शनिवार, 29 जून 2013

सरकार राम बाड़ा का सच छिपा रही है








मित्रो ! सरकार राम बाड़ा का सच छिपा रही है और यह बेहद जरूरी है कि  लापरवाह सरकारों का सच हर हाल में सामने आना चाहिए । यह शर्म का विषय है कि  जो स्थानीय लोग हैं उनकी संख्या क्या है इसका आकलन न होने देने के लिए सरकार मीडिया तक को वहां न जाने देने की कोशिश कर रही है । सेना के मुताबिक़ राम बाड़ा में ही हज़ारों शव बिखरे पड़े हैं और यह देख कर सेना का दिल भी असहज हो गया है । और ये वे शव उन लोगों के हैं जो बाहरी तौर पर दिख रहे हैं ।

मलबे के अन्दर जो लोग दबे हैं वे कितने हैं इसका अंदाजा लगाना मुश्किल है । कितने बह गए , कौन जानता है । कितने ऐसे भी रहे होंगे जिनका पूरा का पूरा परिवार बह गया होगा और उनके बारे में किसी ने पूछा भी नहीं होगा । सरकार अपनी विफलता कैसे छिपाती है , इसका एक ताजा तरीन उदाहरण यह प्रकरण है । इतने दिन बाद भी सरकार राहत सामग्री स्थानीय लोगों तक नहीं पहुंचा पा रही है और ये ट्रक वापस जा रहे हैं । यहाँ तक कि  राहुल महोदय ने जो ट्रक रवाना  किये थे वे तक वापस जा रहे हैं क्योंकि उन्हें डीजल तक के पैसे नहीं दिए गए । वे सामान बेच रहे हैं और उससे पैसा इकट्ठा करके वापस जा रहे हैं । यह उत्तराखंड सरकार का हाल है । इश्वर सरकार को सद्बुद्धि दे जिससे वह लोगों की सही मायने मे मदद कर सके ।

गुरुवार, 27 जून 2013

ढोर गंवार शुद्र पशु नारी सकल ताडना के अधिकारी ?

" ढोर गंवार शुद्र पशु नारी सकल ताडना के अधिकारी "

मित्रोँ तुलसी दास जी द्वारा रचित इस पंक्ति का भावार्थ क्या है ?

कभी इस पर गौर किया है किसी ने ?

अक्सर अच्छे अच्छे विद्वानोँ को हमने इस पंक्ति की व्याख्या करते हुए सुना है और तुलसीदास जी का हवाला देकर नारी को ताड़ना देने का पक्ष लेते हुए । 
वो नारी को भी सिर्फ एक विषय भोग कि वस्तु प्रमाणित करते है ।

किन्तु क्या आप सोचते होँगे कि तुलसीदास जी इतने गिरे हुए विचारो के कैसे हो सकते हैं ?

जिन्होने रामायण मे सीता माँ, सुलोचना , मंदोदरी, तारा इत्यादि नारियो को महान बताया । इन्हे प्रातः स्मरणीय बताया । वो तुलसीदास जी नारी का ऐसा अपमान कैसे कर सकते है ?

यहा गलती तुलसीदास जी कि नहीं है, गलती है गलत अर्थ लगाने वालों की, स्वयं कि संकीर्ण विचारधारा को विद्वानो के मत्थे मढ़ने वालों की।
"ढोर गवार शुद्र पशु नारी सकल ताडना के अधिकारी।"

1) इसमे ढ़ोर का अर्थ है ढ़ोल,बजने वाला ढ़ोल । ढ़ोल को बजाने से पहले उसको कसना
पड़ता है तभी उसमे ध्वनि मधुर बजेगी । यहा ताड़ना शब्द का अर्थ कठोरता से है ना कि मारना या पीटना आदि से ।

2) इसके बाद है "गँवार शूद्र" ।
यहा गंवार और शूद्र अलग अलग नहीं है, ये एक साथ है। अर्थात ऐसा शूद्र जो गंवार हो जो सभ्य नहीं हो ।भले ही वो ब्राह्मण कुल का हो । ऐसे गंवार शुद्र माने सेवक ,को कठोरता से काम मे लेना चाहिए वरना वो अपनी दुर्बुद्दि से किसी भी सुकार्य को बिगाड़ सकता है । यहा भी ताड़ना शब्द का अर्थ कठोर व्यवहार से ही है ना कि मारना या पीटना से है।

3) पशु नारी:
अर्थात वो नारी जो पशुवत व्यवहार करती है, पशुवत व्यवहार मे व्याभिचार भी आता है क्यो कि पशुओ मे एक रिश्ते कि कोई मर्यादा नहीं होती है । सो ऐसी नारी जो पशुओ के समान कई लोगो से संबंध रखती है । ऐसी नारी से भी कठोर व्यवहार करना चाहिए एवं उसे समाज से दूर रखना चाहिए ताकि वो समाज को गंदा न कर सके।

तो मित्रो यहा 3 ही चीजे है 5 नहीं । अगर इन्हे 5 मानते है तो एक बात सोचिए जो धर्म हर प्राणी के प्रति दया की भावना रखने कि शिक्षा देता है ,वो पशुओ को मारने या ताड़ना देने की बात कैसे कर सकता है ?
किसी गंवार को सिर्फ इसलिए कि उसमे ज्ञान नहीं है उसे ताड़ना कैसे दे सकता है ?
शूद्र का अर्थ यहाँ सेवक से है ना कि शूद्र जाती से ।और सेवक किसी भी कुल या जाति का हो सकता है । शूद्र सेवा करने वालों को ही कहा जाता है । और सेवक मे भी वो सेवक जो गंवार हो उस से कठोर व्यवहार करना ।
पशु का यहाँ नारी के साथ प्रयोग किया गया है ।
सो इन्हेँ अलग अलग करने पर अर्थ गलत हो जाता है ।
न तो पशु और न ही नारी किसी ताड़ना कि अधिकारी है ।
पशुवत व्यवहार करने वाली नारी ताड़ना की अधिकारी है ।
कुछ यूँ
"ढोर, गंवारशुद्र ,पशुनारी ,
सकल ताडन के अधिकारी ॥"


इसी  तरह से इस चौपाई का एक अर्य्ह इस तरह से भी समझा जा सकता है --.
ढोल ,गावर , शुद्र , पसु और नारी ...ये सब ताडन के अधिकारी ...

जितना इस दोहे के अर्थ का ...लोगो ने अनर्थ किया है ..शायद ही किसी दुसरे दोहे का हुवा हो ...
 

सही अर्थ ...

