्राचीन इमारतों को तोड़ कर भव्य पार्किंग बना दी गई।
  मक्का में हजरत मोहम्मद पैगम्बर साहब का जन्म जिस घर में हुआ उसके तमाम पुरातात्विक प्रमाण मौजूद हैं। क्योंकि यह घटना बहुत पुरानी नहीं। मोहम्मद साहेब का जन्म 570 ईसवी में हुआ था। इसमें कोई विवाद भी नहीं है। बाद में उसे लाइब्रेरी में तब्दील कर दिया गया था। उस घर को गिरा दिया गया।
हजरत के दौर की कई मस्जिदें और इमारतें मक्का में अभी दो चार साल पहले तक मौजूद थीं जिन पर अरब के बादशाह ने बुलडोजर चला कर जमींदोज कर दिया। इसमें पैगम्बर की पहली नेकदिल बेगम खदीजा का घर भी शामिल था। इसमें इस्लाम के पहले खलीफा अबू बकर का घर भी शामिल है जहां आज होटल हिलटन खड़ा है। जिस ऊंची पहाड़ी की चोटी "फारान" से हजरत मोहम्मद साहब ने अपने पैगम्बर होने की घोषणा की थी, आज वहां सऊदी शाह ने अपना आलीशान महल बनवा दिया है। मक्का से लौटे अपने दोस्त की इस बात पर मुझे यकीन नहीं हुआ। मैंने अपने दूसरे हिन्दुस्तानी मुस्लिम दोस्तों से इस बारे में पूछा तो जैसी की उम्मीद थी उनका कहना था कि ये गप्प है बकवास है। मैंने नेट खंखाला तो उसमें इस तरह की कई सूचनाएं थीं। फिर भी मुझे यकीन नहीं हुआ तो मैंने सऊदी में रहने वाले अपने दोस्त  को फोन लगाया। उन्होंने मुझसे कहा ये सच है। मेरा दिल बैठ गया।
नेट पर ही मैंने सऊदी सरकार का इस पर बयान पढ़ा कि पैगम्बर साहब का मकान इन भव्य इमारतों के पास पार्किंग के स्थान में अवरोध पैदा करता था। इस मकान के कारण रास्ता तंग हो गया और वाहनों के आने-जाने में लगातार बाधा होती थी। इसलिए इस घर को ध्वस्त करना जरूरी हो गया था। हैरत की बात है कि पैगम्बर साहब का घर तोड़ते वक्त विरोध की एक भी आवाज दुनिया के किसी कोने से नहीं सुनाई दी। इस्लामिक जगत में ऐसी चुप्पी और खामोशी अजब है। मैंने अपने एक मुसलमान दोस्त से पूछा तो उनका जवाब था-किस मुसलमान में हिम्मत है कि वह अरब के शाह के खिलाफ आवाज उठाए। जो उठाएगा वह दोजख में जाएगा। उसकी आने वाली नस्लों का हज पर जाना बंद हो जाएगा। फिर आगे वह बोले कि वैसे इसमें गलत क्या है? पैगम्बर का पुश्तैनी घर, उनकी बेगमों के घर, पुरानी मस्जिदें, ये सब इमारतें हाजियों की सुविधा के लिए गिराई गईं। इस्लाम प्रतीक पूजा की इजाजत नहीं देता। हम मुसलमानों की श्रद्धा हज यात्रा में है प्रतीकों में नहीं।
मैंने सिर्फ तर्क के लिए कहा-फिर बाबरी मस्जिद के ढहाने पर पूरी दुनिया का इस्लाम नाराज क्यों है? उसके नाम पर क्यों दंगे हुए? कुछ उन्मादियों की हरकत के बदले सड़क पर दोनों तरफ के लोगों के खून क्यों बहाए गए? (हालांकि निजी तौर पर उसके ढहाए जाने को गैर अखलकी कदम मानता हूं क्योंकि हमारा संविधान इसकी इजाजत नहीं देता) वे जवाब नहीं दे पाए। मैं अपने अन्य मुस्लिम और कम्युनिस्ट दोस्तों से इस सवाल का जवाब मांगता हूं। इस्लाम की निशानियां मिटाने का विरोध क्यों नहीं होना चाहिए? अरब के ऐसे शाह का हाथ क्यों चूमा जाए जिसने इन पवित्र स्‍थानों को नेस्तानबूद कर दिया ? 
उम्मीद है मुझे तर्कपूर्ण जवाब मिलेगा।

शुक्रवार, 21 अप्रैल 2017

मुस्लिम तुष्टिकरण और अल्पसंख्यक की राजनीति

780 सालों तक इस्लामिक शासन के बाद 1609 ई० में स्पेन आजाद हुअा...जिस दिन स्पेन को आजादी मिली उसी दिन स्पेन ने घोषणा की...कि जो मुसलमान स्पेन में बचे हैं या तो वो स्पेन की संस्कृति अपना लें...या फिर 03 दिनों के भीतर अपना बोरिया-बिस्तर बाँध लें और स्पेन से बाहर निकल जाएँ....स्पेन की इस सख्त घोषणा ने स्पेन में अल्पसंख्यक तुष्टिकरण का त्वरित समाधान कर दिया..।।
बीसवीं शताब्दी में संयुक्त राज्य अमरीका में यूरोप के 
अलग-अलग देशों से लोग आकर बसने लगे...अलग देशों की संस्कृति अलग-अलग थी...उनके मत और व्यवहार अलग अलग थे...जब औद्योगिक विकास में इन अलग-अलग देशों से आने वालों के कारण समस्या उत्पन्न हुई तब अमेरिका के सेक्रेट्री ऑफ़ स्टेट्स जान क्विंसी एडम्स ने कहा कि जिन लोगों की वजह से हमारा देश पिछड़ रहा है ऐसे लोगों को अपना यूरोपियन चोला
हमेशा-हमेशा के लिए उतार के फेक देना चाहिए और वो यदि ऐसा नहीं कर सकते वो ऐसे लोगों के लिए यूरोप जाने का रास्ता एटलान्टिक महासागर सदा खुला रहेगा...उनकी इस घोषणा का असर ये हुअा कि अमेरिका में रहने वाले यूरोपीय लोग आज खुद को गर्व के साथ अमेरिकी बताते हैं...।।
मंचूरिया के मंचुवो का चीन पर शासन था...चीन में जब साम्यवादी सत्ता स्थापित हुई तब पर्याप्त संख्या में चीनियों को मंचूरिया में बसा दिया गया...और आज मंचूरिया में ममंचू जो कि वहाँ के मूल निवासी थे...वो अल्पसंख्यक हो गए...इसी तरह चीन ने योजनाबद्ध तरीके से तिब्बत में चीनियों को बसाकर तिब्बतियों को वहाँ अल्पसंख्यक बना दिया...।।
पचास के दशक में इजराइल ने करीब 20 हज़ार से ज्यादा मुसलमानों को इजराइल से बाहर निकाल दिया...वो भी एक ही दिन में...और जो मुसलमान इजराइल में बच गए....उनकी जमीन जायदात को इजराइली सरकार ने यहूदियों में बाँट दिया...आज इजराइल दुनियाँ का एकलौता ऐसा देश है...जहाँ मुसलमानों के आतंकी कृत्यों को लेकर सरकार जीरो परसेंट टालरेंस नीति अपनाती है...यानी इजराइल में मुसलमान होना होना ही गुनाह है...इजराइल के इस एक कदम ने इजराइल में मुस्लिम तुष्टिकरण को जड़ से उखाड़ कर फेक दिया।।
अब भारत में आइये...यहाँ धर्म के नाम पर पहले आपके देश के तीन टुकड़े किये जाते हैं...इसके बाद मुसलमानों को योजनाबद्ध तरीके से भारत में बसाया जाता है...मुसलमानों को विशेष सुविधाएं दी जाती हैं....चार शादी करने की अनुमति मिलती है...हज पे सब्सिडी मिलती है...मुस्लिम बाहुल्य काश्मीर को विशेष राज्य का दर्जा मिलता है...सेना पर पत्थर फेकने के लिए मुसलमानों को बाकायदा लाइसेंस मिलता है...गोहत्या करने की छूट मिलती है...जबरन धर्म-परिवर्तन कराने के लिए बाकायदा मदरसों का गठन किया जाता है...यहाँ मुसलमान जबरन मंदिरों पर कब्ज़ा करते हैं...हिन्दू औरतों को जबरन या बहला फुसलाकर धर्मांतरण कराया जाता है लेकिन भारत सरकार चुप रहती है..!!
.....और बड़े-बड़े मंच से मुस्लिम तुष्टिकरण खत्म करने की बात की जाती हैं...लेकिन सत्ता प्राप्ति के बाद इनके मुँह और हाथ में दही जम जाता है और मुसलमानों के खिलाफ कुछ बोल या ना कर पाने की अपनी नपुंसकता को ये संविधान के चोले से ढक लेते हैं और कहते हैं कि अब हम संवैधानिक पद पर हैं...ऐसे दोहरी मानसिकता और विचारधारा रखने वाले नेताओं को चीन..स्पेन..अमेरिका और इजराइली सरकार से बहुत कुछ सिखने की जरूरत है...ताकि इन्हें पता चले कि दुनियाँ में मुसलमनो को लेकर दूसरे देश क्या सोचते और करते हैं...।।।।

