मंगलवार, 26 अगस्त 2014

लव जेहाद में ब्लू फिल्म और कोर्ड वर्ड का गहरा कनेक्शन

 लव जेहाद का असल मतलब भले ही मुस्लिम लड़कों का गैर मुस्लिम लड़कियों से इश्‍क करना, निकाह करना और उसका धर्म बदलवाना हो मगर इसका मकसद प्‍यार के नाम पर जेहादी लड़कियों की फौज खड़ी करना है। सीधे शब्‍दों में कहें तो इन दो शब्‍दों में इर्द-गिर्द आतंकियों ने हिंदुस्तान को बर्बाद करने का जाल बुन लिया है। जिस तरह आतंकी अपने मिशन को अंजाम देने के लिए तरह-तरह -तरह के कोड वर्ड का प्रयोग करते हैं उसी तरह लव जेहाद के भी दो कोडवर्ड होते हैं- लव कृष्‍णा और लव जीजस।लव कृष्‍ण का मतलब होता है हिंदू धर्म मानने वाली लड़कियों को प्‍यार के जाल में फंसाना तो वहीं लव जीजस का मतलब होता है ईसाई धर्म मामने वाली लड़कियों को फर्जी मोहब्‍बत के जाल में फंसाना। आप सुनकर हैरान हो जायेंगे कि लव जेहाद की नींव स्‍कूल, कॉलेजों और कोचिंग संस्‍थानों के आसपास डाली जा रही है। शिकार तलाशने के लिए ठीक-ठाक दिखने वाले लड़कों जो कॉलेज जाते हों, फर्राटेदार अंग्रेजी बोलते हो और पैसे वाले परिवार से संबंध रखते हो का सहारा लिया जा रहा है।
ऐसे लड़कों को आतंकवादी नेटवर्क महंगी गाडि़यां, कपड़े और पैसे सप्‍लाई करते हैं। सूत्रों की मानें तो लव जेहाद के लिए लड़कियों को तैयार करने के काम में उतरे ज्यादातर लड़के सिमी और दूसरे प्रतिबंधित संगठनों के हैं। जो जितनी जल्दी कामयाब होता है उसे इतना बड़ा इनाम भी दिया जाता है। जानकारी के मुताबिक लड़कियों को जाल में फांसने के लिए बाकायदा एक मैनुअल भी तैयार कर लिया गया है।

  • लड़कियों के कॉलेज, हॉस्टल और मॉल के आसपास घूमते रहें ताकि आसानी से लड़कियों से दोस्ती गांठी जा सके।
  • लड़कियों को प्यार में इस कदर पागल कर दें कि वो आपकी कोई बात ठुकरा ना सकें।
  • लड़कियों से दोस्ती बढ़ाने के लिए मोबाइल और इंटरनेट का भी इस्तेमाल करें।
  • कॉलेज और हॉस्टल के आसपास मोबाइल रिचार्ज कराने वाली जगहों पर जरूर जाएं।
  • इंटरनेट कैफे में भी लड़कियों से दोस्ती करने की कोशिश करें।
  • किसी भी तरह लड़कियों का मोबाइल नंबर हासिल करें ताकि उन्हें फोन और एसएमएस किया जा सके।
लड़की की बनायी जाती है ब्‍लू फिल्‍म
मोबाइल कॉल और एसएमएस लव जेहाद का शुरुआती हथियार है। आतंकवादियों को सोशल नेटवर्किंग साइट पर चैट करना भी सिखाया जा रहा है। कोशिश ये साबित करने की कि लड़का हर मायने में अच्छा है। आतंकियों को ये भी ताकीद की गई है कि अगर किसी लड़की के पास मोबाइल फोन ना हो तो दोस्ती गांठने के बाद सबसे पहले उसे मोबाइल फोन तोहफे में दें और इसके बाद महंगे गिफ्ट्स का सिलसिला। कपड़े...परफ्यूम.. और फिर पिकनिक ।

लड़का-लड़की के साथ पिकनिक जाता है और वहीं उसका अश्लील वीडियो बना लिया जाता है, फिर तो लड़की मुट्ठी में। लड़की को घर से भागने पर मजबूर कर दिया जाता है। इसके बाद उसका धर्म परिवर्तन और फिर उसके दिमाग को सम्मोहित करने की मुहिम। इसके बाद एक साथ दो बातें होती हैं लड़की का कथित शौहर अचानक गायब हो जाता है और उसके दोस्त कहते हैं कि वो तो जेहाद के लिए चला गया है, अब तुम भी जेहाद के लिए काम करो। यहां से शुरू होता है लव जेहाद। उसे इस्लाम के नाम पर भड़काया जाता है। भड़काऊ सीडी दिखाई जाती है ताकि एक भले चंगे दिलोदिमाग में जहर भर जाए।
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(अंकुर कुमार श्रीवास्‍तव)। 