दरअसल..... ताड़ना एक अवधी शब्द है....... जिसका अर्थ .... पहचानना .. परखना होता है.....!
तुलसीदास जी... के कहने का मंतव्य यह है कि..... अगर हम ढोल के व्यवहार (सुर) को नहीं पहचानते ....तो, उसे बजाते समय उसकी आवाज कर्कश होगी .....अतः उससे स्वभाव को जानना आवश्यक है
इसी तरह गंवार का अर्थ .....किसी का मजाक उड़ाना नहीं .....बल्कि, उनसे है जो अज्ञानी हैं... और, प्रकृति या व्यवहार को जाने बिना उसके साथ जीवन सही से नहीं बिताया जा सकता .....।
इसी तरह पशु और नारी के परिप्रेक्ष में भी वही अर्थ है कि..... जब तक हम नारी के स्वभाव को नहीं पहचानते ..... उसके साथ जीवन का निर्वाह अच्छी तरह और सुखपूर्वक नहीं हो सकता..

इसका सीधा सा भावार्थ यह है कि..... ढोल, गंवार , शूद्र ,पशु .... और, नारी.... के व्यवहार को ठीक से समझना चाहिए .... और, उनके किसी भी बात का बुरा नहीं मानना चाहिए....

शनिवार, 22 जून 2013

केदारनाथ की तबाही क्यों ? जिम्मेदार कौन ?































फरीदाबाद के सेक्टर 7 के पुष्पक गुप्ता पत्नी और दो बच्चियों के साथ केदारनाथ गए थे। ये अभी २२/६/२०१३ तक वहीं फंसे हुए हैं। पुष्पक के भाई पंकज ने बताया-उनके पास खाने को कुछ नहीं है। 2 पैकेट नमकीन के सहारे 4 दिन गुजार दिए। हालत खराब हैं। बच्चे भूख के मारे बेहोश हो रहे हैं। मदद के लिए कोई सुनने को तैयार नहीं। केदारनाथ धाम में आए कहर ने सभी को हिला कर रख दिया है। वहां फंसे सभी लोगों को परेशानियों का सामना करना पड़ रहा है। इसी तरह 11 जून को हेमकुंट साहिब में माथा टेकने के लिए घर से निकले सिटी के महावीर नगर के राजदीप सिंह सिद्धू को मालूम नहीं था कि उन्हें मौत का ऐसा तांडव देखना पड़ेगा जिससे उनकी रूह कांप जाएगी। अपने सामने बेमौत मर रहे लोगों को देखकर राजदीप का साथी तो अपना मानसिक संतुलन ही खो बैठा। इसी तरह की हजारो सत्य  कहानिया है इन सभी सत्य कहानियो के बाद मन में बेबस ही एक प्रश्न उठ रहा है की आखिर इस तरह की प्राकृतिक आपदाओं कजिम्मेदार कौन ?

         उत्तराखंड में कुदरत के कहर ने कितनी जिंदगियां ली हैं ये अब तक साफ नहीं है लेकिन हजारों की मौत के गम में डूबे देश के सामने एक बड़ा सवाल खड़ा हो गया है। आखिर उत्तराखंड में मची भयानक तबाही का जिम्मेदार कौन है। क्या ये सिर्फ प्राकृतिक आपदा है या इस आपदा की वजह भी हम ही हैं। जानकारों की मानें तो हमने अपने पहाड़ों और नदियों के साथ इस......









......कदर खिलवाड़ किया है कि आज वो मौत बनकर हम पर टूट रहे हैं। सवाल ये कि क्या इस तबाही से भी हम कुछ सीख पाएंगे ?
         उत्तराखंड के पहाड़ पर्यटन का भारी दबाव झेल नहीं पा रहे। 8 साल में यहां गाड़ियों की संख्या 83 हजार से बढ़कर 1 लाख 80 हजार हो गई है। हर साल राज्य के बाहर से आने वाली 1 लाख गाड़ियां अलग हैं। गाड़ियों की बढ़ती संख्या का सीधा असर भूस्खलन की बढ़ती घटनाओं में देखा जा रहा है। पर्यटकों की बढ़ती संख्या के साथ होटलों और गेस्ट हाउस की संख्या में भी जबर्दस्त इजाफा हुआ। नदी के किनारे कंक्रीट से पट गए हैं। बाढ़ के पानी को समेटने वाली समतल जमीन पर टाउनशिप बन गई है।
दरअसल पहाड़ की जिंदगी को हम समझ नहीं पाए हैं। स्थानीय लोग आज भी पहाड़ की ढलान पर लकड़ी या मिट्टी का घर बनाते हैं। लेकिन पनबिजली के विकास के लिए बड़े-बड़े बांध बन रहे हैं। जिससे नदी किनारे की मिट्टी कमजोर हो रही है।
               9 हजार मेगावाट बिजली के उत्पादन के लिए गंगा की सहायक नदियों पर 70 बांध बनाने की योजना है। इसके लिए हिमालय की नदियों को तोड़ा-मरोड़ा जाएगा, बड़ी सुरंगें बनाई जाएंगी। योजना का असर भागीरथी पर 85 फीसदी और अलकनंदा पर 65 फीसदी तक पड़ेगा। जो बांध पहले बन चुके हैं उसका असर क्या हो रहा है वो हमारे सामने है।













सरकार अब बाढ़ के लिए वार्निंग सिस्टम लगाने की बात कर रही है। लेकिन जरा आंकड़े देखिए। 2008 में प्रकाशित राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन दिशानिर्देशों में सितंबर 2009 तक पहाड़ी राज्यों में अर्ली वार्निंग सिस्टम लगाने का लक्ष्य तय किया गया था। उत्तराखंड, हिमाचल, जम्मू कश्मीर सहित पूर्वोत्तर के राज्यों में आज तक ये सिस्टम लग नहीं पाया।इसका जबाब किसी के पास नहीं है की अभी ये सिस्टम क्यों नहीं लगे ? 
        खतरा यहीं खत्म नहीं होता। हिमालय में 8 हजार झील हैं जिसमें से 200 काफी खतरनाक मानी जाती हैं। ये उत्तराखंड और हिमाचल के ऊपर हैं। भारी बरसात में ये झील सारी हदों तो तोड़ते हुए बाढ़ लाती हैं। विज्ञान ये साबित कर चुका है कि इन झीलों से मचने वाली तबाही और बादल फटने की घटनाएं सीधे-सीधे ग्लोबल वॉर्मिंग से जुड़ी हैं।अब यहाँ सीधा सा प्रश्न यह उठता है की इस  ग्लोबल वॉर्मिंग के  लिए जिम्मेदार कौन ?
             पर्यावरण मंत्री जयंती नटराजन के मुताबिक वे व्यक्तिगत रूप से मानती हैं कि पर्वतीय राज्यों को संवेदनशील घोषित करना चाहिए। सवाल ये कि वो ये बात अपनी कांग्रेश की  सरकार को क्यों नहीं समझा पा रही। क्या राजनीति आम लोगों की जिंदगी से ज्यादा कीमती है ?