गुरुवार, 20 अप्रैल 2017

क्या सिन्धु' से शब्द 'हिन्दू' शब्द की उत्पत्ति हुई ??


(आखिरी लाइन तक पढ़ेंगे तभी सच पता चलेगा) । 
सवाल यह कि 'हिन्दू' शब्द 'सिन्धु' से कैसे बना ? भारत में बहती थी एक नदी जिसे सिन्धु कहा जाता है। भारत विभाजन के बाद अब वह पाकिस्तान का हिस्सा है। ऋग्वेद में सप्त सिन्धु का उल्लेख मिलता है। वह भूमि जहां आर्य रहते थे। भाषाविदों के अनुसार हिन्द-आर्य भाषाओं की 'स्' ध्वनि (संस्कृत का व्यंजन 'स्') ईरानी भाषाओं की 'ह्' ध्वनि में बदल जाती है इसलिए सप्त सिन्धु अवेस्तन भाषा (पारसियों की धर्मभाषा) में जाकर हफ्त हिन्दू में परिवर्तित हो गया (अवेस्ता : वेंदीदाद, फर्गर्द 1.18)। इसके बाद ईरानियों ने सिन्धु नदी के पूर्व में रहने वालों को 'हिन्दू' नाम दिया। ईरान के पतन के बाद जब अरब से मुस्लिम हमलावर भारत में आए तो उन्होंने भारत के मूल धर्मावलंबियों को हिन्दू कहना शुरू कर दिया। इस तरह हिन्दुओं को 'हिन्दू' शब्द मिला।


लेकिन क्या यह सही है कि हिन्दुओं को हिन्दू नाम दिया ईरानियों और अरबों ने?

पारसी धर्म की स्थापना आर्यों की एक शाखा ने 700 ईसा पूर्व की थी। मात्र 700 ईसापूर्व? बाद में इस धर्म को संगठित रूप दिया जरथुस्त्र ने। इस धर्म के संस्थापक थे अत्रि कुल के लोग। यदि पारसियों को 'स्' के उच्चारण में दिक्कत होती तो वे सिन्धु नदी को भी हिन्दू नदी ही कहते और पाकिस्तान के सिंध प्रांत को भी हिन्द कहते और सि‍न्धियों को भी हिन्दू कहते। आज भी सिन्धु है और सिन्धी भी। दूसरी बात यह कि उनके अनुसार फिर तो संस्कृत का नाम भी हंस्कृत होना चाहिए। सबसे बड़ा प्रमाण यह कि 'हिन्दू' शब्द का जिक्र पारसियों की किताब से पूर्व की किताबों में भी मिलता है। उस किताब का नाम है  विशालाक्ष शिव द्वारा लिखित बार्हस्पत्य शास्त्र जिसका संक्षेप बृहस्पतिजी ने किया। बाद में
वराहमिहिर रचित 'बृहत्संहिता' में भी इसका उल्लेख मिलता है। बृहस्पति आगम ने भी इसका उल्लेख किया।

इन्दु से बना हिन्दू : चीनी यात्री ह्वेनसांग के समय में 'हिन्दू' शब्द प्रचलित था। यह माना जा सकता है कि 'हिन्दू' शब्द 'इन्दु' जो चन्द्रमा का पर्यायवाची है, से बना है। चीन में भी 'इन्दु' को 'इंतु' कहा जाता है। भारतीय ज्योतिष चन्द्रमा को बहुत महत्व देता है। राशि का निर्धारण चन्द्रमा के आधार पर ही होता है। चन्द्रमास के आधार पर तिथियों और पर्वों की गणना होती है। अत: चीन के लोग भारतीयों को 'इंतु' या 'हिन्दू' कहने लगे। मुस्लिम आक्रमण के पूर्व ही 'हिन्दू' शब्द के प्रचलित होने से यह स्पष्ट है कि यह नाम पारसियों या मुसलमानों की देन नहीं है।
 

हिमालय से हिन्दू, अगले पन्ने पर, जानिए...

 


बृहस्पति आगम : विशालाक्ष शिव द्वारा रचित राजनीति के महान शास्त्र का संक्षित महर्षि बृहस्पतिजी ने बार्हस्पत्य शात्र नाम से किया। फिर वराहमिहिर ने एक शास्त्र लिखा जिसका नाम बृहत्संहिता है। इसके बाद बृहस्पति-आगम की रचना हुई। 'बृहस्पति आगम' सहित अन्य आगम ईरानी या अरबी सभ्यताओं से बहुत प्राचीनकाल में लिखा जा चुके थे। अतः उसमें 'हिन्दुस्थान' का उल्लेख होने से स्पष्ट है कि हिन्दू (या हिन्दुस्थान) नाम प्राचीन ऋषियों द्वारा दिया गया था न कि अरबों/ईरानियों द्वारा। यह नाम बाद में अरबों/ईरानियों द्वारा प्रयुक्त होने लगा।   हालांकि इस आगम को आधुनिक काल में लिखा गया माना जाता है।

इसके एक श्लोक में कहा गया है:-
ॐकार मूलमंत्राढ्य: पुनर्जन्म दृढ़ाशय:
गोभक्तो भारतगुरु: हिन्दुर्हिंसनदूषक:।
हिंसया दूयते चित्तं तेन हिन्दुरितीरित:।

' ॐकार' जिसका मूल मंत्र है, पुनर्जन्म में जिसकी दृढ़ आस्था है, भारत ने जिसका प्रवर्तन किया है तथा हिंसा की जो निंदा करता है, वह हिन्दू है।

श्लोक : 'हिमालयात् समारभ्य यावत् इन्दु सरोवरम्। तं देवनिर्मितं देशं हिन्दुस्थानं प्रचक्षते॥'- (बृहस्पति आगम)

अर्थात : हिमालय से प्रारंभ होकर इन्दु सरोवर (हिन्द महासागर) तक यह देव निर्मित देश हिन्दुस्थान कहलाता है।

हिमालय से हिन्दू : एक अन्य विचार के अनुसार हिमालय के प्रथम अक्षर 'हि' एवं 'इन्दु' का अंतिम अक्षर 'न्दु'। इन दोनों अक्षरों को मिलाकर शब्द बना 'हिन्दू' और यह भू-भाग हिन्दुस्थान कहलाया। 'हिन्दू' शब्द उस समय धर्म की बजाय राष्ट्रीयता के रूप में प्रयुक्त होता था। चूंकि उस समय भारत में केवल वैदिक धर्म को ही मानने वाले लोग थे और तब तक अन्य किसी धर्म का उदय नहीं हुआ था इसलिए 'हिन्दू' शब्द सभी भारतीयों के लिए प्रयुक्त होता था। भारत में हिन्दुओं के बसने के कारण कालांतर में विदेशियों ने इस शब्द को धर्म के संदर्भ में प्रयोग करना शुरू कर दिया।

दरअसल, 'हिन्दू' नाम तुर्क, फारसी, अरबों आदि के प्रभाव काल के दौर से भी पहले से चला आ रहा है जिसका एक उदाहरण हिन्दूकुश पर्वतमाला का इतिहास है। इस शब्द के संस्कृत व लौकिक साहित्य में व्यापक प्रमाण मिलते हैं। वस्तुतः यह नाम हमें विदेशियों ने नहीं दिया है। हिन्दू नाम पूर्णतया भारतीय है और हर भारतीय को इस पर गर्व होना चाहिए।

' हिन्दू' शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रंथों में विद्यमान है। उपनिषदों के काल के प्राकृत, अपभ्रंश, संस्कृत एवं मध्यकालीन साहित्य में 'हिन्दू' शब्द पर्याप्त मात्रा में मिलता है। अनेक विद्वानों का मत है कि 'हिन्दू' शब्द प्राचीनकाल से सामान्यजनों की व्यावहारिक भाषा में प्रयुक्त होता रहा है।

जब प्राकृत एवं अपभ्रंश शब्दों का प्रयोग साहित्यिक भाषा के रूप में होने लगा, उस समय सर्वत्र प्रचलित 'हिन्दू' शब्द का प्रयोग संस्कृत ग्रंथों में होने लगा। ब्राहिस्पत्य, कालिका पुराण, कवि कोश, राम कोश, कोश, मेदिनी कोश, शब्द कल्पद्रुम, मेरूतंत्र, पारिजात हरण नाटक, भविष्य पुराण, अग्निपुराण और वायु पुराणादि संस्कृत ग्रंथों में 'हिन्दू' शब्द जाति अर्थ में सुस्पष्ट मिलता है।

इससे यह स्पष्ट होता है कि इन संस्कृत ग्रंथों के रचना काल से पहले भी 'हिन्दू' शब्द का जन समुदाय में प्रयोग होता था।