लव जिहाद की पहली सुगबुगाहट कर्नाटक राज्य से तब उठना शुरू हुई जब कर्नाटक के विभिन्न हिस्सों से पुलिस को एक लम्बे समय से शिकायतें मिल रही थीं कि एक विशेष सम्प्रदाय के लड़के हिन्दू लड़कियों से प्रेम विवाह करके उनका धर्म परिवर्तन करा रहे हैं और यह सब एक सोची समझी साजिश के तहत किया जा रहा है  जिन लड़कियों ने धर्म परिवर्तन से इंकार किया उन्हे शारीरिक व मानसिक प्रताड़नाएँ दी जा रही हैं  पुलिस के सामने उन कई लड़कियों के बेहरमी से कत्ल के केस भी आये जिन्होने सम्प्रदाय विशेष के युवकों के साथ प्रेम विवाह किया है
मामले ने तूल पकड़ा  कर्नाटका हाईकोर्ट में एक याचिका प्रस्तुत की गई  2009 में कर्नाटक हाइकोर्ट ने CID पुलिस को जाँच के आदेश दिये तो बड़े ही चौंकाने वाले तथ्य सामने आये । CID ने अपनी रिपोर्ट में हाइकोर्ट को सूचित किया कि पिछले पाँच साल से वर्ष 2009 तक 3000 से ज्यादा हिन्दू लड़कियों से प्रेम विवाह कर के मतान्तरण किया गया है । समुदाय विशेष के युवक जिन्होने प्रेम विवाह किया उनमें से अधिकांशत: किसी न किसी धार्मिक संस्थानों से जुड़े हैं जिनको धर्म प्रसार के नाम पर फण्ड खाड़ी देशों से उपलब्ध किया जा रहा है । एक बात जो खास थी कि कुछ धर्मान्तरण करने वाली लड़कियाँ सदैव के लिए भारत छौड़ कर पाकिस्तान,कुवैत और कतर जाकर बस गयी हैं ।


26 जून 2012 को पूरे भारत का हिन्दू समुदाय उस समय स्तब्ध रह गया जब केरल विधान सभा में एक प्रश्न के लिखित जबाब के रूप में कांग्रेसी मुख्यमंत्री ओमान चांडी ने बताया कि केरल के सभी 14 जिलों में लव-जेहाद अपने चरम पर है । पिछले पाँच सालों में करीब चार हजार से भी ज्यादा हिन्दू महिलाओं का धर्मान्तरण प्रेम विवाह के माध्यम से करवाया गया है । इस बावत् केरला सरकार ने एक रिपोर्ट भी पेश की जिसमें उल्लेख था कि इस किस्म के धर्मान्तरण के निशाने पर हिन्दू व ईसाई समुदाय की महिलाएँ है । खाड़ी देशों से वित्त पोषित एक समुदाय विशेष की धर्म प्रचार संस्थाएँ इन सब में संलिप्त हैं ।

यह खुलासा सनसनी पैदा करने वाला इसलिए भी था क्यों कि हिन्दूवादी संगठनों के अलावा पहली बार कोई कांग्रेसी और एक राज्य का मुख्यमंत्री विधान सभा में यह स्वीकार कर रहा है कि "लव-जिहाद" नामक शब्द व्यर्थ नहीं गड़ा गया । पश्चिम बंगाल, बिहार, झारखण्ड और उत्तर प्रदेश लव-जिहाद के नये अखाड़े बन चुके हैं जहाँ से आये दिन लव-जेहाद के विचित्र प्रकार के मामले सामने आ रहे हैं।

इलाहाबाद हाइकोर्ट के न्यायाधीश श्री राकेश शर्मा ने एक खुफिया पुलिस रिपोर्ट पर टिप्पणी करते हुए माना कि लव-जेहाद वास्तविक और जमीनी रूप से मौजूद है जिसे नकारा नहीं किया जा सकता । एक खास समुदाय द्वारा बहुसंख्यक समुदाय की लड़कियों से प्रेम विवाह द्वारा धर्मान्तरण करवा कर अपनी जनसंख्या आश्चर्यजनक रूप से बढ़ाना और बहुसंख्यक समुदाय के लिंगानुपात को बिगाड़ कर सांस्कृतिक व धार्मिक रूप से कमजोर बनाना इसका मुख्य उद्देश्य है ।