              पर दुःख मुझे इस बात का है की इस देश के बड़े बड़े  उद्योगिक घराने और  नेता ,अभिनेता , ने कोई मदद नहीं किया अभी तक
           


प्रभु आपने अपना आशियाना तो बचा लिया पर अपने भक्तो के साथ ऐसा क्यों किया ? यदि आप है तो जबाब चाहिए आपसे


अंत में इस ब्लाग के माध्यम से सभी वीर सैनिको को सादर नमन

गुरुवार, 20 जून 2013

!! "जय हिन्द" अभिवादन की सुरुआत !!



"जय हिन्द" नारे का सीधा सम्बन्ध नेताजी से है, मगर सबसे पहले प्रयोगकर्ता नेताजी सुभाष चन्द्र बोस नहीं थे. आइये देखें यह किसके 
हृदय में पहले पहल उमड़ा और आम भारतीयों के लिए जय-घोष बन गया.

"जय हिन्द" के नारे की शुरूआत जिनसे होती है, उन क्रांतिकारी 'चेम्बाकरमण पिल्लई' का जन्म 15 सितम्बर 1891 को तिरूवनंतपुरम में हुआ था. गुलामी के के आदी हो चुके देशवासियों में आजादी की आकांक्षा के बीज डालने के लिए उन्होने कॉलेज के के दौरान "जय हिन्द" को अभिवादन के रूप में प्रयोग करना शुरू किया. 1908 में पिल्लई जर्मनी चले गए. अर्थशास्त्र में पी.एच.डी करने के बाद जर्मनी से ही अंग्रेजो के विरूद्ध क्रांतिकारी गतिविधियाँ शुरू की. प्रथम विश्व युद्ध शुरू हुआ तो - उन्होने जर्मन नौ-सेना में जूनियर अफसर का पद सम्भाला.
पिल्लई 1933 में आस्ट्रिया की राजधानी वियना में नेताजी सुभाष से मिले तब "जय हिन्द" से उनका अभिवादन किया. पहली बार सुने ये शब्द नेताजी को प्रभावित कर गए. इधर नेताजी आज़ाद हिन्द फौज की स्थापना करना चाहते थे.

द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान जर्मनी ने जिन ब्रिटिश सैनिको को कैद किया था, उनमें भारतीय सैनिक भी थे. 1941 में जर्मन की क़ैदियों की छावणी में नेताजी ने इन्हे सम्बोधित किया तथा अंग्रेजो का पक्ष छोड़ आजाद हिन्द फौज में शामिल होने के लिए प्रोत्साहित किया. यह समाचार अखबारों में छपा तो जर्मन में रह रहे भारतीय विद्यार्थी आबिद हुसैन ने अपनी पढ़ाई छोड़ नेताजी के सेक्रेट्री का पद सम्भाल लिया. आजाद हिन्द फौज के सैनिक आपस में अभिवादन किस भारतीय शब्द से करे यह प्रश्न सामने आया तब हुसैन ने "जय हिन्द" का सुझाव दिया. उसके बाद 2 नवम्बर 1941 को "जय हिन्द" आजाद हिंद फ़ौज का युद्धघोष बन गया. जल्दी ही भारत भर में यह गूँजने लगा.

जय हिन्द.... 
जय हिन्द....जय हिन्द....!


सारिका भारतीय जी से साभार ...!
 

गुरुवार, 13 जून 2013

!! ऐसे थे महाराजा जयसिंह जी !!

इंगलैण्ड की राजधानी लंदन में यात्रा के दौरान एक शाम महाराजा जयसिंह सादे कपड़ों में बॉन्ड स्ट्रीट में घूमने के लिए निकले और वहां उन्होने रोल्स रॉयस कम्पनी का भव्य शो रूम देखा और मोटर कार का भाव जानने के लिए अंदर चले गए। शॉ रूम के अंग्रेज मैनेजर ने उन्हें “कंगाल भारत” का सामान्य नागरिक समझ कर वापस भेज दिया। शोरूम के सेल्समैन ने भी उन्हें बहुत अपमानित किया, बस उन्हें “गेट आऊट” कहने के अलावा अपमान करने में कोई कोर कसर नहीं छोड़ी।अपमानित महाराजा जयसिंह वापस होटल पर आए और रोल्स रॉयस के उसी शोरूम पर फोन लगवाया और संदेशा कहलवाया कि अलवर के महाराजा कुछ मोटर कार खरीदने चाहते हैं।

कुछ देर बाद जब महाराजा रजवाड़ी पोशाक में और अपने पूरे दबदबे के साथ शोरूम पर पहुंचे तब तक शोरूम में उनके स्वागत में “रेड कार्पेट” बिछ चुका था। वही अंग्रेज मैनेजर और सेल्समेन्स उनके सामने नतमस्तक खड़े थे। महाराजा ने उस समय शोरूम में पड़ी सभी छ: कारों को खरीदकर, कारों की कीमत के साथ उन्हें भारत पहुँचाने के खर्च का भुगतान कर दिया।
भारत पहुँच कर महाराजा जयसिंह ने सभी छ: कारों को अलवर नगरपालिका को दे दी और आदेश दिया कि हर कार का उपयोग (उस समय के दौरान 8320 वर्ग कि.मी) अलवर राज्य में कचरा उठाने के लिए किया जाए।

विश्‍व की अव्वल नंबर मानी जाने वाली सुपर क्लास रोल्स रॉयस कार नगरपालिका के लिए कचरागाड़ी के रूप में उपयोग लिए जाने के समाचार पूरी दुनिया में फैल गया और रोल्स रॉयस की इज्जत तार-तार हुई। युरोप-अमरीका में कोई अमीर व्यक्‍ति अगर ये कहता “मेरे पास रोल्स रॉयस कार” है तो सामने वाला पूछता “कौनसी?” वही जो भारत में कचरा उठाने के काम आती है! वही?

बदनामी के कारण और कारों की बिक्री में एकदम कमी आने से रोल्स रॉयस कम्पनी के मालिकों को बहुत नुकसान होने लगा। महाराज जयसिंह को उन्होने क्षमा मांगते हुए टेलिग्राम भेजे और अनुरोध किया कि रोल्स रॉयस कारों से कचरा उठवाना बन्द करवावें। माफी पत्र लिखने के साथ ही छ: और मोटर कार बिना मूल्य देने के लिए भी तैयार हो गए।

महाराजा जयसिंह जी को जब पक्‍का विश्‍वास हो गया कि अंग्रेजों को वाजिब बोधपाठ मिल गया है तो महाराजा ने उन कारों से कचरा उठवाना बन्द करवाया।

मंगलवार, 11 जून 2013

!! महाराणा प्रताप जी की जयन्ती पर आप सभी को बहुत बहुत शुभ कामनाये !!

महाराणा प्रताप जी की जयन्ती पर आप सभी को बहुत बहुत शुभ कामनाये ! 