बुधवार, 19 अप्रैल 2017

चर्च में फ़ादर के साथ क्रिश्चियनिटी और हिंदुत्व पर धार्मिक बहस


''क्रिश्चियनिटी के गाल पर हिंदुत्व का थपेड़ा'' पढ़िए ....
अभी कुछ महीने पहले ही नई यूनिट में ट्रान्सफर आया हूँ चूँकि पिछली यूनिट में कई लोगों ने मेरी छवि एक सांप्रदायिक कट्टर हिन्दू की बना दी थी और कुछ लोगों ने मुझे इस्लाम और क्रिश्चियनिटी विरोधी बता दिया था,
सो इस यूनिट में मैं काफ़ी शाँत रहता था किसी भी धर्म पर मैं कोई भी बात नही करता था।
मेरे साथ एक सीनियर हैं जो 4 साल पहले हिंदू से क्रिस्चियन में कन्वर्ट हुए हैं, वो दिन रात क्रिश्चियनिटी की प्रशंसा करते रहते और हिंदुत्व को गालियाँ देते रहते थे, चूँकि उन्हें मेरे बारे में कोई जानकारी नही थी और नाही उन्होंने मेरी हिस्ट्री पढ़ी थी।
सो कल रविवार को बातों हिं बातों में उन्होंने मुझे क्रिश्चियनिटी में कन्वर्ट होने का ऑफ़र दे दिया और क्रिश्चियनिटी के फ़ायदे बताने लगे।
मैं कई दिनों से ऐसे मौके की तलाश में था क्योंकि मेरे दिमाग में क्रिस्चियन कन्वर्शन वाले मुद्दे को लेकर बड़ा फ़ितूर चल रहा था, मैं उसके ज्ञान का लेवल जानता था मैं जानता था की उसे क्रिश्चियनिटी और बाइबिल में कुछ भी नही आता है इसलिए मैंने उससे बहस करना जायज़ नही समझा। मैं बाइबिल को लेकर बड़े क्रिस्चियन फादर से बहस करना चाहता था सो मैंने उनका ऑफ़र स्वीकार कर लिया।
कल शाम को मैं अपने आठ जूनियर और उस सीनियर के साथ चर्च पहुँच गया, वहाँ कुछ परिवार भी हिन्दू से क्रिस्चियन कन्वर्शन के लिए आये हुए थे, और धर्म परिवर्तन कराने के लिए गोआ के किसी चर्च के फादर बुलाये गए थे। चर्च में प्रेयर हुई फिर उन्होंने क्रिश्चियनिटी और परमेश्वर पर लेक्चर दिया और होली वाटर के साथ धर्मान्तरण की प्रोसेस शुरू की।
मैंने अपने सीनियर से कहा की वो फ़ादर से रिक्वेस्ट करें की सबसे पहले मुझे कन्वर्ट करें।
फिर फ़ादर ने मुझे बुलाया और बोला " जीसस ने अशोक को अपनी शरण में बुलाया है मैं अशोक का क्रिश्चियनिटी में स्वागत करता हूँ"
मैंने फ़ादर से कहा की मुझे कन्वर्ट करने से पहले क्रिस्चियन और हिन्दू को कम्पेयर करते हुए उसके मेरिट और डिमेरित बताएँ। मैं कन्वर्ट होने से पहले बाइबिल पर आपके साथ चर्चा करना चाहता हूँ कृपिया मुझे आधा घण्टे का समय दें और मेरे कुछ प्रश्नों का उत्तर दें।
फ़ादर को मेरे बारे में कोई जानकारी नही थी और उन्हें अंदाजा भी नही था की मैं यहाँ अपना लक्ष्य पूरा करने आया हूँ और उन्हें पता ही नही था की मैं अपना काम अपने प्लान के मुताबिक़ कर रहा हूँ।
उस फ़ादर को इस बात का अंदेशा भी नही था की आज वो कितनी बड़ी आफ़त में फ़ंसने वाले हैं, सो फ़ादर बाइबिल पर चर्चा करने के लिए तैयार हो गए ।
【मैंने पूछा फ़ादर " क्रिश्चियनिटी हिन्दूत्व से किस तरह बेहतर है, परमेश्वर और बाइबिल में से कौन सत्य है,अगर बाइबिल और यीशु में से एक चुनना हो तो किसको चुनें"】
अब फ़ादर ने क्रिश्चियनिटी की प्रसंशा और हिंदुत्व की बुराइयाँ करनी शुरू की और कहा
1.यीशु ही एक मात्र परमेश्वर है और होली बाइबिल ही दुनियाँ में मात्र एक पवित्र क़िताब है। बाइबिल में लिखा एक एक वाक्य सत्य है वह परमेश्वर का आदेश है।
परमेश्वर ने ही पृथ्वी बनाई है।
2.क्रिश्चियनिटी में ज्ञान है जबकि हिन्दुओँ की किताबों में केवल अंध विश्वास है।
3.क्रिश्चियनिटी में समानता है जातिगत भेदभाव नही है जबकि हिंदुओं में जातिप्रथा है।
4.क्रिश्चियनिटी में महिलाओं को पुरुषों के बराबर सम्मान हैं जबकि हिन्दुओँ में लेडिज़ का रेस्पेक्ट नही है , हिन्दू धर्म में लेडिज़ के साथ सेक्सुअल हरासमेंट ज़्यादा है।
5.क्रिस्चियन कभी भी किसी को धर्म के नाम पर नही मारते जबकि धर्म के नाम् पर लोगों को मारते हैं बलात्कार करते हैं हिन्दू बहुत अत्याचारी होते हैं।
6.हिंदुओ में नंगे बाबा घूमते हैं सबसे बेशर्म धर्म है हिन्दू।
अब मैंने बोलना शुरू किया की फ़ादर मैं आपको बताना चाहता हूँ की
1. जैसा आपने कहा की परमेश्वर ने पृथ्वी बनाई है और बाईबल में एक एक वाक्य सत्य लिखा है और वह पवित्र है,
तो बाईबल के अनुसार पृथ्वी की उत्त्पति ईशा के जन्म से 4004 वर्ष पहले हुई अर्थात बाइबिल के अनुसार अभी तक पृथ्वी की उम्र 6020 वर्ष हुई जबकि साइंस के अनुसार(कॉस्मोलॉजि) पृथ्वी 4.8 बिलियन वर्ष की है जो बाइबिल में बतायी हुई वर्ष के बहुत ज़्यादा है। आप भी जानते हो साइंस ही सत्य है
अर्थात बाइबिल का पहला अध्याय ही बाइबिल को झूँठा घोषित कर रहा है मतलब बाइबिल एक फ़िक्शन बुक है जो मात्र झूँठी कहानियों का संकलन है,
जब बाइबिल ही असत्य है तो आपके परमेश्वर का कोई अस्तित्व ही नही बचता।
2.आपने कहा की क्रिश्चियनिटी में ज्ञान है तो आपको बता दूँ की क्रिश्चियनिटी में ज्ञान नाम का कोई शब्द नही है , याद करो जब "ब्रूनो" ने कहा था की पृथ्वी सूरज की परिक्रमा लगाती है तो चर्च ने ब्रूनो को 'बाइबिल को झूंठा साबित करने के आरोप में जिन्दा जला दिया था और गैलीलियो को इस लिए अँधा कर दिया गया क्योंकि उसने कहा था 'पृथ्वी के आलावा और भी ग्रह हैं' जो बाइबिल के विरुद्ध था ।
अब आता हूँ हिंदुत्व में तो फ़ादर हिंदुत्व के अनुसार पृथ्वी की उम्र ब्रह्मा के एक दिन और एक रात के बराबर है जो लगभग 1.97 बिलियन वर्ष है जो साइंस के बताये हुए समय के बराबर है और साइंस के अनुसार ग्रह नक्षत्र तारे और उनका परिभ्रमण हिन्दुओँ के ज्योतिष विज्ञानं पर आधारित है , हिन्दू ग्रंथो के अनुसार 9 ग्रहों की जीवनगाथा वैदिक काल में ही बता दी गयी थी। ऐसे ज्ञान देने वाले संतो को हिन्दुओँ ने भगवान के समान पूजा है नाकि जिन्दा जलाया या अँधा किया।
केवल हिन्दू धर्म ही ऐसा है जो ज्ञान और गुरु को भगवान से भी ज़्यादा पूज्य मानता है जैसे
"गुरुर्ब्रह्मा गुरुर्विष्णु गुरुर्देवोमहेश्वरः
गुरुर्साक्षात परब्रह्मा तस्मै श्रीगुरूवे नमः।।
और फ़ादर दुनियाँ में केवल हिन्दू ही ऐसा है जो कण कण में ईश्वर देखता है और ख़ुद को "अह्मब्रह्मस्मि" बोल सकता है इतनी आज़ादी केवल हिन्दू धर्म में ही हैं।
3. आपने कहा की 'क्रिश्चियनिटी में समानता है जातिगत भेदभाव नही है तो आपको बता दूँ की
क्रिश्चियनिटी पहली शताब्दी में तीन भागों में बटी हुई थी जैसे Jewish Christianity , Pauline Christianity, Gnostic Christianity.
जो एक दूसरे के घोर विरोधी थे उनके मत भी अलग अलग थे।
फिर क्रिश्चियनिटी Protestant, Catholic Eastern Orthodoxy, Lutherans में विभाजित हुई जो एक दूसरे के दुश्मन थे, जिनमें ' कुछ लोगों को मानना था की "यीशु" फिर जिन्दा हुए थे तो कुछ का मानना है की यीशु फिर जिन्दा नही हुए, और कुछ ईसाई मतों का मानना है की "यीशु को सैलिब पर लटकाया ही नही गया"
आज ईसाईयत हज़ार से ज़्यादा भागों में बटी हुई है, जो पूर्णतः रँग भेद (श्वेत अश्वेत ) और जातिगत आधारित है आज भी पुरे विश्व में कनवर्टेड क्रिस्चियन की सिर्फ़ कनवर्टेड से ही शादी होती है।
आज भी अश्वेत क्रिस्चियन को ग़ुलाम समझा जाता है।
फ़ादर भेदभाव में ईसाई सबसे आगे हैं हैम के वँशज के नाम पर अश्वेतों को ग़ुलाम बना रखा है।
4. आपने कहा की क्रिश्चियनिटी में महिलाओं को पुरुष के बराबर अधिकार है, तो बाईबल के प्रथम अध्याय में एक ही अपराध के लिये परमेश्वर ने ईव को आदम से ज्यादा दण्ड क्यों दिया, ईव के पेट को दर्द और बच्चे जनने का श्राप क्यों दिया आदम को ये दर्द क्यों नही दिया अर्थात आपका परमेश्वर भी महिलाओं को पुरुषों के समान नही समझता।
आपके ही बाइबिल में "लूत" ने अपनी ही दोनों बेटियों का बलात्कार किया और इब्राहीम ने अपनी पत्नी को अपनी बहन बनाकर मिस्र के फिरौन (राजा) को सैक्स के लिए दिया।
