रिटेल में एफडीआई के मुद्दे पर सपा और बसपा के लोकसभा में पुरजोर विरोध करने के बाद बहाने बनाकर सदन से वॉकआउट किया... इसके बाद राज्यसभा में सपा ने वाक आउट का सहारा लिया, जबकि बसपा ने यहां यूपीए सरकार का खुलकर समर्थन कर दिया..यदि सपा की तरह बसपा भी अगर सदन से वॉकआउट कर जाती तो सरकार इस मसले पर राज्यसभा में हार जाती.. अगर मायावती सरकार के खिलाफ वोट करती या सपा की तरह सदन से वॉकआउट कर जाती तो भी सरकार हार जाती लेकिन ऐसा नहीं हुआ... विदेशी किराना पर सरकार की जीत के कारण जो भी हों लेकिन सवाल यह उठ रहे हैं कि यूपी की दोनों ही बड़ी पार्टियों ने प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से एफडीआई पर जो समर्थन किया है, ये यूपी के 10 करोड़ 77 लाख की जनता के साथ धोखा कहलाएगा या नहीं ?
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