मित्रों एक कविता पेश कर रहा हु (स्वरचित नहीं है) इतिहास प्रसिद्ध युद्ध हल्दीघाटी के सन्दर्भ में ,क्षत्रिय राजपूत सिरोमणि महाराणा प्रताप जी की वीरता और त्याग की मिसाल मिलना दुर्लभ है  !

 चढ़ चेतक पर तलवार उठा
रखता था भूतल–पानी को।
राणा प्रताप सिर काट–काट
करता था सफल जवानी को।।

कलकल बहती थी रण–गंगा
अरि–दल को डूब नहाने को।
तलवार वीर की नाव बनी
चटपट उस पार लगाने को।।

वैरी–दल को ललकार गिरी¸
वह नागिन–सी फुफकार गिरी।
था शोर मौत से बचो¸बचो¸
तलवार गिरी¸ तलवार गिरी।।

पैदल से हय–दल गज–दल में
छिप–छप करती वह विकल गई!
क्षण कहां गई कुछ¸ पता न फिर¸
देखो चमचम वह निकल गई।।

क्षण इधर गई¸ क्षण उधर गई¸
क्षण चढ़ी बाढ़–सी उतर गई।
था प्रलय¸ चमकती जिधर गई¸
क्षण शोर हो गया किधर गई।

क्या अजब विषैली नागिन थी¸
जिसके डसने में लहर नहीं।
उतरी तन से मिट गये वीर¸
फैला शरीर में जहर नहीं।।

थी छुरी कहीं¸ तलवार कहीं¸
वह बरछी–असि खरधार कहीं।
वह आग कहीं अंगार कहीं¸
बिजली थी कहीं कटार कहीं।।

लहराती थी सिर काट–काट¸
बल खाती थी भू पाट–पाट।
बिखराती अवयव बाट–बाट
तनती थी लोहू चाट–चाट।!

सेना–नायक राणा के भी
रण देख–देखकर चाह भरे।
मेवाड़–सिपाही लड़ते थे
दूने–तिगुने उत्साह भरे।।

क्षण मार दिया कर कोड़े से
रण किया उतर कर घोड़े से।
राणा रण–कौशल दिखा दिया
चढ़ गया उतर कर घोड़े से।।

क्षण भीषण हलचल मचा–मचा
राणा–कर की तलवार बढ़ी।
था शोर रक्त पीने को यह
रण–चण्डी जीभ पसार बढ़ी।।

वह हाथी–दल पर टूट पड़ा¸
मानो उस पर पवि छूट पड़ा।
कट गई वेग से भू¸ ऐसा
शोणित का नाला फूट पड़ा।।

जो साहस कर बढ़ता उसको
केवल कटाक्ष से टोक दिया।
जो वीर बना नभ–बीच फेंक¸
बरछे पर उसको रोक दिया।।

क्षण उछल गया अरि घोड़े पर¸
क्षण लड़ा सो गया घोड़े पर।
वैरी–दल से लड़ते–लड़ते
क्षण खड़ा हो गया घोड़े पर।।

क्षण भर में गिरते रूण्डों से
मदमस्त गजों के झुण्डों से¸
घोड़ों से विकल वितुण्डों से¸
पट गई भूमि नर–मुण्डों से।।

ऐसा रण राणा करता था
पर उसको था संतोष नहीं
क्षण–क्षण आगे बढ़ता था वह
पर कम होता था रोष नहीं।।

कहता था लड़ता मान कहां
मैं कर लूं रक्त–स्नान कहां।
जिस पर तय विजय हमारी है
वह मुगलों का अभिमान कहां।।

भाला कहता था मान कहां¸
घोड़ा कहता था मान कहां?
राणा की लोहित आंखों से
रव निकल रहा था मान कहां।।

लड़ता अकबर सुल्तान कहां¸
वह कुल–कलंक है मान कहां?
राणा कहता था बार–बार
मैं करूं शत्रु–बलिदान कहां?।।

तब तक प्रताप ने देख लिया,
लड़ रहा मान था हाथी पर।
अकबर का चंचल साभिमान
उड़ता निशान था हाथी पर।।

वह विजय–मन्त्र था पढ़ा रहा¸
अपने दल को था बढ़ा रहा।
वह भीषण समर–भवानी को
पग–पग पर बलि था चढ़ा रहा।।

फिर रक्त देह का उबल उठा
जल उठा क्रोध की ज्वाला से।
घोड़े से कहा बढ़ो आगे¸
बढ़ चलो कहा निज भाला से।।

हय–नस नस में बिजली दौड़ी¸
राणा का घोड़ा लहर उठा।
शत–शत बिजली की आग लिए,
वह प्रलय–मेघ–सा घहर उठा।।

क्षय अमिट रोग¸ वह राजरोग¸
ज्वर सन्निपात लकवा था वह।
था शोर बचो घोड़ा–रण से
कहता हय कौन¸ हवा था वह।।

तनकर भाला भी बोल उठा,
राणा मुझको विश्राम न दे।
बैरी का मुझसे हृदय गोभ,
तू मुझे तनिक आराम न दे।।

खाकर अरि–मस्तक जीने दे¸
बैरी–उर–माला सीने दे।
मुझको शोणित की प्यास लगी
बढ़ने दे¸ शोणित पीने दे।।

मुरदों का ढेर लगा दूं मैं¸
अरि–सिंहासन थहरा दूं मैं।
राणा मुझको आज्ञा दे दे
शोणित सागर लहरा दूं मैं।।

रंचक राणा ने देर न की¸
घोड़ा बढ़ आया हाथी पर।
वैरी–दल का सिर काट–काट
राणा चढ़ आया हाथी पर।।

गिरि की चोटी पर चढ़कर
किरणों निहारती लाशें¸
जिनमें कुछ तो मुरदे थे¸
कुछ की चलती थी सांसें।।

वे देख–देख कर उनको
मुरझाती जाती पल–पल।
होता था स्वर्णिम नभ पर
पक्षी–क्रन्दन का कल–कल।।

मुख छिपा लिया सूरज ने
जब रोक न सका रूलाई।
सावन की अन्धी रजनी
वारिद–मिस रोती आई।।

!! आडवाणी जी की कुछ गलतिया जिसके कारण आज ये दिन देखना पडा !!