आपकी ही क्रिश्चियनिटी ने पोप के कहने पर अब तक 50 लाख से ज़्यादा बेक़सूर महिलाओं को जिन्दा जला दिया। ये सारी रिपोर्ट आपकी ही बीबीसी न्यूज़ में दी हुईं हैं।
आपकी ही ईसाईयत में 17वीं शताब्दी तक महिलाओं को चर्च में बोलने का अधिकार नही था, महिलाओं की जगह प्रेयर गाने के लिए भी 15 साल से छोटे लड़को को नपुंसक बना दिया जाता था उनके अंडकोष निकाल दिए जाते थे महिलाओं की जगह उन बच्चों से प्रेयर करायी जाती थी।
बीबीसी के सर्वे के अनुसार सभी धर्मों के धार्मिक गुरुवों में सेक्सुअल केस में सबसे ज़्यादा "पोप और नन" ही एड्स से मरे हैं जो ईसाई ही हैं।
फ़ादर क्या यही क्रिश्चियनिटी में नारी सम्मान है।
अब आपको हिंदुत्व में बताऊँ। दुनियाँ में केवल हिन्दू ही है जो कहता है " यत्र नारियन्ति पूज्यन्ते रमन्ते तत्र देवता" अर्थात जहाँ नारी की पूजा होती है वहीँ देवताओं का निवास होता है,।
5. फ़ादर आपने कहा की क्रिस्चियन धर्म के नाम पर किसी को नही मारते तो आपको बता दूँ 'एक लड़का हिटलर जो कैथोलिक परिवार में जन्मा उसने जीवनभर चर्च को फॉलो किया उसने अपनी आत्मकथा "MEIN KAMPF" में लिखा ' वो परमेश्वर को मानता है और परमेश्वर के आदेश से ही उसने 10 लाख यहूदियों को मारा है' हिटलर ने हर बार कहा की वो क्रिस्चियन है। चूँकि हिटलर द्वितीय विश्वयुद्ध का कारण था जिसमें सारे ईसाई देश एक दूसरे के विरुद्ध थे इसलिए आपके चर्च और पादरियों ने उसे कैथोलिक से निकाल कर Atheist(नास्तिक) में डाल दिया।
फ़ादर मैं इस्लाम का हितेषी नही हूँ लेकिन आपको बता दूँ क्रिस्चियनों ने सन् 1096 में ने "Crusade War" धर्म के आधार पर ही स्टार्ट किया था जिसमें पहला हमला क्रिस्चियन समुदाय ने मुसलमानों पर किया।
जिसमें लाखों मासूम मारे गए।
फ़ादर "आयरिश आर्मी" का इतिहास पढ़ो किस तरह कैथोलिकों ने धर्म के नाम पर क़त्ले आम किया जो आज के isis से भी ज़्यादा भयानक था।
धर्म के नाम पर क़त्लेआम करने में क्रिस्चियन मुसलमानों के समान ही हैं, वहीँ आपने हिन्दुओँ को बदनाम किया तो आपको बता दूँ की "हिन्दू ने कभी भी दूसरे धर्म वालों को मारने के लिए पहले हथियार नही उठाया है, बल्कि अपनी रक्षा के लिए हथियार उठाया है।
6. फ़ादर आपने कहा की हिन्दुओँ में नंगे बाबा घूमते हैं "हिन्दू बेशर्म" हैं तो फ़ादर आपको याद दिला दूँ की बाइबिल के अनुसार यीशु ने प्रकाशितवाक्य (Revelation) में कहा है की " nudity is best purity" नग्नता सबसे शुद्ध है।
यीशु कहता है की मेरे प्रेरितों अगर मुझसे मिलना है तो एक छोटे बच्चे की तरह नग्न हो कर मुझसे मिलों क्योंकि नग्नता में कोई लालच नही होता।
फ़ादर याद करो यूहन्ना का वचन 20:11-25 और लूका के वचन 24:13-43 क्या कहते नग्नता के बारे में।
फ़ादर ईसाईयत में सबसे बड़ी प्रथा Bapistism है, जो बाइबिल के अनुसार येरूसलम की यरदन नदी में नग्न होकर ली जाती थी।
अभी इस वर्ष फ़रवरी में ही न्यूजीलैंड के 1800 लोगों ने जिसमे 1000 महिलाएं थी ने पूर्णतः नग्न होकर बपिस्टिसम लिया। और आप कहते हो की हिन्दू बेशर्म है।
अब चर्च के सभी लोग मुझ पर भड़क चुके थे और ग़ुस्से में कह रहे थे आप यहाँ क्रिश्चियनिटी में कन्वर्ट होने नही आये हो आप फ़ादर से बहसः करने आये हो, परमेश्वर आपको माँफ नही करेगा।
मैंने फ़ादर से कहा की यीशु ने कहा है " मेरे प्रेरितों मेरा प्रचार प्रसार करो" अब जब आप यीशु का प्रचार करोगे तो आपसे प्रश्न भी पूछे जाएँगे आपको ज़बाब देना होगा, मैं यीशु के सामने बैठा हुआ हूँ और वालंटियर क्रिस्चियन बनने आया हूँ ।
मुझे आप सिर्फ़ ज्ञान के सामर्थ्य पर क्रिस्चियन बना सकते है धन के लालच में नही।
अब फ़ादर ख़ामोश बैठा हुआ था शायद सोच रहा होगा की आज किस से पाला पड़ गया।
मैंने फिर कहा फ़ादर आप यीशु के साथ गद्दारी नही कर सकते " आप यहाँ सिद्ध करके दिखाओ की ईसाईयत हिंदुत्व से बेहतर कैसे है"
मैंने फिर फ़ादर से कहा की फ़ादर ज़वाब दो आज आपसे ही ज़वाब चाहिए क्योंकि आपके ये 30 ईसाई इतने सामर्थ्यवान नही है की ये हिन्दू के प्रश्नों का ज़वाब दे सकें।
फ़ादर अभी भी शाँत था, मैंने कहा फ़ादर अभी तो मैंने शास्त्र खोले भी नही है शास्त्रों के ज्ञान के सामने आपकी बाइबिल कहीं टिकती भी नही है।
अब फ़ादर ने काफ़ी सोच समझकर रविश स्टाइल में मुझसे पूछा 'आप किस जाति से हो'
मैंने भी चाणक्य स्टाइल में ज़वाब दे दिया ,
"मैं सेवार्थ शुद्र, आर्थिक वैश्य, रक्षण में क्षत्रिय, और ज्ञान में ब्राह्मण हूँ।
और हाँ फ़ादर मैं कर्मणा "फ़ौजी" हूँ और जाति से "हिन्दू"
अब चर्च में बहुत शोर हो चूका था मेरे जूनियर बहुत खुश थे बाकि सभी ईसाई मुझ पर नाराज़ थे, लेकिन करते भी क्या मैने उनकी ही हर बात को काटने के लिए बाइबिल को आधार बना रखा था और हर बात पर बाइबिल को ही ख़ारिज कर रहा था।
मैंने फ़ादर से कहा मेरे ऊपर ये जाति वाला मन्त्र ना फूँके, आप सिर्फ़ मेरे सवालों का ज़वाब दें।
अब मैंने उन परिवारों को जो कन्वर्ट होने के लिए आये थे को कहा " क्या आप लोगों को पता है की वेटिकन सिटी एक हिन्दू से क्रिस्चियन कन्वर्ट करने के लिए मिनिमम 2 लाख रुपये देती है जिसमें से आपको 1लाख या 50 हज़ार दिया जाता है बाकि में 20 से 30 हज़ार तक आपको कन्वर्ट करने के लिए चर्च लेकर आने वाले आदमी को दिया जाता है बाकि का 1 लाख चर्च रखता है।
जब आप कन्वर्ट हो जाते हो तब आपको परमेश्वर के नाम से डराया जाता है फिर आपको हर सन्डे चर्च आना पड़ता है और हर महीने अपनी पॉकेट मनी या फिक्स डिपाजिट चर्च को डिपॉजिट करना पड़ता है, आपको 1 लाख देकर चर्च आपसे कम से कम दस लाख वसूल करता है, अगर आपके पास पैसा नही होता तो आपको परमेश्वर के नाम से डराकर आपकी जमीन किसी क्रिस्चियन ट्रस्ट के नाम पर डोनेट(दान) करा ली जाती है,
अब आप मेरे सीनियर को ही देख लो, इन्होंने कन्वर्ट होने के लिए 1 लाख लिया था लेकिन 4 साल से हर महीने 15 हज़ार चर्च को डिपाजिट कर रहे हैं, अभी भी वक्त है सोच लो।
आप सभी को बता दूँ की एक सरकारी रिपोर्ट के अनुसार भारत में धार्मिक आधार पर सबसे ज़्यादा जमीन क्रिस्चियन ट्रस्टों पर हैं, जिन्हें आप जैसे मासूम कन्वर्ट होने वालो से परमेश्वर के नाम पर डरा कर हड़प लिया गया है।
अब मेरा इतना कहते ही सारे क्रिस्चियन भड़क चुके थे तभी यहाँ के पादरी ने गोआ वाले फ़ादर से कहा की 11बज चुके हैं चर्च को बन्द करने का टाइम है।
मैंने फ़ादर से कहा की आपने मेरे सवालों का ज़वाब नही दिया मैं आपसे बाइबिल पर चर्चा करने आया था,
आप जो पैसे लेकर कन्वर्ट करते हो वो बाईबल में सख्त मना है याद करो गेहजी, यहूदा इस्तविको का हस्र जिसनें धर्म में लालच किया। जिस तरह परमेश्वर ने उन्हें मारा ठीक उसी तरह आपका ही परमेश्वर आपको मारेगा , आप में से किसी भी क्रिस्चियन को जो पैसे लेकर कन्वर्ट हुआ फ़िरदौस ( यीशु का राज्य) में प्रवेश नही मिलेगा।
अब चर्च बंद होने का समय हो चूका था मैंने जाते जाते फ़ादर को "थ्री इडियट" स्टाइल में कहा " फ़ादर फिर से बाईबल पढ़ो समझों, और जहाँ समझ ना आये तो मुझे फ़ोन करके पूछ लेना क्योंकि मैं अपने कमज़ोर स्टूडेंट का हाथ कभी नही छोड़ता,
और आते आते मैं सारे क्रिस्चियनों को बोल आया की "मेरे क्रिस्चियन भाइयों अपने वेटिकन वाले चचाओं को बता दो की भारत से ईसाईयत का बोरी बिस्तर उठाने का समय आ गया है उन्हें बोल दो अब भारत में हिन्दू जाग चूका है अब हिन्दू ने भी शस्त्र के साथ शास्त्र उठा लिया है जितना जल्दी हो यहाँ से कट लो" जय हिन्द जय भारत
श्री अशोक शर्मा जी द्वारा फेसबुक से साभार 