अब तारा शाहदेव का मामला ऑन-फ्लोर है जिससे लव-जेहाद का मुद्दा फिर से भड़क गया । इन सभी तथ्यों को दरकिनार कर कांग्रेस, आप, जद-यू, सपा, बसपा, तृणमूल टाईप मुस्लिम निष्ठ पार्टियों को ''सेक्युलरी चुन्ने '' काट रहे हैं  जो इसे बीजेपी और हिन्दूवादी संगठनों का प्रौपेगैण्डा बता रहीं हैं  जिन्हे ''हरे-हरे वोटों'' के आगे यह समझ नहीं आ रहा कि ये कोई चुनावी मुद्दा नहीं है बल्कि एक संस्कृति पर सोची-समझी रणनीति के तहत पूरा का पूरा हमला है ।


लव-जिहाद जैसे घिनौने चक्रव्यूह की तह तक पहुँचने के लिए दृड़ संकल्प चाहिए जो इन पार्टियों में है ही नहीं । लव-जिहादियों की ढ़ाल बनकर खड़ी ये शेखुलर पार्टियाँ वास्तविक तथ्यों को कभी भी सामने नहीं आने देंगी इसलिए इसके विरूद्ध लड़ने का एकमात्र उपाय " उपरोक्त जानकारी ही बचाव" है ।

सोमवार, 25 अगस्त 2014

किस किस बीजेपी नेता की बेटी ने मुस्लिम से शादी की है ?

आजकल आपीए और कांग्रेसी एक प्रोपेगेंडा फैलाते है ... जिसमे लिखा होता है फलाने फैलाने बीजेपी के नेताओ की बरतियो ने मुस्लिमो से शादी किया  है 

आप सच्चाई जाने

1--अशोक सिंघल जी ने शादी नहीं की है वे ब्रह्मचारी है....उनकी कोई ओलाद नहीं है...फिर अशोक सिंघल जी की बेटी की शादी किसी मुस्लिम से होने का कोई सवाल ही पैदा नही होता ..

2...मुख्तार अब्बास नकवी की बीबी का नाम सीमा नकवी है जो एक साधारण हिन्दू पिता और मुस्लिम माँ की सन्तान है ..

आपियो का झूट3--मुरली मनोहर बेटी की शादी एक मुस्लिम से हुई है ... महाझूठ ....जोशी जी की बेटी कि शादी अलाहाबाद के हिन्दू घराने में हुई है

4....शहनवाज हुसैन की पत्नी एक हिन्दू रेनू शर्मा है जो एक प्रसिद्द टीचर है और उन्होंने इस्लाम कुबूल नही किया है आज भी उनके घर हिन्दू त्योहार मनाये जाते है

5--झूठ नम्बर पांच ---नरेंद्र मोदी जी की भतीजी की शादी एक मुस्लिम से हुई है ... हा हा हा ये केजरू खुद तो झूठा है और अपने समर्थको को झूठ फ़ैलाने की प्रेरणा देता है .. मोदी जी की सिर्फ दो भतीजीओ की शादी हुई है और दोनों के पति एक साधारण हिन्दू है

6--लाल कृष्णा अडवानी की बेटी ने नहीं बल्कि उनके बड़े भाई की बेटी यानी भतीजी ने अपनी दूसरी शादी प्रेम विवाह के रूप में मुल्ले से की थी... फिर सात महीने के बाद तलाक हो गया

7--सुब्रमन्यम स्वामी जी की लड़की ने अवश्य प्रेम विवाह किया मुस्लिम से ... सुहासिनी स्वामी लन्दन में पढती थी और वही पूर्व विदेश सचिव सलमान हैदर का बेटा नदीम हैदर भी पढ़ता था .. और दोनों में प्रेम हो गया ...मगर उसने इस्लाम कबूल नहीं किया है....आज भी उनकी लडकी एक हिन्दू धर्म को मानती है और अपने पति को भी हिन्दू बना चुकी हैशादी Civil Marriage Boston,US में हुवी फिर भारत में Re-Register हुवा उनको एक बेटा है प्रतीक नामक....जिसे धर्म आज तक हिन्दू धर्म है और उसका आज तक खतना भी नहीं हुआ है!