लालकृष्ण आडवाणी जी भाजपा को दो से 180 सीटों तक लेकर आए हैं। मगर उन्हें अपनी ही पार्टी के भीतर कई बार दांवपेंच में उलझना पड़ा। उन्हें कई बार अपनी बात मनवाने के लिए मनोवैज्ञानिक संघर्ष करने पर मजबूर होना पड़ा। इतना ही नहीं वे बेहद उग्र स्वभाव के भी माने जाते हैं। छोटीछोटी बातों पर नाराज भी होते हैं। अटल जी से उनकी कई मौकों पर परदे के पीछे सियासी दांवपेंच भी चली। वे साइकोलॉजी व इमोशन के भंवर से कई बार जीतकर बाहर निकले, लेकिन इस बार मामला कुछ अलग है।
            
 खुद को भाजपा का भीष्म पितामह मानने वाले आडवाणी जी को अगर आज ये दिन देखने पड़े हैं, तो कहीं न कहीं इसके लिए वे खुद जिम्मेदार हैं। अब तो कांग्रेस भी ये कहने लगी है कि जो जैसा बोता है, वैसा ही फल काटता है। .
एक म्यान में दो तलवार तो नहीं आती पर दो तलवारों की दोस्ती संभव है
       1989 में आडवाणी ने सोमनाथ से अयोध्या तक रथयात्रा निकालने की योजना बनाई। मकसद थादेश में हिंदुत्व की लहर पैदा करना। अटल जी ने विरोध किया। लेकिन आडवाणी जी ने उनकी नहीं सुनी। इस बात को 25 दिसंबर 2009 को आडवाणी जी ने मीडिया से कहा। उन्होंने कहा था अटल जी खुद को लोकतांत्रिक दिखाना चाहते थे, लेकिन मैं सहमत नहीं था।
                     1992 में बाबरी विध्वंस हो गया। आडवाणी जी समेत पूरी भाजपा में मौन जश्न मन रहा था। लेकिन अटल जी पूरी तरह अलग-थलग पड़ गए थे। तब संसद में उन्होंने अपना दुख इन शब्दों में बयां किया था। 'इस उम्र में मैं पार्टी छोड़कर जा भी नहीं सकता। आज पार्टी जीत गई, लेकिन मैं हार गया।
             अटल जी को आडवाणी जी ने ही भावी प्रधानमंत्री घोषित किया था। वे परोक्ष रूप से सत्ता में दखल चाहते थे। इसीलिए उन्होंने 1999 में संघ के जरिये पार्टी पर दबाव बढ़ाया और रातोंरात उपप्रधानमंत्री मनोनीत हो गए ...
                 2002 के गुजरात दंगे के बाद मोदी जी से प्रधानमंत्री अटलबिहारी जी नाराज थे। पार्टी के कई नेता भी चाहते थे कि मोदी जी को हटा दिया जाए। इसके पीछे तर्क दिया कि ऐसा हुआ तो कांग्रेस से हर मुद्दा छिन जाएगा और देश भी नहीं बंटेगा। लेकिन आडवाणी जी अड़ गए। कहा मोदी को किसी कीमत पर नहीं हटाया जाए। इससे पार्टी खत्म हो जाएगी। नहीं सुनी अटल जी की। वही किया जो खुद चाहते थे।
          2004 की घटना। अटल जी बीमार रहने लगे थे। आडवाणी जी आगे बढऩा चाहते थे। आडवाणी जी को इसके लिए प्रमोद महाजन, सुषमा स्वराज, वेंकैया नायडू, अरुण जेटली की मदद चाहिए थी। इनका साथ लेने के लिए आडवाणी जी ने उमा जी का साथ छोड़ा। क्योंकि ये चारों नेता हर हाल में उमा को पार्टी से निकालना चाहते थे। इन्हें आडवाणी जी की और आडवाणी जीको इनकी जरूरत थी। अंतत: उमा जी भाजपा से निकाल दी गई। तब उमा जी ने अटल जी को पत्र लिखा था जिसमें कहा था "यहां एक विमान चालक (अटलजी) है और 5 विमान अपहरणकर्ता "
              2013 में बताई दिल की बात। आडवाणी ने गोवा बैठक के दौरान ब्लॉग लिखा। महाभारत के कई प्रसंगों का जिक्र किया। पार्टी को द्रौपदी, खुद को भीष्म पितामह और संघ को धृतराष्ट्र की संज्ञा दी। एक किस्सा भी सुनाया। जिसमें संकेतों में खुद को पोप और मोदी-राजनाथ को हिटलर-मुसोलिनी बताया। विपक्ष ने चुटकी ली और कहा, आडवाणी आज पछता रहे होंगे कि आखिर उन्होंने मोदी को बचाया क्यों ?
     2013 में बताई दिल की बात से ही आडवाणी जी के बीजेपी से पराभाव की राजनीति सुरु हुई और 2013 ख़त्म होने के पहले ही ये दिन देखने पद गए
     कुछ भी आडवाणी जी को आज भी बीजेपी की जरुरत है , इस उम्र के पड़ाव में आडवाणी जी की कोई राजनैतिक कैरियर नहीं बचता है ..ये भी निश्चय है की आद्चानि जी यदि कोई दूसरी पार्टी बनाए है तो ओ सफल नहीं होगे क्योकि जो आज अडवानी जी के साथ है नई पार्टी बनाने के मुद्दे पर ओ सभी नेता आडवाणी जी का साथ छोड़ देगे और आडवाणी जी हालत धोबी के कुत्ते माफिक हो जायेगी " न घर के न घाट के " 
                पर बीजेपी को  भी अडवानी  जी की 2014 के लोकसभा चुनाव तक बहुत जरुरत है .बीजेपी के उच्च नेतृत्व को चाहिए की अडवानी  जी को कैसे भी मनाये पर मोदी जी की इज्जत बचा कर क्योकि बीजेपी का भविष्य मोदी जी के हाथ सुरक्षित है । नमो नाम की आंधी आई है बीजेपी में यह नमो नाम की अंधी में कांग्रेस उडेगी या नहीं ये तो भविष्य के गारत में छिपा हुआ है । 

सोमवार, 10 जून 2013

राजनाथ सिंह की सफलता ?

