इस ब्लॉग में मेरा उद्देश्य है की हम एक आम नागरिक की समश्या.सभी के सामने रखे ओ चाहे चारित्रिक हो या देश से संबधित हो !आज हम कई धर्मो में कई जातियों में बटे है और इंसानियत कराह रही है, क्या हम धर्र्म और जाति से ऊपर उठकर सोच सकते इस देश के लिए इस भारतीय समाज के लिए ? सर्वे भवन्तु सुखिनः सर्वे सन्तु निरामयाः। सर्वें भद्राणि पश्यन्तु मा कश्चिद दुःख भाग्भवेत।। !! दुर्भावना रहित सत्य का प्रचार :लेख के तथ्य संदर्भित पुस्तकों और कई वेब साइटों पर आधारित हैं!! Contact No..7089898907
शनिवार, 6 अप्रैल 2013
!! रिश्ते दोस्ती के !!
हमारे जीवन में कुछ रिश्ते बहुत अनमोल होते हैं। मित्रता ऐसा ही रिश्ता है।
कहते हैं मित्र बनाए नहीं जाते, अर्जित किए जाते हैं। ये रिश्ता हमारी
पूंजी भी है, सहारा भी। आजकल दोस्ती के मायने बदल गए हैं तो इस रिश्ते की
गहराई भी कम हो गई है। इस संसार में हम अपनी मर्जी से जो सबसे पहला रिश्ता
बनाते हैं, वो मित्रता का रिश्ता होता है। शेष सारे रिश्ते हमें जन्म के
साथ ही मिलते हैं। मित्र हम खुद अपनी इच्छा से चुनते हैं। जो रिश्ता हम
अपनी पसंद से बनाते हैं, उसे निभाने में भी उतनी ही निष्ठा और समर्पण रखना
होता है।
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