8--बाला साहेब ठाकरे जी की पोती ने किसी मुस्लिम से शादी नहीं की बल्कि एक गुजराती लोहाना परिवार में शादी हुई गई है...सामना के सम्पादक प्रेम शुक्ल ने कई बार उस लडके के पुरे खानदान का विवरण दे चुके है ... .असल में सबसे पहले एक पाकिस्तानी अख़बार और टीवी चैनेल ने ये झूठ चलाया फिर बिना सच्चाई जाने भारत के कुछ बेबपोर्टल और आम आदमी पार्टी के नेता इस झूठ को फ़ैलाने लगे ... उसी चैनेल ने कुछ समय पहले खबर दिया था की गायक हंस राज हंस ने इस्लाम कुबूल कर लिया है .. जबकि हंस राज हंस ने कहा की वो एक कट्टर सिख है और उनके बारे में झूठी खबर फैलाई गयी है

मित्रो, ये दोगले आम आदमी पार्टी के बीस हजारी ई नरेगा वाले मजदूरो का जन्म किसी हिन्दू वीर्य से नही हुआ है वरना ये दोगले बिना सच्चाई जाने इस झूठ की नही फैलाते | 


Note---:फेसबुक में जीतेन्द्र प्रताप सिंह जी के वाल से साभार ।

मंगलवार, 5 अगस्त 2014

भारतीय जनता पार्टी को वंशवाद से बचना चाहिए




प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी जी भले देश की राजनीति को वंशवाद से मुक्त करने के प्रयासों में जुटे हों लेकिन उनकी पार्टी भाजपा के ही नेता गाहे-बगाहे ऎसे बयान दे जाते हैं जिसमें वंशवाद की बू नजर आती है । ताजा मामला केन्द्रीय मंत्री मेनका गांधी का है जो चाहती है  कि उनके पुत्र वरूण गांधी सबसे बड़े राज्य उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री का पदभार संभालें । लोकतंत्र में किसी भी नेता को किसी पद पर बिठाने का दारोमदार मतदाताओं पर है । माताओ पर नहीं ।
जैसे कांग्रेस हो या भाजपा अथवा अन्य दल, वंशवाद की लम्बी फेहरिस्त हर जगह है । कार्यकर्ताओं में प्रोत्साहित करने का मंत्र फूंका जाता हो लेकिन जमीनी हकीकत किसी से छिपी नहीं । किसी नेता का पुत्र होना कोई अयोग्यता नहीं मानी जा सकती लेकिन राजनीति में सिर्फ रिश्तेदारी को ही महत्व क्यों मिले ? लालबहादुर शास्त्री, अटल बिहारी वाजपेयी, पी.वी. नरसिम्हाराव, चन्द्र शेखर और नरेन्द्र मोदी समेत तमाम नेताओं को राजनीति विरासत में नहीं मिली बल्कि उन्होंने संघर्ष  करके यह मुकाम हासिल किया ।
वरूण गांधी जी  उत्तर प्रदेश से दूसरी बार लोकसभा के लिए चुने गए हैं । भाजपा की राजनीति में वरूण सक्रिय हैं, युवा हैं, उत्साही भी हैं लेकिन उनकी यही खूबी क्या मुख्यमंत्री पद की योग्यता के लिए पर्याप्त है ? उत्तरप्रदेश पहले  से ही पहले ही इस वंसवादी राजनीती के कारण एक अयोग्य और अनुभवहीन मुख्यमंत्री को ढो रहा है ।  उत्तर प्रदेश भाजपा में तमाम ऎसे नेता होंगे जो योग्यता में वरूण से आगे होंगे । भारतीय राजनीति में अच्छे लोग खासकर युवा पीढ़ी इसलिए नहीं जुड़ पा रही है क्योंकि वह जानती हैं कि युवाओं के नाम पर यहां बड़े नेताओं के पुत्र-पुत्रियों अथवा रिश्तेदारों को ही प्रोत्साहन मिलता है । और जमीनी कार्यकर्ताओ की अनदेखी की  जाती है और यह रोग सभी राजनैतिक दलों में लगा हुआ है ।

राजनीतिक दलों के ढांचे पर नजर डाली जाए तो स्पष्ट होता है कि आज ''भारतीय जनता पार्टी और वामपंथी दलों'' को छोड़कर अधिकांश राजनीतिक दल एक व्यक्ति अथवा एक परिवार की छत्र छाया में फल-फूल रहे हैं । सेवाभाव की बजाय राजनीति व्यवसाय का रूप लेती जा रही है जो चिंता का विषय  है । राजनीति को वंशवाद अथवा परिवारवाद से मुक्त करना है तो भाषणो  की बजाय यथार्थ में ऎसा करके दिखाना होगा ताकि अच्छे युवा राजनीति से जुड़ने के लिए प्रेरित हो सकें । इसके लिए वरिष्ठ नेताओं को परिवारवाद के मोह से ऊपर उठना होगा, राजनीति की दशा और दिशा में सुधार की उम्मीद तभी बलवती होगी । मेनका गांधी और ऎसी इच्छा रखने वाले सभी नेताओं को अपनी सोच में बदलाव लाना होगा । ऎसा करना मुश्किल जरूर है लेकिन असंभव तो नहीं ।
यदि भाजपा भी वंसवाद की राजनीती की तरफ चल पडी तो अपनी विशेष पहचान खो सकती है । अतः मोदी जी को सावधान और सतर्क रहना होगा । अब मेनका जी तो माँ है , पर मेनका जी को एक नेक सलाह देता हु । जेठानी (सोनिया गांधी) नहीं बने । 

शुक्रवार, 1 अगस्त 2014

क्या हम सभी धूर्तो के शिकार है ?