भाजपा की चुनाव प्रचार समिति का अध्यक्ष बनाये जाने के बाद मोदी ने कहा, ‘मैं पार्टी अध्यक्ष राजनाथ सिंह के प्रति बहुत कृतज्ञ हूं कि उन्होंने न केवल मुझे नयी जिम्मेदारी सौंपी है बल्कि कार्यकर्ताओं और देश की जनता के सामने बहुत सम्मान भी दिया है.’ मोदी ने कहा, ‘राजनाथ जी बोलने के लिए खड़े हुए और मुझे बैठने को कहा. बाहर जो लोग बैठे हैं उनके लिए इसके महत्व को समझना कठिन है. कोई व्यक्ति केवल पद होने पर ऐसा नहीं करता बल्कि उसके लिए बड़ा दिल होना भी जरूरी है. इसे दरियादिली कहते हैं, जो पार्टी अध्यक्ष ने दिखाई.’ मोदी ने इससे ज्यादा कुछ नहीं कहा लेकिन माना जा रहा है कि ऐसी टिप्पणी करके उन्होंने आडवाणी और कुछ अन्य नेताओं की ओर इशारा किया जो राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक में शामिल नहीं हुए.
         हमारे देश में कई लोगो को ही नहीं बल्कि कई पार्टियों को यह सक ,.नरेन्द्र मोदी  को  बीजेपी पार्टी की चुनाव सिमित का प्रमुख बनाया है जिसमे की नरेन्द्र मोदी  की जीत हुई है पर सिक्के का दुसरा पहलु भी है  आडवाणी और नरेंद्र मोदी के बीच के संभावित रिफ्ट का फायदा उठाकर राजनाथ सिंह की यह सियासी जीत है। ऊपर से जो नरेंद्र मोदी की जीत लग रही है, उनका उभरना लग रहा है, वह वास्तव में राजनाथ सिंह की सफलता है। नरेंद्र मोदी का बीजेपी में अहम स्थान तो होना ही था, उन्हें एक किसी औपचारिक पद पर लाकर कार्यकर्ताओं को खुश करना ही पड़ता। राजनाथ सिंह इन दो तथ्यों को लेकर ही आगे बढ़े। आडवाणी कहते रहे कि इस बार और नरेंद्र को वेटिंग में रखा जाए, फिर अगला चुनाव उन्हें दे देंगे। किंतु कांग्रेस की नाकामयाबियों के चलते देश के फेवर टू अदर्स माहौल का फायदा भी तो उठाना है। इसे फेवर टू बीजेपी बनाना है, तो स्ट्रोंग फैसले करना होंगे। राजनाथ सिंह ने इस बात का पूरा ख्याल रखा। अब जब मोदी मैदान में हैं, प्रचार कमेटी के जरिए कार्यकर्ताओं के सीधे संपर्क में रहेंगे, तो राजनाथ सिंह को दो बड़े फायदे मिलेंगे, पहला तो उनके सांगठनिक नेतृत्व में पार्टी जीतेगी, तो दूसरा मोदी सौ फीसदी मेजोरिटी नहीं ला पाएंगे, तब कुछ सहयोगियों की जरूरत पड़ेगी। ऐसे में मोदी के नाम से देश के आधे से ज्यादा तथाकथित सेकुलर साथ नहीं आएंगे और अगर आएंगे तो अनअफोर्डेबल कंडीशन के साथ फिर क्या, ऑप्शन है ? आडवाणी ? तो राजनाथ सिंह यहां पर अपने दोनों ही मकसदों में कामयाब हुए हैं, एक तो मोदी को आगे बढ़ाने में और आडवाणी को मुकम्मल तौर पर किनारा करने में। चूंकि जब ढफली बजेगी कौन है सेकुलर या कौन है भाजपा में सर्वग्राह्य आदमी, तो खोज की सुई आडवाणी पर नहीं राजनाथ सिंह पर रुकेगी। अगर अभी आडवाणी भी मोदी-मोदी कर रहे होते, तो वे पीएम की रेस में सबसे आगे होते। इसलिए एक अध्यक्ष के रूप में राजनाथ सिंह इस रिफ्ट को बढ़ाना ही चाहते थे।
         मोदी तो परीक्षाएं ही देते रह जाएंगे, पहली तो गुजरात में लगातर साबित करते रहने की, दूसरी नवीनतम 6 लोस एवं विस चुनावों में सफलता, तीसरी पार्टी में कोई औपचारिक रूप से अखिल भारतीय स्तर की 2014 के लोस चुनावों से जुड़ी जिम्मेदारी पाने की, चौथी परीक्षा बेहद कठिन पार्टी की जो सीटें एंटी इंकंबेंसी फैक्टर और कांग्रेस की खराब छवि के चलते आनी हैं उनसे वे कितना ज्यादा ला सकते हैं, पांचवी कम पड़ गईं सीटों का गणित वे कैसे बिठाएंगे, छठवीं अंतरराष्ट्रीय स्तर पर खासकर अमेरिकी नकारात्मक रुख को वे कैसे चेंज करेंगे, सातवीं परीक्षा मोदी की वह होगी जिसमें वे लोगों की महा अपेक्षाओं पर खरे उतरेंगे, चूंकि अब लोगों को शांतिपूर्ण कैंडल मार्च, लालकिले पर प्रर्दशन की लपक लग चुकी है, फिर चाहे सरकार का मुखिया मनमोहन हों या मोदी। यूं भी नेवर वोट कॉस्टिंग पार्टिसिपेंट्स वोकेल ऑन इंटरनेट स्पेस प्रोटेस्टर्स के ऊपर यह ज्यादा दबाव है कि वे प्रो बीजेपी हैं, तो वे कुछ अनावश्क मुद्दों पर भी नई सरकार को घेरेंगे। देखिए परीक्षाओं की इतनी सीढिय़ां अगर कोई चढ़ सकता है तो वह बेशक नेता है और फिर सर्वस्वीकार्य है ही । अब यह नेता 2014 के लोकसभा चुनाव में क्या कारनामा दिखाते है यह इन्तजार करना होगा

गुरुवार, 6 जून 2013

!! RSS में ऐसा क्यों ?

सुप्रभात ....!!!
==============!!!
क्रम -- पद - - - नाम - - - वर्ण

१. सरसंघचालक - - के.एस.सुदर्शन - - ब्राह्मण

२. सरकार्यवाह - - मोहनराव भागवत - ब्राह्मण

३ सह सरकार्यवाह - मदनदास. - - ब्राह्मण

४. सह सरकार्यवाह - सुरेश जोशी - - ब्राह्मण

५. सह सरकार्यवाह - सुरेश सोनी - - वैश्य

६. शारिरीक प्रमुख - उमाराव पारडीकर - - ब्राह्मण

७. सह शारीरिक प्रमुख - के.सी.कन्नान - - वैश्य

८. बौध्धिक प्रमुख - - रंगा हरि - - - ब्राह्मण

९. सह बौध्धिक प्रमुख - मधुभाई कुलकर्णी - - ब्राह्मण

१०. सह बौध्धिक प्रमुख - दत्तात्रेय होलबोले - - ब्राह्मण

११. प्रचार प्रमुख - - श्रीकान्त जोशी - - - ब्राह्मण

१२. सह प्रचार प्रमुख - अधिश कुमार - - - ब्राह्मण

१३. प्रचारक प्रमुख - एस,वी. शेषाद्री ब्राह्मण

१४. सह प्रचारक प्रमुख - श्रीकृष्ण मोतिलाग - - ब्राह्मण

१५. सह प्रचारक प्रमुख - सुरेशराव केतकर - - ब्राह्मण

१६. प्रवक्ता - - राम माधव - - ब्राह्मण

१७. सेवा प्रमुख - प्रेमचंद गोयेल - - वैश्य

१८. सह सेवा प्रमुख - सीताराम केदलिया - - वैश्य

१९. सह सेवा प्रमुख - सुरेन्द्रसिंह चौहाण - - क्षत्रिय

२०. सह सेवा प्रमुख - ओमप्रकाश - - ब्राह्मण

२१. व्यवस्था प्रमुख - साकलचंद बागरेचा - - वैश्य

२२. सहव्यवस्था प्रमुख - बालकृष्ण त्रिपाठी - - ब्राह्मण

२३. संपर्क प्रमुख - हस्तीमल - - वैश्य

२४. सह संपर्क प्रमुख - इन्द्रेश कुमार - - ब्राह्मण

२५. सभ्य - - राघवेन्द्र कुलकर्णी ब्राह्मण

२६. सभ्य - - एम.जी. वैद्य - - ब्राह्मण

२७. सभ्य - - अशोक कुकडे - - शुद्र

२८. सभ्य - - सदानंद सप्रे - - ब्राह्मण

२९. सभ्य - - कालिदास बासु ब्राह्मण

३०. विशेष आमंत्रित सूर्य नारायण राव - - ब्राह्मण

३१. विशेष आमंत्रित - श्रीपति शास्त्री - - ब्राह्मण

३२. विशेष आमंत्रित - वसंत बापट - - ब्राह्मण

३३. विशेष आमंत्रित - बजरंगलाल गुप्ता - - वैश्य

(स्त्रोत-आरएसएस डॉटकॉम इंटरनेट पर आधारित-२००४)

