सवाल : असली मोदी कौन, हिंदू नेता या कारोबार समर्थक मुख्यमंत्री?
मोदी ने कहा : मैं देशभक्त हूं। राष्ट्रभक्त हूं। मैं जन्म से हिंदू
हैं। इस तरह मैं हिंदू राष्ट्रवादी हूं। जहां तक काम के प्रति जुनूनी जैसी
बातें हैं, तो ये उनकी हैं जो ये कह रहे हैं। इसलिए दोनों का कोई विरोध
नहीं है। यह एक ही है।
प्रश्न : लोग आपको अब भी 2002 के दंगों की नजरों से देखते हैं, क्या झुंझलाहट नहीं होती?
उत्तर : लोगों को आलोचना का अधिकार है। यहां हर किसी का अपना
दृष्टिकोण है। मुझे परेशानी तब होती, जब मैंने कुछ गलत किया होता। झुंझलाहट
तब होती, जब आप सोचते हैं कि मैं पकड़ा गया।
प्रश्न : 2002 में जो कुछ हुआ उस पर आपको अफसोस है?
उत्तर : भारत का सुप्रीम कोर्ट दुनिया में अच्छी अदालत के तौर पर जाना
जाता है। सुप्रीम कोर्ट के बनाए विशेष जांच दल (एसआईटी) की रिपोर्ट में
मुझे पूरी तरह क्लीनचिट दी गई। इससे अलग एक बात... कोई भी व्यक्ति जो कार
ड्राइव कर रहा हो और हम पीछे बैठे हों। कुत्ते का एक छोटा बच्चा पहिए के
नीचे आ जाए तो दुख होगा कि नहीं? जरूर दुख होगा। मैं मुख्यमंत्री हूं या
नहीं, लेकिन मैं एक इंसान हूं... यदि कहीं कुछ बुरा होता है तो यह
स्वाभाविक है कि बुरा लगेगा।
प्रश्न : लेकिन क्या आप समझते हैं कि 2002 में आपने सही किया?
उत्तर : बिलुकल। ईश्वर ने जितनी बुद्धि दी, जो भी मेरा अनुभव था और उन
परिस्थितियों में जो संभव था वह मैंने किया। एसआईटी ने भी यही कहा।
प्रश्न : भारत को सेकुलर लीडर चाहिए?
उत्तर : जरूर... लेकिन सेकुलरिज्म की परिभाषा क्या हो? मेरे लिए
धर्मनिरपेक्षता है इंडिया फस्र्ट। मेरी पार्टी की फिलॉसफी है ‘सभी के लिए
न्याय, तुष्टिकरण किसी का नहीं’।
प्रश्न : अल्पसंख्यकों से वोट कैसे मांगेंगे?
उत्तर : हिंदुस्तान के नागरिक वोट करते हैं। हिंदू और मुस्लिम, मैं
इसे बांटने के पक्ष में नहीं हूं। मैं इस पक्ष में भी नहीं हूं कि हिंदू और
सिख को बांटा जाए। सभी नागरिक, वोटर मेरे देश के लोग हैं। धर्म आपके
लोकतांत्रिक प्रकिया का हिस्सा नहीं होना चाहिए।
प्रश्न : विरोधी कहते हैं आप तानाशाह हैं, समर्थक कहते हैं निर्णायक नेता हैं। असली मोदी कौन है?
उत्तर : आप खुद को नेता कहते हैं तो आपको निर्णायक होना होगा। आप
निर्णायक हैं तो आपके नेता बनने की संभावना अधिक है। लोग उनसे निर्णय चाहते
हैं। तभी वह नेता स्वीकार्य होता है। यह गुण है, इसे बुरा नहीं मानना
चाहिए। दूसरी बात यह है कि यदि कोई व्यक्ति तानाशाह है तो वह कई वर्षों तक
सरकार कैसे चला सकता है।
सवाल : सहयोगी आपको विवादित मानते हैं?
उत्तर : इस बारे में अब तक मेरी पार्टी या मेरे सहयोगी दलों में से
किसी का भी औपचारिक बयान न मैंने सुना है और न ही पढ़ा है। मीडिया में ऐसी
बातें आती होंगी। लेकिन यदि आप किसी का नाम बताएं तो मैं इस सवाल का जवाब
दे सकता हूं।
प्रश्न : आपकी पार्टी के लोग ही कहते हैं कि आप धु्रवीकरण करते हैं?
उत्तर : यदि अमेरिका में डेमोक्रेट और रिपब्लिकन के बीच ध्रुवीकरण न
हो तो लोकतंत्र कैसे काम करेगा? यह होना ही है। यह लोकतंत्र की बुनियादी
प्रवृत्ति है। यदि सब लोग एक ही दिशा में जाने लगे तो क्या आप इसे लोकतंत्र
कहेंगे?