धूर्त और धूर्तता के बारे में तो आपने पढ़ा ही होगा,छठी-सातवीं शताब्दी के साहित्य में जोरदार रचनाएं मिलती हैं जिन्हें पढ़ कर लगता है कि हमारे पूर्वज कितने बड़े ''मनोविज्ञानी'' थे। उन किस्से, कहानियों और नाटकों में एक से बढ़कर एक धूर्त पात्र मिलते हैं। इससे एक बात तो साफ है कि धूर्तता आदमी के स्वभाव में तब से ही विद्यमान थी जब से वह इस धरती पर पैदा हुआ है । लेकिन तब की धूर्तता और आज की धूर्तता में बहुत बड़ा अन्तर है ।

तब जनसंख्या इतनी नहीं थी । जिन्दगी एकदम सहज थी और धूर्त की पहचान शीघ्र ही कर ली जाती थी लेकिन आजकल तो पता ही नहीं चलता कि कौन धूर्त है और कौन शरीफ व ईमानदार । देश के एक जाने-माने अरबपति-खरबपति महाशय जेल में बैठे हैं । वे जेल में नेताओं की बदौलत नहीं हैं क्योंकि ये जनाब नेताओं, अभिनेताओं, नामी खिलाडियों और खबरनवीसों को तो अपनी जेब में रखते हैं । यह तो भला हो न्यायालयों का, जिनकी कुशलता से वे इस हालत में कई दिनों से वहां रहने को विवश हैं । हालांकि नेताओं का बस चले तो वे पल भर में उन्हें मुक्त करवा उनकी चरणरज माथे पर लगाने लगें ।

धूर्तता का ही परिणाम है कि आज जनता मारी-मारी फिरती रहती है और उसके दुखड़े सुनने वाला कोई नहीं है । यह तो मुखर मध्य वर्ग है जो कि जरा-सी असुविधा होने पर ही रोना-पीटना मचा देता है जिससे सरकारें भीर चौकन्नी हो जाती है वरना गरीब का तो कोई ''धणी-धोरी'' ही नही है । धूर्तो ने मिलकर अपना-अपना एक "संगठन" बना लिया है जिसके अंदर वे एक-दूसरे को सहलाते-दुलारते रहते हैं । अब मैं यहाँ उस संगठनो का नाम नहीं लिखुगा क्योकि मुझे भी अपने परिवार को पालना -पोसना है ,उन्हें सुरक्षा देना है  । वैसे पाठक गण उन सभी धूर्त संगठनो को समझ ही गए होगे  ।

धूर्त अपना काम निकालने के लिए धूर्तता का सहारा लेते हैं । एक धूर्त दूसरे धूर्त का काम तुरंत कर देता है क्योंकि वह जानता है कि आज उसका काम पड़ा है कल मेरा भी तो इससे पड़ सकता है । यही कारन है की ये धूर्त संगठन वाले दिखावा करते है आपसे लड़ाई का । कहने को तो सरकार न जाने कौन-कौन सी सुविधाओं की जब-तब घोषणा  करती रहती है पर सारी घोषनाये  धूर्तो को भेंट चढ़ाने से पहले आम जन को नहीं मिल पाती । अब रोते रहो इनके नाम को । पता नहीं धूर्तो का यह तंत्र कब जाकर कैसे टूटेगा । धूर्त जनता को बेवकूफ बना कर करोड़ों इकटा करके नौ दो ग्यारह हो जाते हैं और जनता हैरत से उन्हें ताकती रह जाती है । मजे की बात कि सोमनाथ से बद्रीनाथ और अमरनाथ से कन्याकुमारी तक धूर्तो का महाजाल फैला हुआ है । गरीब का कहीं कोई ''धणी-धोरी'' नहीं दिखता ।

वैसे जब से मोदी सरकार आई है तब से धूर्तो की दाल गलना बंद हो गई । अब ये तो समय ही बताएगा की नरेंद्र मोदी जी इन धूर्तो के नकेल कस पायेगे या धूर्तो की जमात में शामिल हो जायेगे ?