'आम आदमी पार्टी' है हिन्दू विरोधी और देशद्रोही ?

आप' और 'केजरीवाल' पर अब तक का सबसे बड़ा खुलासा।
www.bharatleaks.org क्या आप इस देशद्रोही और हिन्दूविरोधी पार्टी के साथ है जो राजनीती में आने से पहले ही अपनी ओकात दिखा चुकी है....
मुस्लिम वोट के लिए इनका तुष्टीकरण देखिये-

1.
भारतीय आर्मी के दो जबान के सर पाकिस्तानी  सैनिको  ने काट दिए पर केजरीवाल जी का कहना है पाकिस्तान से जंग नही होनी चाहिए
(
मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये -
http://timesofindia.indiatimes.com/india/Pak-army-act-unpardonable-but-war-is-undesirable-Kejriwal/articleshow/18049289.cms
(
जबकि सभी पार्टियों ने पाकिस्तान के खिलाफ बयान दिया था)

2.
अफजल गुरु की फांसी से अंतरराष्ट्रीय स्तर पर देश की बदनामी हुई है।-
(
मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये-
http://hindi.yahoo.com/national-10191838-111003850.html
(
काफी मुस्लिम ने अफज़ल की फांसी का विरोध किया था)


3.
भारतीय आर्मी कश्मीरी लोगो को मारती है-
(
मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये
http://www.greaterkashmir.com/news/2013/Mar/6/army-responsible-for-killing-of-kashmiris-prashant-bhushan-41.asp
(
कश्मीर में मुस्लिम चाहते है कि कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये)

4.
हिन्दू आतंकवाद आज चरम पर है-
(
मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://hindi.yahoo.com/national-10191838-111003850.html
(
क्या आज तक किसी पार्टी ने यह कहा है कि मुस्लिम आतंकवाद आज चरम पर है)

5.
कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये-
(
मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=QQom1xy8kUM
(
कश्मीर में मुस्लिम चाहते है कि कश्मीर को भारत से अलग कर दिया जाये)

6.
बुखारी ने कहा अन्ना के आन्दोलन से बंदेमातरम् बंद कर दीजिये क्यूंकि मुस्लिम में बंदेमातरम् नही बोला जाता है, केजरीवाल ने बंद किया बंदेमातरम् और बाद में इसी बुखारी के पास मिलने भी गये

(
मुस्लिम तुष्टीकरण एबम देशद्रोह)
लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=2wyufhKIyes
(
क्या ऐसे लोगो का समर्थन लेना जरुरी था केजरीवाल को)

7. "
आप" पार्टी की साईट पर एक खास कॉलम बनाया गया "Muslim Issues"
(
मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://www.aamaadmiparty.org/meettheteam.aspx
(
क्या हिन्दुओ की कोई समस्या नही होती है, क्या मुस्लिम की आज देश में समस्या हैं?)

8.
बुखारी की जामा मस्जिद पर 4 करोड़ का बिजली का बिल कई सालो से बकाया है पर कांग्रेस कुछ कहती है हमारे केजरीवाल जी
(
मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://www.indianexpress.com/news/jama-masjid-runs-up-rs-4cr-power-bill-spat-over-dues-has-area-in-dark/1007397/
(
जबकि केजरीवाल बिजली बिल के खिलाफ इतना बड़ा आन्दोलन कर रहे हैं)

9.
ओवेसी ने बयान दिया कि हम 100 करोड़ हिन्दुओ को खत्म कर देंगे और श्री राम को गलियां दिन पर केजरीवाल का कोई बयान ओवेसी के खिलाफ नही आया बल्कि सुदर्शन न्यूज़ को खबर दिखाने से मना किया-
(
मुस्लिम तुष्टीकरण)

सुनिए रोंगटे खड़े कर देने वाले हिन्दू के खिलाफ इस विडियो को-
https://www.youtube.com/watch?v=BXFFR8NXG1E

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=HiyRCEDjLBs
(
केजरीवाल भक्त कहते हैं कि सुदर्शन न्यूज़ चैनल को कोई कॉल नही किया गया है तो केजरीवाल ने ओवेसी का कहीं विरोध क्यूँ नही किया है, किसी भी मीडिया में ओवेसी के खिलाफ केजरीवाल का कोई बयान नही आया है)............


10.
कांग्रेस का हिन्दू विरोधी बिल का समर्थन...
(
मुस्लिम तुष्टीकरण)

जानिए इस रोंगटे खड़े कर देने वाले हिन्दू के खिलाफ बिल को-
http://www.youtube.com/watch?v=vK9CkyVXi90

http://www.youtube.com/watch?v=Da1dtkeikew

केजरीवाल की साथ साजिया इल्मी का ट्विट देखिये
लिंक देखिये-
https://twitter.com/shaziailmi/status/156335195665072129
(
केजरीवाल भक्त कहते हैं, हम इस बिल का समर्थन नही करते हैं तो फिर आपने अभी तक ऐसे हिन्दू विरोधी बिल के खिलाफ मीडिया में कोई बयान क्यूँ नही दिया है)

11.
अरविन्द केजरीवाल के संस्था को फोर्ड फाउंडेशन से पैसे मिले -

http://www.ibtl.in/news/exclusive/1162/arvind-kejriwal-and-manish-sisodia--has-received-400-000-dollars-from-the-ford-foundation-in-the-last-three-years---arundhati-roy

12.
जनता के पेसे से केजरीवाल एश कर रहे हैं, देखिये इस बिल को

लिंक देखिये-
http://www.bhaskar.com/article/NAT-india-against-corruption-movement-complete-fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=4&HT1=%3FBIG-PIC%3D

http://www.bhaskar.com/article/NAT-india-against-corruption-movement-complete-fund-and-expenditure-details-3836280-PHO.html?seq=5&HT1=%3FBIG-PIC%3D

13.
अरविन्द केजरीवाल से प्रश्न पूछो और पिटाई खाओ!