सनातनी महायोद्धा ''तक्षक''

हमें इतिहास में वही पढ़ाया गया जो सेकुलरों, वामपंथियों ने पढ़ाया और इन दोनों का मकसद था हम अपने आपको एक हारी हुई,पराजित हुई,प्रताड़ित हुई कौम समझे और ये दोनों मुस्लिमो के वोट पर हमारे उअप्र राज करते रहे और हमें उसी तरह प्रताड़ित करते रहे जैसा अरब आतताइयों ने किया ! पर आज हम आपको एक महान योद्धा वीर तक्षक के बारे में पढ़िए !
मुल्तान विजय के बाद कासिम के आतंकवादियों ने एक विशेष सम्प्रदाय हिन्दू के ऊपर गांवो शहरों में भीषण रक्तपात मचाया था। हजारों स्त्रियों की छातियाँ नोच डाली गयीं, इस कारण अपनी लाज बचाने के लिए हजारों सनातनी किशोरियां अपनी शील की रक्षा के लिए कुंए तालाब में डूब मरीं।लगभग सभी युवाओं को या तो मार डाला गया या गुलाम बना लिया गया। अरब ने पहली बार भारत को अपना इस्लाम धर्म का रूप दिखाया था।
एक बालक तक्षक के पिता कासिम की सेना के साथ हुए युद्ध में वीरगति को प्राप्त हो चुके थे। लुटेरी अरब सेना जब तक्षक के गांव में पहुची तो हाहाकार मच गया। स्त्रियों को घरों से खींच खींच कर उनकी देह लूटी जाने लगी।भय से आक्रांत तक्षक के घर में भी सब चिल्ला उठे। तक्षक और उसकी दो बहनें भय से कांप उठी थीं।
तक्षक की माँ पूरी परिस्थिति समझ चुकी थी, उसने कुछ देर तक अपने बच्चों को देखा और जैसे एक निर्णय पर पहुच गयी। माँ ने अपने तीनों बच्चों को खींच कर छाती में चिपका लिया और रो पड़ी। फिर देखते देखते उस क्षत्राणी ने म्यान से तलवार खीचा और अपनी दोनों बेटियों का सर काट डाला।उसके बाद अरबों द्वारा उनकी काटी जा रही गाय की तरफ और बेटे की ओर अंतिम दृष्टि डाली, और तलवार को अपनी छाती में उतार लिया।
आठ वर्ष का बालक तक्षक एकाएक समय को पढ़ना सीख गया था, उसने भूमि पर पड़ी मृत माँ के आँचल से अंतिम बार अपनी आँखे पोंछी, और घर के पिछले द्वार से निकल कर खेतों से होकर जंगल में भाग गया।
पचीस वर्ष बीत गए। अब वह बालक बत्तीस वर्ष का पुरुष हो कर कन्नौज के प्रतापी शासक नागभट्ट द्वितीय का मुख्य अंगरक्षक था। वर्षों से किसी ने उसके चेहरे पर भावना का कोई चिन्ह नही देखा था। वह न कभी खुश होता था न कभी दुखी। उसकी आँखे सदैव प्रतिशोध की वजह से अंगारे की तरह लाल रहती थीं। उसके पराक्रम के किस्से पूरी सेना में सुने सुनाये जाते थे। अपनी तलवार के एक वार से हाथी को मार डालने वाला तक्षक सैनिकों के लिए आदर्श था। कन्नौज नरेश नागभट्ट अपने अतुल्य पराक्रम से अरबों के सफल प्रतिरोध के लिए ख्यात थे। सिंध पर शासन कर रहे अरब कई बार कन्नौज पर आक्रमण कर चुके थे,पर हर बार योद्धा राजपूत उन्हें खदेड़ देते। युद्ध के सनातन नियमों का पालन करते नागभट्ट कभी उनका पीछा नहीं करते, जिसके कारण मुस्लिम शासक आदत से मजबूर बार बार मजबूत हो कर पुनः आक्रमण करते थे। ऐसा पंद्रह वर्षों से हो रहा था। फिर से सभा बैठी थी, अरब के खलीफा से सहयोग ले कर सिंध की विशाल सेना कन्नौज पर आक्रमण के लिए प्रस्थान कर चुकी है, और संभवत: दो से तीन दिन के अंदर यह सेना कन्नौज की सीमा पर होगी। इसी सम्बंध में रणनीति बनाने के लिए महाराज नागभट्ट ने यह सभा बैठाई थी। सारे सेनाध्यक्ष अपनी अपनी राय दे रहे थे... तभी अंगरक्षक तक्षक उठ खड़ा हुआ...
"और बोला- महाराज, हमे इस बार दुश्मन को उसी की शैली में उत्तर देना होगा।"
महाराज ने ध्यान से देखा अपने इस अंगरक्षक की ओर, बोले- "अपनी बात खुल कर कहो तक्षक, हम कुछ समझ नही पा रहे।" "महाराज, अरब सैनिक महाबर्बर हैं, उनके साथ सनातन नियमों के अनुरूप युद्ध कर के हम अपनी प्रजा के साथ घात ही करेंगे। उनको उन्ही की शैली में हराना होगा।"
महाराज के माथे पर लकीरें उभर आयीं, बोले-
"किन्तु हम धर्म और मर्यादा नही छोड़ सकते सैनिक। "
तक्षक ने कहा-
"मर्यादा का निर्वाह उसके साथ किया जाता है जो मर्यादा का अर्थ समझते हों। ये बर्बर धर्मोन्मत्त राक्षस हैं महाराज। इनके लिए हत्या और बलात्कार ही धर्म है।"
"पर यह हमारा धर्म नही हैं बीर"
"राजा का केवल एक ही धर्म होता है महाराज, और वह है प्रजा की रक्षा। देवल और मुल्तान का युद्ध याद करें महाराज, जब कासिम की सेना ने दाहिर को पराजित करने के पश्चात प्रजा पर कितना अत्याचार किया था। ईश्वर न करे, यदि हम पराजित हुए तो बर्बर अत्याचारी अरब हमारी स्त्रियों, बच्चों और निरीह प्रजा के साथ कैसा व्यवहार करेंगे, यह महाराज जानते हैं।"
महाराज ने एक बार पूरी सभा की ओर निहारा, सबका मौन तक्षक के तर्कों से सहमत दिख रहा था। महाराज अपने मुख्य सेनापतियों मंत्रियों और तक्षक के साथ गुप्त सभाकक्ष की ओर बढ़ गए।
अगले दिवस की संध्या तक कन्नौज की पश्चिम सीमा पर दोनों सेनाओं का पड़ाव हो चूका था, और आशा थी कि अगला प्रभात एक भीषण युद्ध का साक्षी होगा।
आधी रात्रि बीत चुकी थी। अरब सेना अपने शिविर में निश्चिन्त सो रही थी। अचानक तक्षक के संचालन में कन्नौज की एक चौथाई सेना अरब शिविर पर टूट पड़ी। अरबों को किसी हिन्दू शासक से रात्रि युद्ध की आशा न थी। वे उठते,सावधान होते और हथियार सँभालते इसके पुर्व ही आधे अरब गाजर मूली की तरह काट डाले गए।
इस भयावह निशा में तक्षक का सौर्य अपनी पराकाष्ठा पर था।वह घोडा दौड़ाते जिधर निकल पड़ता उधर की भूमि शवों से पट जाती थी। आज माँ और बहनों की आत्मा को ठंडक देने का समय था....
उषा की प्रथम किरण से पुर्व अरबों की दो तिहाई सेना मारी जा चुकी थी। सुबह होते ही बची सेना पीछे भागी, किन्तु आश्चर्य! महाराज नागभट्ट अपनी शेष सेना के साथ उधर तैयार खड़े थे। दोपहर होते होते समूची अरब सेना काट डाली गयी। अपनी बर्बरता के बल पर विश्वविजय का स्वप्न देखने वाले आतंकियों को पहली बार किसी ने ऐसा उत्तर दिया था।
विजय के बाद महाराज ने अपने सभी सेनानायकों की ओर देखा, उनमे तक्षक का कहीं पता नही था।सैनिकों ने युद्धभूमि में तक्षक की खोज प्रारंभ की तो देखा-लगभग हजार अरब सैनिकों के शव के बीच तक्षक की मृत देह दमक रही थी। उसे शीघ्र उठा कर महाराज के पास लाया गया। कुछ क्षण तक इस अद्भुत योद्धा की ओर चुपचाप देखने के पश्चात महाराज नागभट्ट आगे बढ़े और तक्षक के चरणों में अपनी तलवार रख कर उसकी मृत देह को प्रणाम किया। युद्ध के पश्चात युद्धभूमि में पसरी नीरवता में भारत का वह महान सम्राट गरज उठा-
"आप आर्यावर्त की वीरता के शिखर थे तक्षक.... भारत ने अबतक मातृभूमि की रक्षा में प्राण न्योछावर करना सीखा था, आप ने मातृभूमि के लिए प्राण लेना सिखा दिया। भारत युगों युगों तक आपका आभारी रहेगा।"
इतिहास साक्षी है, इस युद्ध के बाद अगले तीन शताब्दियों तक अरबों में भारत की तरफ आँख उठा कर देखने की हिम्मत नही हुई। तक्षक ने सिखाया कि मातृभूमि के लिए प्राण दिए ही नही लिए भी जाते हैं ।
(दोस्तों प्रण लीजिये हमसब वीर तक्षक के रास्तों पर ही चलेंगे)

मंगलवार, 18 अप्रैल 2017

सेक्यूलर नामक जीव कैसे तैयार किया जाता है ?


हिन्दुओं का इतिहास काफी गौरवशाली है और ये कोई धर्म गौरवशाली हिन्दू धर्म के सामने "धूल बराबर भी नहीं" है ! इसीलिए हरामी सेक्युलरों और देश के गद्दारों द्वारा ये महसूस किया गया कि जबतक हिन्दू अपने गौरवशाली इतिहास से अवगत रहेंगे तब तक हिन्दुओं को सेक्यूलर नामक नपुंसक बनाना नितांत असंभव है ! इसीलिए ऐसे गद्दारों ने हमारे स्कूलों के पाठयक्रम को अपना सबसे मजबूत हथियार बनाया ताकि हिन्दुओं के मन में बचपन से ही हीन भावना भरी जा सके और धीरे-धीरे सेक्यूलर नामक नपुंसक हिन्दू में परिवर्तित कर दिया जाए!
इस तरह करते-करते आज स्थिति इतनी दयनीय हो गयी है कि हिन्दू संस्कारों और धर्म की बात करने पर विधवा प्रलाप करने वाले तथा बात-बात पर छाती कूटने वाले सेक्यूलर लोग एवं मीडिया इस बात पर कभी भी छाती कूटते नजर नहीं आते हैं !
आप खुद ही देखें कि हरामी सेक्युलरों और देश के गद्दारों द्वारा स्कूलों में कैसी शिक्षा दी जा रही है और कैसे धीरे-धीरे उन्हें हिंदुत्व से दूर करते हुए उनमे हीन भावना भरकर उन्हें सेकुलर नामक नपुंसक जीव बनाया जा रहा है !
क्या कोई सेक्यूलर या बुद्धिजीवी मुझे इन बातों का तर्कसंगत जबाब दे सकता है कि ऐसा क्यों है.....?
1. जो जीता वही चंद्रगुप्त ना होकर, जो जीता वही सिकन्दर "कैसे" हो गया? (जबकि ये बात सभी जानते हैं कि सिकंदर को चन्द्रगुप्त मौर्य ने बहुत ही बुरी तरह परास्त किया था जिस कारण सिकंदर ने मित्रता के तौर पर अपने सेनापति सेल्युकश कि बेटी की शादी चन्द्रगुप्त से की थी)
2. महाराणा प्रताप "महान" ना होकर अकबर "महान" कैसे हो गया? (जबकि अकबर अपने हरम में हजारों हिन्दू लड़कियों को रखैल के तौर पर रखता था जबकि महाराणा प्रताप ने अकेले दम पर उस अकबर के लाखों की सेना को घुटनों पर ला दिया था)
3. सवाई जय सिंह को "महान वास्तुप्रिय" राजा ना कहकर शाहजहाँ को यह उपाधि किस आधार मिली? (जबकि साक्ष्य बताते हैं कि जयपुर के हवा महल से लेकर तेजोमहालिया {ताजमहल} तक महाराजा जय सिंह ने ही बनवाया था)
4. जो स्थान महान मराठा क्षत्रपति वीर शिवाजी को मिलना चाहिये वो क्रूर और आतंकी औरंगजेब को क्यों और कैसे मिल गया?
5. स्वामी विवेकानंद और आचार्य चाणक्य की जगह गांधी को महात्मा बोलकर हिंदुस्तान पर क्यों थोप दिया गया?
6. तेजोमहालय- ताजमहल, लालकोट- लाल किला, फतेहपुर सीकरी का देव महल-बुलन्द दरवाजा एवं सुप्रसिद्घ गणितज्ञ वराह मिहिर की मिहिरावली (महरौली) स्थित वेधशाला- कुतुबमीनार क्यों और कैसे हो गया?
7. यहाँ तक कि राष्ट्रीय गान भी संस्कृत के वन्दे मातरम की जगह गुलामी का प्रतीक "जन-गण-मनहो गया" कैसे और क्यों हो गया?
8. और तो और हमारे अराध्य भगवान् राम, कृष्ण तो इतिहास से कहाँ और कब गायब हो गये पता ही नहीं चला आखिर कैसे?
9. हद तो यह कि हमारे अराध्य भगवान राम की जन्मभूमि पावन अयोध्या भी कब और कैसे विवादित बना दी गयी हमें पता तक नहीं चला !
कहने का मतलब ये है कि हमारे दुश्मन सिर्फ बाबर, गजनवी, लंगड़ा तैमूरलंग ही नहीं हैं बल्कि आज के सफेदपोश सेक्यूलर भी हमारे उतने ही बड़े दुश्मन हैं जिन्होंने हम हिन्दुओं के अन्दर हीन भावना भर हिन्दुओं को सेक्यूलर नामक नपुंसक बनाने का बीड़ा उठा रखा है !
ये वही लोग हैं जो हर हिन्दू संस्कृति को भगवा आतंकवाद का नारा देते हैं और नरेन्द्र भाई मोदी जैसे हिंदूवादी और देशभक्त को आगे बढ़ने से रोकना चाहते हैं ताकि उनके नापाक मंसूबे हमेशा पूरे होते रहें !
लेकिन चाहे कुछ भी हो जाए हमलोग उनके ऐसे नापाक मंसूबों पर पानी फेरते हुए हिन्दुस्थान को हिन्दुराष्ट्र बना कर ही रहेंगे !
मित्रो इस पोस्ट को सेकुलरो की कान आँख तक पहुचायें..

