यह ब्लॉग निश्चय ही कुछ लोगो को अश्लील लगेगा पर कडवी सच्चाई को जितना जल्दी स्वीकार कर ले उतना ही अच्छा होगा ,बीमारी का इलाज ही बीमारी से बचाव का उपाय है बीमारी को छिपाना मतलब बीमारी को बढ़ाना कुछ रोचक तथ्य है जैसे दुनिया भर के मर्द सेक्स करने के मामले में औरतों के मुकाबले कमजोर
पड़ते जा रहे हैं। ऐसा किसी एक देश में न होकर दुनिया भर के मर्दों के साथ
हो रहा है कि उनकी सेक्स ड्राइव कमजोर होती जा रही है। आमतौर पर यह माना
जाता है कि आदमी हर समय सेक्स के बारे में सोचते रहते हैं और हमेशा प्यार
करने के लिए तैयार रहते हैं। लेकिन एक हालिया ऑनलाइन सर्वे बताता है कि 62
फीसदी पुरुष अपनी महिला पार्टनर के मुकाबले सेक्स करने के मामले में पीछे
रह जाते हैं। यह सर्वे यूकेमेडिक्स डॉट कॉम फार्मेसी की ओर से कराया गया
था। इस सर्वे में हर तीसरे आदमी ने यह भी माना था कि उनकी सेक्स ड्राइव
पहले के मुकाबले कमजोर हो गई है।
तू - तू, मैं - मैं समस्या का समाधान नहीं है |
भारत में 2011 में हुआ इंडिया-टुडे-नील्सन सर्वे काफी चर्चा और
विवादों में रहा था। इसमें देश के छोटे-बड़े शहरों को शामिल किया गया था।
इसमें यह बात सामने आई थी कि हर बार एक-तिहाई पुरुष सेक्स न करने के लिए
बहाने बनाते हैं। इसके मुताबिक आठ साल से कराए जा रहे सेक्स सर्वे में पहली
बार यौन संतुष्टि का आंकड़ा घट कर 27 फीसदी पर आ गया है। एक दूसरे पोल में
पता चला है कि हर चार में से एक आदमी सेक्स कर ही नहीं रहा है। 55 साल या
इससे ज्यादा की उम्र के 42 फीसदी लोगों में यह परेशानी पाई गई है। इस पोल
में एक चौथाई पुरुषों ने माना था कि वे सेक्स करने के लिए शारीरिक तौर पर
तैयार ही नहीं हो पाते हैं।
ब्रिटेन में सेक्स के मामलों के स्पेशलिस्ट डॉ. डेविड एडवर्ड्स कहते
हैं कि सेक्स ड्राइव का कम होने से एक आदमी की जीवन और उसके रिश्ते खतरनाक
दौर में पहुंच सकते हैं। डेविड के मुताबिक उनके पास पुरुषों के सेक्सुअल
प्रॉब्लम के काफी मामले आते हैं। वे कहते हैं कि उनके पास हाल ही में एक
ऐसा केस आया था जिसमें सेक्स ड्राइव कमजोर होने से एक आदमी का रिश्ता खत्म
हो चुका था। उसे यह समस्या करीब 12 सालों से थी। वह आदमी डॉक्टर के पास तभी
आया जब उसकी महिला पार्टनर ने उसे डॉक्टरी मदद लेने या छोड़ देने की धमकी
दी।
मानसिक रूप से मजबूत बने डरे नहीं |
शारीरिक और मानसिक समस्या है सेक्स ड्राइव का कमजोर होना
सेक्स ड्राइव का कमजोर होने के मानसिक या शारीरिक या दोनों कारण हो सकते हैं। डायबिटीज जैसी बीमारी (50 फीसदी पुरुषों को टाइप-2 डायबिटीज से टेस्टोस्टेरोन कम होने की समस्या आती है), कफ पैदा होने का ट्यूमर (अडेनोमा), क्लाइनफेल्टर (500 में से एक आदमी को होने वाला जेनेटिक सिंड्रोम), गुर्दे जैसी बीमारियों से लंबे समय से पीड़ित या सिस्टिक फाइब्रोसिस से भी टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाता है। कई बार कुछ दवाइयों के लगातार सेवन से भी सेक्स ड्राइव का समय कम हो जाता है। इसमें तनाव कम करने के लिए ली जाने वाली दवा और बीटा ब्लॉकर्स भी शामिल हैं। यह दवाइयां तनाव में रहने वाले लोगों और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को दी जाती हैं। इन दवाइयों से बुखार आने जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
लेकिन इसके अलावा मौजूदा जीवनशैली भी इसमें अहम रोल अदा कर रही है। पुरुषों का मोटा होते जाना भी उनकी सेक्स ड्राइव को कम कर रहा है। डॉ, डेविड के मुताबिक अगर कोई पुरुष मोटा है तो उसका टेस्टोस्टेरोन का लेवल फैट कम करने में ही कम हो जाएगा। इसके अलावा टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ती उम्र के साथ भी कम होता जाता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि अब कम उम्र में ही सेक्स ड्राइव कमजोर होने लगी है।