लिंक देखिये-
http://www.punjabkesari.in/news/केजरीवाल-से-सवाल-पूछना-पड़ा-मंहगा-114388
(
सभी पार्टी से सवाक पूछते रहते हैं और इनसे कोई सवाल करे तो उसको पीट देते हैं)

14.
केजरीवाल पर घोटाले का तथ्य छुपाने का आरोप-

लिंक देखिये-
http://www.samaylive.com/nation-news-in-hindi/174062/yp-singh-slam-kejriwal-for-hiding-land-scam.html


15.
कांग्रेस ने अपने विरोध को रोकने के लिए और अपने प्रचार के लिए सोशल मीडिया पर 100 करोड का खर्चा किया है पर केजरीवाल टीम ने खुलासा किया कि बीजेपी ने 100 करोड का खर्चा किया है.

लिंक देखीये-
http://www.governancenow.com/gov-next/egov/congress-plans-rs-100-crore-social-media-war-chest

16.
केजरीवाल की साथी अंजलि दमानिया के घोटाले का पूरा लेखा जोखा !

लिंक देखिये-
http://www.dnaindia.com/pune/report_activist-anjali-damania-a-land-shark-too_1746829

17.
कुमार विश्वास 'ब्रह्मा विष्णु महेश' का मजाक उड़ाते हुए-
(
मुस्लिम तुष्टीकरण)

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=CvANmaShh2U
(
क्या मुस्लिम के खिलाफ कुछ बोल सकते हैं?)

18.
जिस दिन केजरीवाल ने गडकरी के खिलाफ खुलासा किया था उसके अगले ही दिन ABP न्यूज़ चैनल उन किसानो के घर गया था और वहां जाकर पता चला कि गडकरी ने उनकी जमीन नही हडपी है और आज भी वो वहां खेती कर रहे हैं

लिंक देखिये:-

http://www.youtube.com/watch?v=2aYX2Ik5tgk

http://www.youtube.com/watch?v=HtGHcUjJlag

(
अब समझ आया कि केजरीवाल केबल खुलासे ही क्यूं करते हैं कोर्ट क्यूँ नही जाते हैं क्यूंकि वहां तो इनके खुलासे चलेंगे नही अभी से झूट बोलता है राजनीति में आया तो जाने क्या क्या करेगा?)

19.
केजरीवाल टीम का पाकिस्तानी प्रेम:-
फेसबुक पर लिखते हैं "I love Pak"

लिंक देखिये-
http://www.bhaskar.com/article/TOW-i-love-my-pakista-status-deleted-by-facebook-4178960-NOR.html

20.
केजरीवाल को यह चुनौती दी थी की अगर उनकी टीम में हिम्मत है तो वे जंतर मंतर में होने वाले debate में शामिल हों और मेरे तथा अन्य सदस्यों के सवालों का जवाब दें।
परन्तु टीम केजरीवाल का कोई भी सदस्य चर्चा में शामिल नहीं हुआ

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=XPJsKzWxbKw&list=UU1tnj_v8Sn-hWERFvqSjBWQ&index=9
(
सभी पार्टी से सवाक पूछते रहते हैं और इनसे कोई सवाल करे तो भाग जाते हैं)



21. प्रशांत भूसन का हिमाचल प्रदेश के जमीन घोटाले  में फसे हुए हैं

लिंक देखिये-
http://ibnlive.in.com/news/himachal-pradesh-probe-begins-into-prashant-bhushans-land-deal/376046-3-254.html
(
खुद की पार्टी में घोटाले हैं और लोगो से सवाल पूछते हैं)

22.
प्रशांत भूसन के जज को 4 करोड़ की घुस देते हैं

लिंक देखिये-
http://articles.timesofindia.indiatimes.com/2011-04-17/india/29427409_1_forensic-experts-corruption-spectrum-scam
(
खुद की पार्टी में चोर हैं और पार्टी में चोर बता रहे हैं)

23.
शांति भूसन का 1.3 करोड़ रुपए की टैक्स चोरी में पकड़े जाने और 27 लाख का जुरमाना भरा

लिंक देखिये-
http://www.ndtv.com/article/india/team-anna-s-shanti-bhushan-found-guilty-of-evading-1-3-crores-of-property-taxes-164319
(
खुद की पार्टी में चोर हैं और पार्टी में चोर बता रहे हैं)

24.
शांति भूसन का बैंगलोर में धमाके करने वाले आंतकवादी अब्दुल नससे मदनी को बचा था? इस आतंकवादी ने कितने ही बेगुनाओ की हत्या कर दी थी? क्या शांति भूसन का मदनी को अपने मित्र के नाते सजा से बचना सही है?

लिंक देखिये-
http://www.indianexpress.com/news/madani-may-pose-major-threat-if-released-ktaka-govt/783526
(
खुद देशद्रोही को बचाते हैं)


25.
शांति भूसन का नॉएडा/इलाहबाद के जमींन घोटाले में फंसने और आरोप सिद्ध भी हो चुके हैं

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=xRPmTOtFln8
(
एक चोर पार्टी दूसरी पार्टी में चोर देख रही है)

26.
शांति भुसन का आतंकवादी शौकत हुसैन गुरु जिसने 2001 में संसद पर आतंकी हमले किये थे उसको बचाना सही था?

लिंक देखिये-
http://www.indlawnews.com/Newsdisplay.aspx?5b7510bd-868e-4a1b-ad58-386ec7aeb7fd

28.
शांति भूसन का मुंबई में 1993 में हुए बम धमाको में आरोपी आतंकवादियों को बचाना सही था?

लिंक देखिये-
http://news.google.co.nz/newspapers?id=luIVAAAAIBAJ&sjid=kRMEAAAAIBAJ&pg=2103%2C2936835

29.
संजय सिंह - नरेन्द्र मोदी और बाबा रामदेव जैसे सांप्रदायिक लोगो को तुरंत फाशी दो। क्यों भाइयो विश्वास नहीं होता? अगर नहीं तो खुद देख लो:
http://www.youtube.com/watch?v=gnNyH401nQc

30. (
कश्मीर दंगो, असम दंगो, सिख दंगो, अभी हाल हीमे हुए पश्चिम बंगाल दंगो,बंगलादेश दंगो, रामसेतु मुद्दे)हिन्दू विरोधी पर कुछ नही कहते, फिर (गुजरात दंगो) मुस्लिम विरोधी पर सवाल उठाये
जबकि नरेंद्र मोदी को सुप्रीम कोर्ट से राहत मिल चुकी है

लिंक देखिये-
http://www.youtube.com/watch?v=gnNyH401nQc

अब भी कोई इस पार्टी के साथ है तो उससे बड़ा बेवकूफ कोई नही है....

साभार- देवेन्द्र सिंह नेगी ,अजय अवस्थी , नारायण त्रिपाठी 'सोना'