उत्तरप्रदेश के समाजवादी सरकार की लेट लतीफी और भ्रष्टाचार पर बीजेपी का चलता हुआ हंटर

एक पत्थर की कीमत 900 रुपये और पेरिस से मंगवाए गए एक पेड़ की कीमत मात्र 1 करोड़ 69 लाख रुपये.............. 
उत्तर प्रदेश में निर्माणाधीन जय प्रकाश नारायण इंटरनैशनल कन्वेंशन सेंटर प्रॉजेक्ट के निरीक्षण के दौरान सामने आई जानकारी

दोपहर 2.20 बजे का वक्त। 40 डिग्री सेल्सियस के करीब तापमान। गर्म हवाओं के बीच योगी सरकार में राज्यमंत्री सुरेश पासी, जय प्रकाश नारायण इंटरनैशनल कन्वेंशन सेंटर प्रॉजेक्ट का निरीक्षण करने पहुंचे। गाड़ी से उतरते ही मंत्री ने प्रॉजेक्ट की रिपोर्ट मांगी। एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह ने दो पन्ने पकड़ाए। मंत्री ने पन्ने देखे और और पुलिंदा बनाकर पकड़ लिया। गेस्ट हाउस ब्लॉक की तरफ बढ़े और वीसी से पूछा कि लिफ्ट चलने लगी? वीसी खामोश रहे। एक्सईएन बीपी मौर्या ने जवाब दिया-नहीं सर। मंत्री ने नजर उठाकर 18 मंजिली निर्माणाधीन बिल्डिंग को देखा और कहा- चलो सीढ़ियों से चलकर निरीक्षण करेंगे।
मंजिलें बढ़ती गईं, अधिकारी घटते गए
पहली, दूसरी और तीसरी मंजिल तक एलडीए वीसी सत्येंद्र सिंह, सचिव अरुण कुमार सहित करीब 20 इंजिनियरों का काफिला मंत्री के साथ रहा। तीसरी मंजिल पर मंत्री ऑडिटोरियम की छत पर रुके। गुस्से में अफसरों से मुखातिब हुए। 'क्या समझते हो लिफ्ट नहीं सही होगी तो हम हकीकत नहीं देख पाएंगे'। मंत्री ने दोबारा सीढ़ियों का रुख किया तो सचिव अरुण कुमार और एक्सईएन एके सिंह हांफते हुए रुक गए। पसीना पोछते हुए वीसी, इंजीनियरों के साथ आगे बढ़े।
पांचवी मंजिल पहुंचने पर वीसी ने पीछे मुड़कर देखा तो इंजीनियर कम हो गए थे। बुरी तरह हाफ रहे वीसी भी जीने की रेलिंग पकड़कर खड़े हो गए। मंत्री मंजिल-दर-मंजिल चढ़ते रहे और इंजिनियर कम होते रहे। कोई बुरी तरह हांफ रहा था तो किसी की धड़कन बढ़ गई थी। कुछ इंजिनियरों ने कहा कि उनका बीपी बढ़ गया तो कुछ ने कहा कि वह हार्ट के मरीज हैं। दवा नीचे गाड़ी में छूट गई है। मंत्री 17 वीं मंजिल पर पहुंचे तो उनके साथ सिर्फ विद्युत यांत्रिक चीफ इंजिनियर डीपी सिंह थे। पता चला कि प्रभारी एक्सईएन बीपी मौर्या धीरे-धीरे आ रहे हैं। 7 मिनट बाद एक्सईएन बीपी मौर्या हांफते हुए 17वें फ्लोर पर पहुंचे, लेकिन उनके पास मंत्री के सवालों के जवाब नहीं थे। इस दौरान कई एक्सईएन ने वहां काम कर रहे मजदूरों से मांगकर पानी पिया।
'झूठ उजागर करने को 18 मंजिल चढ़ा'
18 वीं मंजिल पर बने हेलिपैड पर राज्यमंत्री ने सवाल किए तो कोई जिम्मेदार अधिकारी वहां था ही नहीं। इस पर मंत्री ने विद्युत यांत्रिक चीफ इंजिनियर डीपी सिंह से कहा कि सीएम की समीक्षा में आप लोगों ने कहा था कि 85 प्रतिशत काम पूरा हो गया है। लेकिन काम तो 50 प्रतिशत भी पूरा नहीं हुआ है। डीपी सिंह ने बताया कि उनकी रिपोर्ट प्रॉजेक्ट में हुई खरीद के आधार पर बनी थी। मंत्री ने कहा कि आपके भुगतान कर देने से प्रॉजेक्ट नहीं पूरा हो जाता। आप लोगों का झूठ उजागर करने के लिए ही मैं सीढ़ियां चढ़कर आया हूं।
'900 का पत्थर, एक करोड़ का पेड़'
नीचे उतरने के बाद सुरेश पासी ने जेपीएनआईसी गेस्ट हाउस का मुआयना किया। वहां लग रहे लाल रंग के पत्थर पर राज्यमंत्री, आवास ने वीसी सत्येंद्र सिंह से सवाल पूछा। वीसी से पूछने पर एक्सईएन ने बताया कि यह पत्थर वियतनाम से मंगवाया गया है। एक पत्थर की कीमत 900 रुपये है। सोलर ट्री के बारे में एलडीए इंजिनियरों ने बताया यह पेड़ पेरिस से मंगवाया गया है। एक पेड़ की कीमत 1 करोड़ 69 लाख रुपये है। मंत्री ने इसे पैसे की बर्बादी और एलडीए अधिकारियों की साठगांठ करार दिया।

बुधवार, 12 अप्रैल 2017

मुझे मूर्ति पूजा पर विश्वास कब और कैसे हुआ ?

आज अपने मन की एक गुप्त सच्चाई लिखता हूँ ! 
मैं सुरु से ही मूर्ति पूजा में विश्वास नहीं करता था ! हालांकि की बड़े बुजर्गो की नक़ल करके  बचपन से ही अपने गाँव के शिव मंदिर में शिव जी को जल अवश्य अर्पित करता था पर सिर्फ दिखावे के लिए ! बड़े बुजुर्गो के कहने पर  रोज हनुमान चालीसा का पाठ करता था बचपन से सिर्फ अंदर के भय से लड़ने के लिए ! पर मुझे मूर्ति पूजा पर विश्वास हुआ सन  नवम्बर 1995 से ! 


दरअसल 1995 की शीतकालीन  नवरात्रि के समय पत्नी जी गर्भवती थी  ! नवरात्री में माँ चामुंडा के दर्शन करने की जिद किया, क्योकि उस समय पर लगभग आठ माह से अधिक  का गर्भ था, मैं ऊंची पहाड़ी पर इन्हे नहीं ले जाना चाहता था पर इनकी जिद के आगे झुक गया और बहुत ही मुश्किल से माता जी के दरबार में पहुंचा ! रस्ते में जो भी पत्नी जी को ऐसी हालत में देखता वही मुझे शिकायत भरी नजरो से देखता ! एक माता जी ने तो मुझे बहुत डाटा पत्नी को  इस स्थित में मंदिर लाने के लिए  
 माता जी के दरबार   के सामने सच्चे  मन ही मन एक पुत्र  की याचना किया क्योकि एक लड़की पहले से ही थी  ! और परिक्रमा मार्ग में पत्थर के छोटे छोटे टुकड़े से एक घर बनाया और माता जी से  याचना किया की मेरा पुत्र अपने ही घर में बकोईयां करे  (घुटनो के बल रेंगे) ! (उस समय मैं किराए के मकान में रहता था) !  बड़ी मुश्किल से कई जगह बैठ बैठ कर पत्नी जी को पाहडी से नीचे लाया ! 
समय बीता और 20  नवम्बर 1995 को मेरे यहाँ पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई ! और माता जी पर विश्वास बढ़ गया ! मेरे ही गाँव के एक कालोनाइजर टी. पी. तिवारी जी और सरस्वती ज्ञान पीठ  स्कूल के संचालक प्रेमनाथ तिवारी जी बालक को देखने आये और किराए के मकान में मुझे देखकर मकान बनाने की पेशकस किया तो मैं आर्थिक तंगी का हवाला देकर मना कर दिया ! तो ओ LIC हाउसिंग फाइनेस  से लोन करवा कर मकान बनाने की बात किया तो मैं सहर्ष तैयार हो गया ! 
मेरे जैसे कम वेतन वालों को LIC लोन नहीं देती थी पर माता जी का कमाल देखिये 9 दिसंबर 1995 को  मेरा लोन सेंसन हो गया और 12  जून 1996  को मैं अपने निजी मकान में रहने चला गया ! 
बस उस दिन के बाद मुझे मूर्ति पूजा में पूर्ण विश्वास हो गया ! माँ चामुंडा- माँ तुलजा भवानी की जय !