सेक्स ड्राइव का कमजोर होने के मानसिक या शारीरिक या दोनों कारण हो सकते हैं। डायबिटीज जैसी बीमारी (50 फीसदी पुरुषों को टाइप-2 डायबिटीज से टेस्टोस्टेरोन कम होने की समस्या आती है), कफ पैदा होने का ट्यूमर (अडेनोमा), क्लाइनफेल्टर (500 में से एक आदमी को होने वाला जेनेटिक सिंड्रोम), गुर्दे जैसी बीमारियों से लंबे समय से पीड़ित या सिस्टिक फाइब्रोसिस से भी टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम हो जाता है। कई बार कुछ दवाइयों के लगातार सेवन से भी सेक्स ड्राइव का समय कम हो जाता है। इसमें तनाव कम करने के लिए ली जाने वाली दवा और बीटा ब्लॉकर्स भी शामिल हैं। यह दवाइयां तनाव में रहने वाले लोगों और हाई ब्लड प्रेशर के मरीजों को दी जाती हैं। इन दवाइयों से बुखार आने जैसी परेशानियां भी हो सकती हैं।
लेकिन इसके अलावा मौजूदा जीवनशैली भी इसमें अहम रोल अदा कर रही है। पुरुषों का मोटा होते जाना भी उनकी सेक्स ड्राइव को कम कर रहा है। डॉ, डेविड के मुताबिक अगर कोई पुरुष मोटा है तो उसका टेस्टोस्टेरोन का लेवल फैट कम करने में ही कम हो जाएगा। इसके अलावा टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ती उम्र के साथ भी कम होता जाता है। कुछ डॉक्टरों का मानना है कि अब कम उम्र में ही सेक्स ड्राइव कमजोर होने लगी है।
50 के बाद होती थी ये परेशानी और अब 30 के बाद ही हो रही है शुरू
कही आप इस तरह से तो अपने बीएड रूम में पीडित नहीं है ? |
सेंटर फॉर मेंस हेल्थ के फाउंडर डॉ. मैलकॉम कैरथर्स 25 सालों से सेक्स
ड्राइव कमजोर होने की परेशानी का इलाज कर रहे हैं। उनका कहना है कि सेक्स
ड्राइव कमजोर होने की समस्या अब बड़े तौर पर सामने आ रही है और कम उम्र के
लोगों में भी यह आम बात हो चुकी है। पहले पुरुषों को यह समस्या 50 की उम्र
के बाद होती थी लेकिन अब यह 40 या 30 की उम्र के बाद ही सामने आ रही है।
अमेरिका में हुए अध्ययन बताते हैं कि वहां हर दशक में टेस्टोस्टेरोन का
लेवल कम से कम दस फीसदी गिर रहा है, यही हाल ब्रिटेन का भी है। डॉ. कैरथर्स
कहते हैं कि वातावरण में एस्ट्रोजन का स्तर बढ़ने और गर्भनिरोधक गोलियों
के सेवन से हॉर्मोन्स पर असर पड़ रहा है। यह भी सेक्स ड्राइव को कमजोर करने
का काम कर रहा है। इसके अलावा खाने में और पैकेजिंग में पाए जाने वाले
रसायनों का गर्भ के समय सेवन से भी आने वाली नस्ल पर असर पड़ रहा है।
डॉ. कैरथर्स कहते हैं कि मौजूदा आर्थिक हालात भी नई पीढ़ी पर दबाव डाल
रहे हैं और इससे भी सेक्स ड्राइव कमजोर हो रही है। जीवन में दबाव और तनाव
बढ़ने से स्ट्रेस हॉर्मोन्स कोर्टिसोल और एड्रेनालाईन शरीर में बढ़ रहे
हैं। गुड हाउसकीपिंग मैगजीन की ओर से कराए गए सर्वे में यह बात सामने आई थी
कि एक चौथाई पुरुष 12 महीने पहले के मुकाबले अब नियमित तौर पर कम सेक्स
करते हैं। इसका कारण लोगों का पैसे कमाने के लिए चिंता में डूबे रहने को
बताया गया था।
सेक्स ड्राइव कमजोर होना मतलब कई बीमारियां होना
पहले के मुकाबले सेक्स में कमी आने से कई बार लोगों के घर टूटने की
कगार पर पहुंच जाते हैं। मनोचिकित्सक डॉ. वीएस पॉल बताते हैं कि पुरुषों के
लिए चूँकि सामाजिक स्तर पर 'पौरुष' एक मूल्य के तौर पर स्थापित है, इसलिए
जब पुरुष इसे कम होता देखता है तो वह थोड़ा निराश और थोड़ा चिड़चिड़ा होने
लगता है, वह इसे आसानी से हजम नहीं कर पाता है। दरअसल कमजोरी और हमेशा
'पुरुष' होने और बने रहने की सामाजिक अपेक्षा की वजह से उसका व्यवहार
कभी-कभी रूखा और चिड़चिड़ा हो जाता है। इसके अलावा पुरुषों के सेक्स न करने
को लेकर महिलाओं में भी यह शक घर कर जाता है कि कहीं उनके पति का बाहर कोई
अफेयर तो नहीं है या उनके पति अब उन्हें पहले से कम प्यार करने लगे हैं।
ऐसी स्थिति में अगर सही कदम न उठाया गया या मार्गदर्शन न मिले तो पति पत्नी
में तलाक तक की नौबत आ जाती है।
सेक्स के मामलों के स्पेशलिस्ट डॉ. डेविड एडवर्ड्स के मुताबिक उनके एक
पेशेंट के कमजोर सेक्स ड्राइव से उनका पारिवारिक रिश्ता लगभग खत्म होने की
कगार पर पहुंच गया था। करीब सात महीनों से साथ रहे रहे कपल के जीवन में
सेक्स न होने से काफी तनाव आ गया था। उनके मुताबिक ऐसे समय में महिलाओं को
अपने पार्टनर को इलाज और सही मार्गदर्शन के लिए प्रोत्साहित करना चाहिए।
अगर वे ऐसा नहीं करेंगी तो बड़बोले पुरुष पारिवारिक जीवन के साथ ही अपने
प्रोफेशनल करियर में भी तनाव में आ जाएगा जिसके आगे चलकर गंभीर परिणाम हो
सकते हैं।
इसके अलावा जिन पुरूषों में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होता है, उनको
मधुमेह होने का ज्यादा खतरा होता है। हालांकि, मोटापा और खान-पान मधुमेह का
प्रमुख कारण होता है लेकिन, अगर किसी व्यक्ति में टेस्टोस्टेरॉन का स्तर
कम होता है तो, उसमें डायबिटीज जैसी खतरनाक बीमारी होने का खतरा बढ जाता
है। नियमित दिनचर्या और पोषणयुक्त आहार का सेवन करने के बावजूद अगर
टेस्टोस्टेरॉन का स्तर कम होता है तो मधुमेह का खतरा बढ़ जाता है। इसके
अलावा टेस्टोस्टेरॉन के कम स्तर से दिल की बीमारियां होने का भी खतरा होता
है। हालांकि टेस्टोस्टेरोन का लेवल कम होने का प्रजनन की क्षमता पर क्या
असर पड़ता है इस पर विशेषज्ञ एकमत नहीं हैं।
मुह नहीं छिपाए डाक्टर के पास जाए |
पार्टनर को बताएं और डॉक्टर को दिखाएं तो होगा इलाज
डॉ. एडवर्ड्स बताते हैं कि सेक्स ड्राइव कम होने के मामले से निपटने
में पत्नियों और लेडी पार्टनर का बड़ा हाथ है। उनके सपोर्ट के बिना पुरुष
प्रोफेशनल मदद नहीं लेते हैं। सेक्स के लिए शारीरिक तौर पर तैयार न होने
वाले मामलों में केवल एक तिहाई पुरुष ही सामने आते हैं। वे डॉक्टरों के पास
आकर अपनी कमी बताते हैं। इस काम के लिए पत्नियों की ओर से सपोर्ट मिलना
बहुत जरूरी है। डॉ. एडवर्ड्स का कहना है कि कमजोर सेक्स ड्राइव के कारणों
की जांच जरूरी है और टेस्टोस्टेरोन का लेवल चेक कराना चाहिए।
कुछ पुरुषों के आनुवांशिक लक्षण भिन्न होने से केवल ब्लड टेस्ट से
उनकी समस्या का पता नहीं चल पाता है और ऐसे में वे पुरुष बिना इलाज के ही
रह जाते हैं। वे कहते हैं कि केवल एक फीसदी पुरुष ही टेस्टोस्टेरोन
रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट से फायदा ले रहे हैं। ऐसे मामलों में इलाज का तरीका
यह है कि मरीज को ध्यान से सुना जाए, उसकी पुरानी और मौजूदा जिंदगी और
लक्षणों के बारे में ज्यादा से ज्यादा पता लगाया जाए। अगर इलाज के दौरान
कमजोरी के लक्षण दूर होते हैं तो इसका मतलब है कि इलाज ठीक दिशा में जा रहा
है। टेस्टोस्टेरोन का लेवल बढ़ाने का एक तरीका इंजेक्शन देना है तो दूसरा
जेल को स्किन पर रगड़ना। इसे टेस्टोस्टेरोन रिप्लेसमेंट ट्रीटमेंट भी कहा
जाता है।
एक तरीका लाइफस्टाइल में बदलाव लाने का भी है। इसके अलावा डॉक्टर कुछ
मरीजों पर हर्बल दवाइयों के इस्तेमाल भी करते हैं। इस तरह के इलाज में
उन्हें सप्लीमेंट्स दिए जाते हैं। इस तरह सेक्स ड्राइव कम होने की समस्या
तो आम है लेकिन एक चीज साफ है कि अगर पार्टनर इस बारे में बात करते हैं तो
इसका इलाज मुश्किल नहीं है।
नोट--जिसे यह ब्लॉग अच्छा लगे ओ अपनी राय नहीं रखे जिसे बुरा लगे ओ जरुर मुझे कोस सकते है ।
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