सवाल : कहा जाता है आप आलोचना पसंद नहीं करते।
उत्तर : मैं हमेशा कहता हूं कि लोकतंत्र की ताकत ही आलोचना है। यदि
आलोचना नहीं है तो इसका मतलब है कि लोकतंत्र नहीं है। और यदि आप बढऩा चाहते
हैं तो आलोचना को जरूर आमंत्रित करिए। और मैं उन्नति चाहता हूं, मैं
आलोचनाओं को आमंत्रित करता हूं। लेकिन मैं आरोपों के खिलाफ हूं। आलोचना और
आरोपों के बड़ा फर्क है। आलोचना के लिए आपको रिसर्च करना होगा। घटनाओं की
तुलना करनी होगी। लेकिन आरोप लगाना आसाना है। लोकतंत्र में आरोप हालात
बेहतर नहीं करते। इसलिए मैं आरापों के खिलाफ हूं। लेकिन आलोचना आमंत्रित
करता रहता हूं।
सवाल : जनमत सर्वेक्षणों में आप अधिक लोकप्रिय बताए जा रहे हैं, कैसे?
उत्तर : 2003 के बाद से कई सर्वे हुए। लोगों ने मुझे सबसे बेहतर
मुख्यमंत्री चुना। सबसे अच्छे मुख्यमंत्री के तौर पर सिर्फ गुजरात के लोगों
ने नहीं चुना, राज्य के बाहर लोगों ने भी वोट दिए। एक बार तो मैंने इंडिया
टुडे समूह के अरुण पुरी को चिट्ठी भी लिखी। मैंने उनसे कहा हर बार मैं ही
विजेता होता हूं। इसलिए अगली बार से गुजरात को छोड़ दिया जाए। ताकि किसी और
को भी जीतने का अवसर मिले। नहीं तो मैं ही जीतता रहूंगा। कृपया मुझे
प्रतियोगिता से बाहर करिए।
सवाल : यदि आप प्रधानमंत्री बने तो किस नेता का अनुकरण करेंगे?
उत्तर : पहली बात तो ये कि मेरी लाइफ की एक फिलॉसफी है मैं कभी कुछ
बनने के सपने नहीं देखता। मैं कुछ करने के सपने देखता हूं। मुझे रोल मॉडल
से प्रेरणा लेने के लिए मुझे कुछ बनने की जरूरत नहीं है। यदि मैं वाजपेयी
से कुछ सीखना चाहूंगा तो मैं उसे फौरन गुजरात में अमल में लाऊंगा। इसके लिए
मुझे दिल्ली के सपने देखने की जरूरत नहीं है। यदि मुझे सरदार पटेल की कोई
बात अच्छी लगेगी तो मैं उसे गुजरात में लागू कर सकता हूं। यदि मुझे गांधीजी
में कुछ बात अच्छी लगेगी तो मैं उसे लागू कर सकता हूं। प्रधानमंत्री पद के
बारे में बहस करने के बदले हमे इस पर बात करनी चाहिए कि हम हर किसी से कुछ
सीख सकते हैं।
सवाल : अगली सरकार के सामने क्या लक्ष्य होना चाहिए?
उत्तर : जो कोई भी नई सरकार बनाए, उसका पहला लक्ष्य होना चाहिए लोगों
के टूटे हुए भरोसे को फिर से कायम करना। नीतियों में निरंतरता होनी चाहिए।
यदि लोगों से कोई वादा किया है तो उसका सम्मान करना चाहिए। उसे पूरा करना
चाहिए। तब आप खुद को वैश्विक स्तर पर स्थापित कर सकेंगे।
सवाल : लोग कहते हैं कि गुजारत की आर्थिक तरक्की हवा बनाई गई है...
उत्तर: लोकतंत्र में फाइनल जज कौन है? सिर्फ वोटर। यदि यह सिर्फ हवाई
बातें होतीं तो लोग रोज देख रहे हैं। मोदी कहते हैं कि उन्होंने पानी
पहुंचाया। तो लोग कहते मोदी झूठ बोल रहा है। पानी नहीं मिला। तो वे मोदी को
क्यों पसंद करते? भारत जैसे जीवंत लोकतंत्र में इतने सारे सक्रिये
पार्टियों के बीच यदि कोई तीसरी बार जीत कर आता है, दो-तिहाई बहुमत हासिल
करने के करीब पहुंचता है तो इसका मतलब है कि लोग महसूस करते हैं कि जो कहा
गया वह सही था। सड़कें बनी हैं, कम हुआ है, बच्चों को शिक्षा मिल रही है,
सेहत सुधरी है। 108 सेवा हर कहीं दिख रही है। कोई कह सकता है कि हवा बनाई
जा रही है, लेकिन लोग इस पर भरोसा नहीं करेंगे। और उनमें बहुत ताकत है।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें